मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

नाफ्टा के तहत एली लिली की मध्यस्थता की सूचना
यू.एस. दवा कंपनी एली लिली ने संघीय सरकार के साथ $ 500 मिलियन के पेटेंट विवाद को बढ़ा दिया है और उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते के तहत मध्यस्थता का नोटिस दायर किया है.
कंपनी कोर्ट के उन फैसलों के लिए मुआवजे की मांग कर रही है जो स्ट्रैटर के लिए उसके पेटेंट को अमान्य कर देते हैं, ध्यान-घाटे / सक्रियता विकार के लिए एक उपचार, और Zyprexa के लिए, जिसका उपयोग सिज़ोफ्रेनिया और द्विध्रुवी विकार के उपचार के लिए किया जाता है.
कनाडाई अदालतों ने विवादित पेटेंटों के तहत प्रहार किया “वादे मत करो,” एली लिली ने कहा कि नाफ्टा का उल्लंघन करती है.
कनाडा के पेटेंट नियमों के तहत, पेटेंट आवेदन दाखिल होने की तारीख तक दवा की उपयोगिता का प्रदर्शन किया जाना चाहिए या ध्वनि की भविष्यवाणी की जानी चाहिए.
“कनाडा में पिछले एक दशक में पेटेंट के फैसले न केवल लंबे समय से स्थापित अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं, लेकिन वे व्यक्तिपरक और पूरी तरह अप्रत्याशित हैं,” डौग नॉर्मन ने कहा, Eli Lilly’s general patent counsel . “मानक ऐसा लगता है कि कोई मानक नहीं है।”
चीन और यूरोप के साथ कनाडा के व्यापार समझौतों में निवेशक सुरक्षा अधिकारों को लेकर चल रही बहस के बीच यह चुनौती सामने आई है. आलोचकों ने चिंता जताई है कि व्यापार सौदे विदेशी निगमों को कनाडा के नीतिगत फैसलों को चुनौती देने की क्षमता प्रदान करेंगे.
विदेश मामलों का विभाग, व्यापार और विकास ने शुक्रवार को कहा कि यह मध्यस्थता की सूचना का आकलन कर रहा था.
“हमारी सरकार की कार्रवाइयां यह सुनिश्चित करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को जारी रखेंगी कि कनाडाई को उन सस्ती दवाओं तक पहुंच जारी है जिनकी उन्हें जरूरत है, नवाचार और रोजगार सृजन को बढ़ावा देते हुए,” प्रवक्ता केटलिन वर्कमैन ने एक बयान में कहा.
रिचर्ड गोल्ड, मैकगिल विश्वविद्यालय में एक पेटेंट कानून के प्रोफेसर, एली लिली ने कहा कि इसके मामले के लिए कोई आधार नहीं है.
“मेरे लिए यह तुच्छ और वीभत्स है और वास्तव में इसे कभी आगे नहीं रखा जाना चाहिए,” उसने कहा.
गोल्ड ने कंपनी के इस दावे को खारिज कर दिया कि कनाडा अद्वितीय है और अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ बाहर है, यह देखते हुए कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समान पेटेंट नियमों का उपयोग करते हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन विभिन्न नियमों का उपयोग करते हैं.
“अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का कोई सेट नहीं है. हम में से बहुत से लोग चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मानदंड हों क्योंकि यह जीवन को बहुत आसान बना देगा, लेकिन वे मौजूद नहीं हैं,” उसने कहा.
फेडरल कोर्ट ने स्ट्रेटा के लिए एली लिली के पेटेंट को रद्द कर दिया 2010. फेडरल कोर्ट ऑफ अपील ने जुलाई मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई में एली लिली की अपील को खारिज कर दिया 2011 और कनाडा के सुप्रीम कोर्ट ने उस साल दिसंबर में उस फैसले को अपील करने के लिए छुट्टी देने से इनकार कर दिया.
ज़िप्रेक्सा पेटेंट को पहली बार अक्टूबर में अमान्य करार दिया गया था 2009 संघीय न्यायालय द्वारा, लेकिन उस फैसले को जुलाई में फेडरल कोर्ट ऑफ अपील ने पलट दिया 2010.
तथापि, फेडरल कोर्ट ने नवंबर में दूसरी बार पेटेंट को अमान्य कर दिया 2011 और उस निर्णय को सितंबर में अपील के साथ वापस ले लिया 2012. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में अपील करने से इनकार कर दिया.
मध्यस्थता के लिए अनुरोध, जिसके समाधान में वर्षों लगेंगे, विवाद को हल करने के प्रयास में सरकार और कंपनी के बीच बातचीत की 90 दिनों की अवधि.
जिम कीऑन, कनाडाई जेनेरिक फ़ार्मास्यूटिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, एली लिली overpromised और underdelivered कहा।”
मुझे लगता है कि यह सुझाव कि कनाडाई कानून कमजोर है और कदम से बाहर गलत है,” उन्होंने एडमोंटन से एक साक्षात्कार में कहा.
“एली लिली ने अपने पेटेंट में कुछ चीजों का वादा किया था जो वे प्रदर्शित नहीं कर सकते थे।”
भारत, ब्रिटेन के मंत्री व्यापार समझौते पर बातचीत शूरू करने को लेकर अगला कदम उठाने पर सहमत
:अदिति खन्ना: लंदन, 13 सितंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लिज ट्रस के साथ सोमवार को वचुअर्ल बैठक की। इस बैठक में ब्रिटेन-भारत व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने के लिये अगला कदम उठाये जाने पर सहमति जताई गई। ब्रिटेन की सरकार ने यह कहा। ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) ने कहा कि दोनों मंत्रियों के बीच बातचीत भारत- ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिये ‘‘गुंजाइश और आकांक्षा’’ पर केन्द्रित रही। इस बातचीत से पहले 31 अगस्त को ब्रिटेन ने औपचारिक विचार विमर्श की प्रक्रिया को पूरा कर लिया।
लंदन, 13 सितंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लिज ट्रस के साथ सोमवार को वचुअर्ल बैठक की। इस बैठक में ब्रिटेन-भारत व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने के लिये अगला कदम उठाये जाने पर सहमति जताई गई। ब्रिटेन की सरकार ने यह कहा।
ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) ने कहा कि दोनों मंत्रियों के बीच बातचीत भारत- ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिये ‘‘गुंजाइश और आकांक्षा’’ पर केन्द्रित रही। इस बातचीत से पहले 31 अगस्त को ब्रिटेन ने औपचारिक विचार विमर्श मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई की प्रक्रिया को पूरा कर लिया।
डीआईटी द्वारा सोमवार की इस बैठक पर जारी नोट में कहा गया है, ‘‘उन्होंने विचार विमर्श से सामने आई जानकारियों पर चर्चा की और इस साल के अंत तक बातचीत शुरू करने की तैयारियों के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर सहमति जताई। इसमें सितंबर से व्यापार कार्यसमूहों की श्रृंखला की शुरुआत भी शामिल है।’’
डीआईटी ने कहा, ‘‘उन्होंने नई स्थापित की गई विस्तारित व्यापार भागीदारी पर भी चर्चा की और बाजार पहुंच पैकेज के समय पर क्रियान्वयन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’’
ब्रिटेन की सरकार ने कहा कि इस तरह की नियमित मंत्री स्तरीय बातचीत से दोनों पक्षों को विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे की स्थिति को समझने में मदद मिलती है। किसी भी व्यापार समझौते में शुल्क, मानकों, बौद्धिक संपदा और डेटा नियमन सहित अलग अलग क्षेत्र होते हैं।
डीआईटी ने कहा कि ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री ने एक ऐसे व्यापार समझौते को लेकर अपनी आंकांक्षा को फिर से व्यक्त किया जिससे ब्रिटेन के लोगों और डिजिटल एवं डेटा, प्रौद्योगिकी और खाद्य एवं पेय क्षेत्र सहित विभिन्न व्यवसायियों के लिये बेहतर परिणाम हों।
दोनों मंत्रियों के बीच इस बात को लेकर भी सहमति थी कि आगे होने वाली बातचीत के दौरान व्यवसायिक समुदाय के साथ जुड़े रहना महत्वपूर्ण होगा।
लिज ट्रस: ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री, भारत के साथ व्यापार समझौते से पहले देना पड़ा इस्तीफा
ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने लंदन स्थित 10 डाउनिंग स्ट्रीट में अपने संक्षिप्त कार्यकाल के बाद बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया और वह भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) नहीं करा सकीं। बुधवार तक संसद में खुद को लड़ने वाली और जिम्मेदारी बीच में नहीं छोड़ने वाली के रूप में प्रस्तुत कर चुकीं ट्रस ने प्रधानमंत्री बनने के महज छह सप्ताह के बाद इस्तीफा दे दिया। ट्रस के नीति संबंधी फैसलों के बदलने, मंत्रिमंडल में उठापटक और आंतरिक रूप से गतिरोध का सामना कर रही कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता के खिलाफ खुले विद्रोह के बाद पूर्व विदेश मंत्री का प्रधानमंत्री पद पर बने रहना असंभव हो गया था। ट्रस का जन्म ऑक्सफोर्ड में हुआ था और उनके पिता गणित के प्रोफेसर थे जबकि मां नर्स और शिक्षिका थीं। उनकी परवरिश ब्रिटेन के विभिन्न इलाकों में हुई है। ट्रस के पति एकाउंटेंट ह्यूग ओ लेरी हैं और उनकी दो बेटिया हैं।
ट्रस भारत के साथ मजबूत संबंधों की पक्षधर
