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ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं

ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं

डेरिवेटिव क्या है?। डेरिवेटिव्स। Derivatives in Hindi

डेरिवेटिव

मोटे तौर पर कहें तो डेरिवेटिव्स (Derivatives) भी शेयर मार्केट का ही एक हिस्सा है और ये भी स्टॉक एक्स्चेंज (Stock exchange) के द्वारा ही क्रियान्वित होता है। हालांकि कुछ डेरिवेटिव्स के अलग से भी एक्सचेंज होते हैं। जैसे कि कमोडिटी डेरिवेटिव्स (Commodity derivatives) की ही बात करें तो इंडिया में इसके लिए अलग से भी एक्सचेंज है। ये क्या होता है इसे हम आगे समझेंगे।

डेरिवेटिव्स पूंजी बाज़ार में सबसे तेजी से धन कमाने का एक बेहतरीन जरिया है। कम से कम पैसों में भी इस विधि से लाभ कमाया जा सकता है। पर बात वही है कि अगर प्रॉफ़िट ज्यादा है तो रिस्क भी बहुत ज्यादा है। कुछ लोग तो इस मार्केट में बहुत ज्यादा पैसा कमाने के मकसद से ही आते हैं वहीं कुछ लोग अपना रिस्क कम करने के लिए आते है। ये सब कैसे होता है सब हम आगे समझने वाले हैं।

| डेरिवेटिव क्या है?

प्रतिभूतियों (Securities) को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है – (1) इक्विटि प्रतिभूतियां (equity securities) (2) डेट प्रतिभूतियां (Debt securities) और (3) डेरिवेटिव प्रतिभूतियां (Derivatives securities)। नीचे दिये गए चार्ट में आप इसे देख सकते हैं।

डेरिवेटिव क्या है

कहने का अर्थ ये है कि डेरिवेटिव भी एक प्रतिभूति है जिसका कि एक मौद्रिक मूल्य होता है। लेकिन यहाँ याद रखने वाली बात है कि ये अपना मूल्य खुद से प्राप्त नहीं करता है बल्कि किसी और चीज़ से प्राप्त करता है। यानी कि कोई भी ऐसा उपकरण (Instrument) जिसकी अपनी खुद की कोई वैल्यू नहीं होती है बल्कि उसकी वैल्यू किसी और ही चीज़ से प्राप्त होती है। उसे डेरिवेटिव (Derivatives) कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो, कोई भी ऐसा उपकरण जिसकी अपनी तो कोई वैल्यू न हो लेकिन उसकी वैल्यू किस और चीज़ पर निर्भर करता हो। जिस चीज़ पर उसकी वैल्यू निर्भर करता है उसे अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Assets) कहा जाता है। इस सब का क्या मतलब है, आइये इसे एक उदाहरण से समझते हैं।

| डेरिवेटिव क्या है; उदाहरण से समझिये

मान लीजिये आप एक सरकारी ऑफिस का कई दिनों से चक्कर लगा रहे हैं और आपका काम नहीं हो रहा है। पर एक दिन आपको एक बड़े अधिकारी से बात होती है और वो आपको एक कागज पर कुछ लिख के और अपना साइन करके आपको देता है और कहता है कि आप इसे लेकर उस अमुक स्टाफ को दिखा दीजिये आपका काम हो जाएगा।

आप उस कागज को को लेकर जाते हैं और आपका काम हो जाता है। तो आप खुद ही सोचिए कि क्या उस कागज की कोई कीमत थी। बिलकुल नहीं, उस कागज की अपने आप में कोई कीमत नहीं थी। उसकी कीमत उस साइन के कारण है जो उस सक्षम अधिकारी ने उस पर की है। यानी कि वो कागज अपनी कीमत कहीं और से प्राप्त कर रही है। यही तो डेरिवेटिव्स है।

