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करेंसी से लाभ

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2021 में 7.3% भारतीयों के पास डिजिटल करेंसी, दुनिया में 7वां सबसे ऊंचा: UNCTAD

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर 50 लाख की ठगी,रिपोर्ट दर्ज

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मेरठ। ऐप के जरिए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर सेना से सेवानिवृत्त एक अधिकारी और दो कारोबारियों से 54 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। जिले में वर्चुअल निवेश का झांसा देकर ऐसी ठगी पहली बार की गई है। इसके चलते साइबर टीम की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ऐसी ठगी से बचने के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है।
इस मामले में मेडिकल और लालकुर्ती थाने में दो केस दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा एक अन्य मामले की शिकायत पल्लवपुरम थाने में की गई है। इसकी जांच अभी जारी है। साइबर सेल के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों के ग्रुप में निवेश से जुड़े संदेश भेजकर उन्हें झांसा दिया गया। इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी ग्रुप इनवेस्टमेंट के बहाने खाते से रुपये निकलवाए गए।
लालकुर्ती थाना क्षेत्र के सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी कुछ महीनाें से टेलीग्राम ग्रुप में जुड़े थे। पहले वर्चुअल करेंसी की कम रेट बताकर खरीद कराई गई। इसके बाद मोटे मुनाफे का लाभ करेंसी से लाभ देकर खाते से अलग-अलग रकम ली गई। कुल 23 लाख रुपये की ठगी की गई।
वहीं दूसरी ओर मेेडिकल थाना क्षेत्र में भवन सामग्री से जुड़े कारोबारी ने दो नवंबर को मेडिकल थाने में क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर 26 लाख की ठगी का केस दर्ज कराया था। उन्होंने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी में ऑनलाइन निवेश करने वाली साइटों का हवाला देकर टेलीग्राम ग्रुप पर जोड़ा गया और फिर ठगी की गई।
वही थाना पल्लपुरम में एक अन्य कारोबारी ने बताया कि वह दो माह पहले ही वर्चुअल निवेश के झांसे में आ गए। उनसे पांच लाख रुपये की ठगी की गई। बाद में पता चला कि कुछ अन्य लोग भी उनकी तरह ठगी के शिकार हुए हैं, लेकिन इनकम टैक्स सहित अन्य कारणों से अभी सामने नहीं आ रहे हैं।

भारत में लाेगाें के पास 30 लाख कराेड़ रुपए की राशि है !

जनवरी, 2009 में अपनी लाॅन्चिंग के बाद से बिटकाॅइन ने दुनिया भर में क्रिप्टाे मुद्राओं के विस्तार में अहम भूमिका निभाई.नवंबर, 2021 में अपने चरम पर इसके 10,000 से अधिक स्निके बाजार में थे और इनका बाजार मूल्य करीब तीस खरब डाॅलर था, जिसमें बिटकाॅइन का बाजार मूल्य 12.8 खरब डाॅलर था. वर्ष 2022 में बाजार में सुधार के चलते सभी क्रिप्टाे मुद्राओं का मूल्य लगभग 10 खरब अमेरिकी डाॅलर रह गया है, जिसमें कई मुद्राओं का मूल्य शून्य रह गया है और क्रिप्टाे क्षेत्र में काम करने वाली कई कंपनियां दिवालिया हाे रही हैं. क्रिप्टाे मुद्राओं में इस बड़ी गिरावट ने क्रिप्टाे दलालाें, उधारदाताओं, फंडाें और ए्नसचेंजाें काे खुद काे दिवालिया घाेषित करने के लिए अर्जी लगाने पर बाध्य किया है, जिससे इनमें निवेश करने वालाें काे भारी नुकसान हुआ है.

सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक क्रिप्टाे उत्पादाें की अनियमित प्रकृति पर चिंता जता रहे थे, जिसका मनी लाॅन्ड्रिंग, ग्राहकाें के साथ धाेखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियाें के लिए उपयाेग हाे सकता है.

