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वायदा बाजार हमें क्या बताता है

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सोपा ने कुक्कुट उद्योग के सोयाबीन मील की खपत के आंकड़ों बहुत ज़्यादा बढ़े हुए बताते हुए कहा कि इस साल अक्टूबर में 70 लाख टन की मांग का अनुमान लगाया है, जिसे उन्होंने बिना किसी आधार या तथ्यों और आंकड़ों के अचानक संशोधित कर 90 लाख टन कर दिया है। सोयाबीन की कीमतों में वृद्धि सोयाबीन प्रोसेसर के हाथ में नहीं है। सोपा, सोयाबीन वायदा की जमाखोरी और अनुचित अटकलों का मुद्दा पहले भी उठा चुका है। पोल्ट्री उद्योग सोयाबीन मील के आयात की मांग विदेशों में खाने की कम कीमतों के कारण है। सोयाबीन, सोया प्रसंस्करण उद्योग के लिए कच्चा माल है और मील की कीमतें पूरी तरह सोयाबीन की कीमतों पर निर्भर हैं। किसानों को पोल्ट्री उद्योग द्वारा वांछित एमएसपी पर सोयाबीन बेचने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। सोयाबीन किसानों को भी उतनी ही आजीविका का अधिकार है, जितना कि पोल्ट्री किसानों को लाभकारी मूल्य मिलता है। एक उद्योग की मदद के लिए, दूसरे जुड़े उद्योग को बंद करने के लिए मजबूर नहीं किया वायदा बाजार हमें क्या बताता है जा सकता है। अधिकांश पोल्ट्री उद्योग बड़े कॉरपोरेट्स के हाथों में है, जिसमें किसान तो छोटा खिलाड़ी है। यदि सोयाबीन मील को केवल इसलिए आयात करने की अनुमति दी जाती है, क्योंकि सोयाबीन मील की कीमतें आयातित मील की कीमतों से अधिक हैं, तो सोयाबीन उद्योग का कोई बाजार ही नहीं रहेगा। आयातित सोयाबीन मील की कीमतों की तुलना करते समय, हमें आयातित सोयाबीन की कीमतों की तुलना में भारतीय सोयाबीन की कीमतों को भी ध्यान में रखना होगा। कुक्कुट उद्योग की मांग पूरी तरह एक तरफा है, इसमें दूसरे उद्योग और उससे जुड़े किसानों की अनदेखी की जा रही है। यदि वायदा बाजार हमें क्या बताता है इन मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की जाती है, तो उम्मीद है कि कीमतें उचित स्तर तक जाकर स्थिर हो जाएंगी।

सोयामील आयात पर सोपा और कुक्कुट उद्योग आमने-सामने

7 दिसम्बर 2021, इंदौर । सोयामील आयात पर सोपा और कुक्कुट उद्योग आमने-सामने – पोल्ट्री इंडस्ट्रीज द्वारा जीएम सोयाबीन मील के आयात को जारी रखने का मुद्दा इन दिनों चर्चा में है। एक तरफ सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) इसका पुरजोर विरोध कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अपनी बात रखते हुए सोयाबीन मील के आयात को जायज ठहराया है।

सोपा की प्रेस विज्ञप्ति में सोपा के कार्यकारी निदेशक श्री डी.एन. पाठक के अनुसार देश में सोयाबीन मील की मांग और आपूर्ति की स्थिति बहुत अच्छी है। आयात करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस वर्ष सोयाबीन की फसल बहुत अच्छी रही है और सरकार द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार 127.20 लाख टन होने का अनुमान है। सोयाबीन की फसल का सोपा का अनुमान 119 लाख टन है। पहले कभी सोयाबीन मील का आयात नहीं किया और स्थानीय स्तर पर मांग को पूरा करते रहे हैं। उन वर्षों में भी जब सोयाबीन की फसल कम थी, आयात की आवश्यकता नहीं थी।

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सरसों को लेकर अच्छी और बुरी खबर, ऐसे में क्या बढ़ेंगे भाव? देखें आज की तेजी मंदी रिपोर्ट

किसान साथियो हम अपनी लगभग हर रिपोर्ट में बताते है कि सरसों, धान और ग्वार का भाव विदेशी घटनाओं से प्रभावित होता रहता है। ज्यादा दिन नहीं हुए जब वायदा बाजार हमें क्या बताता है रुपये में आयी कमजोरी विदेशी तेलों के आयात को महंगा कर रही थी और सरसों के भाव को सहारा दे रही थी। लेकिन अब रुपया मजबूत होने लगा है। भारतीय रूपया मजबूत होने के कारण विदेशी आयात सस्ता होने लगा है। जिससे आयात बढ़ने की संभावनाओं के चलते खाद्य तेलों में गिरावट बढ़ी है। इसके अलावा भी ऐसे कई कारण है जिनके कारण सरसों 7150 से आगे नहीं बढ़ पा रही है। इस रिपोर्ट में हम सरसों के बाजार की सभी हलचलों को कवर करने की कोशिश करेंगे। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आपको सरसों के बाजार की हर खबर की जानकारी मिल जाएगी । WhatsApp पे भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

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