जहां से वो अपना वैल्यू प्राप्त कर रहा है यानी कि वो साइन, वो उस कागज का अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Assets) है। क्योंकि अगर वो साइन नहीं होता तो कागज की कोई वैल्यू नहीं होती। ऐसे ही ढेरों उदाहरण आप अपने आस-पास से ले सकते हैं।

जैसे कि बैंक नोट को ले लीजिये वो तो बस एक कागज का टुकरा भर है। लेकिन उसकी अपनी एक वैल्यू होती है क्योंकि आरबीआई उसे अप्रूव करती है। यानी कि एक बैंक नोट की वैल्यू आरबीआई से प्राप्त हो रही है इसीलिए आरबीआई उस नोट का Underlying Asset हुआ।

⚫ इसी तरह मान लीजिये पनीर है। उसकी अपनी कोई वैल्यू नहीं है। उसकी वैल्यू तो उस दूध पर निर्भर करती है जिससे वो बना है। दूध के दाम के अनुसार ही पनीर का दाम भी बदलेगा। यानी कि इस केस में दूध उस पनीर का Underlying Asset है।

⚫ इसी प्रकार अगर हम पेट्रोल को लें तो उसका अपने आप में कोई वैल्यू नहीं है उसकी वैल्यू क्रूड ऑइल पर निर्भर करता है। यानी कि वो अपनी कीमत क्रूड ऑइल से प्राप्त करता है इसीलिए पेट्रोल का Underlying Asset क्रूड ऑइल हो गया।

⚫ इसी प्रकार मान लीजिये रिलायंस का एक शेयर है तो उस शेयर की अपनी कोई वैल्यू नहीं है। उसकी वैल्यू तो कंपनी की नेट वर्थ (Net worth) तथा डिमांड और सप्लाइ से प्राप्त हो रहा है। इसीलिए शेयर का Underlying Asset वो कंपनी या मार्केट है।

कोमोडिटी डेरिवेटिव्स – अगर किसी डेरिवेटिव्स का Underlying Asset कोई वस्तु हो जैसे कि गेहूं, चावल, आलू, कॉटन, गोल्ड, सिल्वर आदि तो हम इसे कोमोडिटी डेरिवेटिव्स (Commodity Derivatives) कहते हैं।

फ़ाईनेंसियल डेरिवेटिव्स – इसी प्रकार अगर किसी डेरिवेटिव्स का Underlying Asset कोई उपकरण (Instrument) हो जैसे कि शेयर, इंडेक्स आदि तो हम उसे फ़ाईनेंसियल डेरिवेटिव्स (Financial derivatives) कहते हैं।

⚫ जब हम किसी कंपनी के स्टॉक या शेयर को खरीदते है या बेचते है तो उसे स्टॉक ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग कहते हैं। लेकिन अगर हम किसी कंपनी के स्टॉक को न खरीद या बेच करके उसके डेरिवेटिव्स की खरीद या बिक्री करते हैं तो उसे स्टॉक बेस्ड डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग (Stock Based Derivatives Trading) कहा जाता है। ये कैसे होता है इसे हम आगे समझेंगे।

Q. जब हम शेयर में निवेश (Investment) कर सकते है और उससे भी पैसे कमा सकते हैं तो फिर डेरिवेटिव्स की क्या जरूरत है?

बात दरअसल ये है कि शेयर लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है। लेकिन अगर आपको कम समय में ही बहुत ज्यादा पैसे छापने है तो डेरिवेटिव्स इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। बहुत ही कम समय में अधिक से अधिक पैसा इससे कमाया जा सकता है। ये सब कैसे होता है सब आगे समझने वाले हैं। आइए पहले डेरिवेटिव्स (Derivatives) के प्रकार की बात करते हैं।

| डेरिवेटिव्स के प्रकार

डेरिवेटिव्स (Derivatives) चार प्रकार के होते हैं –
1. फॉरवर्ड डेरिवेटिव्स (Forward Derivatives)
2. फ्युचर डेरिवेटिव्स (Future Derivatives)
3. ऑप्शन डेरिवेटिव्स (Option Derivatives)
4. स्वैप डेरिवेटिव्स (Swap Derivatives)

