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काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया

काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया(SEBI) ने इंटरेस्ट रेट स्वैप्स (IRS) में म्यूचुअल फंड (MF) योजनाओं की भागीदारी के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया

1 जुलाई 2017 से शुरू किया गया वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) एक आम भारतीय बाजारमें र वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर कर के कैस्केडिंग प्रभाव को कम करके भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम चेंजिंग सुधार होगा।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक एकल, राष्ट्रीय और एकसमान कर है, जो केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, केंद्रीय बिक्री कर, मूल्य वर्धित कर, चुंगी, विलासिता कर आदि जैसे विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकार के करों की जगह सभी वस्तुओं और सेवाओं पर देश भर में लगाया जाता है।

हमारे बैंक को केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) द्वारा अखिल भारतीय आधार पर विभिन्न तरीकों (ऑफलाइन/ऑनलाइन) के माध्यम से जीएसटी संग्रह के लिए अधिकृत किया गया है। ई फोकल प्वाइंट शाखा, नई दिल्ली जीएसटी संग्रह के लिए नोडल शाखा है

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करीब 1830 में कोलकाता की मौजूदा लायन्स रेंज में एक नीम का पेड़ हुआ करता था जिसकी छाया में सटोरिया गतिविधियां चला करती थीं। 1928 में कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (सीएसई) बनने के साथ अनौपचारिक ब्रोकिंग ने औपचारिक कारोबारी प्लेटफॉर्म की शक्ल ले ली। तब से लगभग छह दशकों से यहां कारोबारी गतिविधियां जारी हैं। 2001 में एक घोटाला भी सामने आया लेकिन उसके बाद भी सीएसई में गतिवििधयां जारी रहीं।

हालत 2014 में भी अच्छी नहीं कही जा सकती, क्योंकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)ने सीएसई बंद करने की धमकी दी है। लायंस रेंज में गतिविधियां दोबारा पटरी पर लाने के लिए प्रयास, हालांकि, जारी हैं। अंतिम प्रयास के तौर पर सीएसई अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए देश के सभी क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों से तालमेल करने की भरपूर कोशिश कर रहा है। सीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी बी माधव रेड्डी का कहना है कि इसके पीछे मकसद सीएसई को एक मात्र नैशनल एक्सचेंज के रूप में पेश काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया करना है, जिसका ध्यान क्षेत्रीय लघु एवं मझोले उद्यमों पर केंद्रित होगा। इस बीच, सीएसई क्लियरिंग कॉर्पोरेशन में हिस्सेदारी खरीदने के लिए तत्पर है, क्योंकि इससे पहले इसने आईसीसीएल (बीएसई का क्लियरिंग कॉर्पोरेशन) के साथ गठबंधन करने का इसका प्रयास सफल नहीं रहा था। सूत्रों के अनुसार सेबी ने समय सीमा के साथ सीएसई के उत्थान की रूप-रेखा मांगी है।

क्षेत्रीय एक्सचेंजों मध्य प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज, द काउंटर एक्सचेंज ऑफ इंडिया (ओटीसीईआई) आदि के साथ समझौता करने के बाद सीएसई ने अब उत्तर प्रदेश और जयपुर स्टॉक एक्सचेंज के साथ समझौता करने के प्रस्ताव दिए हैं। रेड्डी ने कहा, 'हम चार क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों के साथ समझौता कर चुके हैं। अब हमने उत्तर प्रदेश और जयपुर स्टॉक एक्सचेंजों के साथ तालमेल के भी प्रस्ताव दिए हैं। समझौते के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है और दोनों एक्सचेंज अपने संबंधित बोर्ड एक्सचेंजों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।'

मध्य प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज के साथ तालमेल के तहत सीएसई इसके ब्रोकरों, कंपनियों और कर्मचारियों को अपने साथ लाना चाहता है। इसके आलवा सीएसई इंदौर में भी एक कार्यालय खोलना चाहता है। सीएसई लुधियाना और बेंगलूर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कंपनियों का स्थानांतरण अपने यहां करना चाहता है। हालांकि सीएसई स्वयं को सभी क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों का महा गठबंधन दिखाने में सफल रहता है तो भी कई बड़ी चुनौतियां हैं।