पिछले एक साल में ऐसे मामलाें में कई गुना वृद्धि हुई है, जिसमें ऋण एप्स क्रिप्टाे का उपयाेग विदेशाें में धन भेजने के लिए हाेता है. क्रिप्टाे उत्पादाें की बुनियाद रखने वाली ब्लाॅकचेन प्राैद्याेगिकी और डेफी अर्थव्यवस्था के लिए उपयाेगी है, पर उत्पाद का वर्तमान स्वरूप (जिसका न ताे काेई आंतरिक मूल्य है और न ही काेई नियामक ढांचा) एक चुनाैती पेश करता है कि ‘प्राैद्याेगिकी से कैसे लाभ उठाएं और क्रिप्टाे की वर्तमान संरचना में निहित खतरनाक पहलुओं से कैसे बचें?’ वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए घाेषणा की थी कि भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया पेश करेगा. यह भारत की अपनी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) हाेगी. सीबीडीसी एक डिजिटल भुगतान साधन है, जिसे राष्ट्रीय मुद्रा (भारतीय रुपया) में अंकित किया गया है. यह केंद्रिय बैंक, आरबीआई की प्रत्यक्ष देयता है.

डिजिटल साॅवरेन करेंसी का यह नया रूप भारतीय रिजर्व बैंक में रखे गए भाैतिक नकद रुपये या उसके भंडार के बराबर हाेगा. यह आरबीआई द्वारा जारी और विनियमित किया जाएगा और भाैतिक रुपये की तरह साॅवरेन गारंटी द्वारा समर्थित हाेगा. क्रिप्टाे मुद्राओं काे न ताे किसी केंद्रीय बैंक ने जारी किया है और न ही यह कानूनी ताैर पर मान्य है. क्रिप्टाे मुद्राएं किसी संस्था की देयता नहीं हैं और न ही किसी संपत्ति द्वारा समर्थित हैं. अत्यधिक अस्थिरता के कारण उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव आता है. सीबीडीसी ई-रुपया रिजर्व बैंक द्वारा समर्थित है, जिसे जारी करने पर ई-रुपये की शेष राशि आरबीआई की बैलेंस शीट परप्रतिबिंबित हाेगी और देश की बेलेंस शीट का भी हिस्सा बनेगी. इसलिए करेंसी से लाभ डिजिटल रुपया सीबीसीडी आरबीआई द्वारा जारी करेंसी नाेटाें का डिजिटल रूप है.

यह बैंक नाेटाें से बहुत अलग नहीं है, लेकिन डिजिटल हाेने के कारण, इसमें लेन-देन करना आसान, तेज और सस्ता हाेने की संभावना है. इसमें सभी तरह के डिजिटल धन के लेन-देन संबंधी सभी लाभ भी हैं, जैसे-सुरक्षा, सुविधा और पारदर्शिता. रिजर्व बैंक ने पिछले महीने भारतीय सीबीडीसी पर अपनी परिकल्पना के विवरण का खुलासा किया, और थाेक में डिजिटल रुपये काे लेन-देन में शामिल करने वाली पहली पायलट परियाेजना एक नवंबर काे लाॅन्च की गई. केंद्रीय बैंक ने थाेक में डिजिटल रुपये की पहली पायलट परियाेजना शुरू करने के लिए नाै बैंकाें काे नियु्नत किया है. एक महीने में रिवर्ज बैंक खुदरा स्तर पर भी पायलट परियाेजना शुरू करेगा. बैंक बचत की तरह डिजिटल वाॅलेट में काेई डिजिटल बचत का पता लगा सकेगा.

डिजिटल रुपया वित्तीय परिस्थितिकी तंत्र में धन प्रवाह की व्यापक दृश्यता की अनुमति देगा. भारत करेंसी से लाभ में लाेगाें के पास 30 लाख कराेड़ रुपये की एक बड़ी राशि है. लेकिन नीति-निर्माताओं काे जरा भी अंदाजा नहीं है कि यह किसके पास, कब से और क्यों रखी हुई है. डिजिटल सीबीडीसी हाेने से अधिक पारदर्शिता और बेहतर माैद्रिक नीति लक्ष्यीकरण भी संभव हाेगा. डिजिटल रुपये के उपयाेग में वृद्धि के साथ भाैतिक मुद्रा की छपाई, भंडारण और वितरण की लागत कम हाे जाएगी. सीबीडीसी के व्यापक उपयाेग से अर्थव्यवस्था का विनियमीकरण और वित्तीयकरण बढ़ेगा. कर संग्रह में भी सुधार हाेगा, क्योंकि कर विभाग पता लगाने में सक्षम हाेगा. काॅरपाेरेट जगत के लिए, सीबीडीसी तत्काल निपटान, ट्रैकिंग और नियंत्रण की पेशकश करेगा. इससे अर्थव्यवस्था में समग्र टकराव भी कम हाे जाएगा.

भारत में काेविड के बाद तेजी से डिजिटल भुगतान और यूपीआई के शुरू हाेने से बड़े पैमाने पर जनता काे फायदा हुआ है. जन-धन खाताें, माेबाइल डाटा पैठ और आधार के संयाेजन ने वित्तीय परिदृश्य काे काफी करेंसी से लाभ हद तक बदल दिया है. रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदाराें से लेकर पांच सितारा हाेटलाें तक यूपीआई स्वीकृत है और ्नयूआर काेड़ स्कैनिंग सार्वभाैमिक हाे गई हैं. इसने बड़ी संख्या में लाेगाें काे औपचारिक वित्तीय प्रणाली में शामिल किया है और अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाई है.हालांकि, अन्य देशाें का अनुभव ‘सीबीडीसी के साथ ्नया नहीं करना हैं’ से संबंधित कुछ सबक देता है. जब नाइजीरिया सीबीडीसी शुरू करने वाला पहला अफ्रीकी राष्ट्र बना, ताे यह उस देश के लगभग चार कराेड़ बिना बैंक खाते वाले लाेगाें काे आंशिक रूप से निशाना बना रहा था.

एजुकेशन पेमेंट्स के सुगम भुगतान के लिए एचडीएफसी बैंक का फ्लाईवायर से गठबंधन

एजुकेशन पेमेंट्स के सुगम भुगतान के लिए एचडीएफसी बैंक का फ्लाईवायर से गठबंधन

मुंबई
भारत के सबसे बड़े प्राईवेट सेक्टर के बैंक, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड ने आज ग्लोबल पेमेंट्स इनेबलमेंट एवं सॉफ्टवेयर कंपनी, फ्लाईवायर कॉर्पोरेशन (फ्लाईवायर) के साथ साझेदारी करने की घोषणा की। इस साझेदारी द्वारा भारतीय पूरी दुनिया में उच्च शिक्षा के संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा शुल्क सुगमता से डिजिटल माध्यम की मदद से भुगतान कर सकेंगे। इस इंटीग्रेशन द्वारा विद्यार्थियों और उनके परिवारों को लिबरलाईज़्ड रैमिटेंस स्कीम का अनुपालन करने और उच्च वैल्यू की ट्यूशन फीस भरने का सुगम अनुभव प्राप्त हो सकेगा।

एचडीएफसी बैंक का इंटीग्रेशन सीधे फ्लाईवायर के प्लेटफॉर्म के साथ हो गया है, जिससे भारतीय विद्यार्थियों को अपने विनिमयों के लिए पूर्णतः डिजिटल चेकआउट का अनुभव मिलेगा, और वो आवेदन शुल्क से लेकर ट्यूशन फीस तक हर भुगतान सुगमता से कर सकेंगे। विद्यार्थी भुगतान भारतीय रुपये में कर सकते हैं और सुरक्षित एवं स्ट्रीमलाईंड भुगतान का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं, तथा उन्हें यह भरोसा भी मिलता है कि उनके फंड सीधे शैक्षणिक संस्थान में पहुँचेंगे। इसके अलावा, फ्लाईवायर द्वारा भुगतान स्वीकार करने वाले संस्थानों को स्थानीय करेंसी में समय पर भुगतान प्राप्त होने का फायदा और विनिमय के इतिहास में पूर्ण पारदर्शिता का लाभ मिलता है, जिससे उनकी मिलान की प्रक्रिया आसान बनती है, और ऑपरेशनल एफिशियंसी बढ़ती है।

विदेशों में जाकर उच्च शिक्षा पाने की मांग बहुत ज्यादा है, भारतीय विद्यार्थी प्रवेश लेने वाले महत्वपूर्ण समूहों में हैं। 2022 की ओपन डोर्स रिपोर्ट के मुताबिक 2021-2022 के शैक्षणिक वर्ष में अमेरिका में लगभग 200,000 भारतीय विद्यार्थियों ने अध्ययन किया, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 19 प्रतिशत ज्यादा था। आईसेफ की रिपोर्ट में भी भविष्यवाणी की गई कि भारत से विदेशों में जाकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या अनेक देशों में बढ़ेगी, और अगले कुछ सालों में दोगुनी से ज्यादा बढ़कर 2024 तक 1.8 मिलियन विद्यार्थियों तक पहुँच जाएगी।

मोबिलिटी के इन ट्रेंड्स के बावजूद भारतीय विद्यार्थियों को ट्यूशन के भुगतान के मामले में पारंपरिक, लंबी व कागजों पर आधारित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसलिए भारतीय विद्यार्थी अंतर्राष्ट्रीय भुगतान करने के लिए सरल व ज्यादा लचीली भुगतान प्रक्रिया चाहते हैं। फ्लाईवायर की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल 82 प्रतिशत भारतीय विद्यार्थियों का मानना है कि एक सरल भुगतान प्रक्रिया से शिक्षा के अनुभव में सुधार आएगा।

एचडीएफसी बैंक और फ्लाईवायर के बीच साझेदारी विदेशों में शिक्षा के भुगतान के लिए एक इनोवेटिव दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो विद्यार्थियों और संस्थानों, दोनों के लिए फायदेमंद है। पहले तो इस इंटीग्रेशन द्वारा सुगम और डिजिटल भुगतान का अनुभव मिलेगा, और लंबी एवं जटिल प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाईन होकर आसान बन जाएगी। साथ ही इस इंटीग्रेशन द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों, लिबरलाईज़्ड रेमिटैंस स्कीम (एलआरएस) के लिए अनुपालन की प्रक्रिया स्ट्रीमलाईन हो जाएगी और भारतीय नागरिक हर वित्तवर्ष में विदेशों में 250,000 अमेरिकी डॉलर भेज सकेंगे। एचडीएफसी बैंक और फ्लाईवायर एलआरएस शर्तों के अधीन सभी आवश्यक सत्यापन शीघ्रता से भुगतानकर्ता के डिजिटल भुगतान के अनुभव के दौरान ही प्रदान करते हैं। इस इंटीग्रेशन द्वारा संस्थान को भी लाभ मिलता है, क्योंकि वह ऑटोमैटिक रूप से विद्यार्थी की पूरी उपयोगी जानकारी एकत्रित कर लेता है, और सुनिश्चित कर पाता है कि भुगतान सही व पहचाने योग्य हो। फ्लाईवायर संस्थान के बैंक खाते में पहुँचाए गए भुगतान के स्रोत को पहचानता है और हर भुगतान को सही विद्यार्थी रिकॉर्ड में पहुँचाता है।

जतिंदर गुप्ता, बिज़नेस हेड – रिटेल ट्रेड एवं फॉरेक्स, एचडीएफसी बैंक ने कहा, ‘‘हमें फ्लाईवायर के साथ साझेदारी करने और भारतीय विद्यार्थियों को भुगतान के विस्तृत विकल्प प्रदान करने की खुशी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संयुक्त नेटवर्क और समाधानों का विस्तार विद्यार्थियों और उनके परिवारों को अंतर्राष्ट्रीय भुगतानों का सुविधाजनक व सुरक्षित प्रबंधन करने में मदद करेगा, और वो भारत एवं विदेशों में आसानी से भुगतान कर सकेंगे। फ्लाईवायर के साथ साझेदारी करके हम विद्यार्थियों को करेंसी से लाभ लाभान्वित करने के लिए अपने भुगतान समाधानों का विस्तार कर रहे हैं।’’

मोहित कंसल, वीपी, ग्लोबल पेमेंट्स, फ्लाईवायर ने कहा, ‘‘इस साझेदारी का एक मुख्य फायदा है कि इसके द्वारा भुगतान करना बहुत आसान हो गया है क्योंकि इसने सामान्य रूप से लगने वाले समय और डॉक्युमेंटेशन को घटा दिया है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘फ्लाईवायर की पेमेंट टेक्नॉलॉजी और एचडीएफसी बैंक के विस्तृत बैंकिंग नेटवर्क के मिश्रण ने भारतीयों के लिए ओपन-बैंकिंग के अनुभव का निर्माण किया है, और आम तौर से कागजातों पर आधारित प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाईन कर दिया है।’’

करेंसी से लाभ

2021 में 7.3% भारतीयों के पास डिजिटल करेंसी, दुनिया में 7वां सबसे ऊंचा: UNCTAD

7.3% Of Indians Owned Digital Currency in 2021, 7th Highest in World: UNCTAD

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने अनुमान लगाया कि 2021 में भारतीय आबादी के 7.3% के पास डिजिटल मुद्रा थी, जिससे भारत जनसंख्या के हिस्से के रूप में डिजिटल मुद्रा स्वामित्व के लिए शीर्ष 20 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से 7 वें स्थान पर था।

  • UNCTAD के अनुसार, COVID-19 महामारी के दौरान क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग अभूतपूर्व वैश्विक दर से बढ़ा है।

इसने इस संबंध में तीन पॉलिसी ब्रीफ जारी किए हैं। वे इस प्रकार हैं:

इन तीन पॉलिसी ब्रीफ में, UNTCAD ने कहा कि हालांकि इन निजी डिजिटल मुद्राओं ने कुछ लोगों को लाभान्वित किया है और प्रेषण को आसान बना दिया है, वे एक अस्थिर वित्तीय संपत्ति हैं जो सामाजिक जोखिम और लागत भी पैदा कर सकती हैं।

UNTCAD की पॉलिसी ब्रीफ नंबर 100 का अवलोकन – “जो कुछ भी चमकता है वह सोना नहीं है: क्रिप्टोक्यूरैंक्स को अनियमित छोड़ने की उच्च लागत”

  • 12.7% के साथ, यूक्रेन पहले स्थान पर आया, उसके बाद रूस (11.9%), वेनेजुएला (10.3%), सिंगापुर (9.4%), केन्या (8.5%), और संयुक्त राज्य अमेरिका (8.3%) का स्थान रहा।

सितंबर 2019 और जून 2021 के बीच, क्रिप्टोक्यूरेंसी पारिस्थितिकी तंत्र में 2,300% की वृद्धि हुई, खासकर विकासशील देशों में।

  • यह राष्ट्रीय मौद्रिक संप्रभुता, नीति विकल्पों और व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण जोखिम और परिणामों के साथ आया था।

क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिम

i. यदि क्रिप्टोकरेंसी भुगतान का एक व्यापक साधन बन जाती है और यहां तक कि अनौपचारिक रूप से राष्ट्रीय मुद्राओं (क्रिप्टोकरेशन के रूप में जानी जाने वाली प्रक्रिया) को बदल देती है, तो राष्ट्रों की मौद्रिक संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है।

ii. स्थिर मुद्राएं विकासशील देशों में आरक्षित मुद्राओं की अपूर्ण मांग के साथ विशेष रूप से जोखिम उठाती हैं।

iii. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा (IMF) फंड ने कहा है कि इनमें से कुछ कारणों से क्रिप्टोकरेंसी कानूनी धन के रूप में जोखिम पैदा करती है।

तीन संभावित नीतिगत कार्रवाइयाँ जो विकासशील राष्ट्र इस संबंध में कर सकते हैं:

वित्तीय विनियमन सुनिश्चित करें

क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित विज्ञापनों को प्रतिबंधित करें

डिजिटल युग के अनुकूल एक सुरक्षित, विश्वसनीय और किफायती सार्वजनिक भुगतान प्रणाली प्रदान करें, जैसे केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा या तेज़ खुदरा भुगतान प्रणाली।

UNCTAD की पॉलिसी ब्रीफ संख्या 101 का अवलोकन – “डिजिटल युग में सार्वजनिक भुगतान प्रणाली: वित्तीय स्थिरता और क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा से संबंधित जोखिमों का जवाब”

इस पॉलिसी ब्रीफ के अनुसार, नकद-आधारित भुगतानों के बजाय डिजिटल के उपयोग में वृद्धि, साथ ही साथ COVID-19 महामारी के दौरान क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग ने वित्तीय उपभोक्ता संरक्षण के बारे में चिंताएँ उत्पन्न कीं।

  • 2022 में क्रिप्टोकरेंसी के आसपास के बाजार में उथल-पुथल ने यह भी प्रदर्शित किया कि यदि अनियमित है, तो ऐसी निजी डिजिटल मुद्राओं का व्यापक प्रभाव हो सकता है।
  • यह व्यापक आर्थिक स्थिरता को कमजोर कर सकता है, नीति निर्माण के लिए जगह कम कर सकता है, और मौद्रिक प्रणालियों की सुरक्षा और स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।

प्रमुख बिंदु:

i. क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा जोखिमों को कम करने के लिए, मौद्रिक अधिकारियों को डिजिटल भुगतान विकल्पों की पेशकश करनी चाहिए, यह सुनिश्चित करना कि राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली डिजिटल युग में एक सार्वजनिक भलाई के रूप में कार्य करती है।

ii. राष्ट्रीय क्षमताओं और जरूरतों के आधार पर, मौद्रिक अधिकारियों को एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा या एक तेज़ खुदरा भुगतान प्रणाली की शुरूआत का सावधानीपूर्वक पता लगाना चाहिए, जब डिजिटल भुगतान धाराएं घरों के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।

iii. सर्वोत्तम राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियाँ स्थिरता, सुरक्षा, दक्षता, सामर्थ्य, अखंडता और गोपनीयता सुरक्षा प्रदान करती हैं।

UNCTAD की पॉलिसी ब्रीफ संख्या 102 का अवलोकन – “बहुत कम करने की लागत बहुत देर हो चुकी है: विकासशील देशों में क्रिप्टोकरेंसी घरेलू संसाधन जुटाने को कैसे कमजोर कर सकती है”

यह पॉलिसी ब्रीफ इस बात पर जोर देती है कि विकास के वित्तपोषण के लिए देशों को वित्तीय रिसाव को संबोधित करते हुए एक साथ कई स्रोतों से धन जुटाना चाहिए।

  • यह चर्चा करता है कि विकासशील देशों में घरेलू संसाधन जुटाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी कैसे एक नए अवसर के रूप में उभरी है।

प्रमुख बिंदु:

i. जबकि क्रिप्टोकरेंसी प्रेषण में मदद कर सकती है, ये डिजिटल प्रौद्योगिकियां टैक्स हेवन का उपयोग करके कर चोरी या टालने में भी मदद कर सकती हैं जहां स्वामित्व का पता लगाना मुश्किल है।

ii. इस दृष्टिकोण में, वे पूंजी नियंत्रण की प्रभावशीलता को कम कर सकते हैं, जो विकासशील देशों के लिए नीति और राजकोषीय स्थान और व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं।

विकासशील देशों के लिए UNCTAD की प्रमुख सिफारिशें

i. UNCTAD ने सरकारों को विकासशील देशों में क्रिप्टोकरेंसी के विकास को सीमित करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की, जैसे कि

  • क्रिप्टोकाउंक्शंस के संपूर्ण वित्तीय विनियमन की गारंटी देना और
  • विनियमित वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों को क्रिप्टोकरेंसी रखने या संबंधित उत्पादों की पेशकश करने से रोकना।

ii. इसने क्रिप्टोक्यूरेंसी कर उपचार, विनियमन और सूचना साझाकरण में वैश्विक कर समन्वय की वकालत की, साथ ही क्रिप्टोकरेंसी के विकेन्द्रीकृत, सीमाहीन और अनाम सुविधाओं के लिए पूंजी नियंत्रण को फिर से डिज़ाइन किया।

हाल में संबंधित समाचार:

विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) विश्व निवेश रिपोर्ट 2022 “अंतर्राष्ट्रीय कर सुधार और सतत निवेश” के अनुसार, भारत FDI निवेश में गिरावट के बावजूद 2021 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिए 7 वें स्थान पर और शीर्ष 10 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) के बारे में:

महासचिव – रेबेका ग्रिनस्पैन (वह अंकटाड की महासचिव के रूप में सेवा करने वाली पहली महिला और मध्य अमेरिकी हैं)
स्थापित – 1964
मुख्यालय – जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड

cryptocurrency क्रिप्टोकरेंसी क्या होता है। इसके लाभ हानि क्या है।

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क्रिप्टो-मुद्रा या क्रिप्टो एक डिजिटल संपत्ति के रूप मे है जिसे एक्सचेंज के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। और जिसमें व्यक्तिगत सिक्का स्वामित्व रिकॉर्ड को एक कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस के रूप में मौजूदा बहीखाता के रूप में संग्रहित किया जाता है। आज इसके चर्चे हर जगह है।

जब यह शब्द पहले मार्केट मे आया था तो विभिन्न ‘विशेषज्ञों’ द्वारा ‘तकनीकि -बुलबुले ‘ के रूप में इसको खारिज कर दिया गया था। लेकिन अब फिर बदलते दौर मे वैश्विक हस्तियो ने इसको बढ़ावा दे दिया है।

मुद्रा किसी भी रूप में मुद्रा होती है। और जिसका उपयोग विनिमय के माध्यम के रूप में किया जाता है।

क्रिप्टो करेंसी भी उनमे से एक है जो मुद्रा का एक रूप है । और जो पैसे के रूप में कार्य करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग किया जा रहा है।

इससे डिजिटल रूप से कारोबार किया जा सकता है। और यह इस प्रकार कार्य कर रहा है।

1. विनिमय का एक माध्यम के रूप मे

2. खाते की एक इकाई के रूप मे

3. मूल्य का भंडारके रूप मे लेकिन कानूनी निविदा की स्थिति इसमे नही है।

इसको अलग अलग लोंगों के द्वारा इस प्रकार से देखा गया है।

बिल गेट्स के अनुसार

“बिटकॉइन एक तकनीकी माध्यम है जो टूर डी फोर्स हो सकता है।”

टायलर विंकलेवोस (जो की फेसबुक के सह-आविष्कारक)है उनके अनुसार –

“हमने अपना पैसा और विश्वास एक गणितीय ढांचे में लगाने के लिए इसका चुनाव किया है। जो राजनीति और मानवीय त्रुटि से मुक्त है।”

अल गोर (अमेरिका के 45वें उपराष्ट्रपति) के अनुसार –
मैं बिटकॉइन का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। इसका अर्थ यह है कि बिटकॉइन ब्रह्मांड एक एल्गोरिथ्म सरकार के कार्यों को बदल देता है। यह बहुत अच्छा है।

पीटर थिएल (पेपैल के सह-संस्थापक)के अनुसार –

“मुझे लगता है कि बिटकॉइन में दुनिया को बदलने की क्षमता है।”

जॉन मैक्एफ़ी के अनुसार –

आप बिटकॉइन को नहीं रोक सकते। यह हर जगह उपलब्ध होगाऔर इससे दुनिया को फिर से समायोजित करना होगा।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे –

क्रिप्टोकरेंसी को किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं है।
क्रिप्टोकरेंसी का कोई भौगोलिक बाधा नहीं है।
क्रिप्टोकरेंसी सस्ता, सुरक्षित, तेज मुद्रा है।

क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान-

क्रिप्टोकरेंसी अत्यधिक अस्थिर है।
क्रिप्टोकरेंसीलेनदेन मे अपरिवर्तनीय हैं।
क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग अवैध गतिविधि या डार्क वेब में हो रहा है।

ब्लॉक श्रृंखला पर निर्धारित –

यह एक ऐसी गतिविधि है जहां व्यक्ति अपनी कंप्यूटिंग क्षमता का उपयोग करके एक परेशान करने वाले 64-अंकीय हेक्साडेसिमल समीकरणों, पहेलियों और हैश के रूप में ज्ञात कोड को हल करने के लिए करता है। क्रिप्टोकरेंसी एक माध्यम है जिसमे लेनदेन को एक ब्लॉक श्रृंखला पर सत्यापित और मान्य किया जाता है। इससे एक नई क्रिप्टोकरेंसी प्राप्त करते हैं।

पहले बैंक था जो मुद्रा के रूप मे निवेश का माध्यम हुआ करता था। अब क्रिप्टोकुरेंसी के साथ लेनदेन सत्यापित करने के लिए कोई मध्यस्थ नहीं बचा है। दुनिया भर में ऐसे हजारों लोग हैं जो अपने लेनदेन को सत्यापित करने के लिए वहां मौजूद हैं।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता-

भारत मे ऐसा कोई कानून नहीं है जो क्रिप्टोकरेंसी की खरीद और बिक्री को प्रतिबंधित करता है। यहा पर यह परिसंपत्ति वर्ग है जहां कोई भी निवेश कर सकता है। लेकिन यहा पर इसको कानूनी निविदा नहीं माना जाता है।

भारत मे कोई भी तकनीकी रूप से क्रिप्टोकरेंसी को रोक नहीं सकता। क्योंकि इसमे किसी भी केंद्रीकृत पार्टी आदि का इसपर कोई नियंत्रण नहीं है।

भारत मे पिछले कुछ समय में क्रिप्टो करेंसी की भूमिका एक मुद्रा के रूप में कम हो गईथी जो अब फिर से बढ़ गयी है। इसका एक बहुत छोटा हिस्सा है। यह सोने की तरह एक परिसंपत्ति वर्ग की तरह विकसित हो रहा है।

अब दुनिया मे यह तेजी से विकसित हो रही है। दुनिया के किसी भी देश ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। और आगे ईआई सल्वाडोर जैसे कुछ देशों ने बिटकॉइन को लीगल टेंडर का दर्जा भी दे दिया है।

भारत में क्रिप्टो मुद्रा पर कर के प्रभाव और इसका स्वरूप –

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कर योग्यता की स्थिति के बारे में 23 मार्च 2021 को संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया था की जिसमें कहा गया है कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 5 के अनुसार यह कुल आय से एक व्यक्ति की सभी आय होगी। और इसके सभी स्रोत चाहे कानूनी हों या नहीं और , कोई भी व्यावसायिक गतिविधि जो क्रिप्टोकरेंसी या संपत्ति से संबंधित हैउस पर जब तक कि विशेष रूप से छूट प्रदान न किया गया हो माल और सेवा कर के तहत कर योग्य है।

और इसी तरहसे “किसी भी सेवा की आपूर्ति यदि विशेष रूप से छूट प्रदान नही की गयी है तो वह जीएसटी के तहत कर योग्य है । और क्रिप्टोकुरेंसी एक्सचेंज से संबंधित किसी भी सेवा को छूट नहीं दी गई हैइसलिए यह भी कर योग्य है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार खुले दिमाग से सभी विकल्पों पर विचार कर करेंसी से लाभ रही है। और यह सुनिश्चित करेगी कि निवेशकों के हितों की रक्षा जिसमे हो उसको लागू किया जाए। आरबीआई भारत की अपनी डिजिटल मुद्रा पर भी काम कर रहा है। और सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयी समिति की भी गठन किया गया है। जहां पर सचिवों ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2 (24) में आय की परिभाषाइस प्रकार से दी गयी है। जिसमे ‘आय’ शब्द ‘लाभ’ या ‘लाभ’ तक सीमित नहीं है। करेंसी से लाभ जबकि इस परिभाषा का उद्देश्य ‘आय’ के अर्थ को सीमित करना नहीं है बल्कि आय के स्त्रोत को चौड़ा करना है। भले ही एक रसीद परिभाषित किसी भी खंड के दायरे में क्यो नहीं आती है। फिर भी यह आय की प्रकृति का एक हिस्सा हो सकती है। जब तक कि स्पष्ट रूप से छूट न दी गयी हो।

यदि डिजिटल मुद्रा को मुद्रा के रूप में माना जाता है। तो यह आयकर अधिनियम के अनुसार कर के लिए अतिसंवेदनशील नहीं होगा। परंतु इसका प्राकृतिक अर्थ और न ही आईटी अधिनियम की धारा 2(24) में आय के रूप में क्रिप्टोकुरेंसी ‘पैसा’ या ‘मुद्रा’ मे शामिल किया गया है। हालांकि इसमें ‘मौद्रिक भुगतान’ शामिल है।

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