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IPO क्या होता है?

IPO क्या होता है?
IPO क्या है

IPO क्या होता है? IPO का फुल फॉर्म क्या होता है? IPO Full Form In Hindi

आज हम जानेंगे IPO का फुल फॉर्म क्या होता है? (IPO Full Form In Hindi ) के बारे में क्योंकि हर व्यक्ति अपने पैसे को बचाने के साथ-साथ उसे ऐसी जगह इन्वेस्टमेंट करने के बारे में सोचता है, जहां पर उसके पैसे सुरक्षित रहें और उसे ब्याज भी मिलता रहे। ऐसे में कई लोग अपने पैसों को बैंक में फिक्स डिपॉजिट में डाल देते हैं, वहीं कई लोग ऐसे होते हैं जो अपने पैसे को शेयर बाजार में इन्वेस्ट करते हैं। वैसे तो शेयर बाजार को रिस्क का बाजार कहा जाता है, क्योंकि यहां पर यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि जिसमें व्यक्ति अपने पैसे इन्वेस्ट कर रहा है, उसमें उसे फायदा ही होगा या फिर नुकसान ही होगा।

शेयर IPO क्या होता है? बाजार में इन्वेस्टमेंट दो प्रकार से किया जाता है जिसमें पहला प्रकार है प्राइमरी मार्केट में और दूसरा प्रकार है सेकेंडरी मार्केट में। प्राइमरी मार्केट में व्यक्ति आईपीओ में इन्वेस्ट करता है, जबकि सेकेंडरी मार्केट में व्यक्ति स्टॉक मार्केट में जितने भी शेयर लिस्टेड होते हैं,उसमें अपने पैसे डालता है। शेयर मार्केट से संबंध रखने वाले अधिकतर लोगों को आईपीओ के बारे में जानकारी नहीं होती है। आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि IPO का मतलब क्या होता है, IPO Ka Full Form Kya Hota Hai, IPO Meaning In Hindi, What Is IPO Full Form In Hindi की जानकारियां तो, आइए जानते है।

IPO का फुल फॉर्म क्या होता है? – What Is IPO Full Form In Hindi?

Ipo Full Form

Ipo Full Form

IPO : Initial Public Offering

IPO का Full Form “ Initial Public Offering ” होता है । हिंदी में IPO का फुल फॉर्म “ प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव ” होता है। शेयर मार्केट में सभी कंपनियां खुद को लिस्टेड करा कर अपनी कंपनी के शेयर को निवेशकों को सेल करती है। यह अपने बिजनेस को Grow करने के लिए, अपने दूसरे खर्चों को पूरा करने के लिए अन्य उपायों का इस्तेमाल करती है। यह फंड इकट्ठा करती है। लोगों के बीच पहली बार Share बेचने की जो प्रक्रिया होती है,उसे ही आईपीओ IPO क्या होता है? के नाम से जाना जाता है।गवर्नमेंट कई बार विनिवेश की नीति के अंतर्गत आईपीओ लाती है।

आईपीओ में कीमत कैसे तय होती है?

आईपीओ में कीमत दो प्रकार से तय होती है जिसमें पहले प्रकार में आईपीओ में कीमत प्राइस बैंड के आधार पर तय होती है और दूसरे प्रकार में आईपीओ की कीमत फिक्स प्राइस ईशु के आधार पर तय होती है।

प्राइस बैंड क्या है?

ऐसी सभी कंपनियां अपने शेयरों IPO क्या होता है? की क़ीमत तय कर सकती हैं,जिन्हें आईपीओ को लाने की परमिशन प्राप्त है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर और कुछ दूसरी फील्ड की कंपनियों को सेबी और अन्य बैंकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से परमिशन लेनी जरूरी है। हमारे देश में 20% प्राइस बैंड की परमिशन है।

लास्ट प्राइस क्या है?

जब लास्ट प्राइस तय हो जाती है, तब किसी भी प्राइस के लिए बोली लगाई जा सकती है। व्यक्ति चाहे तो कटऑफ पर भी अपनी बोली लगा सकता है। कंपनियां ऐसे कीमत तय करती हैं,जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर सेल हो जाएंगे।

आईपीओ की प्रक्रिया क्या है?