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SEBI ने जारी किया : IRS पर म्युचुअल फंड की भागीदारी के लिए मानदंड; IA के पर्यवेक्षी निकाय के लिए रूपरेखा

Sebi comes out with new guidelines on MF investment in interest rate swap

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया(SEBI) ने इंटरेस्ट रेट स्वैप्स (IRS) में म्यूचुअल फंड (MF) योजनाओं की भागीदारी के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

इंटरेस्ट रेट स्वैप्स (IRS) क्या है?

एक IRS ब्याज दर के नुकसान के खिलाफ बचाव के लिए एक निर्दिष्ट मूल राशि के आधार पर दो पक्षों के बीच भविष्य के ब्याज भुगतान का आदान-प्रदान है।

MF के लिए SEBI के दिशानिर्देश:

i.SEBI ने म्यूचुअल फंडों को हेजिंग उद्देश्यों के लिए सादे IRS में प्रवेश करने की अनुमति दी, लेकिन ऐसे मामलों में काल्पनिक मूलधन का मूल्य योजना द्वारा बचाव की जा रही संबंधित मौजूदा परिसंपत्तियों के मूल्य से अधिक नहीं होना चाहिए।

  • सादावेनिलाIRS: यह सबसे आम और सरल स्वैप है जिसमें दो पक्ष एक निर्दिष्ट अवधि के लिए विशिष्ट तिथियों पर एक काल्पनिक मूलधन पर पूर्व निर्धारित, निश्चित ब्याज दर के लिए सहमत होते हैं।

ii.यदि MF काउंटर लेनदेन के माध्यम से आईआरएस में प्रवेश कर रहा है, तो प्रतिपक्ष को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा बाजार निर्माता के रूप में मान्यता प्राप्त इकाई होना चाहिए।

iii.काउंटर लेनदेन में एकल प्रतिपक्ष के लिए एक्सपोजर योजना की शुद्ध संपत्ति के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

iv.क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL) द्वारा पेश किए गए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से MF द्वारा IRS के लिए एकल प्रतिपक्ष के लिए 10 प्रतिशत की सीमा लागू नहीं है।

-SEBI ने IA के पर्यवेक्षी निकाय के लिए फ्रेमवर्क जारी किया

18 जून, 2021 को SEBI ने इन्वेस्टमेंट एडवीज़र एडमिनिस्ट्रेशन एंड सुपरवाइजरी बॉडी (IAASB) के लिए रूपरेखा जारी की।

i.SEBI के मानदंडों के अनुसार, यह IA को विनियमित करने के उद्देश्य से किसी को या कॉर्पोरेट निकाय को पहचान सकता है।

ii.SEBI द्वारा निवेश सलाहकार (IA) नियमों के तहत मान्यता प्रदान की गई इकाई को IAASB के रूप में नामित किया जाएगा, और इसे IAS का प्रशासन और पर्यवेक्षण करने की अनुमति होगी।

iii.IAASB के बोर्ड की अध्यक्षता एक जनहित निदेशक द्वारा की जानी चाहिए और निवेशकों के लिए परिप्रेक्ष्य लाने के लिए इसमें एक निदेशक भी होना चाहिए।

iv.सभी मौजूदा IA को SEBI द्वारा IAASB की मान्यता के 3 महीने के भीतर IAASB की सदस्यता लेनी होगी, और उन्हें IAASB को आवधिक रिपोर्ट जमा करनी होगी।

हाल के संबंधित समाचार:

17 मई 2021 को, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) ने भारत में गोल्ड एक्सचेंज के लिए प्रस्तावित ढांचे का विवरण देते हुए एक परामर्श पत्र जारी किया और SEBI (वॉल्ट मैनेजर्स) विनियम, 2021 के मसौदे को वॉल्ट मैनेजर्स काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया के गोल्ड एक्सचेंज-संबंधित व्यवसाय को विनियमित करने के लिए जारी किया।