हम सभी को एक-एक करके अलग-अलग लेखों में समझने वाले हैं, ऐसा इसीलिए ताकि इसके काम करने के तरीके को विस्तार से समझ सके। तो आइये फॉरवर्ड डेरिवेटिव्स (Forward Derivatives) से शुरू करते हैं;

10 Stock Market Tips for Beginners: नए निवेशकों को शेयर ट्रेडिंग कैसे करनी चाहिए? सीखिए

How to trade in Share Market: अगर अपने भी दूसरों के सुनी सुनाई बातों में आकर शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने का मन बनाया है तो यहां कुछ टिप्स बताएं गए है, जिसे आपको फॉलो जरूर करना चाहिए। बताए गए टिप्स से सामान्य गलतियों से बचा जा सकता है।

Share Market Tips for Beginners: तो आपने अकेले अपने दम पर शेयर मार्केट में निवेश करने का फैसला किया है, तो यह बुरा विचार नहीं है। हालांकि, शेयर बाजार में उतरने से पहले आपको कुछ चीजें जाननी चाहिए। अगर आप इस लेख में दी गई सलाह का पालन करते हैं तो आप अपना बहुत समय, प्रयास और धन बचा सकते हैं। यह लेख खासकर उन निवेशकों के लिए तैयार किया गया है जो पहली बार शेयर मार्केट की दुनिया में छलांग लगाना चाह रहे है। तो आइए बताते है 10 Share Market Tips in Hindi

10 Share Market Tips for Beginners in Hindi

1) ट्रेडिंग और डीमैट एकाउंट प्राप्त करें

शेयर मार्केट में सीधे निवेश शुरू करने के लिए आपको एक स्टॉक-ट्रेडिंग एकाउंट और एक डीमैट एकाउंट की आवश्यकता होगी। कई ब्रोकरेज फर्म हैं, और आप उनमें से चुन सकते हैं। आप जो सबसे आसान काम कर सकते हैं, वह है अपने बैंक से संपर्क करना। अधिकांश बैंक ब्रोकरेज और डीमैट सर्विस प्रदान करते हैं। अगर आपके पास पहले से बैंक एकाउंट है तो आपके लिए डिमैट खाता अपने बैंक ब्रांच में खुलवाना आसान होगा।

2) ऑनलाइन ट्रेडिंग एकाउंट का विकल्प चुनें

आप अपने स्टॉक-परचेस ऑर्डर को फोन पर या ऑनलाइन दे सकते हैं। एक ऑनलाइन ट्रेडिंग एकाउंट आपके लेनदेन में बहुत अधिक पारदर्शिता लाता है। एक ऑनलाइन एकाउंट से आप न केवल खुद ऑर्डर दे सकते हैं, बल्कि आप यह भी ट्रैक कर सकते हैं कि आपके ऑर्डर का वास्तविक समय में क्या हो रहा है। साथ ही, कभी भी ब्रोकर या किसी और को अपनी ओर से ट्रेड न करने दें। आपको केवल वही होना चाहिए जिसकी आपके स्टॉक-ट्रेडिंग खाते तक पहुंच हो।

3. ब्रोकर सलाह से सावधान रहें

जब आपका स्टॉक-ट्रेडिंग एकाउंट खोला जाता है, ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं ब्रोकर चाहता है कि आप रेगुलर स्टॉक टिप्स और गाइडेंस सहित कई सर्विस का विकल्प चुनें। ब्रोकर चाहते है कि आप और अधिक व्यापार करें। अपने ब्रोकर की सलाह के अनुसार कभी भी खरीदने और बेचने के लिए बाध्य महसूस न करें। अपने निर्णय, विश्लेषण और शोध पर भरोसा करें।