इनिशियल पब्लिक आफरिंग बुक बिल्डिंग और फिक्स प्राइस के द्वारा पूरा होता है। फिक्स प्राइस विधि में जिस कीमत पर शेयर प्रेजेंट किए जाते हैं, उसकी कीमत पहले से ही तय कर दी जाती है। बुक बिल्डिंग में शेयरों की IPO क्या होता है? कीमत का दायरा तय होता है। इसके अंदर इन्वेस्टर द्वारा बोली लगाई जाती है। बुकरनर की सहायता के द्वारा प्राइस बैंड का निर्धारण होता है।

आईपीओ मनी क्या है?

जो भी इन्वेस्टर आईपीओ में पैसा IPO क्या होता है? लगाता IPO क्या होता है? है, वह पैसे सीधा कंपनी के पास चले जाते हैं। विनिवेश के मैटर में आईपीओ से मिलने वाले पैसे गवर्नमेंट के पास जाते हैं। शेयरों की ट्रेडिंग की परमिशन मिलने के बाद शेयर रखने वाले अपने शेयर को बेच सकते हैं या फिर नए शेयर खरीद सकते हैं। इसमें मिलने वाला फायदे तथा नुकसान शेयर धारक को ही झेलना पड़ता है।

निष्कर्ष

मुझे उम्मीद है की आपको IPO क्या होता है? और IPO Full Form In Hindi की पूरी जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी। अगर अभी भी आपके मन में What Is IPO Full Form In Hindi, IPO Kya Hai और Full Form Of IPO In Hindi को लेकर कोई सवाल हो तो, आप बेझिझक Comment Box में Comment कर पूछ सकते हैं।

अगर आपको IPO (Initial Public Offering) की जानकारी अच्छी लगी हो तो आप अपने परिवार और दोस्तों के शेयर कर सकते है ताके IPO Kya Hai और IPO Full Form In Hindi के बारे में सबको जानकारी प्राप्त हो सके।

IPO Meaning in Hindi – आईपीओ क्या है

IPO Meaning In Hindi – आईपीओ क्या है इसके बारे में आसान हिंदी में यहाँ समझने की कोशिश करते हैं। आईपीओ के बारे में आपको यदि कोई आशंकाएं हैं या आप जानना चाहते हैं कि आईपीओ क्या है और इसकी क्या प्रक्रिया होती IPO क्या होता है? है IPO क्या होता है? तो इसे हम समझने की कोशिश करते हैं। IPO में निवेश करना चाहिए या नहीं और यदि करें तो क्या क्या ध्यान रखें यह भी देखेंगे।

IPO Meaning In Hindi

IPO Meaning In Hindi

IPO Full Form In Hindi

IPO यानि Initial public offering या आसान हिंदी में कहें तो प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निजी कंपनी अपने शेयरों की बिक्री आम जनता को सार्वजनिक तौर पर कर सकती है यह एक नई, युवा कंपनी या एक पुरानी कंपनी हो सकती है जो एक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने का फैसला करती है और इसलिए यह सार्वजनिक हो जाती है। यहाँ किसी कंपनी के सार्वजनिक होने या पब्लिक होने का मतलब है कि अब इस कंपनी के शेयर आम लोगों को जारी किये जा सकते हैं और ये लोग इन्हें शेयर बाजार में खरीद और बेच सकते हैं।

