यातायात दक्षता में सुधार

कॉनकॉर व गेटवे तेजी की राह पर
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के चालू होने से रेल सेगमेंट की बिक्री में सुधार आने की संभावना है जिससे बाजार भागीदारी बढ़ाने और कंटेनर ट्रेन ऑपरेटरों के राजस्व और लाभ में मजबूती आने की उम्मीद है। सूचीबद्घ क्षेत्र में सड़क सेगमेंट से रेल में स्थानांतरित होने से मुख्य लाभार्थियों में कंटेनर कॉरपोरेशन (कॉनकॉर) और गेटवे डिस्ट्रिपाक्र्स (जीडीएल) शामिल हो सकती हैं।
करीब 2,843 किलोमीटर को कवर करने वाली पूरी डीएफसी परियोजना पूर्वी और पश्चिमी कॉरडोरों में विभाजित है और पूर्वी कॉरिडोर लुधियाना से एनसीआर होते हुए कोलकाता से जुड़ेगा और दूसरा जेएनपीटी तथा गुजरात पोट्र्स से तुगलकाबाद और एनसीआर में दादरी से जुड़ेगा। पश्चिमी डीएफसी की देश के पूरे कंटेनर ट्रैफिक में करीब 70 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान है और कुल 1,500 किलोमीटर में से 73 प्रतिशत पहले ही पूरा हो चुका है। इसकी पूरी यातायात दक्षता में सुधार तरह से शुरूआत वित्त वर्ष 2023 में होनी है।
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज इंडिया की लवीना क्वाड्रोस का कहना है, 'हमारा मानना है कि यह डीएफसी के लिए एक यादगार वर्ष है, क्योंकि सड़क के मुकाबले तेज और सस्ती यात्रा की सफलता ट्रैफिक खंड में बड़ा बदलाव ला सकती है। आर्थिक रूप से किफायती 430 किलोमीटर से ज्यादा की कारगो यात्रा पूरी तरह सड़क से रेल से जुड़ जाएगी।' यह सकारात्मक बदलाव बढ़ते एक्सल लोड, लंबी रेलों, और डबल स्टैकिंग पर केंद्रित होगा, जिससे क्षमता बढ़ेगी, वहीं तेज गति से कम पारगमन समय लगेगा।
रेलवे का मौजूदा समय में निर्यात-आयात (एक्जिम) कंटेनर ट्रैफिक में 24 प्रतिशत का योगदान है। जहां बंदरगाहों पर देश का कंटेनर ट्रैफिक (सड़क एवं रेल) वित्त वर्ष 2022-26 के दौरान सालाना आधार पर 7 प्रतिशत की दर से बढऩे की संभावना है, वहीं इक्विरस इंडिया इक्विटी रिसर्च का मानना है कि रेल कंटेनर वृद्घि 12 प्रतिशत पर रहेगी। इस अवधि में उसे रेल बाजार भागीदारी 400 आधार अंक बढ़कर 28 प्रतिशत पर पहुंच जाने की संभावना है। सरकार ने वित्त वर्ष 2026 तक एक्जिम कंटेनर यातायात में रेलवे की भागीदारी बढ़ाकर 32 प्रतिशत किए जाने का लक्ष्य रखा है।
डीएफसी और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के विभिन्न लाभ (जो अगले डेढ़ साल में हासिल होगा) के अलावा सड़क से रेल पर जोर दिए जाने से सड़क-ट्रक खंड में परिचालन लागत को बढ़ावा मिल सकता है। बढ़ती लागत (बीमा, टॉल और ईंधन)- जिनसे ऊंचे सड़क भाड़े को बढ़ावा मिल सकता है, से सड़क सेगमेंट के लिए बाजार भागीदारी नुकसान बढ़ सकता है। पारगमन समय में कमी लागर और लागत दक्षता के जरिये रेल भाड़ा वित्त वर्ष 2022 में 15 प्रतिशत की वृद्घि के साथ 141 करोड़ टन रहा। रेलवे अब इसे बढ़ाकर वित्त वर्ष 2023 में 19.8 प्रतिशत तक की वृद्घि के साथ 170 करोड़ टन करने की संभावना तलाश रहा है।
विभिन्न्न कारकों को देखते हुए, खासकर डीएफसी की वजह से, ब्रोकरों का मानना है कि कॉनकॉर और जीडीएल जैसे कंटेनर टर्मिनल ऑपरेटरों (सीटीओ) को काफी हद तक ऊंची बिक्री और परिसपंत्ति इस्तेमाल की मदद से लाभ मिल सकता है। कॉनकॉर का 67 प्रतिशत बाजार भागीदारी के साथ सीटीओ बाजार यातायात दक्षता में सुधार में दबदबा है। निजी ऑपरेटरों में अदाणी लॉजिस्टिक, गेटवे रेल फ्रेट और हिंद टर्मिनल्स शामिल हें जिनके पास बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है।
डीएफसी को कॉनकॉर की बिक्री वित्त वर्ष 2021-25 की अवधि के दौरान सालाना आधार पर 21 प्रतिशत तक बढऩे की संभावना है। इक्विरस इंडिया इक्विटी रिसर्च के अनुसार, वित्त वर्ष 2012-21 के दौरान टर्मिनलों के विकास एवं विस्तार, रेल डिब्बों के अधिग्रहण, प्रबंधन उपकरणों की खरीद और आईटी ढांचे पर 7,000 करोड़ रुपये के निवेश को देखते हुए कंपनी लॉजिस्टिक स्पेस में उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिहाज से अच्छी स्थिति में है। शुद्घ नकदी बैलेंस शीट और मजबूत नकदी प्रवाह से कंपनी को भविष्य में अपना परिसंपत्ति आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा भूमि लाइसेंस शुल्क नीति के साथ साथ चालू वर्ष में विनिवेश-निजीकरण को लेकर होने वाली प्रगति पर स्थिति स्पष्ट होने से भी राह आसान होगी। अगले दो साल के दौरान कंपनी का राजस्व और शुद्घ लाभ 15 प्रतिशत तथा 21 प्रतिशत बढऩे की संभावना है।
निर्मल बांग के यातायात दक्षता में सुधार विश्लेषकों का मानना है कि वर्ष 2023 के अंत तक डीएफसी की पूरी तरह शुरूआत हो जाने से जीडीएल को अपनी बिक्री बढ़ाने, परिचालन दक्षता में सुधार लाने और लागत घटाने और मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी। जहां उन्हें वित्त वर्ष 2021-24 के दौरान राजस्व सालाना आधार पर 15 प्रतिशत तक बढऩे की संभावना है, वहीं आय वृद्घि समान अवधि में 44 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान है और इसे परिचालन दक्षता, मजबूत परिचालन मुनाफा वृद्घि, सालाना ब्याज बचत से मदद मिल सकती है। 0.3 गुना के शुद्घ कर्ज-पूंजी अनुपात के साथ कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत बनी हुई है और वित्त वर्ष 2022 में इसके मुक्त नकदी प्रवाह की स्थिति में आ जाने की संभावना है।
मार्च के अपने निचले स्तरों से ये दोनों शेयर 15-17 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज कर चुके हैं।
भारतमाला परियोजना के तहत हरियाणा में फोरलेन को मंजूरी, तेलंगाना में यह प्रोजेक्ट भी मंजूर
ऑटो न्यूज डेस्क - हरियाणा के भिवानी और हिसार जिलों में भारतमाला परियोजना के तहत यातायात दक्षता में सुधार एनएच-148बी के भिवानी-हांसी सड़क खंड को 1322.13 करोड़ रुपये के बजट के साथ हरियाणा राज्य में एचएएम पर मंजूरी दे दी गई है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद हरियाणा में ट्रैफिक की आवाजाही तेज होगी और इंटर डिस्ट्रिक्ट कनेक्टिविटी यातायात दक्षता में सुधार भी बेहतर होगी। इस खंड के विकास से लंबे मार्ग यातायात और माल ढुलाई की समग्र दक्षता में भी सुधार होगा जिससे सुगम और सुरक्षित यातायात प्रवाह के साथ-साथ यात्रा के समय में काफी कमी आएगी और वाहन परिचालन लागत (वीओसी) में कमी आएगी। यह परियोजना हरियाणा में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देगी जिससे क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास में तेजी आएगी।
सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया ट्विटर पर ट्वीट कर जानकारी दी, "हरियाणा भिवानी और हिसार जिलों में यातायात दक्षता में सुधार भारतमाला परियोजना के तहत एनएच-148बी के भिवानी-हांसी सड़क खंड को 4 लेन करने के लिए 1322.13 करोड़ रुपये के बजट के साथ।" राज्य में एचएएम को मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा, नितिन गडकरी ने बताया कि तेलंगाना के मुलुगु जिले में NH-163 के हैदराबाद-भूपालपट्टनम खंड से पेव्ड शोल्डर से 2 लेन की मौजूदा 2-लेन सड़क को चौड़ा करने के लिए कुल 136.22 करोड़ रुपये की लागत को मंजूरी दी गई है।
148बी नेशनल हाईवे बनने से कई राज्यों के लोगों को फायदा होगा। इस मार्ग से जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब से राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के साथ-साथ दक्षिण भारत आने वाले मालवाहक वाहनों के चालकों को हरियाणा से गुजरने के लिए नया और छोटा रास्ता मिल जाएगा। अभी तक जींद से रोहतक-झज्जर-रेवाड़ी होते हुए मालवाहक वाहन राजस्थान में प्रवेश करते हैं। इस रास्ते से उन्हें 50-60 किमी अतिरिक्त पैदल चलना पड़ता है।
इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने डासना, गाजियाबाद में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (Eastern Peripheral Expressway) पर भारत का पहला “इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम” (Intelligent Transport System) लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रणाली को ट्रैफिक को कम करने और यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए विकसित किया गया था।
- इस अवसर पर, मंत्री ने कहा कि, भारत को अपनी सड़क इंजीनियरिंग में सुधार करने की आवश्यकता है, क्योंकि हर साल भारत में 5 लाख दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं।
एक्सप्रेसवे पर इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम के बारे में :-
- ITS एक क्रांतिकारी अत्याधुनिक तकनीक है। यह कुशल बुनियादी ढांचे के उपयोग को बढ़ावा देकर, ट्रैफिक की समस्याओं को कम करके, ट्रैफिक के बारे में पूर्व सूचना प्रदान क करके, यात्रा के समय को कम करके और यात्रियों की सुरक्षा और आराम को बढ़ाकर यातायात दक्षता हासिल करेगा।
- यह प्रणाली किसी भी दुर्घटना का पता लगा सकती है और यह सुनिश्चित करने के लिए अलर्ट प्राप्त कर सकती है कि एम्बुलेंस 10-15 मिनट के भीतर दुर्घटना स्थल पर पहुंच जाए।
मेरठ और मुज़फ्फरनगर में हाईवे प्रोजेक्ट
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर में 240 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। इस परियोजना की यातायात दक्षता में सुधार कुल अनुमानित लागत 9,119 करोड़ रुपये है। मंत्री के अनुसार, इन परियोजनाओं से किसानों के लिए अपनी फसल को बाजार तक ले जाना आसान हो जाएगा, और इस तरह उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
“भारतीय नागर विमानन क्षेत्र में अगले 7 से 10 वर्षों में लगभग 400 मिलियन यात्रियों के आने की संभावना है” – ज्योतिरादित्य सिंधिया
केंद्रीय नागर विमानन और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) ने गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के साथ आज गोवा में सिविल नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन (सीएएनएसओ) एशिया प्रशांत सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस वर्ष के सम्मेलन का विषय “थिंक ग्लोबल, कोलैबोरेट रीजनल, एक्म्प्लीश लोकल” है। इस अवसर पर केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय के सचिव राजीव बंसल, सीएएनएसओ के महानिदेशक साइमन होक्वार्ड, सीएएनएसओ के एशिया प्रशांत मामलों के निदेशक पोह थीन सोह उपस्थित थे। केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सम्मेलन को वर्चुअल तौर पर संबोधित किया।
अपने वर्चुअल संबोधन में, केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सम्मेलन ने पूरे एशिया प्रशांत के विशेषज्ञों को एक साथ लाया है, जिसका रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक हवाई यातायात में 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत का योगदान है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है और नागरिक यातायात दक्षता में सुधार विमानन क्षेत्र में अगले 7 से 10 वर्षों में लगभग 400 मिलियन यात्रियों के आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का विषय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तहत भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केन्द्रीय नागर विमानन राज्यमंत्री जनरल (डॉ.) विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि विमानन उद्योग लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर सृजित करता है, जोकि विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.4 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान इस उद्योग को भारी नुकसान हुआ, लेकिन दुनिया भर में घरेलू स्तर पर स्थितियों में अब सुधार हो रहा है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में विमानन उद्योग कोविड से पहले के यात्री यातायात के स्तर के लगभग 95 प्रतिशत हिस्से तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि एयर नेविगेशन सर्विस प्रोवाइडर (एएनएसपी) सेवाएं विमानन उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यातायात दक्षता में सुधार हैं। जनरल (डॉ.) विजय कुमार सिंह ने विमानन उद्योग से प्रौद्योगिकी के स्तर पर सहयोग करने का आग्रह किया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “आने वाले समय में हवाई क्षेत्र का और आगे विस्तार होने वाला है। हमारे पास सिर्फ विमान ही नहीं, बल्कि कई हवाई उपकरण हैं। इसलिए, हमें नवीनतम तकनीकों को अपनाने की जरूरत है।”
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने बताया कि गोवा के नव-विकसित मोपा हवाई अड्डे को हाल ही में डीजीसीए से लाइसेंस मिला है। उन्होंने कहा कि नया ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा जल्द ही परिचालन शुरू करेगा, जिससे गोवा में पर्यटन के और अधिक अवसर खुलेंगे।
नागर विमानन सचिव राजीव बंसल ने भारत के लिए इस सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा की जा रही है, वे सभी भारत में नागरिक विमानन के विकास की दृष्टि से बेहद प्रासंगिक हैं।
सिविल एयर नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (सीएएनएसओ) के महानिदेशक साइमन होक्वार्ड ने दक्षता में सुधार पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि विमानन उद्योग के लिए दक्षता में सुधार और अधिक स्केलेबल, टिकाऊ और लचीली प्रणाली का निर्माण करना कभी भी बहुत अधिक आवश्यक नहीं रहा है।
सीएएनएसओ के बारे में जानकारी
सिविल एयर नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (सीएएनएसओ) – हवाई यातायात प्रबंधन (एटीएम) उद्योग की वैश्विक यातायात दक्षता में सुधार आवाज है और हमारे भविष्य के आसमान को आकार प्रदान कर रही है। इसके सदस्य दुनिया के 90 प्रतिशत से अधिक हवाई यातायात को सहायता प्रदान करते हैं। इनमें हवाई नेविगेशन सेवा प्रदाता, हवाई क्षेत्र के उपयोगकर्ता और ऑपरेटर, विनिर्माता और विमानन उद्योग आपूर्तिकर्ता शामिल हैं। यह संगठन ज्ञान, विशेषज्ञता और नवाचार को साझा करने के लिए उद्योग को आपस में जोड़कर वैश्विक वायु यातायात प्रबंधन प्रदर्शन की देखरेख करता है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बारे में जानकारी
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) भारतीय महाद्वीपीय हवाई क्षेत्र और इसके आसपास के समुद्री हवाई क्षेत्र के ऊपर एयर नेविगेशन सेवाओं के प्रावधान के लिए जिम्मेदार है, जिसे आईसीएओ द्वारा भारत को सौंपा गया है। एएआई भारत में प्रमुख हवाईअड्डा संचालक के रूप में भी कार्य करता है, जो 133 हवाई अड्डों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है, जिसमें 24 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, 78 घरेलू हवाई अड्डे, 10 कस्टम हवाई अड्डे और 21 सिविल एन्क्लेव शामिल हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का विजन दुनिया का अग्रणी एयरपोर्ट डेवलपर, ऑपरेटर और एयर यातायात दक्षता में सुधार नेविगेशन सेवा प्रदाता बनना है। इसका मिशन पूरे देश में एयर कनेक्टिविटी को बढ़ाना है और लागत प्रभावी, आधुनिक, सुरक्षित हवाईअड्डा परिचालन और हवाई नेविगेशन सेवाओं के लिए अत्याधुनिक और स्वदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पर्यावरण के प्रति जागरूक स्थायी संगठन बनना है।