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) के बारे में:

स्थापना – 12 अप्रैल 1992 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के अनुसार।
मुख्यालय – मुंबई, महाराष्ट्र
अध्यक्ष – अजय त्यागी

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क्वालिफाइड फाइनांशियल कॉन्ट्रैक्ट्स की द्वपक्षीय नेटिंग बिल, 2020

  • लोकसभा में 14 सितंबर, 2020 को क्वालिफाइड फाइनांशियल कॉन्ट्रैक्ट्स की द्विपक्षीय नेटिंग बिल, 2020 पेश किया गया। यह बिल उन क्वालिफाइड फाइनांशियल कॉन्ट्रैक्ट्स की द्विपक्षीय नेटिंग के लिए कानूनी संरचना प्रदान करता है जो ओवर द काउंटर डेरेवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स हैं।
  • द्विपक्षीय नेटिंग : दो पक्षों के बीच सौदे से उत्पन्न दावों की काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया भरपाई को नेटिंग कहा जाता है जिसमें एक पक्ष से दूसरे पक्ष को देय या प्राप्य राशि का निर्धारण किया जाता है। बिल क्वालिफाइड फाइनांशियल कॉन्ट्रैक्ट्स की नेटिंग को लागू करता है।
  • क्वालिफाइड फाइनांशियल कॉन्ट्रैक्ट्स (क्यूएफसी) : क्यूएफसी ऐसा कोई भी द्विपक्षीय कॉन्ट्रैक्ट है जिसे संबंधित अथॉरिटी ने क्यूएफसी के तौर पर अधिसूचित किया है। यह अथॉरिटी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (इरडा), पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) या इंटरनेशनल फाइनांशियल सर्विसेज़ अथॉरिटी (आईएफएससीए) हो सकती है। केंद्र सरकार अधिसूचना के काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया जरिए कुछ पक्षों के बीच या कुछ शर्तों वाले कॉन्ट्रैक्ट्स को क्यूएफसी की सूची से हटा सकती है।
  • क्वालिफाइड फाइनांशियल मार्केट भागीदार : संबंधित अथॉरिटी अधिसूचना के जरिए अपने द्वारा रेगुलेट किसी एंटिटी को क्वालिफाइड फाइनांशियल मार्केट भागीदार के काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया तौर पर नामित कर सकती है जो क्यूएफसी से संबंधित कार्य करती हो। इसमें नॉन बैंकिंग फाइनांस कंपनियां (एनबीएफसी), बीमा कंपनियां और पेंशन फंड जैसी एंटिटी शामिल हैं।
  • एप्लिकेबिलिटी : बिल के प्रावधान दो क्वालिफाइड मार्केट भागीदारों के बीच क्यूएफसी पर लागू होंगे जिसमें से कम से कम एक पक्ष निर्दिष्ट अथॉरिटी (आरबीआई, सेबी, इरडा, पीएफआरडीए या आईएफएससीए) द्वारा रेगुलेटेड है।
  • नेटिंग का लागू होना ( एनफोर्सेबिलिटी) : बिल में प्रावधान है कि क्यूएफसी की नेटिंग उस स्थिति में लागू की जाएगी, जब कॉन्ट्रैक्ट में नेटिंग एग्रीमेंट हो। नेटिंग एग्रीमेंट एक ऐसा एग्रीमेंट है जिसमें दो या उससे अधिक क्यूएफसीज़ से संबंधित राशि की नेटिंग का प्रावधान होता है। नेटिंग एग्रीमेंट में कोलेट्रेल अरेंजमेंट भी शामिल हो सकता है। कोलेट्रल अरेंजमेंट एक किस्म की सुरक्षा होती है जोकि नेटिंग एग्रीमेंट में एक या उससे अधिक क्यूएफसी को दी जाती है। इसमें एसेट्स का वचन देना, या कोलेट्रल या थर्ड पार्टी गारंटर को टाइटल ट्रांसफर करने से संबंधित समझौता शामिल हो सकता है। एक नेटिंग समझौते में नॉन क्वालिफाइड फाइनांशियल कॉन्ट्रैक्ट्स को शामिल करने से समझौते के अंतर्गत क्यूएफसी की नेटिंग की एनफोर्सेबिलिटी अमान्य नहीं होगी।