4) रिकॉर्ड रखें

आपके ब्रोकर को आपके द्वारा किए जाने वाले प्रत्येक व्यापार के लिए आपको एक कॉन्ट्रैक्ट नोट भेजना चाहिए। आपको इसे वेरिफाई करना चाहिए और इसे सहेज कर रखना चाहिए, यह लेन-देन का प्रमाण है। साथ ही आपको एक एक्सेल शीट में अपनी खरीद की कीमतों और तारीखों, बिक्री की कीमतों और तारीखों, लाभ और हानि, खरीदी और बेची गई मात्रा आदि का एक नोट बनाना चाहिए। यह न केवल आपको अपने निवेश परिणामों को ट्रैक करने और टैक्स का भुगतान करने में मदद करेगा बल्कि आपके निवेश के दृष्टिकोण में अनुशासन भी लाएगा।

5) छोटी शुरुआत करें

थोड़े से पैसे से निवेश की शुरुआत करें, चूंकि आप शेयर बाजार में अपने शुरुआती चरण के दौरान सीख रहे होंगे, इसलिए बेहतर होगा कि आप कम रकम का निवेश करें। यहां तक ​​कि अगर आपके पास निवेश करने के लिए एक बड़ा फंड है, तो धीमी गति से चलें। एक बार जब आप पर्याप्त अनुभव प्राप्त कर लेते हैं और सफलतापूर्वक निवेश करने की अपनी क्षमता के प्रति आश्वस्त हो जाते हैं, तो आप आवंटन बढ़ा सकते हैं।

6) शिक्षा में निवेश करें

बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा, 'ज्ञान में निवेश सबसे अच्छा ब्याज देता है।' आप बाजार में तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक आप इसके बारे में खुद को शिक्षित करने में निवेश नहीं करते। स्टॉक कैसे काम करता है, इसके बारे में ज्ञान आपको महंगी गलतियां करने से भी रोकेगा। आप शेयरों में निवेश करने के सही तरीकों के बारे में भी जानेंगे। कई शेयर निवेशकों के अच्छा प्रदर्शन न करने का एक प्रमुख कारण यह है कि वे सीखने के लिए कोई प्रयास नहीं करते हैं। ऐसी कई अच्छी किताबें हैं जिन्हें आप पढ़ सकते हैं, जैसे वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट, द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर, व्हाट वर्क्स ऑन वॉल स्ट्रीट इत्यादि। शेयर बाजार में सफल होने के लिए स्टॉक गुरुओं से सीखना एक बहुत ही प्रभावी तरीका है।

7. स्टॉक ट्रेडिंग, डेरिवेटिव और स्टॉक टिप्स से दूर रहें

स्टॉक ट्रेडिंग बाजार में उतार-चढ़ाव से लाभ उठाकर क्विक प्रॉफिट कमाने का प्रयास है। अधिकांश शेयर व्यापारी हार जाते हैं, इसलिए यह एक योग्य खोज नहीं है। गहन विश्लेषण और शोध करने के बाद शेयर बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करें।

साथ ही, फ्यूचर्स और ऑप्शंस के बहकावे में न आएं, जिन्हें सामूहिक रूप से डेरिवेटिव कहा जाता है। डेरिवेटिव लीवरेज का उपयोग करते हैं और नाटकीय रूप से आपके रिटर्न को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, वे कुछ ही क्षणों में आपकी पूंजी को मिटा भी सकते हैं। ज्यादातर डेरिवेटिव ट्रेडर्स हारते हैं, इसलिए डेरिवेटिव से दूर रहें। डेरिवेटिव्स में पूरी वित्तीय प्रणाली को तहस-नहस करने की क्षमता होती है, जिससे वॉरेन बफेट ने उन्हें 'सामूहिक विनाश के हथियार' कहा।

