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अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश

अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 16, 2020 12:20 IST

How to Invest in Stocks, how to invest in share market- India TV Hindi

स्मार्ट निवेश अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश युक्तियाँ: शुरुआती लोगों के लिए निवेश करना आसान हो गया

आजकल जैसे-जैसे पैसे की क़ीमत बढ़ती जा रही है लोग स्मार्ट इन्वेस्टमेंट टिप्स के गुप्त मंत्र ढूंढते नज़र आ रहे हैं। क्या आप उनमें से एक हैं? लेकिन असल में,निवेश चालाकी से कोई रॉकेट साइंस नहीं है और न ही इसके लिए कोई गुप्त मंत्र हैं। आपको अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश बस खुद से कुछ सवाल पूछने की जरूरत है। क्या हैपैसे निवेश करने के सर्वोत्तम तरीके? पैसा कहां निवेश करें? आप पैसा क्यों निवेश करना चाहते हैं? क्योंकि आपको वित्तीय सुरक्षा की आवश्यकता है? और उस वित्तीय सुरक्षा को प्राप्त करने का सबसे उपयुक्त तरीका क्या है? यह करने के लिए हैपैसे बचाएं और लंबी अवधि के लिए एक स्मार्ट निवेश करें ताकि भविष्य में आपके पास वित्तीय स्थिरता हो। तो, पैसे का निवेश कैसे शुरू करें?

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स्मार्ट इन्वेस्टमेंट टिप्स: जानिए पैसे का निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका

निवेश और स्मार्ट निवेश के बीच बहुत पतली रेखा है। इसलिए, सुनिश्चित करें कि आप इसे सही चुनकर सही करते हैंनिवेश योजना. नीचे कुछ स्मार्ट निवेश युक्तियाँ दी गई हैं या साझा करेंमंडी बताए गए टिप्स जो आपको अपने लिए एक बेहतर निवेश विकल्प चुनने में मदद करेंगे।

निवेश शुरू करने से पहले पालन करने वाली पहली स्मार्ट निवेश युक्तियों में से एक है अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश अपने निवेश को समझना। हमें उन उपकरणों में निवेश नहीं करना चाहिए जिन्हें हम नहीं जानते हैं। ऐसा ही होगाम्यूचुअल फंड्स,सोने के बंधन, स्टॉक या सावधि जमा, उन्हें अंदर से समझें और फिर निवेश करें। बता दें, अगर आप म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि म्यूच्यूअल फण्ड क्या है,नहीं हैं, फंड का प्रदर्शन, प्रवेश और निकास भार, वे कैसे संबंधित हैं, म्युचुअल फंड रिटर्न कराधान से कैसे प्रभावित होते हैं और आपको क्यों करना चाहिएम्युचुअल फंड में निवेश.

शांत रहें और धन निवेश विकल्पों को जानें

एक बार निवेश करने के बाद, धैर्यपूर्वक अपने धन के बढ़ने की प्रतीक्षा करें। किसी भी निवेश के लिए, स्वस्थ उत्पादन करने में कुछ समय लगता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अधिकांश स्मार्ट निवेश वाहन लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर पर्याप्त रिटर्न देते हैं। इसलिए, बाजारों के बढ़ने का इंतजार करें और देखें कि आपका पैसा कैसे बढ़ता है।

स्मार्ट निवेश करने से पहले एक और महत्वपूर्ण बात पर विचार करना शामिल हैटैक्स सेविंग निवेश आपके पोर्टफोलियो में विकल्प। आप टैक्स ब्रैकेट के अंतर्गत आते हैं या नहीं, इसे शामिल करने की सलाह दी जाती हैकर बचाने वाला आपकी शुरुआती कमाई के दिनों से। कुछ कर बचत निवेशों में शामिल हैं-

ए। राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस)

एनपीएस सभी के लिए खुला है, लेकिन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है। एकइन्वेस्टर एनपीएस योजना में न्यूनतम INR 500 प्रति माह या INR 6000 वार्षिक जमा कर सकते हैं। के लिए यह एक अच्छी योजना हैसेवानिवृत्ति योजना साथ ही क्योंकि निकासी के समय कोई प्रत्यक्ष कर छूट नहीं है क्योंकि कर अधिनियम, 1961 के अनुसार राशि कर-मुक्त है।

स्‍टॉक में आप कैसे निवेश करना चाहते हैं यह तय करें

स्‍टॉक में निवेश करने के कई तरीके हैं। सबसे पहले आप अपनी सुविधानुसार तरीके का चयन करें। पहला तो तरीका यह है कि आप खुद अपने लिए स्‍टॉक चुनें और उसमें निवेश करें। दूसरा तरीका यह है कि आप किसी विशेषज्ञ की सहायता लें और उसकी सलाह पर निवेश करें। जब आप निवेश के तरीके का चयन कर लें तो उसके बाद आपको एक डीमैट एकाउंट खुलवाना होगा।

