क्रिप्टो ब्रोकर क्या है

Cryptocurrency awareness: क्रिप्टो करेंसी पर जागरूकता में भारत ने ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी को पीछे छोड़ा, टॉप 10 देशों में हुआ शामिल
BrokerChooser की रिपोर्ट के मुताबिक क्रिप्टो करेंसी के बारे लोगों की जागरूकता को जांचने के लिए हुए अध्ययन में दुनिया के 50 देशों को शामिल किया गया.
भारत में बिटकॉइन समेत अन्य क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लोगों का क्रेज बना हुआ है.
Crypto-currency awareness : भले ही मोदी सरकार क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी के लिए विधेयक लाने की तैयारी कर रही है, लेकिन फिर भी भारत में बिटकॉइन समेत अन्य क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लोगों का क्रेज बना हुआ है. पिछले 12 महीनों में कुल ग्लोबल सर्चेज़, क्रिप्टो मालिकों की संख्या, ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स और अन्य फैक्टर्स के आधार पर भारत फिलहाल सातवा सबसे ज्यादा ‘क्रिप्टो अवेयर’ (crypto-aware) देश है. ब्रोकर डिस्कवरी और कंपैरिजन प्लेटफॉर्म BrokerChooser की हालिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, देश के लोगों में क्रिप्टो के संबंध में जागरूकता को लेकर किए गए इस अध्ययन में दुनिया के 50 देशों को शामिल किया गया था.
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिप्टो अवेयरनेस स्कोर में भारत ने 10 में से 4.39 अंक हासिल किए. भारत ने इस मामले में ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया. इस क्रिप्टो ब्रोकर क्या है चार्ट में यूक्रेन 7.97 अंकों के साथ सबसे ऊपर है. इसके बाद रूस, अमेरिका, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और यूके का स्थान है. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर ग्लोबर स्तर पर सर्च किए जाने वाले वाक्य हैं – cryptocurrency, what cryptocurrency to invest in, cryptocurrency to buy, cryptocurrency trading, cryptocurrency trends, और cryptocurrency brokers.
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इस रिपोर्ट के तहत कुल क्रिप्टो सर्चेज़, क्रिप्टो मालिकों की संख्या और ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स से संबंधित नतीजे भी दिलचस्प हैं. भारत कुल क्रिप्टो सर्चेज़ की संख्या (लगभग 36 लाख) के मामले में दूसरे स्थान है, जबकि अमेरिका इस मामले में पहले नंबर पर है. क्रिप्टो मालिकों की संख्या के मामले में भारत 10 करोड़ से ज्यादा मालिकों के साथ अमेरिका और रूस के बाद शीर्ष पर है. इस साल अगस्त में Chainalysis द्वारा 2021 ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स में भारत को 154 देशों में दूसरे स्थान पर रखा गया था.
रोजगार में क्रिप्टो निभा रहा है अहम भूमिका
इसके अलावा, रोजगार सृजन के मामले में भी क्रिप्टो अहम भूमिका निभा रहा है. नैसकॉम ने क्रिप्टो एक्सचेंज वज़ीरएक्स के साथ साझेदारी में पिछले महीने प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा था कि इंडस्ट्री में साल 2030 तक 8 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा करने की क्षमता है, वहीं 2030 तक इंडस्ट्री का आकार 241 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. अब तक, भारतीय खुदरा निवेशकों द्वारा क्रिप्टो में 6.6 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है.
(Article : Sandeep Soni)
(इस स्टोरी में क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सुझाव/सिफारिशें संबंधित कमेंटेटर/रिपोर्ट द्वारा दी गई हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन उनकी सलाह के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है. क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने से पहले कृपया अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें.)
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Cryptocurrency को लेकर बढ़ी दीवानगी, यूजर्स के मामले में देश का सबसे बड़ा स्टॉकब्रोकर Zerodha भी हुआ फेल
भारत में Cryptocurrency का क्रेज बहुत तेजी से बढ़ रहा है. रिटेल निवेशक बड़ी संख्या में इससे जुड़ रहे हैं. यही वजह है कि यूजर्स बेस के मामले में कई क्रिप्टो एक्सचेंज स्टॉक मार्केट ब्रोकर Zerodha से काफी आगे निकल गया है.
