फ्यूचर ट्रेड

HDFC Bank, कल्याण ज्वेलर्स और ओरिएंट पेपर के शेयर पर लगाएं दांव, एक्सपर्ट दे रहे हैं तेजी की सलाह
भारत सरकार ने पिछले साल सरसों, सोयाबीन और चना जैसी एग्री कमोडिटी के फ्यूचर ट्रेडिंग पर बैन लगा दिया था. इससे किसानों को अपनी कृषि उपज के सही भाव नहीं मिल पा रहे हैं.
वायदा और विकल्प के बीच अंतर
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भारत में ईक्विटीज़ से बड़ा मार्केट है ईक्विटी डेरिवेटिव मार्केट भारत में डेरिवेटिव्स में मुख्य रूप से दो प्रोडक्ट्स हैं – ऑप्शन्स औऱ फ्यूचर्स फ्यूचर्स और ऑप्शन्स के बीच अंतर है कि फ्यूचर्स लीनियर हैं जब कि ऑफ्शन्स नॉन-लीनियर हैं। डेरिवेटिव्स का अर्थ है कि इनकी खुद की कोई वैल्यू नहीं होती है लेकिन उनकी वैल्यू अंडरलाइंग ऐसेट से व्युपत्रित होती है। उदाहरण के लिए, रिलाएंस इन्डस्ट्रीज़ पर ऑप्शन्स और फ्यूचर्स रिलाएंस इन्डस्ट्रीज़ के स्टॉक के दाम पर निर्भर है और उन्हीं से उनकी वैल्यू निर्दिष्ट होती है। ऑप्शन्स और फ्यूचर्स की ट्रेडिंग भारतीय ईक्विटी मार्केट के महत्वपूर्ण भाग हैं। आइए हम ऑप्शन्स और फ्यूचर्स के बीच अंतर को समझें और जानें कि किस प्रकार इक्विटी फ्यूचर्स और ऑप्शन्स मार्केट समग्र इक्विटी मार्केट के अभिन्न अंग हैं।
फ्यूचर्स और ऑप्शन्स क्या हैं?
फ्यूचर्स एक अंडर लाइंग स्टॉक (या अन्य ऐसेट) को एक पूर्वनिर्धारित मूल्य पर और पूर्वनिर्धारित अवधि के पूरे होने पर खरीदने और बेचने का अधिकार और बाध्यता है। ऑप्शन्स एक अधिकार है जिसमें ईक्विटी या इन्डेक्स खरीदने और बेचने की बाध्यता नहीं होती। एक कॉल ऑप्शन खरीदने फ्यूचर ट्रेड का अधिकार होता है जबकि एक पुट ऑप्शन बेचने का अधिकार होता है।
तो, मुझे ऑप्शन्स और फ्यूचर्स से किस तरह लाभा होगा?
चलिए, पहले फ्यूचर्स पर एक नज़र डालें। मान लीजिए कि आप टाटा मोटर्स के 1500 शेयर रु. 400 के दाम पर खरीदना चाहते हैं। इसके लिए आपको रु. 6 लाख निवेश करने होंगे। वैकल्पिक रूप से, आप टाटा मोटर्स का 1 लॉट (जिसमें 1500 शेयर होते हैं) भी खरीद सकते हैं। इससे फायदा है कि जब आप फ्यूचर्स खरीदते हैं, तो आप केवल मार्जिन का भुगतान करते हैं जो कि (मान लीजिए) पूरी कीमत का लगभग 20% है। इसका मतलब है कि आपका लाभ ईक्विटीज़ में निवेश करने की तुलना में पाँच गुना होगा। लेकिन इसमें नुकसान भी पाँछ गुना हो सकता है और लेवरेज्ड ट्रेड का यही जोखिम है।
ऑप्शन बिना बाध्यता वाला अधिकार है। तो, आप टाटा मोटर्स का 400 कॉल ऑप्शन रु. 10 में खरीद सकते हैं। क्योंकि लॉट साइज़ 1500 शेयर है, तो आपका अधिकतम नुकसान केवल रु. 15000 होगा। नकारात्मक पक्ष देखें तो भले ही टाटा मोटर्स के शेयर का दाम रु.300 हो जाए, आपका नुकसान केवल रु.15,000 होगा। सकारात्मक पक्ष देखें तो, शेयर का दाम रु. 410 से ज्यादा होने पर, आपका लाभ असीमित होगा।
ऑपशन्स और फ्यूचर्स में ट्रेड कैसे किया जाए?