नए स्टॉक निवेशक को स्टॉक टिप्स से दूर रहना चाहिए। शेयर बाजार में बहुत सी अटकलें लगती हैं और स्टॉक टिप्स आम तौर पर चारों ओर घूम रहे हैं। ये स्टॉक टिप्स आम तौर पर विश्वसनीय नहीं हैं और मुनाफा कमाने का एक निश्चित तरीका नहीं हैं।

8) खुद पर इमोशनल चेक रखें

किसी ने ठीक ही कहा है, 'दुनिया के सबसे अच्छे निवेशकों के पास वित्त की तुलना में मनोविज्ञान में अधिक बढ़त है।' जब आप स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखते हैं तो एक नए निवेशक के रूप में आप भावनाओं की एक पूरी श्रृंखला का अनुभव करेंगे। अगर आपके शेयरों का मूल्य बढ़ता है, तो आप तुरंत मुनाफावसूली करने के लिए ललचाएंगे, और जब आपके स्टॉक गिरेंगे तो आपको डूबने का एहसास होगा। बहुत से लोग स्टॉक की कीमतों में लगातार बदलाव को देखते हुए तर्कहीन व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। स्टॉक की कीमत में गिरावट एक सामान्य घटना है, और आपको जल्दी पैसा बनाने के लिए स्टॉक नहीं बेचना चाहिए। स्टॉक खरीदना और बेचना आपकी स्टॉक रणनीति पर आधारित होना चाहिए, जो कि नीचे की बात है।

9) एक रणनीति तैयार करें

एक बार जब आप बाजार में काम करना शुरू कर देते हैं, तो आपको एक स्टॉक रणनीति की आवश्यकता होगी जो आपको स्पष्ट रूप से बताए कि क्या खरीदना है, कब खरीदना है, कब बेचना है और ग्रोथ को कैसे ट्रैक करना है। एक ठोस रणनीति के अभाव में, आपका शेयर बाजार करियर एक ऐसे जहाज की तरह होगा जो अपना रास्ता खो चुका है। आपकी स्टॉक रणनीति अंतिम फिल्टर है जो आपको शेयर बाजार में शोर से बचाएगी। जैसे-जैसे आप निवेश के साथ आगे बढ़ते हैं, आप रणनीति में सुधार करते रह सकते हैं। स्टॉक निवेश पर आप जो किताबें पढ़ेंगे, वे आपकी रणनीति में आपकी मदद करेंगी। हालांकि, आपकी रणनीति तैयार करने में प्रमुख मदद बाजार में आपके वास्तविक जीवन के अनुभव के साथ आएगी।

10) बने रहें

पहले दिन से शानदार परिणाम की उम्मीद न करें। शुरुआत में आपको कुछ धन की हानि भी हो सकती है। फिर भी अपनी खोज में लगे रहो। अच्छे धन प्रबंधन कौशल के साथ स्टॉक निवेश को मिलाएं। नियमित रूप से निवेश करें। वहां बहुत से लोग हैं जो स्टॉक निवेश के बारे में बहुत कुछ जानते हैं लेकिन जो कभी भी धन का निर्माण करने में सक्षम नहीं होते हैं क्योंकि उनके पास शायद ही कभी निवेश करने के लिए पैसा होता है। निवेश के किसी भी रूप में, अनुशासन और नियमितता सफलता के सबसे महत्वपूर्ण निर्धारक हैं।

डेरिवेटिव क्या है?। डेरिवेटिव्स। Derivatives in Hindi

डेरिवेटिव

मोटे तौर पर कहें तो डेरिवेटिव्स (Derivatives) भी शेयर मार्केट का ही एक हिस्सा है और ये भी स्टॉक एक्स्चेंज (Stock exchange) के द्वारा ही क्रियान्वित होता है। हालांकि कुछ डेरिवेटिव्स के अलग से भी एक्सचेंज होते हैं। जैसे कि कमोडिटी डेरिवेटिव्स (Commodity derivatives) की ही बात करें तो इंडिया में इसके लिए अलग से भी एक्सचेंज है। ये क्या होता है इसे हम आगे समझेंगे।

डेरिवेटिव्स पूंजी बाज़ार में सबसे तेजी से धन कमाने का एक बेहतरीन जरिया है। कम से कम पैसों में भी इस विधि से लाभ कमाया जा सकता है। पर बात वही है कि अगर प्रॉफ़िट ज्यादा है तो रिस्क भी बहुत ज्यादा है। कुछ लोग तो इस मार्केट में बहुत ज्यादा पैसा कमाने के मकसद से ही आते हैं वहीं कुछ लोग अपना रिस्क कम करने के लिए आते है। ये सब कैसे होता है सब हम आगे समझने वाले हैं।

| डेरिवेटिव क्या है?

प्रतिभूतियों (Securities) को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है – (1) इक्विटि प्रतिभूतियां (equity securities) (2) डेट प्रतिभूतियां (Debt securities) और (3) डेरिवेटिव प्रतिभूतियां (Derivatives securities)। नीचे दिये गए चार्ट में आप इसे देख सकते हैं।

डेरिवेटिव क्या है

कहने का अर्थ ये है कि डेरिवेटिव भी एक प्रतिभूति है जिसका कि एक मौद्रिक मूल्य होता है। लेकिन यहाँ याद रखने वाली बात है कि ये अपना मूल्य खुद से प्राप्त नहीं करता है बल्कि किसी और चीज़ से प्राप्त करता है। यानी कि कोई भी ऐसा उपकरण (Instrument) जिसकी अपनी खुद की कोई वैल्यू नहीं होती है बल्कि उसकी वैल्यू किसी और ही चीज़ से प्राप्त होती है। उसे डेरिवेटिव (Derivatives) कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो, कोई भी ऐसा उपकरण जिसकी अपनी तो कोई वैल्यू ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं न हो लेकिन उसकी वैल्यू किस और चीज़ पर निर्भर करता हो। जिस चीज़ पर उसकी वैल्यू निर्भर करता है उसे अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Assets) कहा जाता है। इस सब का क्या मतलब है, आइये इसे एक उदाहरण से समझते हैं।

| डेरिवेटिव क्या है; उदाहरण से समझिये

मान लीजिये आप एक सरकारी ऑफिस का कई दिनों से चक्कर लगा रहे हैं और आपका काम नहीं हो रहा है। पर एक दिन आपको एक बड़े ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं अधिकारी से बात होती है और वो आपको एक कागज पर कुछ लिख के और अपना साइन करके आपको देता है और कहता है कि आप इसे लेकर उस अमुक स्टाफ को दिखा दीजिये आपका काम हो जाएगा।

आप उस कागज को को लेकर जाते हैं और आपका काम हो जाता है। तो आप खुद ही सोचिए कि क्या उस कागज की कोई कीमत थी। बिलकुल नहीं, उस कागज की अपने आप में कोई कीमत नहीं थी। उसकी कीमत उस साइन के कारण है जो उस सक्षम अधिकारी ने उस पर की है। यानी कि वो कागज अपनी कीमत कहीं और से प्राप्त कर रही है। यही तो डेरिवेटिव्स है।

जहां से वो अपना वैल्यू प्राप्त कर रहा है यानी कि वो साइन, वो उस कागज का अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Assets) है। क्योंकि अगर वो साइन नहीं होता तो कागज की कोई वैल्यू नहीं होती। ऐसे ही ढेरों उदाहरण आप अपने आस-पास से ले सकते हैं।

जैसे कि बैंक नोट को ले लीजिये वो तो बस एक कागज का टुकरा भर है। लेकिन उसकी अपनी एक वैल्यू होती है क्योंकि आरबीआई उसे अप्रूव करती है। यानी कि एक बैंक नोट की वैल्यू आरबीआई से प्राप्त हो रही है इसीलिए आरबीआई उस नोट का Underlying Asset हुआ।

⚫ इसी तरह मान लीजिये पनीर है। उसकी अपनी कोई वैल्यू नहीं है। उसकी वैल्यू तो उस दूध पर निर्भर करती है जिससे वो बना है। दूध के दाम के अनुसार ही पनीर का दाम भी बदलेगा। यानी कि इस केस में दूध उस पनीर का Underlying Asset है।

⚫ इसी प्रकार अगर हम पेट्रोल को लें तो उसका अपने आप में कोई वैल्यू नहीं है उसकी वैल्यू क्रूड ऑइल पर निर्भर करता है। यानी कि वो अपनी कीमत क्रूड ऑइल से प्राप्त करता है इसीलिए पेट्रोल का Underlying Asset क्रूड ऑइल हो गया।

⚫ इसी प्रकार मान लीजिये रिलायंस का एक शेयर है तो उस शेयर की अपनी कोई वैल्यू नहीं है। उसकी वैल्यू तो कंपनी की नेट वर्थ (Net worth) तथा डिमांड और सप्लाइ से प्राप्त हो रहा है। इसीलिए शेयर का Underlying Asset वो कंपनी या मार्केट है।

कोमोडिटी डेरिवेटिव्स – अगर किसी डेरिवेटिव्स का Underlying Asset कोई वस्तु हो जैसे कि गेहूं, चावल, आलू, कॉटन, गोल्ड, सिल्वर आदि तो हम इसे कोमोडिटी डेरिवेटिव्स (Commodity Derivatives) कहते हैं।

फ़ाईनेंसियल डेरिवेटिव्स – इसी प्रकार अगर किसी डेरिवेटिव्स का Underlying Asset कोई उपकरण (Instrument) हो जैसे कि शेयर, इंडेक्स आदि तो हम उसे फ़ाईनेंसियल डेरिवेटिव्स (Financial derivatives) कहते हैं।

⚫ जब हम किसी कंपनी के स्टॉक या शेयर को खरीदते है या बेचते है तो उसे स्टॉक ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग कहते हैं। लेकिन अगर हम किसी कंपनी के स्टॉक को न खरीद या बेच करके उसके डेरिवेटिव्स की खरीद या बिक्री करते हैं तो उसे स्टॉक बेस्ड डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग (Stock Based Derivatives Trading) कहा जाता है। ये कैसे होता है इसे हम आगे समझेंगे।

Q. जब हम शेयर में निवेश (Investment) कर सकते है और उससे भी पैसे कमा सकते हैं तो फिर डेरिवेटिव्स की क्या जरूरत है?

बात दरअसल ये है कि शेयर लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है। लेकिन अगर आपको कम समय में ही बहुत ज्यादा पैसे छापने है तो डेरिवेटिव्स इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। बहुत ही कम समय में अधिक से अधिक पैसा इससे कमाया जा सकता है। ये सब कैसे होता है सब आगे समझने वाले हैं। आइए पहले डेरिवेटिव्स (Derivatives) के प्रकार की बात करते हैं।

| डेरिवेटिव्स के प्रकार

डेरिवेटिव्स (Derivatives) चार प्रकार के होते हैं –
1. फॉरवर्ड डेरिवेटिव्स (Forward Derivatives)
2. फ्युचर डेरिवेटिव्स (Future Derivatives)
3. ऑप्शन डेरिवेटिव्स (Option Derivatives)
4. स्वैप डेरिवेटिव्स (Swap Derivatives)

हम सभी को एक-एक करके अलग-अलग लेखों में समझने वाले हैं, ऐसा इसीलिए ताकि इसके काम करने के तरीके को विस्तार से समझ सके। तो आइये फॉरवर्ड डेरिवेटिव्स (Forward Derivatives) से शुरू करते हैं;

DNA Hindi Money Guide : कैसै किया जाता है NIFTY या SENSEX में निवेश

DNA Hindi Money Guide : कैसै किया जाता है NIFTY या SENSEX में निवेश

डीएनए हिंदी: हर कोई चाहता है कि वह शेयर बाजार के बेहतरीन स्टॉक्स में निवेश करे और उसे अच्छा खासा मुनाफा हो. अगर हम आपको ये बताएं कि आप स्टॉक्स की जगह निफ्टी और सेंसेक्स में निवेश करके मुनाफा कमा सकते हैं तो सोचिए कितना फायदा मिलेगा. निफ्टी और सेंसेक्स में निवेश करने को लेकर बहुत से लोगों के मन में भ्रांतियां हैं कि इसमें कैसे निवेश करें? क्या ये फायदा देगा भी या नहीं? ये दोनों ही किसी भी म्यूचुअल फंड से ज्यादा फायदा देने में सक्षम हैं.

उदाहरण के लिए निफ्टी एक इंडेक्स है जिसमें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में टॉप 50 कंपनियां शामिल हैं. दूसरी तरफ सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) है जिसमें टॉप 30 बैरोमीटर है. ये अलग-अलग सेक्टर्स से जुड़े हुए शानदार प्रदर्शन करने वाली कंपनियों के ब्लू-चिप स्टॉक हैं.

अगर आप भी निफ्टी में निवेश करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आइए जानते हैं कि इसमें निवेश करने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कैसे निवेश कर सकते हैं?

इन्वेस्टमेंट के लिए लक्ष्य

अपने फाइनेंशियल गोल को पाने के लिए आपको पहले यह पता करना होगा कि आप किस चीज को ध्यान में रखकर निवेश कर रहे हैं. जैसे बेटी की शादी, पढ़ाई या घर बनाने के लिए. ऐसा करने से निवेश बेहतर हो जाता है.

डीमैट अकाउंट खोलें

  • एक स्टॉकब्रोकर चुनें जो आपके लिए डीमैट अकाउंट खोलने में मदद करेगा.
  • ऑनलाइन ऑफलाइन दोनों तरीके से आप स्टॉकब्रोकर से संपर्क कर सकते हैं.
  • केवाईसी (KYC) शर्तों को कंप्लीट करें.
  • वेरिफिकेशन प्रक्रिया को कंप्लीट करें और आप सेट हैं.

निफ्टी में कैसे निवेश करें?

निफ्टी में निवेश करने के लिए आप स्पॉट ट्रेडिंग, डेरिवेटिव ट्रेडिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं.

स्पॉट ट्रेडिंग: निफ्टी में इन्वेस्टमेंट करने का सबसे आसान तरीका है बड़ी कंपनियों में निवेश करें. जैसे ITC, Gail और अन्य शानदार निफ्टी स्टॉक्स. इन सभी में इन्वेस्टमेंट करने के बाद जब एक समय बाद इनकी कीमत बढ़ जाती है तो आपको मुनाफा भी बेहतर होगा.

डेरिवेटिव ट्रेडिंग: डेरिवेटिव फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट्स होता है. यह एक आधारभूत परिसंपत्ति से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं. ये स्टॉक, कमोडिटीज, करेंसीज आदि हो सकते हैं.


साल 2000 से लेकर अब तक निफ्टी 50 में कितना अंतर आया?

  • साल 2000 में निफ्टी 1313 रुपये पर बना हुआ था.
  • साल 2005 में यह 2,836.55 रुपये पर था.
  • साल 2010 में इसका स्तर बढ़कर 5,948 रुपये पर आ गया.
  • साल 2015 में यह 7,761.95 रुपये पर देखा गया.
  • साल 2020 में यह बढ़कर 13,258.55 रुपये पर आ गया.
  • आज यानी कि हाल के वक्त में यह 16,630.45 रुपये पर ट्रेडिंग कर रहा है.

अब तक के रिकॉर्ड के मुताबिक इसमें 1,766.91 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

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