  • क्लोज-आउट नेटिंग की व्यवस्था : क्लोज-आउट नेटिंग का अर्थ है, संबंधित क्यूएफसी के सभी दायित्वों का खत्म होना। इस प्रक्रिया को क्यूएफसी का कोई पक्ष निम्नलिखित स्थितियों में शुरू कर सकता है : (i) किसी पक्ष द्वारा डीफॉल्ट (क्यूएफसी के दायित्व को पूरा न करना), या (ii) समाप्ति की घटना, जैसा कि नेटिंग एग्रीमेंट में निर्दिष्ट हो, जोकि एक या दोनों पक्षों को एग्रीमेंट के अंतर्गत लेनदेन को समाप्त करने का अधिकार देती हो। अगर एक पक्ष को एडमिनिस्ट्रेशन में रखा गया है, तो उस पक्ष या एडमिनिस्ट्रेशन प्रैक्टीशनर की सहमति जरूरी नहीं है। एडमिनिस्ट्रेशन का अर्थ मोराटोरियम में रखना, वाइंडिंग अप की प्रक्रिया, इनसॉल्वेंसी या बैंकरप्सी इत्यादि आते हैं। एडमिनिस्ट्रेशन प्रैक्टीशनर एक ऐसी एंटिटी है जोकि उस पक्ष के मामलों का प्रबंधन करता है।
  • क्यूएफसी के पक्षों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत एक पक्ष से दूसरे पक्ष को देय सभी दायित्व एकल शुद्ध राशि में बदल जाएं। नेटिंग से क्यूएफसी से उत्पन्न मौजूदा और भविष्य के दायित्वों को लिक्विडेट कर दिया जाएगा। क्लोज- आउट नेटिंग के अंतर्गत देय / प्राप्य शुद्ध राशि निम्नलिखित के जरिए निर्धारित की जाएगी : (i) पक्षों द्वारा किए गए नेटिंग एग्रीमेंट के अनुसार, अगर वह मौजूद है, या (ii) पक्षों के बीच एग्रीमेंट के जरिए, या (iii) मध्यस्थता के जरिए। अगर एग्रीमेंट में कुछ और प्रावधान नहीं है तो कोलेट्रल अरेंजमेंट काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया के अंतर्गत दिए गए कोलेट्रल को किसी एंटिटी की सहमति के बिना लिक्विडेट किया जा सकता है।
  • क्लोज-आउट नेटिंग का लागू होना : क्लोज-आउट नेटिंग इनसॉल्वेंट पक्ष या कोलेट्रेल देने वाले व्यक्ति (अगर एप्लिकेबल है) पर लागू किया जाता है। क्लोज-आउट ऐसे पक्ष पर भी लागू किया जाता है जिसे एडमिनिस्ट्रेशन के अंतर्गत रखा गया है, और यह निषेधाज्ञा, मोराटोरियम, इनसॉल्वेंसी, रेज़ोल्यूशन, वाइंडिंग अप या किसी कानून के अंतर्गत जारी अदालती आदेश के बावजूद लागू होता है।
  • एडमिनिस्ट्रेशन प्रैक्टीशनर की शक्तियों की सीमा तय: एडमिनिस्ट्रेशन प्रैक्टीशनर इनसॉल्वेंट पक्ष या नॉन इनसॉल्वेंट पक्ष के बीच किसी नेटिंग एग्रीमेंट के अधीन या उसके संबंध में कैश ट्रांसफर, कोलेट्रल या किसी अन्य हितों को बेअसर नहीं कर सकता।
  • अनुसूचियों में संशोधन की शक्ति: केंद्र सरकार अधिसूचना के जरिए उन अथॉरिटीज़ और एक्ट्स की सूची में संशोधन काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया कर सकती है जोकि क्यूएफसी की पक्षकार एंटिटीज़ को रेगुलेट करते हैं।

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र , अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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