ऑपशन्स और फ्यूचर्स में ट्रेड 1 महीने, 2 महीने और 3 महीने के लिए अनुबंध के माध्यम से किया जाता है। सभी एफ ऐंड ओ अनुबंधों की अवधि महीने के अंतिम बृहस्पतिवार को खत्म हो जाती है। फ्यूचर्स फ्यूचर के दाम पर ट्रेड किए जाएंगे जो कि आमतौर पर टाइम वैल्यू के कारण स्पॉट प्राइस से अधिक दाम होता है। एक कॉन्ट्रैकट के लिए एक स्टॉक की केवल एक फ्यूचर प्राइस होगी। जैसे कि जनवरी 2018 को कोई व्यक्ति टाटा मोटर्स के जनवरी फ्यूचर्स, फरवरी फ्यूचर्स और मार्च फ्यूचर्स में ट्रेड कर सकता है। ऑप्शनस में ट्रेड करना थोड़ा जटिल होता है क्योंकि आप वास्तव में प्रीमियम ट्रेड करते हैं। इसलिए, एक ही स्टॉक के कॉल ऑप्शन्स और पुट ऑप्शन्स के लिए भिन्न-भिन्न स्ट्राइक्स होंगें। टाटा मोटर्स के मामले में, 400 कॉल का कॉल ऑप्शन रु.10 होगा और जैसे जैसे स्ट्राइक बढ़ेगा, इन ऑप्शन्स का दाम धीरे धीरे कम होता जाएगा।
ऑप्शन्स और फ्यूचर्स की कुछ मूल बातें
फ्यूचर्स मार्जिन के साथ इक्विटी ट्रेड करने का लाभ देते हैं। चाहें आप फ्यूचर्स खरीद रहे हों या बेच रहे हों, इसके साथ जुड़े जोखिम भी असीमित हैं। जहाँ ऑप्शन्स की बात आती हैं, खरीदार अपना नुकसान भुगतान किए गए प्रीमियम तक सीमित कर सकता है। क्योंकि ऑप्शन्स नॉन-लीनियर होते हैं, इसलिए वो जटिल ऑप्शन्स और फ्यूचर्स कार्य-योजनाओं द्वारा ज्यादा नियंत्रित किए जा सकते हैं। जब आप फ्यूचर्स खरीदते या बेचते हैं तो आपको अग्रिम रूप से मार्जिन और मार्क-टू-मार्केट (एमटीएम) मार्जिन्स का भुगतान करना पड़ता है। जब आप ऑप्शन बेचते हैं तो आपको इनिशियल मार्जिन और मार्क-टू-मार्केट (एमटीएम) मार्जिन्स का भुगतान करना पड़ता है। लेकिन जब आप ऑप्शन्स खरीदते हैं तो आपको केवल प्रीमियम मार्जिन का ही भुगतान करना फ्यूचर ट्रेड पड़ता है। बस यही है!
ऑप्शन्स और फ्यूचर्स के अंतर को समझना।
जहाँ फ्यूचर्स की बात आती है तो उसका सिद्धांत बहुत सरल है। अगर आप स्टॉक के दाम के बढ़ने की अपेक्षा करते हैं तो आप स्टॉक पर फ्यूचर्स खरीदते हैं और अगर आप स्टॉक के दाम घटने की अपेक्षा करते हैं तो आप स्टॉक या इन्डेक्स के फ्यूचर्स बेचते हैं। ऑप्शन्स की चार संभावनाएं हो सकती हैं। चलिए प्रत्येक प्रकार को ऑप्शन्स और फ्यूचर्स ट्रेडिंग के उदाहरण से समझें। मान लीजिए कि इन्फोसिस के शेयर का वर्तमान दाम रु. 1000 है। आइए समझते हैं कि विभिन्न ट्रेडर्स अपने दृष्टिकोण के आधार पर विभिन्न प्रकार के ऑप्शन्स को कैसे प्रयोग करेंगे।
1. निवेशक A अपेक्षा करता है कि इन्फोसिस का दाम अगले 2 महीनों में रु.1150 तक जाएगा। उसके लिए सबसे सही कार्य-नीति होगी 1050 के स्ट्राइक पर इन्फोसिस का कॉल ऑप्शन खरीदे। वो काफी कम प्रीमियम देकर अपसाइड में भाग ले सकता है।
2. निवेशक B अपेक्षा करता है कि इन्फोसिस का दाम अगले 1 महीने में रु.900 तक गिर जाएगा। उसके लिए सबसे सही कार्य-नीति होगी 980 के स्ट्राइक पर इन्फोसिस का पुट ऑप्शन खरीदे। वो आसानी से शेयर के डाउनसाइड मूवमेंट में भाग लेकर लाभ कमा सकता है जब उसके द्वारा भरे गए प्रीमियम के दाम की पूर्ति हो जाए।
3. निवेशक C इन्फोसिस के दाम कम होने के बारे में निश्चित नहीं है। लेकिन, उसको पक्का विश्वास है कि ग्लोबल मार्केट के प्रेशर के कारण, इन्फोसिस का दाम 1080 पार नहीं करेगा। वह इन्फोसिस का 1100 कॉल ऑप्शन बेच सकता है और सम्पूर्ण प्रीमियम समेट सकता है।
4. निवेशक D इन्फोसिस के दाम के चढ़ने के बारे में निश्चित नहीं है। लेकिन उसको पक्का विश्वास है कि इन्फोसिस में हाल में हुए प्रबंधन परिवर्तनों के कारण स्टॉक का दाम रु. 920 से कम नहीं होगा। उसके लिए एक बेहतर कार्य नीति होगी अगर वो 900 पुट ऑप्शन बेच दे और सारा प्रीमियम ले जाए।
ऑप्शन्स और फ्यूचर्स की अवधारणा अलग है लेकिन आंतरिक रूप से वे एक ही हैं क्योंकि दोनों पूर्ण राशि का निवेश किए बिना स्टॉक या इंडेक्स से लाभ कमाने की कोशिश करते हैं!
सरसों, सोयाबीन, चना जैसी एग्री कमोडिटी के फ्यूचर ट्रेड से बैन हटाने के पक्ष में है एनसीडेक्स, जानिए क्या है वजह?
एनसीडेक्स के सीईओ ने कहा है कि कई कमोडिटी के भाव बढ़ने की वजह डीजल की बढ़ती कीमतें और ग्लोबल फैक्टर्स हैं. इनका फ्यूचर ट्रेडिंग से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा है कि खाद्य तेल के भाव दुनिया भर में बढ़े हैं और तेल के भाव बढ़ने की वजह भू राजनीतिक स्थितियां हैं.
नई दिल्ली: देश में बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल कई एग्री कमोडिटी के फ्यूचर कारोबार पर रोक लगा दी थी. पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि एग्री कमोडिटी के फ्यूचर ट्रेड से बाजार में उसके भाव पर कोई असर नहीं पड़ता. पिछले साल ही भारत सरकार ने कई एग्री कमोडिटी के भाव पर काबू पाने के लिए उनके फ्यूचर कारोबार पर रोक लगाने का फैसला किया था. नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज या एनसीडेक्स के एमडी और सीईओ अरुण रास्ते ने कहा है इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि फ्यूचर ट्रेड से किसी एग्री कमोडिटी के भाव पर असर पड़ता है, इसलिए जिन एग्री कमोडिटी पर के फ्यूचर ट्रेड पर बैन लगाया गया है, उसे हटा दिया जाना चाहिए.
HDFC Bank, कल्याण ज्वेलर्स और ओरिएंट पेपर के शेयर पर लगाएं दांव, एक्सपर्ट दे रहे हैं तेजी की सलाह
भारत सरकार ने पिछले साल सरसों, सोयाबीन और चना जैसी एग्री कमोडिटी के फ्यूचर ट्रेडिंग पर बैन लगा दिया था. इससे किसानों को अपनी कृषि उपज के सही भाव नहीं मिल पा रहे हैं.
एनसीडेक्स के सीईओ ने कहा है कि कई कमोडिटी के भाव बढ़ने की वजह डीजल की बढ़ती कीमतें और ग्लोबल फैक्टर्स हैं. इनका फ्यूचर ट्रेडिंग से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा है कि खाद्य तेल के भाव दुनिया भर में बढ़े हैं और तेल के भाव बढ़ने की वजह भू राजनीतिक स्थितियां हैं.
उन्होने कहा कि पराग्वे जैसे देशों में सोयाबीन की कमजोर फसल, अर्जेंटीना और ब्राज़ील में सोयाबीन उत्पादन में कमी के साथ खाद्य तेलों के भाव फ्यूचर ट्रेड बढ़ने की कई और भी वजहें हैं. उन्होने कहा कि यूक्रेन में युद्ध की वजह से सूरजमुखी की फसल पर असर पड़ा जबकि इंडोनेशिया ने आंतरिक वजहों से पाम ऑयल का निर्यात रोकने का फैसला किया था.
भारत का प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडेक्स समय 11 कमोडिटी में फ्यूचर ट्रेडिंग की इजाजत देता है. इनमें ग्वार गम और मसाले आदि शामिल है जिसमें जीरा, धनिया और हल्दी शामिल है. एनसीडेक्स के सीईओ ने कहा, "एक साल पहले भू राजनीतिक स्थितियों की वजह से दुनिया भर में खाद्यान्न के भाव में तेजी दर्ज की गई थी. अब जब खाद्य तेलों की आपूर्ति सुधर गई है तो इसके भाव में भी स्थिरता आ गई है."
भारत अपने खाद्य तेल की जरूरत का 56 फीसदी आयात करता है. चने के भाव में उतार-चढ़ाव पर उन्होंने कहा कि भारत में दाल की उपज में चने की हिस्सेदारी 50 फीसदी है. पिछले करीब 1 साल से चने की फ्यूचर ट्रेडिंग पर बैन है, इस वजह से इसके भाव में स्थिरता बनी हुई है."
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे कोई भी व्यक्ति अपने फायदे के लिए फ्यूचर ट्रेडिंग का इस्तेमाल कर एग्री कमोडिटी के भाव में बदलाव कर सके.
Adani की एंट्री से शेयर बना रॉकेट, 5 दिन से लग रहा है अपर सर्किट, अंबानी भी रेस में
Future Retail के लिए EOI जमा करने की समय-सीमा 20 अक्टूबर थी, लेकिन इसे आगे बढ़ा दिया गया था. अब EOI जमा करने वाली कंपनियों की फाइनल लिस्ट 20 नवंबर को जारी की जाएगी. इसके बाद उन्हें 15 दिसंबर तक एक समाधान योजना पेश करने के लिए कहा जाएगा.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 14 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 14 नवंबर 2022, 1:03 PM IST)
दुनिया के तीसरे सबसे अमीर और एशिया के नंबर-1 रईस गौतम अडानी (Gautam Adani) का नाम जुड़ते ही एक कंपनी का शेयर रॉकेट की रफ्तार से भागने लगा. हम बात कर रहे हैं फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) के स्टॉक की. बिग बाजार (Big Bazar) वाली कंपनी Future Retail के अधिग्रहण के लिए पहले सिर्फ रिलायंस चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) आगे थे, लेकिन बीते दिनों गौतम अडानी भी उन्हें टक्कर देने के लिए इस रेस में शामिल हो गए हैं. इसके बाद से ही शेयरों में तेजी का दौर जारी है.
कर्ज में डूबी कंपनी को खरीदने की होड़
Big Bazar वाली फ्यूचर रिटेल पर अलग-अलग क्रेडिटर्स का भारी-भरकम बकाया है. कर्ज में डूबी इस कंपनी के अधिग्रहण को लेकर देश के दोनों सबसे रईस मुकेश अंबानी और गौतम अडानी आमने-सामने आ गए हैं. दोनों ने ही इसे खरीदने के लिए अपने पेपर भी जमा कर रखे हैं. हालांकि, इस कंपनी को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने की रेस में सिर्फ अडानी-अंबानी ही नहीं, बल्कि अप्रैल मून रिटेल प्राइवेट लिमिटेड समेत कुल 13 अन्य कंपनियां भी मैदान में हैं, जिन्होंने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) दाखिल किए हैं.
FRL Stocks में 4.29% की तेजी
बात करें Gautam Adani की जोरदार एंट्री की, तो इसका सीधा असर कंपनी के शेयरों पर दिखाई दे रहा है. Future Retail के स्टॉक्स में लगातार अपर सर्किट लग रहा है. आज सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को भी कंपनी के शेयर तेजी से भाग रहे हैं. खबर लिखे जाने तक दोपहर 12 बजे तक के कारोबार के दौरान एफआरएल (FRL) के शेयर 4.29 फीसदी की तेजी लेते हुए 3.65 रुपये के स्तर पर ट्रेड कर रहे थे. इससे पहले शेयर बाजार ओपन होते ही कंपनी के शेयर 3.65 फीसदी की बढ़त के साथ खुले थे.
