वित्तीय प्रणाली के कार्य

वित्तीय प्रणाली के कार्य
सभी वर्गों के लिए वित्तीय समावेशन और बैंकिंग पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बैंकिंग प्रणाली वर्षों से विकसित हुई है। साथ ही भारत सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं जो व्यक्तियों और व्यवसायों को ऋण सुविधाएं प्रदान करती हैं।
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भारत में बैंकिंग कार्यों और ऋण योजनाओं के बारे में जानें।
यह लेख बैंक के प्रमुख कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान करता है और बैंकों के प्रकार, विभिन्न प्रकार के बैंक खातों और सरकार द्वारा दी जाने वाली ऋण योजनाओं के बारे में विवरण देता है।
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इस पहल के बारे में
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) की इच्छा है कि सभी भारतीयों को भारत सरकार के राष्ट्रीय मिशन के अनुरूप आर्थिक रूप से साक्षर होना चाहिए वित्तीय साक्षरता या वित्तीय शक्ति जो जी -20 देशों द्वारा प्रवर्तित सबसे महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्यों में से एक है । इस अभियान में इस समर्पित माइक्रो साइट के माध्यम से जागरूकता पैदा करना, सेमिनार और व्याख्यान आयोजित करना, पुस्तिकाओं और गाइडों का वितरण और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के एक समुदाय को विकसित करना शामिल है जो कि वित्तीय मित्र के रूप में कार्य कर सकते हैं।
आजादी के अगले पड़ाव की प्रतीक्षा में वित्तीय क्षेत्र
बीते दिनों भारत ने अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाई। यह अतीत के सिंहावलोकन और भविष्य की ओर निहारने का बढ़िया अवसर है। यदि विगत 75 वर्षों की बात करें तो आर्थिक नीति के क्षेत्र में उनमें से 44 साल अत्यंत दबाव वाली वित्तीय प्रणाली के नाम रहे। उदाहरण के रूप में 1947 का पूंजी निर्गम (नियंत्रण) अधिनियम प्रतिभूति बाजारों पर लागू कानून था। इस कानून के तहत सरकार ही निर्णय करती कि कोई कंपनी सार्वजनिक बाजार से कितनी राशि जुटा सकती है और उसके लिए किस माध्यम का उपयोग कर सकती है। उसके लिए समय निर्धारण भी सरकार ही करती। इतना ही नहीं, कौन व्यक्ति इन प्रतिभूतियों को खरीद सकेगा और कितनी कीमत पर खरीदेगा, इसका फैसला भी सरकार के हिस्से था।
समूचे वित्तीय तंत्र पर प्रतिबंधों के समूह और सार्वजनिक क्षेत्र स्वामित्व के माध्यम से राज्य का प्रभुत्व स्थापित किया गया। बैंकिंग पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा पर भारतीय जीवन बीमा निगम/भारतीय साधारण बीमा निगम और म्युचुअल फंड्स यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संरक्षण में थे। वित्तीय बाजारों की अधिकांश सामान्य गतिविधियों पर कानूनी बंदिशें थीं। उस समय आत्मनिर्भरता को लेकर कायम एक धारणा के चलते सीमा-पार सक्रियता मुख्य रूप से बंद थी। इस प्रकार देखा जाए तो किसी परियोजना से लेकर जोखिम उठाने की क्षमता के संदर्भ में घरेलू निवेश का पहलू घरेलू बचत के साथ ही जुड़ा था। पूरे परिदृश्य में बहुत कम आजादी थी।
कई मामलों में देखा जाए तो भारतीय समाजवाद का असल सुधार 1977 में आरंभ हुआ। वहीं वित्तीय आर्थिक नीति की बात करें तो उसमें आजादी 1990 के दशक के शुरुआती दौर में ही आई। सुधारों के संवाहकों ने व्यापक आर्थिक स्वतंत्रता, केंद्रीय योजना को घटाने और नियामकीय क्षमताएं बढ़ाने की दिशा में जोर दिया। इन सुधारों ने विगत तीन दशकों में क्षेत्र की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हमारे पास कई मोर्चों पर दर्शाने के लिए महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। सॉफ्टवेयर उद्योग जैसे उद्योगों को नए वित्तीय खिलाड़ियों ने सहारा दिया है। कार के एवज में ऋण या मकान के बदले ऋण, जिनका चलन एक समय काफी कम था, वह अब सामान्य बन गया है। घरेलू बचत और घरेलू निवेश के बीच का अंतर अब अमूमन कम खौफ पैदा करता है: हम विदेशी निवेश के बढ़ते भंडार की मदद से खातों का संतुलन साधने में सफल रहते हैं।
उपलब्धियों की बात करें तो इक्विटी बाजार में वित्त के पूरे इकोसिस्टम का उभार सबसे बड़ी उपलब्धि गिनी जाएगी। यह बाजार आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपो) के समूचे तंत्र, जिसमें इक्विटी स्पॉट मार्केट, डेरिवेटिव ट्रेडिंग, अल्गोरिदमिक ट्रेडिंग, विदेशी निवेशकों के लिए वास्तविक परिवर्तनीयता, ट्रेडिंग और इंटरमीडिएशन में किसी बाधा का न होना और प्राइवेट इक्विटी तक ऐंजल निवेश से लेकर वेंचर कैपिटल तक की पहुंच से आईपीओ बाजार को मिले दम के जरिये फला-फूला। असल में इक्विटी बाजार उन निजी खिलाड़ियों का अखाड़ा है, जो अनुमान के आधार पर जोखिम लेते हैं और भारी मुनाफा कमाते या घाटा उठाते हैं। घरेलू इक्विटी बाजार की गतिविधियों का महत्त्वपूर्ण विदेशी डेरिवेटिव बाजार के साथ सरोकार भी होता है, जो एक्सचेंज-ट्रेडेड और ओवर-द-काउंटर (यानी सीधी) ट्रेडिंग पहलुओं से लैस होता है।
यह परिवर्तन स्वयं ही साक्ष्यों के कई आयामों को दर्शाता है। वर्ष 1991-92 से 2019-20 के बीच गैर-वित्तीय बड़ी कंपनियों के लिए पूंजी स्रोत के रूप में इक्विटी की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत से बढ़कर 37 प्रतिशत हो गई। वास्तव में कंपनियों ने वित्तपोषण के रूप में इक्विटी की हिस्सेदारी को बढ़ाकर आपूर्ति-पक्ष से जुड़े परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया दी। सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में तो और भी नाटकीय बढ़ोतरी हुई। वर्ष 1980 में इन सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पांच प्रतिशत था। दस साल बाद 1990 में यह बढ़कर जीडीपी का 10 प्रतिशत हो गया और वर्तमान में लगभग जीडीपी का शत-प्रतिशत हो गया है। इक्विटी बाजार के कायाकल्प को भारत में वित्तीय सुधारों की सबसे बड़ी दास्तान कहा जा सकता है।
वहीं जब हम इक्विटी बाजार से परे समग्र परिदृश्य पर नजर डालते हैं तो काफी कुछ करने को शेष दिखता है। वृद्धि, स्थायित्व और समावेशन जैसे तीन पैमानों पर भारतीय वित्तीय क्षेत्र निरंतर मुश्किलों से दो-चार है। वित्तीय प्रणाली के कार्य इसमें कोई संदेह नहीं कि भुगतान प्रणालियों में कुछ सुधार प्रत्यक्ष दिखते हैं, लेकिन कुछ और पैमाने परेशान करते हैं। जैसे कि सामान्य परिवारों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों की औपचारिक वित्त तक पहुंच। बीमा पहुंच और घनत्व। जीडीपी के अनुपात में पेंशन परिसंपत्तियां आदि। ये पहलू दर्शाते हैं कि भारत में बैंकिंग और बीमा सुविधाओं के साथ ही वृद्ध जनों के लिए आय सुरक्षा के अपर्याप्त इंतजाम हैं।
वित्तीय प्रणाली के बड़े हिस्से में कुछ आवश्यक तत्व नदारद रहे। आरंभिक वर्षों में यह वित्तीय अनुबंधों (किसी भी किस्म के डेरिवेटिव्स) के विभिन्न प्रकारों पर पूर्णतया प्रतिबंध, निजी क्षेत्र में प्रवेश बाधाओं (बीमा या बॉन्ड बाजार ट्रेडिंग) और सार्वजनिक क्षेत्र स्वामित्व को लेकर स्पष्ट दिखता था। ऐसी स्थितियां दूरगामी वित्तीय प्रणाली के कार्य स्पेक्युलेटिव निर्णय लेने के लिहाज से प्रतिकूल थीं। हालांकि सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों का दबदबा घटा है और कई प्रतिस्पर्धी निजी कंपनियों वाले क्षेत्र उभरे हैं, लेकिन केंद्रीय योजना का वित्तीय प्रणाली के कार्य दायरा और बढ़ा है, जहां उत्पादों और प्रक्रियाओं से जुड़े पहलुओं पर नियंत्रण होता है। कोई व्यक्ति भले ही एक वित्तीय फर्म का मालिक हो सकता है, लेकिन उस वित्तीय फर्म का काम और गतिविधियां असल में नियामक द्वारा नियंत्रित होती हैं। कई मामलों में तो इन वित्तीय फर्मों में शीर्ष पदों पर भूमिका-नियुक्तियों को लेकर भी नियंत्रण किया जाता है। केंद्रीय योजना, कानून का लचर राज और भारी दंड की आशंका एक प्रकार से अपनी पसंद के कारोबार या पेशे के चयन से वंचित रखने की हद तक है। इससे निजी कंपनियों में ऐसे निस्तेज कर्मियों का जमावड़ा हो जाता है, जो नियामकों की लिखित-अलिखित इच्छाओं के अधीन काम करते हैं। जब हम निजी स्वामित्व से इतर देखते हैं वित्तीय प्रणाली के कार्य तो वस्तुतः राज्य के नियंत्रण वाला तंत्र दिखता है।
वित्तीय नियमन शरारती सार्वजनिक नीति समस्याओं में से एक है, जिसके समाधान के लिए राज्य की व्यापक क्षमताओं की आवश्यकता होगी। महाकुंभ मेले का आयोजन या कोविड टीकाकरण जैसी समस्याओं के लिए एकबारगी प्रयास करने होते हैं, जबकि वित्तीय नीतियों के लिए रोज ठोस कार्य आवश्यक हैं, जहां बड़ी संख्या में लेनदेन होते हैं और उसमें अग्रिम पंक्ति पर तैनात लोकसेवकों के पास उच्च विवेकाधीन शक्तियां होती हैं। यहां आम लोगों का बहुत कुछ दांव पर लगा होता है। वे राज्य के कामकाज को नया आकार देने में अपनी ऊर्जा लगाते हैं, जो उन्हें अनुकूल लगता है।
वास्तव में गहराई और तरलता से युक्त बाजार बनाने के लिए नियामकीय क्षमताओं का सृजन वाकई बहुत मुश्किल काम है, जिस पर विशेष हित हावी न हों और उसमें कंपनियां वित्तीय ग्राहकों के सर्वोत्तम हितों में काम करें।
वित्तीय सुधार के शुरुआती दशकों ने ऊहापोह के साथ ही वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग (एफएसएलआरसी) को दिशा दी। एफएसएलआरसी अनुशंसाओं के प्रमुख पहलुओं जैसे कि भारतीय रिजर्व बैंक में मुद्रास्फीति लक्षित करना और वायदा बाजार आयोग का भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के साथ विलय को 2015 और 2016 में मूर्त रूप दिया गया। अब उसके शेष पहलुओं पर आगे बढ़कर वित्तीय क्षेत्र को नई आजादी देने की आवश्यकता है।
(लेखक पूर्व लोक सेवक, सीपीआर में मानद प्रोफेसर एवं कुछ लाभकारी एवं गैर-लाभकारी निदेशक मंडलों के सदस्य हैं)
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Block-1 वित्त व्यवस्था का प्रारम्भिक परिचय
Block-2 बैंकिंग व्यवस्था तथा मुद्रा बाज़ार
Block-3 भारत में पूँजी बाज़ार
Block-4 भारत में वित्तीय तथा विनियोग संस्थान
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Super Exam Economics Financial Market / वित्तीय बाजार Question Bank
भारतीय पूंजी बाजार घोटालों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए भारत सरकार ने किसे नियामक शक्तियां सौंपी है?
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- |
1. सेंसेक्स बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में उपलब्ध 50 अधिकतम महत्वपूर्ण स्टॉकों पर आधारित होता है। |
2. सेंसेक्स के परिकलन के लिए सभी सेसेक्स स्टॉकों को आनुपातिक भारिता दी जाती है। |
3. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज विश्व की सबसे पुरानी स्टॉक एक्सचेंज है। |
उपरोक्त कथनों में से कौन सा सही है? |
हाल ही में भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा अंतर-ऋणदाता करार पर हस्ताक्षर करने का क्या उद्देश्य था।
50 करोड़ या अधिक की दबावयुक्त परिसम्पत्तियों का जो सह संघ उधारी के अंतर्गत है, अधिक तेजी से समाधान करने का लक्ष्य रखना। done clear
बंबई शेयर बाजार के साथ पंजीकृत एक कंपनी समूह से संबंधित सभी कंपनियों के शेयरों के मूल्य से चढ़ाव। done clear
भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का कारण है |
1. विदेशी कोषों का अंतः प्रवाह और बाह्य प्रवाह |
2. विदेशी पूंजी बाजारों में उच्चावचन |
3. मौद्रिक नीति में परिवर्तन उपरोक्त कारणों में कौन-सा सही है? |
भारतीय रिजर्व बैंक में सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के अध्ययन तथा उस पर सुझावों हेतु एक समिति का गठन किया गया। इसके अध्यक्ष थे-
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- |
1. यह नीति आयोग का एक अंग है। |
2. संघ का वित्त मंत्री इसका प्रमुख होता है। |
3. यह अर्थव्यवस्था के समष्टि सविवेक पर्यवेक्षण अनुवीक्षण करता है। |
उपर्युक्त कथनों में से कौन सही है? |
शाखा रहित क्षेत्र में व्यावसायिक संवाददाताओं की सेवाओं द्वारा लाभार्थियों को कौन-सी सुविधा प्राप्त होती है? |
1. यह लाभार्थियों को अपने गाँव में अपने वित्तीय प्रणाली के कार्य सहाय और सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त करने योग्य बनाती है। |
2. यह ग्रामीण क्षेत्र में लाभार्थियों को धनराशि जमा करने आहरण करने योग्य बनाती है। |
निम्न में से सही है |
भारत की निम्न वित्तीय संस्थाओं पर विचार करें |
1. भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) |
2. भारतीय औद्योगिक प्रत्यय एवं निवेश निगम (आईसीआईसीआई) |
3. भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आई डी बी आई) |
4. राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) इन संस्थाओं की स्थापना का सही कालक्रम है |
5 मार्च, 2020 को सेबी ने एक मोबाइल एप सेबी स्कोर्स लॉन्च किया। इस एप के माध्यम से कौन अपनी शिकायत सेबी के पास आसानी से पहुँचा सकता है?
RBI ने हाल ही में शहरी सहकारी बैंकों के लिए पर्यवेक्षी ढांचे को युक्तिसंगत बनाया है, जिसके तहत किसी शहरी सहकारी बैंक की निवल गैर-निष्पादकं अस्तियाँ उसे निवल उधारों के कितने प्रतिशत से अधिक होने पर उसे पर्यवेक्षी कार्यवाही ढाँचे के अंतर्गत लाया जा सकता है?
हाल ही में RBI में पहली बार किस शहरी सहकारी बैंक को लघु वित्त बैंक में परिवर्तन हेतु लाइसेन्स जारी किया है?
किस एएमसी (एसेंटस मैनेजमेंट कंपनी) ने भारत का पहला कार्पोरेट बाण्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (भारत बाण्ड ETF) लांच किया है?
वित्तीय प्रणाली के कार्य
Read the following passage and answer the question that follows. For many years, the World Bank Group has provided crucial support to those developing countries that have sought to reap the benefits of financial development while also minimizing risks to financial stability. This work is becoming even more critical as the world seeks to avoid the devastating effects of future financial crises while utilizing the opportunities of modern financial services to meet the rising aspirations of the poor. This is possible only through efficient financial systems with stakeholders whose incentives are aligned with those of society as a whole. Crowding in the private sectoris crucial not only as an engine of growth in developing countries, but also as a foundation for the kind of market discipline that can prevent excessive risk taking and put capital in the hands of the entrepreneurs who can invest in the future. The right regulatory and supervisory environmentaccompanied by effective financial sector policies is key to creating a financial system that can attract private capital and align private incentives with the public good.Q. With reference to the above passage, which of the following statements are correct?1. Aligning the incentives of the stakeholder with those of the society will help in meeting the rising aspirations of the poor.2. The devastating effects of the financial crisis have held back developing countries from availing financial help.3. Proper policies accompanied by a regulatory body can help the developing countries benefit from the investments of private investments.निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दीजिए पिछले कई वर्षों से, विश्व बैंक समूह ने उन विकासशील देशों को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की है जिन्होंने वित्तीय स्थिरता के जोखिमों को कम करते हुए वित्तीय विकास के लाभोंको प्राप्त करने हेतु प्रयास किए हैं। यह कार्य और भी महत्वपूर्ण होता जा रहा है, क्योंकि दुनिया गरीबों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आधुनिक वित्तीय वित्तीय प्रणाली के कार्य सेवाओं के अवसरों का उपयोग करते हुए भविष्य के वित्तीय संकटों के विनाशकारी प्रभावों से बचने का प्रयास करती है। यह केवल हितधारकों के साथ कुशल वित्तीय प्रणालियों के माध्यम से संभव है, जिनके प्रोत्साहन को समग्र रूप से समाज के लोगों के साथ जोड़ा जाता है। निजी क्षेत्र में भीड़ भाड़ न केवल विकासशील देशों में विकास के इंजन के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि उस प्रकार के बाजार निर्माण की नींव के रूप में भी महत्वपूर्ण है जो अत्यधिक जोखिम लेने से रोक सकता है और पूँजी को उद्यमियों के हाथों में थमा सकता है जो भविष्य में निवेश कर सकतेहैं। प्रभावी वित्तीय क्षेत्र नीतियों के साथ सही विनियामक और पर्यवेक्षी परिस्थितियाँ एक ऐसी वित्तीय प्रणाली के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है जो निजी पूँजी को आकर्षित कर सकती है और निजी प्रोत्साहन को संरेखित कर सकती हैQ. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं?1. समाज के लोगों के साथ हितधारकों के प्रोत्साहन को संरेखित करने से गरीबों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी ।2. वित्तीय संकट के विनाशकारी प्रभावों ने विकासशील देशों को वित्तीय मदद से पीछे कर दिया है।3. एक नियामक संस्था के साथ उचित नीतियाँ विकासशील देशों को निजी निवेश के निवेश से लाभान्वित करने में मदद कर सकती हैं
Read the following passage and answer the question that follows.
For many years, the World Bank Group has provided crucial support to those developing countries that have sought to reap the benefits of financial development while also minimizing risks to financial stability. This work is becoming even more critical as the world seeks to avoid the devastating effects of future financial crises while utilizing the opportunities of modern financial services to meet the rising aspirations of the poor. This is possible only through efficient financial systems with stakeholders whose incentives are aligned with those of society as a whole. Crowding-in the private sector is crucial not only as an engine of growth in developing countries, but also as a foundation for the kind of market discipline that can prevent excessive risk-taking and put capital in the hands of the entrepreneurs who can invest in the future. The right regulatory and supervisory environment—accompanied by effective financial sector policies—is key to creating a financial system that can attract private capital and align private incentives with the public good.
Q. With reference to the above passage, which of the following statements are correct?
निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।
पिछले कई वर्षों वित्तीय प्रणाली के कार्य से, विश्व बैंक समूह ने उन विकासशील देशों को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की है जिन्होंने वित्तीय स्थिरता के जोखिमों को कम करते हुए वित्तीय विकास के लाभों को प्राप्त करने हेतु प्रयास किए हैं। यह कार्य और भी महत्वपूर्ण होता जा रहा है, क्योंकि दुनिया गरीबों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आधुनिक वित्तीय सेवाओं के अवसरों का उपयोग करते हुए भविष्य के वित्तीय संकटों के विनाशकारी प्रभावों से बचने का प्रयास करती है। यह केवल हितधारकों के साथ कुशल वित्तीय प्रणालियों के माध्यम से संभव है, जिनके प्रोत्साहन को समग्र रूप से समाज के लोगों के साथ जोड़ा जाता है। निजी क्षेत्र में भीड़-भाड़ न केवल विकासशील देशों में विकास के इंजन के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि उस प्रकार के बाजार निर्माण की नींव के रूप में भी महत्वपूर्ण है जो अत्यधिक जोखिम लेने से रोक सकता है और पूँजी को उद्यमियों के हाथों में थमा सकता है जो भविष्य में निवेश कर सकते हैं। प्रभावी वित्तीय क्षेत्र नीतियों के साथ सही विनियामक और पर्यवेक्षी परिस्थितियाँ एक ऐसी वित्तीय प्रणाली के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है जो निजी पूँजी को आकर्षित कर सकती है और निजी प्रोत्साहन को संरेखित कर सकती है।
Q. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं?