स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है?

Swing trading क्या है? स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक सिलेक्शन कैसे करें?
आप चाहें तो mutual funds मे भी निवेश कर सकते हैं परंतु यह सिर्फ एक पुराना तरीका है जिसमें सिर्फ लॉन्ग टर्म में ही लाभ प्राप्त किया स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? जा सकता है। परंतु स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसा कारगर विकल्प है जिससे मदद से आप अपने पैसे पर कम समय में अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं ।
स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग तथा scalping समान ही है परंतु जो इसे अन्य प्रकारों से भिन्न बनाती है वह यह है कि इसमें आपके पास अपने निवेश संबंधी निर्णय को लेने के लिए पर्याप्त समय होता है जिसमें आप अपने तार्किक विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेते हैं
आज के इस आर्टिकल में हम स्विंग ट्रेडिंग क्या है तथा उससे संबंधित विषयों के बारे में अध्ययन करेंगे ।
Table of Contents
Swing trading क्या है?
Swing trading, trading एक ऐसा प्रकार है जिसमें किसी कंपनी के शेयर को 1 दिन से अधिक समय के लिए खरीदा जाता है शेयर को खरीदने से लेकर बेचने की अवधि 1 दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक के लिए हो सकती है।
यह ट्रेडिंग मार्केट में short term gain तथा medium term gains के लिए की जाती है यह ट्रेडिंग का एक ऐसा रूप होता है जिसमें ट्रेडिंग एक तय समय के लिए की जाती है स्विंग ट्रेडिंग मे इस तय समय में हुए मार्केट में शेयर के प्राइस मूवमेंट से लाभ प्राप्त किया जाता है।
स्विंग ट्रेडिंग कम समय में ज्यादा प्रभावी होती है क्योंकि जहां एक तरफ निवेशकों को अपने निवेश पर 15 से 20 प्रतिशत रिटर्न अर्जित करने के लिए 1 साल या उससे अधिक का समय देना होता है वही एक स्विंग ट्रेडर का उद्देश्य कम समय में अच्छे लाभ कमा कर अपने लक्ष्यों की पूर्ति करना होता है क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग की मदद से आप हफ्ते मैं अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
इस ट्रेडिंग का उपयोग कोई भी आम व्यक्ति लॉयर डॉक्टर, बिजनेसमैन ,आर्किटेक्ट या कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की जॉब करता है वह कर सकता है।
इस ट्रेडिंग की मदद से आप शॉर्ट टर्म में शेयर के प्राइस मूवमेंट से पैसे कमा सकते हैं जिसमें टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करके आप शेयर के प्राइस मूवमेंट का पता लगाकर यह अनुमान लगा सकते हैं कि आने वाले समय में किसी शेयर में कितनी वृद्धि हो सकती है।
Swing trading में stock selection कैसे करें?
स्विंग ट्रेडिंग अन्य ट्रेडिंग के सिद्धांतों पर ही कार्य करती है ।परंतु इसमें व्यक्ति के पास अपने निर्णय लेने हेतु समय होता है। जिससे वह अपने नुकसान को सीमित कर सकता है। जिस प्रकार अन्य ट्रेडिंग प्रकारों में लाभ तथा हानि दोनों हो सकती हैं उसी प्रकार इसमें भी जोखिम रहता है। इसलिए यदि आप अच्छी स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? तरह से स्टॉक का चयन करें तो आप अपने नुकसान को कम तो कर ही सकते हैं ।साथ ही साथ अपने लाभ की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
स्टॉक चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
मौलिक विश्लेषण
सर्वप्रथम किसी कंपनी के स्टॉक के चयन हेतु आपके पास उस कंपनी के विषय में कुछ मौलिक विश्लेषण होने चाहिए जैसे कि उस कंपनी का वैल्यूएशन कितना है वह कंपनी किस क्षेत्र में कार्यरत है तथा इससे पहले उसने कैसा कार्य किया है।
लिक्विडिटी
स्विंगट्रेडिंग करने से पहले आपको उसकी तरलता यह लिक्विडिटी के बारे में जान लेना चाहिए यदि उस शेयर की लिक्विडिटी अच्छी है तो आप कम समय में उससे अच्छा रिटर्न कमा पाएंगे।
ट्रेंड व मार्केट चाल
स्विंग ट्रेड करते समय आपको टेक्निकल एनालिसिस की आवश्यकता होती है जिसकी मदद से आप उस कंपनी के पुराने डाटा के आधार पर आने वाले समय में उस शेयर में होने वाले बदलाव का अनुमान लगा सकते हैं इसके आधार पर आपको उसके ट्रेंड शेयर की औसत चाल तथा उसके प्राइस मूवमेंट की जानकारी मिल जाएगी।
अन्य स्टॉक के साथ तुलना
किसी कंपनी को चयन करने से पहले आपको उस कंपनी के सेक्टर की अन्य कंपनियों के साथ उसकी तुलना करनी चाहिए जिससे आपको शेयर की जानकारी अच्छी तरीके से हो सके।
स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें?
मार्केट में स्विंग ट्रेडिंग करने से पहले आपको यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि इसका समय काल 1 दिन से कुछ हफ्ते तक का होता है अतः आपको इसके विश्लेषण हेतु टाइम फ्रेम की आवश्यकता होती है। जिससे आप उसका सटीक आंकलन करके लाभ प्राप्त कर सकें।
चार्ट का अध्य्यन मे आपको मार्केट का विस्तृत आंकलन करने की आवश्यकता होती है इसके लिए आप चार्ट के weekly टाइम फ्रेम या day time frame का उपयोग कर सकते हैं साथ ही ट्रेडिंग की प्लानिंग हेतु 1घंटे या 4घंटे के टाइम फ्रेम का उपयोग कर सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें?
यदि आपको स्विंग ट्रेडिंग से लाभ प्राप्त करना है तो आपको सही समय पर शेयर में एंट्री करने की आवश्यकता होती है।यह तय करने हेतु आपको मार्केट में विभिन्न रणनीतियां का उपयोग करना है। तथा किसी की सहायता से आप अपना लाभ भी तय कर सकते हैं।
Support and resistance
शेयर बाजार में सपोर्ट और रेजिस्टेंस बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि सपोर्ट मार्केट में खरीदारी को प्रदर्शित करता है ।अर्थात यहां खरीदारी का ज्यादा दबाव होता है ।तथा रेजिस्टेंस सप्लाई को अर्थात् बिकवाली को प्रदर्शित करता है तो यदि आप किसी शेयर मे एंट्री लेते हैं तो आप यह सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस की सहायता से कर सकते हैं।यदि मार्केट कहीं स्ट्रांग सपोर्ट बना रहा है तो आप वहां छोटे स्टॉपलॉस के साथ एंट्री लेने की योजना बना सकते हैं तथा रेजिस्टेंस पर उसको बेच सकते हैं।
मूविंग एवरेज
मूविंग एवरेज मार्केट की औसत चाल को बताने का कार्य करता है चार्ट के तकनीकी विश्लेषण में 21,33,50 ,100,एवं 200 मूविंग एवरेज का उपयोग किया जाता है। यह मार्केट के पिछले कुछ दिनों की औसत चाल के अनुसार आपको भविष्य में आने वाले उतार चढ़ाव का डाटा बताता है।इसकी सहायता से आप अपनी एंट्री की योजना बना सकते हैं।
इंडिकेटर का उपयोग
मार्केट में कई तरह के इंडिकेटर उपलब्ध हैं जो आपको मार्केट की भिन्न-भिन्न दशाओं से अवगत कराते हैं आप इन इंडिकेटर्स का उपयोग करके प्रवेश करने तथा बाहर निकलने की रणनीति को बना सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग मार्केट में कम समय में निवेश करके मुनाफा कमाने हेतु कारगर है। परंतु यदि आपस में सफल होना चाहते हैं तो आपको इसे सावधानी के साथ रिस्क मैनेजमेंट की सहायता से करना चाहिए। क्योंकि यदि आपको अपने लाभ के साथ-साथ अपने नुकसान के बारे में भी पता रहेगा तो आप मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव से अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकेंगे।
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
Trading क्या है – Trading कितने प्रकार की होती है, ट्रेडिंग किसे कहते है
बाज़ार में कम स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? समय के अन्दर मुनाफा कमाने के लिए लोग ट्रेडिंग करते है और यह Trading कई प्रकार कि चीजों पर कि जाती है. मुख्य रूप से ट्रेडिंग में लोग सबसे ज्यादा शेयर पर ट्रेडिंग करते है और स्टॉक पर ट्रेडिंग करके एक ही दिन में लाखों स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? और हजारों रूपये कमा लेते है.
अगर आप भी ट्रेडिंग कि मदद से हजारों और लाखों रूपये कमाना चाहते है तो उसके लिए आपको ट्रेडिंग को समझना होगा तो चलिए जानते है Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai है.
Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai
प्रिश्न पर पर क्लिक करे और उत्तर पर जाए !
Trading Kya Hai
ट्रेडिंग क्या है: Trading में हम शेयर मार्केट से शेयर को खरीदने और बेचने का काम करते है. जहाँ हम शेयर को stock exchange से कम price स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? पर buy कर लेते है और उस शेयर की price high होने पर उसे sell कर देते है. इस प्रक्रिया को हम ट्रेडिंग कहते है.
ट्रेडिंग का मुख्य मकसद किसी भी वास्तु या सेवा को खरीद व बैच कर कम समय में लाभ कमाना होता है. यही कारण है कि Trading Share Market में सबसे ज्यादा कि जाती है और लोग हर रोज शेयर पर ट्रेडिंग करके हजारों और लाखों रूपये कमा लेते है.
Trading Kya Hoti Hai
What Is Trading in Hindi: Trading का मतलब Buy और Sell करना होता है जहाँ हम किसी भी चीज को कम भाव में खरीद लेते है और उसके बाद जब उसका भाव बढ़ जाता है तो उसे बैच देते है.
इस प्रकार कम पैसे में खरीदी गई चीज़ को जब ज्यादा दम में बेचा जाता है स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? तो हमे उस पर कुछ पैसों का मुनाफा होता है जिसे हम ट्रेडिंग कहते है.
तो अगर आप Share पर ट्रेडिंग करके पैसे कमाना चाहते है तो सबसे पहले आपको शेयर मार्केट ट्रेडिंग को समझना होगा चलिए जानते है शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है ?.
Share Market Trading Kya Hai
शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है: शेयर मार्केट ट्रेडिंग, शेयर पर होने वाली ट्रेडिंग को कहते है. जब सुबह 9:15 AM पर शेयर मार्केट खुलती है तब ट्रेडर कम दाम में शेयर को खरीद लेते है.
और दोपहर के 3:30 PM के पहले शेयर को बेच देते है . क्योंकि शेयर मार्केट सुबह 9:15 AM पर खुलती है और 3:30 PM पर बंद हो जाती है. इस बीच ट्रेडर अपने ख़रीदे हुए शेयर पर अनुमानित मुनाफे को देख कर शेयर को बेच के मुनाफा कमा लेते है.
लेकिन शेयर मार्केट में ट्रेडिंग अलग-अलग प्रकार कि होती है और ट्रेडर अपनी सुविधा और जोखिम के अनुसार ट्रेडिंग करते है.
Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai
ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं: Trading तीन प्रकार की होती है जिसे हम Intraday Trading, Scalping Trading, Swing Trading कहते है. शेयर मार्केट में लोग इन्ही तीनो ट्रेडिंग की मदद से शेयर बाज़ार में पैसा लगाते है और रोज हजारों रूपए कमाते है.
Types of Trading
- Intraday Trading
- Scalping Trading
- Swing Trading
Intraday Trading Kya Hai
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है: शेयर मार्केट के खुलने से लेकर उसके बंद होने के पहले शेयर को खरीद कर बेचने को Intraday Trading कहते है.
इसमें ट्रेडर 9:15 AM से 3:30 PM के बीच शेयर को खरीदता और बेचता है. जिससे उसे एक ही दिन में शेयर पर ट्रेडिंग करने पर मुनाफा मिलता है और इसी तरह इंट्राडे ट्रेडिंग की जाती है.
Intraday Trading के बारे में और भी अधिक जानने के लिए आप हमारी पोस्ट पड़ सकते है जिसमे इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है.
Scalping Trading Kya Hai
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है: सकैलपिंग ट्रेडिंग भी शेयर मार्केट के खुलने से उसके बंद होने के बीच में कि जाती है. लेकिन Scalping Trading में पुरे दिन ट्रेडिंग नहीं कि जाती.
यह ट्रेडिंग ज्यादा से ज्यादा पैसों के साथ कुछ ही मिनट या घंटे के लिए कि जाती है. जैसे 9:15 AM पर शेयर को खरीद कर 10:05 AM पर ही शेयर बेच कर मुनाफा कमा लेना.
Scalping Trading के बारे में और भी अच्छे से जानने के लिए आप हमारी टॉप क्लास स्काल्पिंग ट्रेडिंग की पोस्ट पढ़े उसमे स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? आपको विस्तार से जानकरी मिलेगी.
Swing Trading Kya Hai
स्विंग ट्रेडिंग क्या है: Swing Trading बाकि दोनों सकैलपिंग, ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग से अलग है यह कुछ दिन और हफ़्तों के लिए की जाती है. लेकिन इसमें भी शेयर को खरीदना और बेचना का काम शेयर मार्केट के खुलने और बंद होने के बीच ही किया जाता है .
स्विंग ट्रेडर पहले शेयर मार्केट में कम दाम पर शेयर खरीद लेते है और फिर उन्हें hold करके रख लेते है. उसके बाद जब कुछ दिन या हफ्ते में उनके शेयर कि price ज्यादा हो जाती है. तो उन्हें बेच कर मुनाफा कमा लेते है.
Swing Trading के बारे में और भी विस्तार से जानने के लिए आप हमारी स्विंग ट्रेडिंग पर लिखी पोस्ट को पड़े इसमें आपको विस्तार से जानकारी मिलेगी स्विंग ट्रेडिंग के बारे में.
Trading Kise Kahate Hain
Trading को समझना बहुत ही आसान है हम नीचे एक उदहारण की मदद से ट्रेडिंग को समझेंगे.
उदहारण: मान लेते है आप शेयर बाज़ार में शेयर मार्केट में से SBI का 1 share खरीदना चाहते है. मार्केट के 9:15 AM पर खुलते ही शेयर की कीमत 99 रूपए रहती है और दिन में 1 PM तक शेयर की price 100 रूपए हो जाती है.
अब ऐसे में अगर आप शेयर को सुबह खरीद लेते तो 99 रूपए का आपको 1 शेयर मिलता जिसे आप 100 रूपए में बैच सकते थे. अगर आप ऐसा करते तो आपको 1 रूपए का मुनाफा होता जिसे हम profit कहते है और इस पूरी प्रोसेस को हम ट्रेडिंग कहते है.
Trading Account Kya Hai
Trading account वह account होता है जिसकी मदद से आप शेयर मार्केट में शेयर की ट्रेडिंग करते है और शेयर को ख़रीदे और बेचने का काम करते है.
बिना ट्रेडिंग account के आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नहीं कर सकते न ही आप किसी शेयर पर buy का order लगा सकते और न ही sell का.
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए सबको अपना एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ता है जो की वह अपने demat account broker से भी खुलवा सकते है.
ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में और आधिक जानने के लिए आप हमारी ट्रेडिंग अकाउंट की पोस्ट पढ़े जिसमे हम ने ट्रेडिंग अकाउंट क्या है और ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोले इसके बारे में पूरी जानकारी दी है.
Trading Ke – FAQs
Trading का मतलब हिंदी में “व्यापार” होता है. आसान भाषा में कहे तो Trading Meaning in Hindi = खरीदने और बेचने का व्यापार .
Trading का मतलब (Buy & Sell) होता है जिसे हम खरीदना और बेचना भी कहते है.
अब आप जान गए है Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai . इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ शेयर करे.
अगर आपके मन में कोई सवाल है ट्रेडिंग क्या होती है से लेकर तो आप नीचे अपना सवाल पोस्ट करे हम आपके सभी सवालों के जबाब देंगे.
Swing Trading Kya Hai? Swing trading से पैसे कमाने की आसान स्ट्रैटेजी।
स्विंग ट्रेडिंग क्या है इस post कि सहायता से हम ऐसी स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? Trading Strategy (Swing Trading Kya Hai) को जानने वाले हैं, जिससे एक आम आदमी ,एक Common man दिन के 15 से 20 मिनट काम करके स्टॉक मार्केट से 5 से 10 दिनों में एक अच्छा खासा इनकम प्राप्त कर सकता है।
तो चलिए जानते हैं कि Swing Trading Kya Hai?
Table of Contents
स्विंग ट्रेडिंग क्या है? Swing Trading Kya Hai? What Is Swing Trading?
स्टॉक मार्केट के खुलते ही जब किसी कंपनी के शेयर को खरीद कर कुछ हफ्तों या कुछ दिनों के लिए अपने डिमैट या ट्रेडिंग अकाउंट पर रखते हैं तथा प्रॉफिट प्राप्त होने पर उसे बेच देते हैं स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है।
स्टॉक मार्केट में 5 से 10 दिन की ट्रेडिंग को स्विंग ट्रेडिंग कहते है।
SWING TRADING KYA HAI
स्विंग ट्रेडिंग कैसे करें ?
स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए आपको ट्रेडिंग स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है? अकाउंट खोलने की आवश्यकता होती है।
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के बाद आपको मार्केट को एनालाइज करना होगा तथा अच्छा स्टॉक चुनना होगा।
बाजार को अच्छी तरह समझने के बाद अपने कैपेसिटी के हिसाब से जोखिम लेना होता है क्योंकि कई बार स्टॉक मार्केट में सही रणनीति(Swing Trading Kya Hai) और सही स्ट्रैटेजी के बाद भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
ट्रेडिंग करने के लिए आपका रिस्क मैनेजमेंट होना बहुत ही जरूरी है।
स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने?
बाजार की दिशा,
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading Kya Hai) करने के लिए कुछ ट्रेलर मार्केट के Trend को फॉलो करते हैं ।
जो कि एक अच्छी बात है तथा ट्रेंड को फॉलो करने के साथ-साथ हमें कंपनी के परफॉर्मेंस उनकी खबरों को भी अपने नजर में रखना चाहिए ताकि कुछ गलत न्यूज़ आने से अपना प्रॉफिट बुक कर सकें और अपना पोजीशन काट सकें।
तरलता या Liquidity
liquidity एक ट्रेडर के लिए एक अच्छा पैमाना हो सकता है क्योंकि जिस शेयर में अधिक खरीदी बिक्री होती है वहां positions के फसने या नुकसान का chance बहुत ही कम होता है तथा हम अपने Share को आसानी से खरीद व बेच कर मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं ।
अन्य स्टॉक के साथ तुलना,
स्टॉक की तुलना हम जिस शेयर को खरीद रहे हैं उसके सेक्टर के अन्य स्टाक के साथ शेयर की तुलना करते हैं जिससे हमें सेक्टर के बेस्ट स्टॉक प्रात हो जाता है।
स्टॉक का ट्रेडिंग पैटर्न
कोई भी ट्रेडर किसी कंपनी के शेयर को चुनने से पहले उसके प्रीवियस ट्रेडिंग पैटर्न को देखता है
वह उसके उतार चढ़ाव को देखता है कि वह भविष्य में यह stock कैसा position बना सकता है ताकि वह एक अच्छा स्टॉक का सिलेक्शन कर सके है।और अच्छा मुनाफा बना सके।
कम बदलाव वाले स्टॉक
, ज्यादातर ट्रेडर अधिक उतार-चढ़ाव वाले या जंपी स्टाक को पसंद नहीं करते है।
क्योंकि उसमें पोजीशन बनाना थोड़ा रिस्की हो जाता है इसीलिए हमें अपने स्विंग ट्रेडिंग के लिए कम जंपी स्टॉक का सलेक्सन करना चाहिए
ताकि हम उसके चार्ट पेटर्न को समझ सके और अच्छा प्रॉफिट बना सकें।
स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी
अगर आप एक अच्छा ट्रेडर (Swing trading kya hai)बनना चाहते हैं तो आप अपनी ट्रेडिंग जर्नी में एक स्ट्रैटेजी को अच्छी तरह से फॉलो करें ।
ताकि आप अपने निवेशित राशि पर अच्छा अच्छा खासा रिटर्न प्राप्त कर सकें ।
एक सही स्विंग ट्रेडिंग रणनीति से एक ट्रेडर 5 से 10 परसेंट रिटर्न एक स्टॉक से कुछ ही दिनों में प्राप्त कर सकता है।
देखने में यह बहुत छोटा मुनाफा हो सकता है लेकिन कुछ दिनों कुछ हफ्तों में इतना मुनाफा सही है।
इसी तरह बढ़ता हुआ लाभ लेने के लिये ट्रेडिंग के अन्य रूपों में 7-8 % की तुलना में स्टॉपलॉस 2-3% होना चाहिए इसका मतलब यह है कि risk riward resio 1:2 या 1:3 होना चाहिए।
स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी निम्नलिखित है:-
चार्ट पेटर्न स्ट्रैटेजी
सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस
हेड एंड सोल्डर पैटर्न
डबल टॉप व ट्रिपल टॉप पैटर्न
डबल बॉटम व ट्रिपल बॉटम पैटर्न
इनवर्टेड हेड एंड सोल्डर
कप एंड हैंडल
असेंडिंग ट्रेंगल व डिसेंडिंग ट्रेंगल
स्विंग ट्रेडिंग इंडिकेटर
RSI
MACD
MOVING AVERAGE
BOLINGER BAND
SUPER TRED
स्विंग ट्रेडिंग के फायदे व नुकसान
Swing Trading के फायदे
कम समय में प्रॉफिट मिल जाता है।
कम प्रॉफिट का टारगेट होने के कारण टारगेट हिट होने की संभावना बढ़ जाती है।
स्टॉक में एंट्री करने के लिए स्टॉक के गिरने का इंतजार करना नहीं पड़ता।
स्टॉक के फंडामेंटल स्ट्रांग होने के कारण नुकसान होने की संभावना कम रहती है
यह एक कम तनाव वाली strategy है।
अगर आप शेयर बाजार में नए हैं तो इसको आप ट्राई कर सकते हैं।
Swing Trading के नुकसान
छोटे अवधि में ही स्टॉक से प्रॉफिट प्राप्त कर बाहर निकल जाने के कारण बड़ा प्रॉफिट नहीं मिल पाता है।
स्टॉक से जुड़ी रोजाना अच्छी व पूरी खबर आने के कारण स्टॉक में उतार-चढ़ाव व, गैप अप और गेप डाउन का खतरा रहता है।
ट्रेडिंग करने वालों को धैर्य के साथ स्टॉक को पकड़ कर रखे रहने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
आज हमने क्या सीखा ?
आज हमने सीखा कि Swing Trading Kya Hota Hai. और हम इसे कहां से और कैसे कर सकते हैं। स्विंग ट्रेडिंग करने के क्या फायदे और क्या नुकसान होते हैं।
मैं आशा करता हूं की आपको यह पोस्ट Swing Trading Kya Hota Hai पढ़कर Swing Trading से जुड़े सारे सवालों के जवाब मिल गए होंगे और मैंने पूरी कोशिश की है कि आपके मन में Swing trading से लेकर जो सवाल है वो सब इस पोस्ट के माध्यम से आप तक पहुँचा सकूँ।
यदि आपके मन में कुछ सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में अपने सवाल पूछ सकते है मैं आपके सवालों के जवाब देने की पूरी कोशिश करूंगा और इस पोस्ट को जितना हो सके उतना शेयर करें ताकि सभी लोगों को स्टॉक मार्केट,व ट्रेडिंग और उससे जुड़ी सभी जानकारियां सभी तक पहुंचते रहें और सभी आप अपना प्यार ऐसे ही बनाए रखें।
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.