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बाजार टूटा, पर फ्यूचर के शेयर बने रॉकेट
सोमवार को शेयर बाजार (Stock Market) की शुरुआत मामूली बढ़त के साथ हुई थी, लेकिन जैसे-जैसे कारोबार आगे बढ़ा ये तेजी गिरावट में तब्दील होती गई. सेंसेक्स 5.94 अंक या 0.01 फीसदी ऊपर 61,800 पर खुला और निफ्टी 12.60 अंक या 0.07 फीसदी ऊपर 18,362 पर खुला था. इस दौरान लगभग 1369 शेयरों में तेजी आई 947 शेयरों में गिरावट आई और 149 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था. दोपहर 12 बजे तक बीएसई का Sensex 170.13 अंक या 0.28 फीसदी की गिरावट के साथ 61,624.91 पर, जबकि एनएसई का Nifty 18.30 अंक या 0.10 फीसदी टूटकर 18,331.40 के लेबर पर आ गया था. भले ही शेयर बाजार में गिरावट आई हो, लेकिन फ्यूचर रिटेल के शेयर (FRL Stock) रॉकेट की रफ्तार से भाग रहे हैं.
फ्यूचर ग्रुप पर कर्जदारों का इतना बकाया
फ्यूचर ग्रुप (Future Group) कभी देश का दूसरा सबसे बड़ा रिटेलर था. आज भी सुपर मार्केट का नाम आते ही सबसे पहले बिग बाजार (Big Bazar) जुबान पर आ जाता है. लेकिन इसकी मूल कंपनी किशोर बियाणी के नेतृत्व वाली फ्यूचर रिटेल (Future Retail) पर भारी-भरकम कर्ज ने इसे खत्म कर दिया. कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत कंपनी को 33 वित्तीय लेनदारों (Financial Creditors) से 21,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के दावे मिले हुए हैं. (नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)
Gold Price Today, 25th Nov: सर्राफा बाजार में फिर चढ़ी सोने की कीमत, 10 ग्राम गोल्ड का ये है ताजा भाव
Gold-Silver Price Today: सर्राफा बाजार में सोने की कीमत फिर उछल गई है. वैश्विक बाजारों में बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में तेजी के बीच सोना 323 रुपये बढ़कर 53,039 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. वहीं, वायदा बाजार में गोल्ड फ्यूचर फ्लैट ट्रेड कर रहा है.
Gold Price Today: सर्राफा बाजार में सोने की कीमत फिर उछल गई है. वहीं, वायदा बाजार में गोल्ड फ्यूचर फ्लैट ट्रेड कर रहा है. आज शुकवार 25 नवंबर, 2022 की सुबह 10:23 बजे गोल्ड फ्यूचर 13 रुपये या 0.02% की मामूली गिरावट लेकर 52,658 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर चल रहा था. इस दौरान इसका एवरेज प्राइस 52,709.69 रुपये पर दर्ज हुआ. क्लोजिंग 52,671 रुपये पर हुई थी. सिल्वर फ्यूचर इस दौरान 168 रुपये या 0.27% की तेजी के साथ 61,825 रुपये पर था. एवरेज प्राइस 62,005.02 रुपये पर था. पिछले सेशन में यह 61,993 रुपये पर बंद हुआ था.
दिल्ली सर्राफा बाजार में क्या थीं कीमतें
गुरुवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में कीमतों में उछाल आई थी. वैश्विक बाजारों में बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में तेजी के बीच सोना 323 रुपये बढ़कर 53,039 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. इससे पिछले कारोबारी सत्र में सोना 52,716 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. चांदी की कीमत भी 639 रुपये बढ़कर 62,590 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई.
अब देख लेते हैं कि गोल्ड के अलग-अलग कैरेट में और फ्यूचर ट्रेड सिल्वर के रेट IBJA (India Bullion And Jewellers Associaton Ltd.) पर क्या चल रहे हैं.
Gold Jewellery Retail Selling Rate
- Fine Gold (999)- 5,271
- 22 KT- 51,145
- 20 KT- 4,691
- 18 KT- 4,270
- 14 KT- 3,400
- Silver (999)- 62,266
(गोल्ड के ये रेट प्रति ग्राम पर हैं और इनमें जीएसटी और मेकिंग चार्ज नहीं जोड़ा गया है.)
IBJA के कल के क्लोजिंग रेट
- 999- 52,713 रुपये प्रति 10 ग्राम
- 995- 52,502
- 916- 48,285
- 750- 39,535
- 585- 30,837
- Silver- 62,266
(गोल्ड के ये रेट प्रति 10 ग्राम पर हैं और इनमें जीएसटी और मेकिंग चार्ज नहीं जोड़ा गया है.)
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों में तेजी दर्ज हुई. यूएस गोल्ड 5.60 डॉलर या 0.32% की तेजी के साथ 1,760.40 डॉलर प्रति औंस पर था. इस दौरान सिल्वर 0.297 डॉलर या 1.40% की तेजी के साथ 21.526 डॉलर प्रति औंस पर था.