विदेशी मुद्रा फोरम

क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

लगातार 9वें हफ्ता घटा विदेशी मुद्रा भंडार, क्या होगा घटते रिजर्व का असर

30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भंडार 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया है. देश की विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था

लगातार 9वें हफ्ता घटा विदेशी मुद्रा भंडार, क्या होगा घटते रिजर्व का असर

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: Oct 08, 2022 | 10:23 AM

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला लगातार 9वें दिन भी जारी रहा है. गिरावट के साथ अब देश का भंडार 2 साल के निचले स्तरों पर पहुंच गया है. रिजर्व बैंक पहले ही कह चुका है कि देश के रिजर्व में आ रही गिरावट का अधिकांश हिस्सा एक्सचेंज रेट की वजह से है. डॉलर के मुकाबले रुपया फिलहाल रिकॉर्ड निचले स्तरों पर पहुंच गया है. रिजर्व में लगातार आ रही गिरावट की वजह से चिंताएं बढ़ी हैं. हालांकि रिजर्व बैंक कह चुका है कि गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा के मामले में भारत की स्थिति काफी मजबूत है. जानिए अगर रिजर्व एक सीमा से ज्यादा गिरता है तो अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ता है.

कहां पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रहने के बीच 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया है. भंडार इससे पिछले सप्ताह में 8.134 अरब डॉलर कम होकर 537.518 अरब डॉलर पर रहा था. माना जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपये दर में गिरावट को रोकने के जारी प्रयासों के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी आई है. देश की विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.

आरबीआई की तरफ से शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट के कारण 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल पूरे भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 4.406 अरब डॉलर घटकर 472.807 अरब डॉलर रह गया. डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है.

आंकड़ों के अनुसार, सोने के भंडार का मूल्य 28.1 करोड़ डॉलर घटकर 37.605 अरब डॉलर पर आ गया है. समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 16.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.427 अरब डॉलर हो गया. आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के पास सुरक्षित देश का मुद्रा भंडार 4.826 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित रहा.

क्या है कमजोर रिजर्व का असर

उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए घटता हुआ विदेशी मुद्रा भंडार बेहद चिंता का विषय है.दरअसल विदेशी मुद्रा की मदद से केंद्रीय बैंक घरेलू करंसी में तेज गिरावट के नियंत्रित कर सकते हैं. जब उतार-चढ़ाव का दौर रहता है तो तेज गिरावट की स्थिति में बैंक अपने भंडार का इस्तेमाल कर करंसी को संभाल सकते हैं. इससे अनिश्चितता के बीच करंसी को नियंत्रित दायरे में रखा जा सकता है. और आयात बिल देश के नियंत्रण में रहता है. हालांकि रिजर्व घटने ये क्षमता खत्म हो जाती है और करंसी में तेज गिरावट अर्थव्यवस्था में दबाव बढ़ा देती है.

वहीं मजबूत रिजर्व से विदेशी कारोबारियों और निवेशकों के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा बढ़ता है. क्योंकि इससे संकेत जाता है कि अर्थव्यवस्था किसी छोटे मोटे झटके को आसानी से सहन कर सकती है. मजबूत रिजर्व विदेशी निवेश बढ़ाने और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का भरोसा जीतने में काफी मददगार साबित होता है. ऐसे जितने भी देश जिनका भंडार खत्म होने के करीब पहुंच गये हैं वहां से न केवल निवेशकों ने दूरी बना ली है साथ ही क्रेडिट रेटिंग घटने से नए कर्ज जुटाने में भी समस्या आ रही हैं.

क्या होगा व‍िदेशी क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

,

बिज़नेस न्यूज डेस्क - देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है और दो साल के निचले स्तर पर आ गया है। 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी आंकड़ों से मिली है। इससे पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। देश के मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार की मदद ले रहा है। अक्टूबर 2021 से अब तक, रुपये के मूल्यह्रास के कारण, आरबीआई ने घरेलू मुद्रा के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए $ 100 बिलियन से अधिक का निवेश किया है।

रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गई। आंकड़ों के मुताबिक देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के लिहाज से 247 मिलियन डॉलर घटकर 37,206 बिलियन डॉलर हो गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार की मदद से कोई भी देश जरूरत पड़ने पर अपनी मुद्रा में गिरावट को रोकने के लिए उचित कदम उठा सकता है। आयात पर निर्भर देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। वास्तव में, मुद्रा में गिरावट से आयात महंगा हो जाता है और माल के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। भुगतान करने की क्षमता पर प्रभाव के कारण आयात रुक जाता है और देश में माल की कमी हो सकती है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी, 2 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के आसार

भारत का फॉरेक्स रिजर्व अभी और नीचे जाएगा: इकोनॉमिस्ट्स

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 23 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में 8.134 अरब डॉलर घट गया. इससे पिछले हफ्ते भी फॉरेक्स रिजर्व . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 01, 2022, 08:22 IST

हाइलाइट्स

भारत का फॉरेक्स रिजर्व 8 अरब डॉलर घटकर 540 अरब डॉलर से नीचे आया.
पिछले हफ्ते भी इसमें गिरावट देखने को मिली थी और ये 546 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया था.
केवल डॉलर ही नहीं गोल्ड रिजर्व में भी 30 करोड़ डॉलर की गिरावट देखी गई.

नई दिल्ली. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी है. 23 सितंबर को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में भारत का फॉरेक्स रिजर्व 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया. आरबीआई ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी. इससे पिछले करोबारी हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व घटकर करीब 546 अरब डॉलर (545.54 अरब डॉलर) रह गया था.

बता दें कि आरबीआई लगातार रुपये की गिरती वैल्यू को बचाने के लिए हस्तक्षेप कर रहा है और डॉलर बेच रहा है. हा ही में रॉयटर्स के एक सर्वे में इस बात का अंदेशा जताया गया था कि भारत का फॉरेक्स रिजर्व 2 साल के निचले स्तर पर जा सकता है. केवल डॉलर की ही नहीं भारत का गोल्ड रिजर्व भी 30 करोड़ डॉलर घटकर 37.886 अरब डॉलर पर आ गया है.

एफसीए में गिरावट
आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन करेंसी असेट (एफसीए) में गिरावट के कारण 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल, ओवरऑल रिजर्व का एक प्रमुख हिस्सा होता है. एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या गिरावट का प्रभाव शामिल है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 7.688 अरब डॉलर घटकर 477.212 अरब डॉलर रह गया.

500 अरब डॉलर तक जाएगा फॉरेक्स रिजर्व
रॉयटर्स द्वारा कराए गए सर्वे में 16 अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया था. जिनका कहना था कि भारत का फॉरेक्स रिजर्व दिसंबर तक गिरकर 523 अरब डॉलर तक रह सकता है. इसी तरह का स्थिति 2008 के आर्थिक संकट के समय भी बनी थी. तब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 20 फीसदी तक लुढ़क गया था. भारत फिलहाल 2013 के टेपर ट्रेन्ट्रम काल से अधिक तेजी से अपना फॉरेक्स रिजर्व खर्च कर रहा है.

हस्तक्षेप का असर नहीं
भले ही आरबीआई लगातार पैसे की साख बचाने के लिए हस्तक्षेप कर रहा है लेकिन मजबूत होते डॉलर के सामने फिलहाल कोई तरकीब असर करती नहीं दिख रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को अपने न्यूनतम स्तर 81.93 तक पहुंच गया था. हालांकि, उसके बाद इसमें थोड़ी तेजी देखने को मिली और कल ये बेहतर होकर 81.36 के स्तर पर बंद हुआ. हालांकि, जानकारों का मानना है कि डॉलर के मजबूत होने और मंदी की आहटों के कारण रुपया अभी और कमजोर होगा. यही हाल यूरो, येन व युआन समेत अन्य करेंसीज का भी है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

2 साल के निचले स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार, डॉलर के आगे रेंग रहा रुपया, आप पर क्या असर?

डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया ने पहली बार 81 के स्तर को पार किया है। शुक्रवार को कारोबार के क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? दौरान गिरावट ऐसी रही कि रुपया 81.23 के स्तर तक जा पहुंचा था। हालांकि, बाद में मामूली रिकवरी दिखी।

2 साल के निचले स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार, डॉलर के आगे रेंग रहा रुपया, आप पर क्या असर?

अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने के बाद भारतीय करेंसी रुपया एक बार फिर रेंगने लगा है। इस बीच, विदेशी मुद्रा भंडार ने भी चिंता बढ़ा दी है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें सप्ताह गिरा है और अब यह 2 साल के निचले स्तर पर आ चुका है।

रुपया की स्थिति: डॉलर के मुकाबले रुपया ने पहली बार 81 के स्तर को पार किया है। शुक्रवार को कारोबार के दौरान गिरावट ऐसी रही कि रुपया 81.23 के स्तर तक जा पहुंचा था। हालांकि, कारोबार के अंत में मामूली रिकवरी हुई। इसके बावजूद रुपया 19 पैसे गिरकर 80.98 रुपये प्रति डॉलर के लेवल पर बंद हुआ। यह पहली बार है जब भारतीय करेंसी की क्लोजिंग इतने निचले स्तर पर हुई है।

विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति: आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 16 सितंबर को सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 545.652 बिलियन डॉलर पर आ गया। पिछले सप्ताह भंडार 550.871 अरब डॉलर था। विदेशी मुद्रा भंडार का यह दो साल का निचला स्तर है। अब सवाल है कि रुपया के क्या होगा व‍िदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? कमजोर होने या विदेशी मुद्रा भंडार के घट जाने की कीमत आपको कैसे चुकानी पड़ सकती है?

रुपया कमजोर होने की वजह: विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत बने रहने की वजह से रुपया कमजोर हुआ है। दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.72 प्रतिशत चढ़कर 112.15 पर पहुंच गया है। डॉलर इसिलए मजबूत बना हुआ है क्योंकि अमेरिकी फेड रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर में 75 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी कर दी है।

दरअसल, ब्याज दर बढ़ने की वजह से ज्यादा मुनाफे के लिए विदेशी निवेशक अमेरिकी बाजार की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस वजह से डॉलर को मजबूती मिल रही है। इसके उलट भारतीय बाजार में बिकवाली का माहौल लौट आया है। बाजार से निवेशक पैसे निकाल रहे हैं, इस वजह से भी रुपया कमजोर हुआ है।

असर क्या होगा: रुपया कमजोर होने से भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। भारत को आयात के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। रुपया कमजोर होने से आयात पर निर्भर कंपनियों का मार्जिन कम होगा, जिसकी भरपाई दाम बढ़ाकर की जाएगी। इससे महंगाई बढ़ेगी। खासतौर पर पेट्रोलियम उत्पाद के मामले में भारत की आयात पर निर्भरता ज्यादा है। इसके अलावा विदेश घूमना, विदेश से सर्विसेज लेना आदि भी महंगा हो जाएगा।

विदेशी मुद्रा भंडार पर असर: रुपया कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार कमजोर होता है। देश को आयात के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं तो जाहिर सी बात है कि खजाना खाली होगा। यह आर्थिक लिहाज से ठीक बात नहीं है।

रेटिंग: 4.27
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 594
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *