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व्यापार घाटा

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मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना व्यापार घाटा, क्या बजट में होगा समाधान

Trade deficit

नई दिल्ली। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के अंतिम महीने और दूसरे कार्यकाल के पहले महीने में एक बात पूरी तरह से समान रही वो है व्यापार घाटा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार व्यापार घाटा 6 महीने के उच्चतम स्तर पर है। 5 जुलाई को पूर्ण बजट 2019 है। अब सरकार के सामने इसे कम करने की बड़ी चुनौती सामने होगी। क्योंकि लगातार व्यापार घाटा बढऩे से देश की इकोनॉमी को नुकसान पहुंच रहा है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर व्यापार घाटा इस बार मंत्रालय की ओर किस तरह के आंकड़े पेश किए हैं। साथ ही व्यापार घाटे को कम करने के लिए किस तरह के कदम उठाने जरूरी है।

मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े
- देश के निर्यात में मई में साल-दर-साल आधार पर 3.93 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जोकि 29.व्यापार घाटा 99 अरब डॉलर रहा।
- पिछले साल इसी महीने में कुल 28.86 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था।
- देश का निर्यात मई महीने में 3.93 फीसदी बढ़कर 30 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
- मई में व्यापार घाटा बढ़कर छह महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
- मई में व्यापार घाटा आयात भी 4.31 फीसदी बढ़कर 3.17 लाख करोड़ रुपए (4535 करोड़ डॉलर) रहा।
- व्यापार घाटा बढ़कर 1.07 लाख करोड़ रुपए (1536 करोड़ डॉलर) पर पहुंच गया।
- पिछले साल मई में निर्यात और आयात का अंतर 1.02 लाख करोड़ रुपए (1462 करोड़ डॉलर) रहा था।
- व्यापार घाटे का यह स्तर नवंबर, 2018 के बाद से सबसे ऊंचा है।
- साल 2018 के इसी महीने में कुल 43.48 अरब डॉलर का आयात किया गया था।
- उस समय व्यापार घाटा 1.17 लाख करोड़ रुपए (1667 करोड़ डॉलर) रहा था।

इन सामानों का हुआ सबसे ज्यादा निर्यात
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा व्यापार घाटा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन माह में सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक सामानों, ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक केमिकल्स, ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात किया गया।

इतना हुआ सामानों का आयात-निर्यात
- मई 2019 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न और आभूषण का निर्यात कुल 21.42 अरब डॉलर का रहा।
- मई 2018 में कुल 19.94 अरब डॉलर का था।
- इसमें 7.42 फीसदी की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।
- मई में तेल का आयात कुल 12.44 अरब डॉलर का रहा।
- 2018 के मई की तुलना में 8.23 फीसदी अधिक है।
- पिछले साल मई में कुल 11.50 अरब डॉलर के तेल का आयात किया गया था।
- मई 2019 में गैर-तेल आयात कुल 32.91 अरब डॉलर रहा।
- मई 2018 के 31.98 अरब डॉलर के मुकाबले 2.90 फीसदी अधिक है।

आखिर क्यों बढ़ा व्यापार घाटा
एक्सपर्ट की मानें तो वैश्विक व्यापार में सुस्ती और कच्चे तेल के आयात का बिल बढऩे के कारण व्यापार घाटे में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। देश को कच्चे तेल की निर्भरता में कटौती करने जरुरत है। ताकि व्यापार घाटे में कमी की जा सके। आंकड़ों से पता चलता है कि हर साल कच्चे तेल के आयात और उसके बिल में इजाफा हो रहा है। वहीं प्रोडक्शन कत होने व्यापार घाटा के कारण अप्रैल मई में तेल की कीमतें अपने चरम पर थी। जिसके कारण व्यापार घाटे में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है।

सरकार को किन मुद्दों पर देना होगा ध्यान
व्यापार घाटे को कम करने के लिए कम लिए कई मुद्दों पर सोचने की जरुरत है। जानकारों के अनुसार सरकार को वस्तुओं के निर्यातकों के लिए कर्ज की उपलब्ध कराने पर ध्यान देना होगा। ताकि वो निर्यात को अधिक से अधिक बढ़ा सके। क्योंकि जितना हम आयात करते हैं। उसके मुकाबले निर्यात में काफी कमी है। ऐसे में सरकार इस बारे में सोचने की जरुरत है। कर्ज की लागत के साथ सभी कृषि निर्यात पर ब्याज सब्सिडी के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। आपको बता दें कि व्यापार घाटे का सीधा असर देश की आर्थिक स्थिति विशेषकर चालू खाते, रोजग़ार, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर पड़ता है। जानकारों की मानें तो यदि किसी देश का व्यापार घाटा लंबे समय तक बना रहता है तो उस देश की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ता है। चालू खाते के घाटे पर व्यापार घाटे का नकारात्मक असर पड़ता है।

क्यों है व्यापार घाटा चिंता का विषय
- वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने करीब 238 देशों के साथ कुल 768 अरब डॉलर का व्यापार यानी 303 अरब डॉलर निर्यात और 465 अरब डॉलर आयात किया। व्यापार घाटा
- इस अवधि में भारत का व्यापार घाटा 162 अरब डॉलर रहा।
- 130 देशों के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस था जबकि करीब 88 देशों के साथ ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) रहा।
- भारत का सबसे अधिक व्यापार घाटा चीन के साथ 63 अरब डॉलर है। यानी चीन के साथ व्यापार भारत के हित में कम तथा चीन के लिए अधिक फायदेमंद है।
- चीन की तरह स्विट्जऱलैंड, सऊदी अरब, इराक, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, नाइजीरिया, कतर, रूस, जापान और जर्मनी जैसे देशों के साथ भी भारत का व्यापार घाटा अधिक है।
- अमरीका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस सबसे ज्यादा 21 अरब डॉलर है। भारत का अमरीका से आयात कम और निर्यात ज्यादा होता है।
- अमरीका की तरह बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, हॉन्गकॉन्ग, नीदरलैंड्स, पाकिस्तान, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों के साथ भी भारत का ट्रेड सरप्लस है।

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Year Ender HZ Special: साल 2022 में इन ज्योतिष उपायों ने बदल दी कई लोगों की किस्मत

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इस बारे में सबकी अलग राय हो सकती है, लेकिन ज्यादातर लोग इसमें विश्वास करके अपनी किस्मत आजमाते हैं। हम आपके लिए समय-समय पर कुछ ऐसे ही ज्योतिषीय उपाय लेकर आते हैं जो आपके जीवन के लिए उपयोगी तो होते ही हैं और सफलता का मार्ग खोलने में भी मदद करते हैं।

कुछ ऐसे ही आसान टोटके और ज्योतिष उपाय हमने साल 2022 में भी लोगों तक पहुंचाए और आपमें से कई लोगों ने उन्हें पसंद भी किया। आइए जानें इस साल कौन से उपाय आप सभी के लिए कारगर सिद्ध हुए और उनसे आपकी किस्मत बदल गई। वास्तव में आगे भी आप इन उपायों से अपने जीवन में समृद्धि के मार्ग खोल सकते हैं।

सावन के उपाय

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इस साल सावन के महीने में हमारे पाठकों ने कुछ ज्योतिष उपायों को बहुत ज्यादा पसंद किया। ये मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों के लिए बताए गए। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी ने हमारे जैसे कई महिलाओं के लिए कुछ उपाय बताए जिससे उनके पति के जीवन में सौहार्द्र बना रहे। जिसमें पार्वती जी को हरी चूड़ियां चढ़ाने से हरी चूड़ियां पहनने की बात बताई गई। इसके साथ ही शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय दूध मिलाकर चढ़ाने का उपाय भी बहुत कारगर साबित हुआ और इस उपाय को कई लोगों से आजमाया और उन्हें लाभ भी हुआ।

तुलसी की सूखी मंजरी के उपाय

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तुलसी का पौधा आप सभी के घरों में जरूर लगा होगा। ज्योतिष में इसकी नियमित पूजा और इसमें जल चढ़ाने से आपकी कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। हरजिंदगी के पाठकों ने भी तुलसी की मंजरी से जुड़े उपायों को बहुत पसंद किया।

ये उपाय ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स जी ने हमें बताए उन्होंने इस आर्टिकल में बताया है कि यदि आप हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी को तुलसी की मंजरी चढाएंगी तो इससे धन का आगमन होने के साथ सदैव माता लक्ष्मी की कृपा दृष्टि भी बनी रहेगी।

इसके अलावा आप भगवान शिव को भी तुलसी की मंजरी अर्पित कर सकती हैं। हालांकि शिव जी को तुलसी की पत्तियां नहीं चढ़ाई जाती हैं, लेकिन इसकी मंजरी चढ़ाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। इतना ही नहीं यदि आप लाल रंग के कपड़े में तुलसी की मंजरी तोड़कर रख व्यापार घाटा लें और उसे अपने घर में धन वाले स्थान पर रख लें तो घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी और सदैव सुख समृद्धि बनी रहेगी।

तुलसी की सूखी पत्तियों के ज्योतिष उपाय

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तुलसी की पवित्रता और महत्व से भला कौन अंजान है। आपकी ही तरह हमारे कई और पाठकों ने तुलसी की सूखी मंजरी के साथ इसकी सूखी पत्तियों के ज्योतिष उपायों को भी आजमाया। ये उपाय हमने भोपाल के ज्योतिषाचार्य एवं पंडित विनोद सोनी से पूछे क्योंकि हम भी इस बात की जानकारी लेना चाहते थे कि आखिर तुलसी की सूखी हुई पत्तियों का क्या ज्योतिष महत्व हो सकता है।

पंडित जी ने हमें कुछ सरल उपाय बताए। तुलसी की एक ही पत्ती को आप नियमित रूप से श्री कृष्ण के भोग में चढ़ा सकती हैं और इसके सूखने पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। सूखी हुई पत्तियां भी आपको कई फायदे दिलाती हैं क्योंकि तुलसी की पत्तियां भगवान विष्णु को किसी भी रूप में प्रिय हैं। तुलसी की सूखी पत्तियों को आप लड्डूगोपल के स्नान के पानी में भी डाल सकती हैं।

यदि आपके पास तुलसी की कई पत्तियां इकट्ठी हो गई हैं तो उनका इस्तेमाल न करें और तुलसी के गमले में ही उन्हें गाड़ दें। तुलसी की सूखी पत्तियों के अन्य उपाय आप इस आर्टिकल में पढ़ सकते हैं और उन्हें आजमा सकते हैं।

धन लाभ के लिए बृहस्पति के उपाय

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धन की चाह भला किसे नहीं होती है, लेकिन कई किसी कारणवश धन हानि होने लगती है। ऐसे में आप बृहस्पति के कुछ आसान उपाय आजमा सकती हैं। अगर आपको व्यापार में घाटा हो रहा है तो आपको बृहस्पतिवार के दिन केले के पेड़ में गंगाजल अर्पित करना चाहिए।

अगर बहुत समय से आप नौकरी में प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं या आपकी सैलरी नहीं बढ़ रही है तो आप बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु को पीले कपड़े अर्पित कर सकते हैं। गुरुवार के दिन पीले फल किसी गरीब को दान करें। गुरुवार के कुछ विशेष उपाय आपको धनवान बनने में मदद कर सकते हैं।

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लाल गुड़हल के फूल के उपाय

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यदि आप देवी लक्ष्‍मी को मंगलवार और शुक्रवार के दिन गुड़हल का फूल अर्पित करेंगी तो आपको आर्थिक लाभ होगा और धन की हानि से बचा जा सकता है। इस उपाय से आपको नौकरी में प्रमोशन और व्यापार में नए अवसर प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।

नवरात्रि के दौरान लोगों ने इस उपाय को बहुत ज्यादा पसंद किया जिसमें ये बताया गया कि अभिजीत मुहूर्त में सूर्य को जल अर्पित करें और गुड़हल का फूल भी साथ में चढ़ाएं। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है। यदि आप अपनी तिजोरी में कपूर के साथ गुड़हल का फूल रखेंगी, तो इससे भी देवी लक्ष्‍मी आकर्षित होंगी।

ये थे ज्योतिष के कुछ ऐसे उपाय जिन्हें हमारे पाठकों ने बहुत ज्यादा पसंद किया और ये उपाय उनके लिए कारगर साबित हुए। आप भी अपने घर की सुख समृद्धि के लिए कुछ ऐसे ही उपाय आजमा सकती हैं।

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Kharmas 2022: इस तारीख से खरमास की हो रही शुरूआत, 30 दिनों तक शुभ कार्यों पर रहेगी पाबंदी

Kharmas 2022

जब से सूर्य बृहस्पति राशि मीन में प्रवेश करता है तभी से खरमास शुरू हो जाता है

हिन्दू धर्म में खरमास के महीने को शुभ नहीं माना जाता है

इस साल खरमास की शुरूआत 16 दिसंबर 2022 से हो रही है

आपने अक्सर अपने घर में बड़े बुजुर्गों से सुना होगा कि खरमास (Kharmas 2022) लग रहा है या फिर मलमास लग रहा है. इस खरमास शब्द पर अच्छा खासा फोकस किया जाता है. आपको बता दें कि साल में कुल 12 सक्रांति पड़ती है, जिसमें से धनु सक्रांति को विशेष माना गया है. बता दें कि ग्रहों के राजा सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो धनु संक्रांति होती है. धनु संक्रांति आते ही अगले 30 दिन के लिए मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. इसी अवधि को खरमास या मलमास कहते हैं. इस साल सूर्य 16 दिसंबर 2022 को धनु राशि में प्रवेश करेंगे और इसी दिन से खरमास शुरू हो जाएगा. तो चलिए जानते हैं खरमास या मलमास के बारे में विस्तार से.

क्या होता है खरमास?

आपको बता दें कि जब सूर्य बृहस्पति राशि मीन में प्रवेश करता है, तभी से खरमास या मलमास या अधिकमास का प्रारंभ माना जाता है. इस महीने को अच्छा नहीं माना जाता है. इसलिए इस महीने में नए या शुभ काम नहीं किए जाते हैं. बता दें कि खरमास महीने के अपने कुछ अलग नियम बताए गए हैं. इस महीने में हिन्दू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और कोई भी धार्मिक संस्कार करने की मनाही होती है.

शुभ कार्यों पर क्यों लगाई जाती है रोक?

विशेषज्ञों की मानें, तो गुरु देव बृहस्पति धनु राशि के स्वामी हैं. बृहस्पति का अपनी ही राशि में प्रवेश इंसान के लिए अच्छा नहीं होता है. ऐसा होने की स्तिथि में लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर पड़ने लगता है. राशि में सूर्य के कमजोर होने के चलते ही इसे इसे मलमास कहते हैं. मान्यता है कि खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है. सूर्य के कमजोर स्थिति में होने की वजह से इस महीने शुभ कार्यों पर रोक रहती है.

खरमास में भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये काम

1. खरमास में शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य पूर्णतया वर्जित माने जाते व्यापार घाटा व्यापार घाटा हैं. इन दिनों में विवाह करने से व्यक्ति को तमाम कष्टों को सहना पड़ता है.

2. इस समय मकान का निर्माण या संपत्ति की खरीदारी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है और चीजें फलती नहीं हैं.

3. इस अवसर पर हमें भूलकर भी कोई नया कार्य या व्यापार शुरू नहीं करना चाहिए. वरना व्यापार में घाटा होना तय है.

4. इस दौरान द्विरागमन, कर्णवेध और मुंडन जैसे कार्य भी नहीं करने चाहिए, क्योंकि इस अवधि में किए गए कार्यों का बुरा प्रभाव संबंधित व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है.

5. इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान करना अशुभ होता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.

Yes बैंक के आए अच्छे दिन, चौथी तिमाही में हुआ करोड़ों का व्यापार घाटा मुनाफा

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नई दिल्ली। निजी क्षेत्र का यस बैंक फिर से मुनाफे में हो गया है. यस बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 में 1,066 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाकर अच्छा प्रदर्शन किया है. इससे बैंक फिर से मुनाफे में आ गया है. यस बैंक ने शनिवार को चौथी तिमाही के नतीजे घोषित किए. इस दौरान बैंक ने बताया कि वह फिर से मुनाफे की स्थिति में आ गया है.

1,066 करोड़ रुपये का सीधा लाभ

इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक को 3,462 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. इससे पहले 2019-20 में 22,715 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. वित्त वर्ष 2018-19 के बाद यह पहला मौका है जब यस बैंक किसी वित्तीय वर्ष में मुनाफा कमाने में सफल रहा है. हाल ही में पूरे हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 में बैंक ने कुल 1,066 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है.

एक साल पहले 3,788 करोड़ का घाटा

बैंक ने शेयर बाजार को अपने वित्तीय नतीजों की जानकारी देते हुए कहा कि उसे जनवरी-मार्च 2022 तिमाही में 367 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है. एक साल पहले इसी अवधि में बैंक को 3,788 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. दिसंबर 2021 को खत्म हुई तीसरी तिमाही में उसे 266 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था.

चौथी तिमाही में बैंक की कुल आय जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में 4,678.59 करोड़ रुपये के मुकाबले 5,829.22 करोड़ रुपये रही. हालांकि, पूरे साल के लिए यस बैंक की कुल आय 22,285.98 करोड़ रुपये रही, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 23,053.54 करोड़ रुपये से कम है. बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में उसके जमा में बढ़ोतरी हुई है. बैंक के फंसे कर्ज की हिस्सेदारी भी 5.9 फीसदी से घटकर 4.5 फीसदी पर आ गई. मार्च 2022 के अंत में बैंक का एनपीए 13.9 प्रतिशत था, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह अनुपात 15.4 प्रतिशत था.

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