IPO Meaning In Hindi IPO क्या होता है? नए शेयर जारी करना

IPO क्या है

IPO क्या है

IPO की सहायता से कंपनियां सार्वजनिक रूप से नए शेयर जारी करके इक्विटी पूंजी बढ़ा सकती हैं या मौजूदा शेयरधारक कंपनी की पूंजी बढ़ाये बिना अपना शेयर जनता को बेच सकते हैं। सरकार भी आईपीओ के द्वारा पब्लिक सेक्टर कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी पब्लिक को बेच सकती है। यदि कंपनी अपना बिजनेस बढ़ाना चाहती है तो लोन लेने के बजाये आईपीओ पूँजी जुटाने का एक बेहतर विकल्प हो सकता है। मगर इसके लिए प्रोमोटरों में यह आत्मविश्वास भी होना चाहिए कि कंपनी बढ़ी हुई पूँजी से ऐसा व्यवसाय कर पाएगी कि उस बढ़ी हुई पूँजी पर बेहतर रिटर्न दे पाए। पूँजी जुटाने के बाद इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि बढ़ी पूँजी की मदद से कंपनी की ग्रोथ कई गुना बढ़ जायेगी। IPO फेस वैल्यू पर भी हो सकता है और प्रीमियम वैल्यू पर भी।

IPO शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने के लिए ज़रूरी

इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिये कि एक कंपनी जो कि अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं है और उसकी पूँजी एक करोड़ रुपये है। अब कंपनी अपनी पूँजी को बढ़ा कर दस करोड़ करना चाहती है। कंपनी नौं करोड़ रुपये का IPO ले कर आएगी। इसका मतलब हुआ की IPO के बाद कंपनी के प्रमोटरों के पास एक करोड़ रुपये के और पब्लिक के पास उस कंपनी के नौं करोड़ रुपये के शेयर होंगे।

एक और उदाहरण लेते हैं। मान लीजिये कि एक कंपनी की पूँजी दस करोड़ रुपये है और सभी शेयर प्रमोटरों के पास हैं। अब प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी को पचास प्रतिशत कम करना चाहते हैं तो वे IPO द्वारा ऐसा कर सकते हैं। इस उदहारण में IPO के बाद प्रमोटरों के पास पांच करोड़ रुपये के और पब्लिक के पास भी पांच करोड़ रुपये के शेयर होंगे। पहले उदाहरण में नौं करोड़ रुपये कंपनी के पास जायेंगे और उसकी पूँजी एक करोड़ से बढ़ कर दस करोड़ हो जायेगी। दूसरे उदाहरण में पांच करोड़ कंपनी के प्रमोटरों के पास जायेंगे और कंपनी की पूँजी IPO के बाद भी दस करोड़ ही रहेगी।

सेकेंडरी मार्किट

जो कंपनी अपने शेयरों की पेशकश करती है उसे ‘जारीकर्ता’ यानी इशुअर कहा जाता है। कम्पनियां अपना IPO निवेश बैंकों की मदद से जारी करतीं है। IPO के बाद कंपनी के शेयरों का खुले बाजार में कारोबार होता है उन शेयरों को सेकेंडरी मार्किट के माध्यम से निवेशकों द्वारा ख़रीदा और बेचा जा सकता है। यहाँ यह जानकारी दे दें की आईपीओ में शेयर की बिक्री को प्राइमरी मार्किट में बिक्री कहा जाता है और सूचीबद्ध होने के बाद शेयर मार्किट में शेयरों की बिक्री को सेकेंडरी मार्किट में बिक्री कहा जाता है।

प्रॉस्पेक्टस पढ़ना ज़रूरी

आईपीओ जारी करने वाली कंपनी इसके लिए प्रॉस्पेक्टस prospectus जारी करती है। निवेश से पहले इसे सावधानी पूर्वक पढ़ लेना चाहिए। प्रॉस्पेक्टस में कंपनी और IPO के बारे में सारी जानकारी दी जाती है। इसे पढ़ कर आप समझ सकते हैं कि कंपनी बढ़ी हुई पूँजी का प्रयोग कहाँ करेगी। इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि कंपनी अपनी बढ़ी हुई पूँजी से बेहतर रिटर्न जुटा पाएगी या नहीं। निवेश करने से पहले प्रोमोटरों का पिछला रिकार्ड भी देखिये और आईपीओ पर विशेषज्ञों की राय भी जानिये।

IPO Meaning In Hindi – आईपीओ क्या है यहाँ आपको आसन हिंदी में समझाने की कोशिश की गयी है, आशा है अब आप यदि किसी आईपीओ में निवेश करेंगे तो आपके पास इसकी जानकारी भी होगी की आईपीओ जारी करने वाली कंपनी क्यों IPO जारी कर रही है और कंपनी का भविष्य कैसा रहने की संभावना है।

IPO क्या होता है | IPO Meaning in hindi

मान लीजिए ए कंपनी अभी जो काम कर रही है अच्छा काम कर रही है लेकिन अगर कंपनी बड़े होना चाहती है ज्यादा शहरों मे अपना बिज़नस को फेलना चाहती तो यहाँ पर कंपनी को ज्यादा पैसो की जरुरत परेगी। जो ये पैसा कंपनी को बड़ा करने मे लगने वाली है वो आएगा कहां से अब इसके दो रास्ते है कंपनी के पास एक तो है लोन का और दूसरा है IPO।

IPO क्या होता है. IPO Meaning in hindi

IPO क्या होता है ( IPO Meaning in hindi)

पहला रास्ता लोन का जब भी कंपनी लोन लेते है बैंक से भले ही वो कंपनी मुनाफा कमाया या ना कमाए लेकिन बैंक को इंटरेस्ट और मूलधन लोटाना ही पड़ेगा तो यहाँ पर कंपनी कह सकती है की हम बैंक के पास लोन के लिए क्यों जाई क्यों ना हम साधारण लोगो को ही अपना बिज़नस हिस्सेदार बनाएं तो इसी को IPO कहते हैं।

जहां पर पहली बार कोई कंपनी साधारण लोगो को अपने बिज़नस मे हिस्सेदार (Shareholder) बनाते हैं। अब IPO के बाद बहुत सारे साधारण लोग भी इस कंपनी के हिस्सेदारी पहुंच जाते हैं। साधारण लोग भी अब मुनाफे की हिस्सेदार रहेगी।

जब भी कंपनी IPO IPO क्या होता है? के लिए आती है तब वो कंपनी इन्वेस्टमेंट बैंक की मदत से अपनी कंपनी का वैल्यूएशन निकलती है और ए भी फेसला करती है की स्टॉक प्राइस किया होना चाहिए।

आईपीओ के लिए कंपनी को SEBI ने बनाया हुवा प्रोसेस को फॉलो करना पड़ता हैं। और पुरे प्रोसेस मे जो इशू के रजिस्टर है वो कंपनी की मदत करते हैं। कंपनी को ये फेसला करना पड़ता है की वो IPO के जरिये कितना परसेंट शेयर साधारण लोगो को देगी और कितने प्राइस बेंड पर देगी।

उदहारण के साथ समझते है:-

मान लीजिये एक कंपनी जो अपना कंपनी का 20% शेयर्स IPO के जरिये साधारण लोगो को देना चाहती है जहां वो कंपनी 10 लाख शेयर्स इशू करेगी और साधारण लोगो से 90-100 के प्राइस बैंड मे बिड लेगी।

तो यहा पर जो भी लोग 90-100 प्राइस के जो टॉप बिड लगायेंगे उन्ही को शेयर्स मिलेगी। तो यहा पर कंपनी 10 लाख * 100 =10 cr रूपया जमा कर लेगी।

IPO से जूड़ी बातें:-

IPO एक लिमिटेड समय के लिए ही खुलता है यानी 3 से 10 खुला IPO क्या होता है? दिन के लिए ही रहता हैं। जब आप IPO खरीद रहे होते है तो आप सीधे कंपनी से शेयर्स खरीद रहे होते है जिसे प्राइमरी मार्केट कहते हैं। IPO के बाद कंपनी शेयर्स मार्किट पर लिस्ट हो जाती है और इसे सेकेंडरी मार्केट होता हैं। IPO लिस्ट होने के बाद कंपनी को बहत सारे रेगुलेशन को फॉलो करना पड़ता है तभी कंपनी को IPO के लिए परमिशन मिलता हैं।

आपको यदि IPO के बारे मे पढ़के कुछ सिखने को मिला या आपके मन मे कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट मे लिख सकते है । शेयर मार्केट से जूड़ी हर बाते जानने के लिए आप हमारे और भी पोस्ट को पढ़के ज्ञान ले सकते हैं।

आखिर क्या वजह है कि IPO निवेशकों का डुुबा रहे हैं पैसा?

आईपीओ की प्राइसिंग में कई बातें काम करती हैं. इनमें निवेशकों की कारोबारी धारणा सबसे अहम है.

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क्या IRCTC अपवाद है? शायद! देखें तो यह एक ऐसी कंपनी है जिसे MakeMyTrip और Zomato की कैटेगरी में रख सकते हैं. यह पैसा बनाने वाली कंपनी है. खुदरा निवेशकों को IRCTC को इस तरह नहीं बेचा गया जैसे प्राइवेट कंपनियां अपने इश्यू में शेयर बेचती हैं. कंपनी का न‍ियंत्रण सरकार के हाथों में होने के कारण शायद ऐसा हुआ.

वित्त वर्ष 2018-19 में 18 में से 10 आईपीओ लिस्टिंग के दिन औसतन 9 फीसदी लुढ़के. बीमा कंपनियों के मामले में आधे से ज्यादा इश्यू लिस्टिंग के दिन औसतन 8.3 फीसदी नीचे आ गए. केपीएमजी की रिपोर्ट से इसका पता चलता है. इंफोसिस के दिनों से आईपीओ बाजार में एक महत्वपूर्ण अंतर निजी इक्विटी निवेशकों की भूमिका है.

आईपीओ की प्राइसिंग में कई बातें काम करती हैं. इनमें निवेशकों की कारोबारी धारणा सबसे अहम है. जब मूड बढ़िया होता है, आईपीओ की बाढ़ आ जाती है. दूसरे शब्दों में कहें तो यह उत्साह तार्किक नहीं होता है.

वैसे तो आईआरसीटीसी और यात्रा जैसी अन्य डिजिटल कंपनियां एक तरह का बिजनेस करती हैं. लेकिन, इन्हें एक तरह से बेचा नहीं जाता है. जब तक इनकी लिस्टिंग नहीं होती है तब तक प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टर के बीच वैल्यूएशन का खेल खेला जाता है.

प्राइवेट इक्विटी निवेशकों का पैसा बड़ी चतुराई से लगता है. जहां इससे शुरुआत में इंडस्ट्री को पूंजी जुटाने में मदद मिलती है. वहीं, पब्लिक लिस्टिंग के वक्त इससे वैल्यूएशन काफी बढ़ जाते हैं. पिछले तीन साल में ज्यादातर आईपीओ में पब्लिक इनवेस्टर से प्राइवेट फंडों और शेयरहोल्डरों के पास पैसा गया है. आंकड़ों से इस बात को समझते हैं.

पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान करीब 1.24 लाख करोड़ रुपये आईपीओ के जरिए जुटाए गए. इनमें से 48 फीसदी 39 पीई-समर्थित फर्मों के थे. कुल रकम का 78 फीसदी ऑफर-फॉर-सेल के जरिये जुटाया गया. इसका मतलब है कि पब्लिक इनवेस्टर से पैसा कंपनी में न जाकर प्राइवेट हाथों में गया.

केपीएमजी की रिसर्च कहती है, "लिस्टिंग डे रिटर्न के मामले में गैर-पीई समर्थित कंपनियों ने पीई समर्थित कंपनियों के मुकाबले अच्छा किया."

एक समय था जब पीई समर्थित फर्मों को ज्यादा वैल्यूएशन मिलता था. माना जाता था कि इनमें सोच समझकर पैसा लगाया गया है और यहां बेहतर कॉरपोरेट गवर्नेंस होगा. लेकिन, मनपसंद बेवरेज और कॉफी डे एंटरप्राइजेज ने इन सिद्धांतों की भी हवा निकाल दी. इसलिए आईपीओ में निवेश काफी सोच समझकर करने में फायदा है.

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किसे कहते हैं आईपीओ, कैसे होता है निवेश, किन बातों का रखें का ध्‍यान, जानि‍ए यहां

आईपीओ से पहले, एक कंपनी सीमित शेयरधारकों के साथ निजी तौर पर कारोबार करती है। हालांकि, IPO के बाद, शेयरों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है क्योंकि आप और मेरे जैसे लोग और अन्य इंस्‍टीट्यूशनल इंवेस्‍टर्स कंपनी के शेयर खरीदते हैं। इस प्रारंभिक पेशकश के साथ, कंपनी स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्‍टेड हो जाती है, जिससे शेयरों की खरीद और बिक्री में सुविधा होती है।

किसे कहते हैं आईपीओ, कैसे होता है निवेश, किन बातों का रखें का ध्‍यान, जानि‍ए यहां

कोविड -19 महामारी के प्रभाव के बावजूद, ऐसा लगता है कि देश में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आईपीओ आएंगे। (Photo By Financial Express Archive)

इस मानसून भारत में आईपीओ की बारिश हो रही है। पिछले सात महीनों में 40 आईपीओ पहले ही आ चुके हैं। वहीं कई आईपीओ कतार में लगे हुए हैं। जबकि पूरे 2020 में 33 और 2019 में 49 आईपीओ आए थे। कोविड -19 महामारी के प्रभाव के बावजूद, ऐसा लगता है कि देश में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आईपीओ आएंगे। जिससे निवेशकों को भी कमाई करने का भरपूर मौका मिलेगा। पहले यह समझना काफी जरूरी है कि आख‍िर आईपीओ है क्‍या और यह काम कैसे करता है। साथ ही निवेशकों को आईपीओ में निवेश करने से पहले किन बातों का ध्‍यान रखना काफी जरूरी है।

आईपीओ क्या है?
आईपीओ यानी इनिशि‍यल पब्‍लि‍क ऑफरिंग का मतलब है कि कि किसी कंपनी के शेयरों को पहली बार जनता के सामने बिक्री के लिए जनता के सामने लाना। आईपीओ से पहले, एक कंपनी सीमित शेयरधारकों के साथ निजी तौर पर कारोबार करती है। हालांकि, IPO के बाद, शेयरों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है क्योंकि आप और मेरे जैसे लोग और अन्य इंस्‍टीट्यूशनल इंवेस्‍टर्स कंपनी के शेयर खरीदते हैं। इस प्रारंभिक पेशकश के साथ, कंपनी स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्‍टेड हो जाती है, जिससे शेयरों की खरीद और बिक्री में सुविधा होती है। आईपीओ कंपनी के मालिकों और शुरुआती निवेशकों को बिक्री के प्रस्ताव के माध्यम से बाहर निकलने का ऑप्‍शन भी देती है। उन्हें नए व्यवसाय में शुरुआती जोखिम लेने के लिए कंपनसेट करती है।

कैसे किया जाता है आईपीओ के लिए आवेदन
खुदरा निवेशक यानी रिटेल इंवेस्‍टर के रूप में, आप आईपीओ के लिए या तो अपने बैंक के माध्यम से या ब्रोकर के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं, जो आपके लिए आईपीओ आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाएगा। आवेदन राशि एकत्र करने के लिए, बैंकों के पास ब्‍लॉक्‍ड अमाउंट सुविधा द्वारा सपोर्टिड एक आवेदन है। कुछ ब्रोकर यूपीआई के माध्यम से आईपीओ इंवेस्‍टमेंट की सुविधा प्रदान करते हैं। दोनों ही मामलों में, आवेदन राशि को तब तक ब्‍लॉक करके रखा जाता है जब तक कि शेयर आवंटन को अंतिम रूप नहीं दिया जाता है और अगर आवेदन खारिज हो जाता है तो बैंक की ओर से उस राश‍ि को वापस कर दिया जाता है। आवेदन के समय, पेश किए गए शेयरों को या तो कम या अधिक सब्सक्राइब किया जा सकता है। जब ओवरसब्सक्राइब किया जाता है, तो शेयरों के आवंटन की गारंटी नहीं होती है, और आवंटन नहीं होने की स्थिति में, आवेदन राशि वापस कर दी जाती है या ब्‍लॉक्‍ड अमाउंट जारी कर दिया जाता है।

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आईपीओ इंवेस्‍टमेंट में क्‍या जोख‍िम है?
मुख्य रूप से व्यापार और अत्यधिक शेयर बाजार गतिविधि पर COVID-19 महामारी के प्रभाव के कारण कई कंपनियों ने 2020 के अंत से आईपीओ का ऑप्‍शन चुना। विश्लेषकों के अनुसार शेयर बाजारों में देखे गए असामान्य प्रदर्शन और हाई नेटवर्थ वाले लोगों के साथ पहली बार निवेशकों की ज्‍यादा भागीदारी की वजह से कंपनियां सार्वजनिक हो रही हैं। सोशल मीडिया प्रचार आपको लिस्टिंग लाभ की ओर आकर्षित कर सकता है। निवेशकों को लिस्टिंग के दिन शेयरों को बेचकर त्वरित लाभ की उम्मीद है क्योंकि शेयरों को इश्‍यू प्राइस की तुलना में बहुत अधिक कीमत पर लिस्टिड हो जाती है। लगभग 60 प्रतिशत निवेशक लिस्टिंग प्रोफ‍िट के लिए आईपीओ में भाग लेते हैं, और केवल कुछ ही अवधि के लिए रुकते हैं।

यह देखा गया है कि पिछले दशक में अधिकांश आईपीओ (लगभग 70 प्रतिशत) ने या तो लिस्टिंग लाभ या वर्तमान लाभ, या दोनों नहीं दिए। इससे पता चलता है कि निवेशकों को अवसरवादी अल्पकालिक निवेश को त्यागकर ओवर हाइप प्रोफिट से निकलकर आगे की ओर बढ़ना चाहिए। आईपीओ में निवेश करने का निर्णय लेने से पहले आपको कंपनी का करना भी काफी जरूरी है।

आपको आईपीओ का विश्लेषण कैसे करना चाहिए?
एक लिस्‍ट‍ेड कंपनी के हिस्‍टोरिकल डाटा के साथ विश्लेषण करना काफी चुनौतीपूर्ण है, और जब एक निजी कंपनी के सार्वजनिक होने की बात आती है तो यह और भी अधिक समस्या वाली बात हो जाती है। ऐसी कंपनियों के बारे में डाटा का एकमात्र सोर्स उनका रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (आरएचपी) है। यह वो डॉक्‍युमेंट होता है जिससे पता चलता है कंपनी कि‍स तरह के अवसर हैं और किस तरह के जोख‍िम हो सकते हैं। इस डॉक्‍युमेंट में प्रमोटर्स के नाम, वे कितनी राशि जुटाना चाहते हैं, ताजा इश्यू का विवरण और बिक्री की पेशकश सभी जानकारी होती है।

एक निवेशक के रूप में, आपको ऑफ़र के उद्देश्यों को देखना चाहिए, यह धन के उपयोग को बताता है। ये ऑर्गैनिक ग्रोथ के लिए हो सकते हैं, जो आम तौर पर एक अच्छी बात है, या ऋण को कम करने के लिए, या एक सिंपल एग्जिट अपॉर्च्‍यूनिटीज के लिए हो सकता IPO क्या होता है? है। फिर, कंपनी के व्यवसाय मॉडल और बैकग्राउंड, इंडस्‍ट्री पैरामीटर (बाजार का आकार, संभावित विकास, नियामक जोखिम), और पिछले तीन वर्षों के लिए उपलब्ध फाइनेंस का मूल्यांकन करें। इसके अतिरिक्त, आप कंपनी के मुकदमों, कैपिटल स्‍ट्रक्‍चर और वैल्‍यूएशन को भी देख सकते हैं।

कुल मिलाकर, आपको अपने निवेश के उद्देश्यों और वित्तीय लक्ष्यों को देखते हुए सावधानीपूर्वक आंकलन करना चाहिए कि कंपनी की प्रोफाइल आपके पोर्टफोलियो में फिट बैठती है या नहीं। निवेश करने से पहले हमेशा अपना रिसर्च करें और सोशल मीडिया के झांसे में न आएं।

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