स्‍टॉक में निवेश के लिए आपको एक इनवेस्टिंग एकाउंट की जरूरत होगी, जिसे डीमैट एकाउंट या ब्रोकरेज एकाउंट कहा जाता है। डीमैट एकाउंट आपको बहुत कम शुल्‍क पर स्‍टॉक के साथ ही साथ अन्‍य निवेश विकल्‍प भी मुहैया कराते हैं। आप अपनी मर्जी से किसी भी कंपनी या बैंक के साथ डीमैट एकाउंट खुलवा सकते हैं।

स्‍टॉक इनवेस्‍टमेंट के लिए तय करें बजट

नए निवेशकों को हमेशा पहले यह तय करने की जरूरत होती है कि स्‍टॉक में निवेश के लिए वह अपना बजट निर्धारित करें। स्‍टॉक कुछ रुपये से लेकर कई हजारों रुपये में उपलब्‍ध हैं। यदि आपका बजट बहुत कम है तो आपको म्‍यूचुअल फंड या एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश करना चाहिए।

स्‍टॉक मार्केट में निवेश पूरी तरह से रणनीति और समझदारी पर निर्भर करता है। निवेशकों को हमेशा लंबी-अवधि का लक्ष्‍य बनाकर ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना चाहिए, जिनका भविष्‍य उज्‍जवल और योजनाएं पक्‍की हों। इसका सबसे अच्‍छा तरीका है कि आप जिन शेयरों को खरीदें अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश उन्‍हें लंबे समय के लिए भूल जाएं।

होमवर्क करना है जरूरी

दिग्गज वैश्विक फंड प्रबंधक पीटर लिंच का कहना है यदि आप किसी कंपनी के बारे में अध्ययन नहीं करते हैं, तो अच्छे शेयर का चयन करना जुआ ही है। आप पत्ते देखे बिना ही अपनी चाल चल रहे हैं। लिंच ने कहा कि निवेश सिर्फ वहीं करें, जिसके बारे में आपको पता हो। बाजार से कमाई करने का कोई शॉर्ट-कट नहीं है। धीरज के साथ गहन मंथन करना अनिवार्य है। अच्छे बिजनेस में निवेश करना चाहिए।

निवेशकों को शेयर की कीमत में नहीं, बल्कि कंपनी के बिजनेस में निवेश करना चाहिए। वॉरेन बफे के निवेश का प्राथमिक दर्शन यही है कि वे उन्हीं कंपनियों में निवेश करते हैं, जिनके बिजनेस के बारे में समझ रखते हैं। उन्होंने 1988 में कोका कोला में 1 अरब डॉलर का निवेश किया था। कंपनी ने 30 सालों तक 10 फीसदी की दर से रिटर्न दिया।

भेड़चाल से रहें दूर

किसी परिचित, परिजन या दोस्त की बातों में आकर बेकार कंपनियों में निवेश करना पैसे में आग लगाने जैसा है। लोग निवेश कर रहे हैं, इसलिए आप भी निवेश करेंगे- इस सोच से बचना चाहिए। लोगों ने दूसरों की देखादेखी कई कंपनियों में निवेश किया और उन्हें मुंह की खानी पड़ी। उदाहरण के लिए रिलायंस पावर के आईपीओ को 14.4 गुना तक सब्सक्राइब किया गया था। कंपनी को रिटेले निवेशकों से 19.5 लाख आवेद मिले थे। आईपीओ का इश्यू प्राइस 450 रुपये था। इस शेयर की मौजूदा कीमत महज 30 रुपये ही है। ऐसे कई उदाहरण बाजार में मौजूद हैं।

निवेश में संयम और अनुशासन की खास जगह है। शेयर बाजार हमेशा ही अस्थिर होते हैं। निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता का आभास होना चाहिए। गैर-जरूरी जोखिम से बचना चाहिए। धीरज और संयम निवेशकों को दीर्घावधि की बेहतर तस्वीर देते हैं।

म्यूचुअल फंड को लेकर कम हुआ भरोसा! निवेश में 27 फीसदी की आई गिरावट

पिछले वित्त वर्ष में 81,600 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ

  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2020,
  • (अपडेटेड 08 मई 2020, 11:52 AM IST)
  • वित्त वर्ष 2019-20 में इक्विटी आधारित MF योजनाओं में 27% कम निवेश हुआ है
  • वित्त वर्ष 2018-19 में किए गए 1.12 लाख करोड़ के निवेश से 27 प्रतिशत कम है

वैसे तो शेयर बाजार में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं में निवेशकों की ज्यादा दिलचस्पी रही है. हालांकि, बीते साल के जो आंकड़े आए हैं, वो निराश करने वाले हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश इंडिया (एएमएफआई) के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड योजनाओं में 27 फीसदी कम निवेश हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक बीते वर्ष निवेशकों ने 81,600 करोड़ रुपये का निवेश किया. यह वित्त वर्ष 2018-19 में किये गए 1.12 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 27 प्रतिशत कम है.

10 साल में 3 गुना से भी ज्यादा बढ़ गया Gold में Return, जानिए इसकी बड़ी वजह

Gold returns increased more than 3 times in 10 years, know the reason

नई दिल्ली। कोरोना काल जहां काम धंधे सब बंद हो गए हैं। कारोबार पर जगरदस्त चोट लगी है। लोगों के पास कैश की किल्लत बढ़ गई है। करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में आम लोगों को जो कुछ भी जमा पूंजी है उसे निवेश कहां करे सबसे बड़ी समस्या बन गई है। इसका कारण है शेयर बाजार अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। डेट एवं लिक्विड मार्केट भी थोड़ा कमजोर है। फिक्सड इनकम या यूं कहें फिक्सड डिपोजिट की ब्याज दरों में भारी कटौती देखने को मिल चुकी है। ऐसे में अब एक ही ऐसा सेगमेंट बचा है अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश जहां पर निवेश किया जा सकता है और बेहतर रिटर्न की उम्मीद भी की जा सकता है। वो है गोल्ड यानी सोना। इस एक बड़ी वजह है रिटर्न। बाकी सेगमेंट के मुकाबले सोने में रिटर्न बाकियों से 5 से 8 गुना ज्यादा है। बीते एक साल के मुकाबले सोने ने 32 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है। बीते दस सालों में निवेशकों को 3 गुना से ज्यादा का मुनाफा हुआ है। इसलिए कहा भी जाता है कि भारतीयों सोना बेहद पसंद भी है।

डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर

डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर कैसे होता है, किन शेयरों पर डॉलर की कीमतों से हो सकता है असर। रुपये की कमजोरी का क्या असर होगा इकॉनॉमी और शेयर बाजार पर। क्या डॉलर की बढ़ती कीमत सभी शेयरों पर खराब असर ही डालती है? कौन से शेयरों को फायदा होता है डॉलर की बढ़ती कीमतों से यह सब जानेंगे हिंदी में आसानी से। समझते हैं डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर और उसके अन्य सभी आयाम। Read how dollar price effects Share markets in Hindi.

डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर

डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर

डॉलर की कीमतों का शेयर मार्केट पर असर

इस साल लगातार रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिर रहा है। निकट भविष्य में इसके और गिरने की संभावना भी हो सकती है। बढ़ती कच्चे तेल की कीमतों के बीच तेल आयात के कारण डॉलर की बढ़ती मांग रुपये को कमजोर कर रही है। रुपए में कमजोरी के लिए अन्य महत्वपूर्ण कारण अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि है जिसने डॉलर को आकर्षक बना दिया है। इसके अलाव विदेशी निवेश प्रवाह में अस्थिर शेयर बाजार में कहां करें निवेश मंदी के चलते और उच्च घरेलू खाद्य मुद्रास्फीति ने रुपये पर दबाव बना रखा है।

रुपये में गिरावट आपके निवेश को कैसे प्रभावित करती है? गिरती रुपये की कीमतों के कारण होने वाली महंगाई को रोकने के लिये आरबीआई ब्याज की दरों को बढ़ा सकती है। उच्च ब्याज दरें लोन लेने वालों के लिये नुकसानदायक हो सकतीं हैं। आपकी गृह ऋण ईएमआई बढ़ सकती हैं। विदेशी यात्रा पर होने वाला खर्च और विदेशी शिक्षा खर्च भी बढ़ेगा।

महंगाई कारक हो सकता है

रुपया महंगा होने के कारण आयात महंगा हो जाता है जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव पैदा होता है। आयातित कच्चे माल का उपयोग करने वाले उद्योगों में उनकी कच्ची सामग्री लागत में वृद्धि देखी जाएगी और उनमें से कुछ उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों पर अपना माल बेचेंगे।

रुपये में कमजोरी विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) प्रवाह को भी प्रभावित कर सकती है। एफआईआई रुपये कि किमतों में अस्थिरता से चिंतित हो जाते हैं क्योंकि यह इक्विटी में उनके रिटर्न को प्रभावित करता है। रुपये की कमजोरी विदेशी निवेशकों के लिए निवेश को महंगा कर सकती है।

कहां करें निवेश

रुपये के और गरने की उम्मीद के कारण ऐसे उद्योग कौन से हैं जिन पर निवेश किया जा सकता है? निर्यात-केंद्रित कंपनियों के लिए रुपये में गिरावट फायदेमंद हो सकती है। इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल कंपनियों जैसे शुद्ध निर्यातकों को इसका सबसे अधिक लाभ मिलता है।

दूसरी तरफ ऐसी कंपनियां हैं जिनके बारे में निवेशकों को सावधान रहना चाहिए। कमजोर रुपया ऐसी कंपनियों को नुकसान पहुंचा सकता है जिन्हों ने डॉलर में कर्ज लिया हो, पूंजीगत क्षेत्रों की कंपनियां और कच्चे माल को आयात करने वाली कंपनियां। तेल विपणन कंपनियां भी इस समय जोखिम भरा निवेश हो सकतीं हैं। यदि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को खुदरा उपभोक्ताओं को वैश्विक कीमतों में वृद्धि को अनुसार कीमतें बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाती तो उनके उधार तेजी से बढ़ सकते हैं जिससे उन पर ब्याज का बोझ बढ़ सकता है। बदले में वह उनके मुनाफे पर असर कर सकता है।

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