अपने देश में क्रिप्टोकरेंसी के प्रति क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है. रिटेल निवेशक इसमें बहुत तेजी से पार्टिसिपेट कर रहे हैं. यही वजह है कि देश के सबसे बड़े स्टॉक ब्रोकर Zerodha के यूजर्स की जितनी संख्या है, उससे ज्यादा देश के कई क्रिप्टो प्लैटफॉर्म्स पर यूजर्स की संख्या हो गई है.
जिरोधा के यूजर्स की संख्या 7 मिलियन से कुछ ज्यादा है. इनमें से 5 मिलियन एक्टिव यूजर्स हैं. एक्टिव यूजर्स उन ट्रेडर्स को कहते हैं जिन्होंने साल में कम से कम एकबार ट्रेड किया हो. वहीं, Coinswitch Kuber पर यूजर्स की संख्या 11 मिलियन के पार हो गई. यह जानकारी कंपनी के फाउंडर और सीईओ आशीष सिंघल ने दी है. WazirX के प्रवक्ता ने कहा कि इसका यूजर बेस 8.5 मिलियन का है.
क्वॉइनस्चिव कुबेर को मिली करीब 2000 करोड़ की फंडिंग
क्रिप्टो एक्सचेंजों को बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग भी मिल रही है. CoinSwitch Kuber को हाल ही में 26 करोड़ डॉलर (लगभग 1,943 करोड़ रुपए) की फंडिंग मिली है. क्वॉइनस्विच कुबेर ने कहा कि उसने आंद्रेसेन होरोविट्ज़ (ए16जेड), क्वॉइनबेस वेंचर्स और मौजूदा निवेशकों पैराडिगम, रिबिट कैपिटल, सिकोया कैपिटल इंडिया और टाइगर ग्लोबल से यह पैसा जुटाया है. अब यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो यूनिकॉर्न बन गया है. इस निवेश के लिए इसकी वैल्युएशन 1.9 बिलियन डॉलर आंकी गई है. इस फंड रेजिंग के साथ ही क्वॉइनस्विच कुबेर भारत का 30वां यूनिकॉर्न स्टार्टअप भी बन गया.
BSE ने जारी किया है 8 करोड़ यूनिक क्लाइंट कोड
वैसे भारत में स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर्स की कुल संख्या कितनी है, इसका पता लगाना आसान नहीं है. हालांकि, BSE का मानना है कि उसके साथ 8 करोड़ यूनिक क्लाइंट कोड जुड़ा है. अगर कोई ट्रेडर चार ब्रोकरेज के साथ अकाउंट ओपन करता है तो उसके लिए चार यूनिक क्लाइंड कोड जारी किए जाएंगे.
एक यूजर कई क्रिप्टो एक्सचेंज पर रजिस्टर्ड
क्रिप्टो एक्सचेंज पर यूजर बेस बढ़ने को लेकर कई कारण बताए जा रहे हैं. Genezis नेटवर्क के अजीत खुराना का कहना है कि क्रिप्टो इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स कई बार ट्रस्ट फैक्टर के कारण एक प्लैटफॉर्म से दूसरे प्लैटफॉर्म की तरफ स्विच करते हैं. इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है कि वे जिस टोकन में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, वह इस क्रिप्टो एक्सचेंज पर उपलब्ध नहीं हो.
1.5 करोड़ के करीब क्रिप्टो इन्वेस्टर्स
माना जा रहा है कि 2021 के शुरुआत में देश में क्रिप्टो इन्वेस्टर्स की संख्या करीब 1.5 करोड़ थी. जिरोध के फाउंडर नितिन कामथ ने भी 9 सितंबर को एक ट्वीट किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि शेयर मार्केट ब्रोकरेज फर्म को सबसे बड़ा खतरा क्रिप्टो एक्सचेंज से है. उन्होंने साफ-साफ कहा था कि जहां कुछ साल पहले अमेरिका था, वहां आज भारत खड़ा है. भारत में अभी भी क्रिप्टो का बाजार छोटा है.
जिस बिल का नाम सुनते ही क्रिप्टो धड़ाम,उसमें क्या है?बैन के पक्ष-विपक्ष में तर्क
Cryptocurrency: बिल के तहत ऐसे प्रावधान लाए जाएंगे जिससे प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन हो जाएंगी.
Cryptocurrency Bill In India: क्रिप्टो करेंसी पर लंबे समय से भारत सरकार और आरबीआई (RBI) की चिंताओं के बीच आखिरकार सरकार ने इस पर बिल लाने की घोषणा कर दी है. केंद्र सरकार 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कई बिल पेश करने वाली है जिसमें से एक क्रिप्टोकरेंसी पर भी विधेयक पेश हो सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टो पर समीक्षा बैठक भी बुलाई थी. पीटीआई के मुताबिक बैठक में क्रिप्टो के फायदे-नुकसान और रेगुलेशन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई है.
इन खबरों के बाद मार्केट को तो जोरदार झटका पहुंचा ही है लेकिन क्रिप्टो के बाजार में पैसा लगाने वाले भी अब परेशानी में आ गए हैं. इस मसले से जुड़े सभी बड़े सवालों के जवाब हम आपको यहां देने की कोशिश कर रहे हैं.
किस उद्देश्य से लाया जा रहा है क्रिप्टोकरेंसी बिल?
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत में अब तक कोई नियम-कानून नहीं है. इसलिए सरकार इस पर एक विधेयक लाने की तैयारी में है. जिसका नाम होगा- क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशिय डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (The Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021). इसके तहत रिजिर्व बैंक ऑफ इंडिया एक आधाकारिक क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के लिए एक आसान फ्रेमवर्क तैयार करेगी.
इस बिल के तहत ऐसे प्रावधान लाए जाएंगे जिससे सारी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन हो जाएंगी. हालांकि, इसकी टेक्नोलॉजी और इस्तेमाल को लेकर कुछ अपवाद जरूर रखे जाएंगे.
सरकार की घोषणा के बाद भारत में क्रिप्टो मार्केट का क्या हाल है?
जैसे ही सरकार की तरफ से क्रिप्टो बिल को लेकर घोषणा हुई भारत में क्रिप्टो मार्केट धड़ाम से गिरा. लगभग हर बड़े क्रिप्टोकरेंसी में 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई. WazirX के डेटा के मुताबिक, रुपये के संदर्भ में देखे तो बिटकॉइन में 17 फीसदी की गिरावट आई, इथेरियम में 14 फीसदी, डॉजकोइन में 20 फीसदी से अधिक और पोलकाडॉट में 14 फीसदी की गिरावट आई और डॉलर-पेग्ड टोकन टीथर भी लगभग 17 प्रतिशत नीचे रहा.
सरकार क्रिप्टो ब्रोकर क्या है के क्रिप्टो पर विधेयक लाने की घोषणा के बाद बाजार गिरा
विदेशों में क्रिप्टोकरेंसी की क्या स्थिति है?
क्रिप्टो करेंसी को कई देशों में मान्यता दी गई है तो वहीं अधिकतर देश इस करेंसी की खिलाफ हैं. हाल ही में चीन ने क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है. इसके अलावा नाइजीरिया, टर्की, बोलिविया, एक्वाडोर, कतर, बांग्लादेश, अल्जीरिया, इंडोनेशिया, वियतनाम में भी इस करेंसी पर पाबंदी लगी है.
वहीं अधिकतर देश अभी भी असमंजस की स्थिति में है कि इस करेंसी पर बैन लगना चाहिए या इसे वैध बना देना चाहिए. मध्य अमेरिका का अल सल्वाडोर दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां क्रिप्टो करेंसी वैध है. रूस में क्रिप्टो करेंसी में निवेश तो कर सकते हैं लेकिन कुछ सामान खरीदने के लिए उसके इस्तेमाल पर पाबंदी है.
अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोप के कुछ देशों में इसे पूरी तरह मान्यता तो नहीं दी गई है लेकिन यहां इस पर कोई पाबंदी भी नहीं है.
क्रिप्टो करेंसी में कितने भारतीय कर चुके हैं निवेश?
क्रिप्टो करेंसी बहुत ही ज्यादा परिवर्तनशील (वोलेटाइल) करेंसी है. ब्रोकर डिस्कवरी और Brokerchooser के मुताबिक भारत में बिटकॉइन ओनर की संख्या 10.07 करोड़ है. इसके अलावा अमेरिका में 2.74 करोड़, रूस (1.74 करोड़) और नाइजीरिया में बैन के बावजूद (1.30 करोड़) लोगों के पास क्रिप्टो करेंसी है.
भारत में क्रिप्टो बैन के खिलाफ क्रिप्टो ब्रोकर क्या है और पक्ष में क्या तर्क?
मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार सरकार प्राइवेट क्रिप्टो (e.g: Zcash, Monero, etc) को बैन करने की तैयारी में है. वहीं बिटकॉइन, इथीरियम पब्लिक क्रिप्टो में शामिल है. अब तक बिल पेश नहीं हुआ है इसलिए प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टो की बहस से बचना चाहिए.
न्यूज 18 से बातचीत में cashaa के संस्थापक और सीईओ कुमार गौरव ने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं होगा क्योंकि दुनिया इस दिशा में आगे बढ़ रही है. एक देश के रूप में अगर हम इसे नजरअंदाज करते हैं तो हम पीछे रह जाएंगे. हमें इसे उचित नियमों के साथ अपनाना चाहिए."
WazirX के फाउंडर और सीईओ ने क्रिप्टो ब्रोकर क्या है कहा कि "सरकार का रुख पहले जैसा ही लगता है. हमें बिल में दी गई बातों को पढ़ना चाहिए. बिटकॉइन एक पब्लिक ब्लॉकचेन पर एक पब्लिक क्रिप्टो करेंसी है."
इंडिया टुडे से बातचीत में क्रिप्टो एजुकेशन प्लेटफॉर्म Bitnning के फाउंडर काशिफ रजा ने बताया कि सरकार का प्रस्ताव जो अब आज हमारे पास है वही पिछली बार भी सरकार द्वारा पेश किए गए बिल के समान है.''
केवल एक चीज जो क्रिप्टो निवेशकों को डरा रही है, वह है क्लॉज निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के बारे में. मूल रूप से अगर हम इसके द्वारा जाते हैं, तो केवल सरकार द्वारा समर्थित करेंसी को ही अनुमति दी जाएगी, बाकी को नहीं. लेकिन यह अंतिम नहीं है. हमें सावधानी बरतने की जरूरत है और पूरे बिल के आने का इंतजार करना चाहिए".
Unocoin के फाउंडर और सीईओ सात्विक विश्वनाथ का मानना है-"प्राइवेट क्रिप्टो की परिभाषा कहीं भी उपलब्ध नहीं है, चाहे हम इसे पढ़ने का प्रयास करें. साथ ही सरकार की ओर से आज जो कुछ बातें हमारे क्रिप्टो ब्रोकर क्या है पास हैं, उनके बारे में भी यह वही है जो उन्होंने पहले पेश किया था. लगता है कुछ भी नहीं बदला है. हमें इससे संभलकर चलना होगा. यह एक बहुत ही मनमाना शीर्षक है जो पिछली बार था, अब भी वही है. आज जो तीन, चार बातें निकली हैं, उन पर नजर डालें तो ऐसा लग सकता है कि कोई नया बिल नहीं है, यह पुराने जैसा ही है. फिलहाल, हम अभी इसका कोई मतलब नहीं निकाल सकते हैं. लेकिन हां, निवेशक निश्चित रूप से आशंकित हैं."
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