ब्रिटेन की विदेश और व्यापार मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की वकालत करने वाली ट्रस ने कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व चुनाव में भारतीय मूल के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक को मात देकर पिछले महीने 10 डाउनिंग स्ट्रीट (ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) पर दस्तक दी थी। पद पर 45 दिन रहने के बाद इस्तीफा मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई देकर वह ब्रिटेन के इतिहास में सबसे कम समय तक रहने वाली प्रधानमंत्री बन गयी हैं। इससे पहले 1827 में जॉर्ज कानिंग अपनी मृत्यु तक 119 दिन ही इस पद पर रहे थे।
ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनने का गौरव पाया
जॉनसन मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री रहीं 47 वर्षीय ट्रस को अपनी पूर्ववर्ती महिला प्रधानमंत्रियों मार्गरेट थैचर और थेरेसा मे से कहीं अधिक मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा जहां देश में जीवनयापन की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्हें अपनी पार्टी में भी गुटबाजी का सामना करना पड़ा क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए हुए चुनाव में उन्हें 43 प्रतिशत के मुकाबले 57 प्रतिशत मतों से जीत हासिल हुई जिसे बहुत बड़ा अंतर नहीं माना जा रहा है।
भारत के साथ एफटीए को लेकर बातचीत की समर्थक नेता
भारत मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई के मोर्चे पर बात करें तो जॉनसन नीत सरकार में पूर्व अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री रहीं ट्रस ने भारत-ब्रिटेन उन्नत व्यापार साझेदारी (ईटीपी) पर पिछले साल मई में हस्ताक्षर किए थे। वह ब्रिटेन के लिए ब्रेक्जिट के बाद की बड़ी उपलब्धि के रूप में इस साल के अंत तक की समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए एफटीए को लेकर बातचीत जारी रखना चाह रही थीं। उन्होंने भारत को बड़ा और अहम अवसर करार दिया था और उनका मानना है कि भारत और ब्रिटेन ‘‘व्यापार में जो गतिशीलता बनी है , उसे लेकर बेहतर स्थान पर हैं। ईटीपी पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद ट्रस ने कहा था, ‘‘हम विस्तृत व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं जिसमें सब शामिल हो, वित्तीय सेवा से लेकर कानूनी सेवा तक, डिजिटल और आंकड़ों तक, वस्तु से लेकर कृषि तक। हम मानते हैं कि इस समझौते पर शीघ्र हस्ताक्षर होने की प्रबल संभावना है, जिससे दोनों पक्षों की ओर कर कम होगा, दोनों पक्ष एक दूसरे के बीच अपने सामान की आपूर्ति देखेंगे।’’
इंडो-पैसिफिक की रक्षा और सुरक्षा को बढ़ाने पर दिया था जोर
ट्रस ने पार्टी के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआईएन) के कार्यक्रम में दोहराया था कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के मामले में वह बहुत ही प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने प्रतिबद्धता जताई थी कि वह भारत-ब्रिटेन एफटीए करना चाहती हैं जिसकी समय सीमा उनके पूर्ववर्ती ने तय की है। उन्होंने कहा कि संभवत: यह समझौता दिवाली तक हो जाएगा, लेकिन निश्चित तौर पर इस साल के अंत तक इस समझौते को अमली जामा पहना दिया जाएगा। ट्रस लगातार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर देती रही हैं ताकि ‘‘ स्वतंत्र नेटवर्क’’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सके और चीन एव रूस की आक्रामकता का मुकाबला किया जा सके। उन्होंने वादा किया कि ब्रिटेन का वीजा प्रशासन भारत से ‘‘बेहतरीन प्रतिभाओं’’ को आकर्षित करना जारी रखेगा।
जेटको सम्मेलन में भारत-ब्रिटेन के अर्ली हार्वेस्ट समझौते को मंजूरी
राज एक्सप्रेस। हाल ही में भारत और ब्रिटेन द्वारा संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति का एक भारत-ब्रिटेन संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति (जेटको) सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मलेन के दौरान दोनों देशों के बीच बनी सहमति से देशों ने मुक्त व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसके बाद अर्ली हार्वेस्ट समझौते (Early Harvest Agreement) के लिए मंजूरी दे दी गई।
अर्ली हार्वेस्ट समझौते को मंजूरी :
दरअसल, भारत और ब्रिटेन द्वारा बनी सहमति से अब अर्ली हार्वेस्ट समझौते को मंजूरी मिल गई है। बताते चलें, ऐसा इतिहास में पहली बाद हुआ है जब इस तरह के पहले वर्चुअल भारत-ब्रिटेन संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति (JETCO) के सम्मेलन में मंजूरी दी गई।
दिल्ली में बैठक करने की योजना :
इस अनुमति का लगभग कई श्रेय वाणिज्य एवं उद्योग व रेल मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन की विदेश व्यापार मंत्री लिजट्रूस को जाता है क्योंकि इन्होंने लगातार बैठक कर इस समझौते की उपलब्धियों को हासिल करने पर सहमति जताई है। इस तरह की स्कीम के तहत प्रोडक्ट्स पर शुल्क लगाए जाने के प्रति उदारता बरती जाती है। इसके अलावा दोनों देशो ने आने वाले कुछ महीनों में कोरोना से बने हालातों के सही होने पर नई दिल्ली में बैठक करने को लेकर योजना भी बनाई है।
क्या है अर्ली हार्वेस्ट स्कीम ?
बताते चलें, अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (Early Harvest Scheme) दो बिजनेस पार्टनर देशों के बीच होने वाला फ्री ट्रेडिंग अग्रिमेंट हैं। जो दो देशों के बीच मुक्त व्यापार की दिशा में अहम कदम बढ़ाता है। यह दो व्यापारिक देशों को टैरिफ उदारीकरण के लिए कुछ उत्पादों की पहचान करने में मदद करने के लिए एफटीए वार्ता के समापन के लिए लंबित है। यह मुख्य रूप से एक विश्वास निर्माण उपाय है। सरल भासा में कहें तो इस स्कीम के तहत दोनों कारोबारी पार्टनर देश ऐसी वस्तुओं और सेवाओं की पहचान करते हैं, जिन पर शुल्क लगाए जाने के प्रति रियायत बरती जाती है।
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भारत, ब्रिटेन के मंत्री व्यापार समझौते पर बातचीत शूरू करने को लेकर अगला कदम उठाने पर सहमत
:अदिति खन्ना: लंदन, 13 सितंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लिज ट्रस के साथ सोमवार को वचुअर्ल बैठक की। इस बैठक में ब्रिटेन-भारत व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने के लिये अगला कदम उठाये जाने पर सहमति जताई गई। ब्रिटेन की सरकार ने मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई यह कहा। ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) ने कहा कि दोनों मंत्रियों के बीच बातचीत भारत- ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिये ‘‘गुंजाइश और आकांक्षा’’ पर केन्द्रित रही। इस बातचीत से पहले 31 अगस्त को ब्रिटेन ने औपचारिक विचार विमर्श की प्रक्रिया को पूरा कर लिया।
लंदन, 13 सितंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लिज ट्रस के साथ सोमवार को वचुअर्ल बैठक की। इस बैठक में ब्रिटेन-भारत व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने के लिये अगला कदम उठाये जाने पर सहमति जताई गई। ब्रिटेन की सरकार ने यह कहा।
ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) ने कहा कि दोनों मंत्रियों के बीच बातचीत भारत- ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिये ‘‘गुंजाइश और आकांक्षा’’ पर केन्द्रित रही। इस बातचीत से पहले 31 अगस्त को ब्रिटेन ने औपचारिक विचार विमर्श की प्रक्रिया को पूरा कर लिया।
डीआईटी द्वारा सोमवार की इस बैठक पर जारी नोट में कहा गया है, ‘‘उन्होंने विचार विमर्श से सामने आई जानकारियों पर चर्चा की और इस साल के अंत तक बातचीत शुरू करने की तैयारियों के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर सहमति जताई। इसमें सितंबर से व्यापार कार्यसमूहों की श्रृंखला की शुरुआत भी शामिल है।’’
डीआईटी ने कहा, ‘‘उन्होंने नई स्थापित की गई विस्तारित व्यापार भागीदारी पर भी चर्चा की और बाजार पहुंच पैकेज के समय पर क्रियान्वयन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’’
ब्रिटेन की सरकार ने कहा कि इस तरह की नियमित मंत्री स्तरीय बातचीत से दोनों पक्षों को विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे की स्थिति को समझने में मदद मिलती है। किसी भी व्यापार समझौते में शुल्क, मानकों, बौद्धिक संपदा और डेटा नियमन सहित अलग अलग क्षेत्र होते हैं।
डीआईटी ने कहा कि ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री ने एक ऐसे व्यापार समझौते को लेकर अपनी आंकांक्षा को फिर से व्यक्त किया जिससे ब्रिटेन के लोगों और डिजिटल एवं डेटा, प्रौद्योगिकी और खाद्य एवं पेय क्षेत्र सहित विभिन्न व्यवसायियों के लिये बेहतर परिणाम हों।
दोनों मंत्रियों के बीच इस बात को लेकर भी सहमति थी कि आगे होने वाली बातचीत के दौरान व्यवसायिक समुदाय के साथ जुड़े रहना महत्वपूर्ण होगा।