फोरेक्स टुटोरिअल

कमोडिटी मार्केट क्या है?

कमोडिटी मार्केट क्या है?

जवाब कमोडिटी बाजार के

कमोडिटी को हिंदी में जिंस और स्पॉट को हाजिर व फ्यूचर को वायदा कहते हैं। लेकिन हम बोलचाल के कारण इनके लिए अंग्रेजी शब्दों का ही इस्तेमाल करेंगे। स्पॉट भाव तो सीधा-सीधा वह भाव है जिस पर हम नकद देकर कोई जिंस खरीदते हैं। इसमें भी रिटेल और होलसेल भाव अलग होते हैं। फ्यूचर भाव भविष्य की किसी तारीख को उसी जिंस के भाव होते हैं। जैसे, सोने का भाव स्पॉट भाव अगर आज 16,800 रुपए प्रति दस ग्राम है तो आज ही इसके एक महीने के फ्यूचर का भाव 16,900 रुपए और दो महीने के फ्यूचर का भाव 17,150 रुपए हो सकता है। फ्यूचर और स्पॉट भाव के अंतर को कॉस्ट ऑफ कैरी कहते हैं। इस लागत में ब्याज, भंडारण व बीमा वगैरह का खर्च गिना जाता है।

आम तौर पर फ्चूयर भाव स्पॉट भाव से अधिक होते हैं। लेकिन अगर इसका उल्टा हो जाए तो इसे बैकवर्डेशन कहते हैं। ऐसा कृषि जिंसों में बराबर होता है क्योंकि जब भी नई फसल आएगी, उस वक्त फ्यूचर भाव स्पॉट के कम ही रहते हैं।

2. कमोडिटी फ्यूचर्स क्या हैं?

कमोडिटी फ्यूचर्स कांट्रैक्ट दो पक्षों में आगे की किसी तारीख पर मौजूदा फ्यूचर भाव पर खरीदने या बेचने का करार होता है। फ्यूचर्स कांट्रैक्ट इस मायने में फॉरवर्ड कांट्रैक्ट से अलग होते हैं कि उनका निश्चित मानक होता है और उनकी ट्रेडिंग कमोडिटी एक्सचेंजों में होती है। दूसरे शब्दों में खरीदने-बेचनेवाले फ्यूचर्स कमोडिटी मार्केट क्या है? कांट्रैक्ट शर्तें नहीं तय करते, बल्कि उन्हें एक्सचेंज द्वारा निर्धारित मानक शर्ते माननी पड़ती हैं।

3. कमोडिटी एक्सचेंज क्या होते हैं?

कमोडिटी एक्सचेंज ऐसे संस्थान हैं जो कमोडिटी फ्यूचर्स की ट्रेडिंग का प्लेटफॉर्म मुहैया कराते हैं, उसी तरह जैसे स्टॉक एक्सचेंज शेयरों व उनके डेरिवेटिव (फ्यूचर, ऑप्शन) की ट्रेडिंग का मंच उपलब्ध कराते हैं। इस मंच पर बहुत से खरीदारों और बहुत से विक्रेताओं के बीच उस कांट्रैक्ट का भाव खोजा या पाया जाता है। इसमें अमूमन किसी व्यक्ति की नहीं, बाजार की मर्जी चलती है जो सबसे मिलकर बनता है, लेकिन उनसे अलग भी होता है। भारत में कमोडिटी एक्सचेंज इस समय 120 से ज्यादा जिंसों के फ्यूचर्स में ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे हैं।

4. देश में इस समय कुल कितने कमोडिटी एक्सचेंज हैं?

देश में इस समय कुल 22 कमोडिटी एक्सचेंज हैं, जिनमें से तीन राष्ट्रीय और 19 क्षेत्रीय एक्सचेंज हैं। तीन राष्ट्रीय एक्सचेंज हैं, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) और नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई), जिसमें से पहले दो एक्सचेंज मुंबई और तीसरा अहमदाबाद में है।

5. कमोडिटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) का क्या मतलब होता है?

ये ऐसे ईटीएफ होते हैं जो कृषि उत्पादों, प्राकृतिक संसाधनों या धातुओं जैसे भौतिक जिंसों में निवेश करते हैं। इनमें एक खास जिंस से जुड़े ईटीएफ भी होते हैं जैसे गोल्ड ईटीएफ। ऐसे फंड संबंधित जिंस को भौतिक रूप में भी रखते हैं और उनके फ्यूचर्स में भी निवेश करते हैं। दूसरे कमोडिटी ईटीएफ किसी खास कमोडिटी सूचकांक में निवेश करते हैं। इस सूचकांक में बहुत सारे जिंस शामिल हो सकते हैं।

6. दुनिया में बनाया गया सबसे पहला कमोडिटी एक्सचेंज कौन-सा है?

दुनिया का पहला कमोडिटी एक्सचेंज शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबीओडी) है जिसका गठन 1848 में शिकागो के कुछ व्यापारियों ने मिलकर किया था। ये व्यापारी सौदों के बाजार के लिए कोई साझा जगह चाहते थे। पहले चार सालों में इसे आटे की एक दुकान से चलाया गया। इससे पहले होता यह था कि शिकागो में अपना अनाज लाने वाले किसानों को कोई ग्राहक ही नहीं मिलता था। इसके चलते उन्हें अपना अनबिका अनाज पास की एक झील में फेंकना पड़ता था।

7. अभी भारत में कमोडिटी एक्सचेंजों पर कौन-सा कानून लागू होता है?

कमोडिटी एक्सचेंज भारत सरकार के फॉरवर्ड कांट्रैक्ट्स रेगुलेशन एक्ट, 1952 के अंर्तगत संचालित होते हैं। इन एक्सचेंजों की नियामक संस्था फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) है जो खाद्य, उपभोक्ता व आपूर्ति मंत्रालय के अधीन है। एफएमसी ही तय करता है कि किस कमोडिटी फ्यूचर्स में ट्रेडिंग हो सकती है। एफएमसी का गठन 1953 में किया गया और इसका मुख्यालय मुंबई में है।

8. क्या फ्यूचर्स कांट्रैक्ट ट्रेडिंग में डिलीवरी लेना अनिवार्य है?

नहीं। फिर भी फ्यूचर्स कांट्रैक्ट में डिलीवरी का प्रावधान इसलिए रखा गया है ताकि कमोडिटी के फ्यूचर भाव उसके तत्कालीन भाव से जुड़े रहें। इन सौदों में डिलीवरी जरूरी भी हो सकती है या यह बेचनेवालों की स्थिति व मांग से तय होती है। वैसे, पिछले तीन-चार सालों से कमोडिटी फ्यूचर्स एक्सचेंजों पर ज्यादातर कृषि जिंसों में डिलीवरी जरूरी कर दी गई है। एक्सचेंजों पर ट्रेड किए जा रहे कुछ फ्यूचर्स कांट्रैक्ट ऐसे हैं जिनमें खरीदार या विक्रेता डिलीवरी की मांग कर सकते हैं।

9. एनटीएसजी कांट्रैक्ट क्या होता है?

इसे कहते हैं नॉन-ट्रांसफरेबल स्पेसिफिक कांट्रैक्ट। वैसे तो इसके नाम में ही इसका अर्थ छिपा है। दरअसल, यह कांट्रैक्ट दो पक्षो में हुआ ऐसा करार है जिसमें सौदे की शर्तें अपने अनुरूप पहले तय होती है। किस माल की डिलीवरी कैसे लेनी है, यह भी तय रहता है। इस कांट्रैक्ट के तहत अधिकार व देनदारियां माल से जुड़े डिलीवरी ऑर्डर, रेलवे रसीद व वेयरहाउट रसीद जैसे दूसरे दस्तावेज किसी और को देकर नहीं बदली जा सकती हैं।

10. रिटेल निवेशक को कमोडिटी बाजार में निवेश करने के क्या फायदे हो सकते हैं?

पहली बात तो यह है कि कमोडिटी एक स्वतंत्र निवेश माध्यम है जिसकी कमोडिटी मार्केट क्या है? चाल शेयर बाजार से अलग होती है। इसलिए अपनी निवेश की पोटली में इसे भी शामिल करना चाहिए। हां, इतना जरूर है कि अगर किसी जिंस में थोड़ी-सी सकारात्मक बात उससे जुडी कंपनी के शेयर में कई गुना ज्यादा उछाल ले आती है। लेकिन नकारात्मक बात का असर भी ऐसा ही तीखा होता है। दूसरे कमोडिटी में औसतन 17 कमोडिटी मार्केट क्या है? साल का चक्र चलता है। ताजा चक्र 1999 में शुरू हुआ है जो 2016 तक चलेगा। इसलिए इसमें अपने पांच-छह का रुख फायदे का रहेगा।

एक बात और है कि जहां अधिक मुद्रास्फीति के दौर में शेयरों के दाम घटते हैं, वही कमोडिटी व उसके डेरिवेटिव के दाम बढ़ते हैं। इसलिए एक तरफ का घाटा दूसरी तरफ पाटा जा सकता है यानी हेजिंग के लिए कमोडिटी बाजार का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए अपने पोर्टफोलियो में शेयरों और कमोडिटी का सही संतुलन आपके निवेश को ज्यादा कमाऊ बना सकता है।

Commodity Trading क्या है शेयर मार्केट में कमोडिटी ट्रेडिंग क्या होता है

शेयर मार्केट में हम शेयर ट्रेडिंग के अलावा अक्सर एक शब्द और सुनते हैं Commodity Trading बहुत सारे लोग कई बार कंफ्यूज रहते हैं कि शेयर ट्रेडिंग और कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या फर्क होता है इसीलिए आज हम इस जानकारी में यही जानेंगे कि कमोडिटी क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग कमोडिटी मार्केट क्या है? कैसे किया जाता है हम इसमें किन चीजों की ट्रेडिंग कर सकते हैं।

Commodity-क्या-है-कमोडिटी-ट्रेडिंग-क्या-है

Commodity क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करते है।

Commodities का मतलब होता है ऐसी चीजें जिन्हें हम डेली लाइफ में यूज करते हैं और उन चीजों को कोई भी प्रोड्यूस करें हम उसे एक जैसा ही मानते हैं उदाहरण के लिए चावल, गेहूं, तेल, एलपीजी, सोना और सिल्वर और जिस तरह शेयर मार्केट में हम शेयर पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग करते हैं ठीक उसी तरह हम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटीज डेरिवेटिव ट्रेडिंग कर सकते हैं।

कमोडिटी ट्रेडिंग के प्रकार

कमोडिटी मार्केट में 4 तरह के कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है।

  1. Agri Commodity (एग्री कमोडिटीज क्या है)- जिसमें चीनी दाल सरसों का तेल चना सोयाबीन इलायची आते हैं
  2. Base Metals (बेस मेटल्स)- जैसे एलमुनियम कॉपर लेड निकेल और जिंक
  3. Precious Metals (प्रेशियस मेटल्स)- इसमें मिली दो कमोडिटी जाती है सोना और चांदी
  4. Anergy Commodity (एनर्जी कमोडिटीज)- जिसमें क्रूड आयल नेचुरल गैस आते हैं।

कमोडिटीज की ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर डेरिवेटिव में होती है यानी कि हम इन चारों तरह के कमोडिटी पर अलग-अलग टाइम ड्यूरेशन के फ्यूचर कांट्रैक्ट की बाय और सेलिंग कर सकते हैं एक बात जो कमोडिटी फीचर्स को शेयर फीचर से अलग करती है वह यह है कि शेर के फीचर्स केवल 3 महीने के लिए होते हैं पर कमोडिटीज के फीचर्स से कहीं ज्यादा टाइम पर हो सकते हैं उदाहरण के लिए हम क्रूड आयल के सिक्स मंथ के लिए डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट बाय कर सकते हैं दोस्तों जिस तरह शेयर की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है वैसे ही Commodity Trading कमोडिटी एक्सचेंज पर होती है।

भारत में 6 कमोडिटी एक्सचेंज कंपनी है।

  1. MCX-मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
  2. NCDEX-नेशनल कमोडटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज
  3. NMCE-नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
  4. ICEX-इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज
  5. ACE-एस डेरिवेटिव एक्सचेंज
  6. UCX-द यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज

यानी कि हम जब भी कमोडिटीज में ट्रेनिंग करेंगे तो हमारा ट्रेड इन सभी एक्सचेंज कंपनी के जरिए ही होगा। साथ ही कमोडिटीस का रेगुलेटर सेबी ही है। जो शेयर मार्केट खूबी रेगुलेट करती है।

कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रूड आयल और गोल्ड में होती है और इन कमोडिटीज में वैसे लोग ज्यादा ट्रेडिंग करते हैं जो इसी फील्ड में काम करते हैं।

कमोडिटी ट्रेडिंग कितना रिस्की है

कमोडिटी में ट्रेडिंग करना शेयर्स में ट्रेनिंग करने से ज्यादा रिस्की होता है क्योंकि किसी भी कमोडिटी का प्राइस काफी कम समय में जल्दी से चेंज होता है इसकी वजह यह है कि कमोडिटीज में ऐसे प्रोडक्ट है जो फिजिकल सप्लाई डिमांड पर बेचने हैं जैसे सऊदी अरेबिया में तेल को लेकर कोई इशू हो जाए तो क्रूड ऑयल की कीमत पर इसका बहुत प्रभाव पड़ सकता है। ठीक इसी तरह अगर भारत में शुगर की प्रोडक्शन जरूरत से काफी कम हो जाए तो शुगर की प्राइस इंडियन कमोडिटी मार्केट में काफी तेजी से बढ़ सकती है।

दोस्तों कमोडिटीज में ट्रेडिंग डेरिवेटिव में होती है और डेरिवेटिव की ट्रेडिंग मार्जिन पर होती है। इस वजह से अगर हमारा ट्रेड गलत जगह हो गया तो हमें काफी नुकसान हो सकता है। पर अगर हमारा ट्रेड सही हुआ हमें मारजिंग की वजह से काफी ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है। अगर हम कमोडिटी मार्केट में ट्रेड होने वाली किसी भी कमेटी में अच्छा नॉलेज है तो हम उसम ट्रेडिंग जरूर कर सकते हैं।

कमोडिटी की जगह ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर्स में होती है इसलिए यदि आप कम्युनिटी में ट्रेडिंग करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले आपको फ्यूचर ट्रेडिंग को अच्छे से समझ लेना है अच्छी बात यह है कि हमने फ्यूचर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी इस वेबसाइट में बताई हुई है सर्च बाहर में सर्च करके उसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।

कमोडिटी मार्केट में कितने एक्सचेंज कंपनियां है ?

कमोडिटी मार्केट में 6 एक्सचेंज कंपनी है।

  1. Multi commodity exchange
  2. National commodity and derivative exchange
  3. National multi commodity exchange
  4. Indian commodity exchange
  5. Ace derivative exchange
  6. The universal commodity exchange

कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग किसमें होती है ?

कमोडिटी ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रूड आयल और गोल्ड में होती है।

आज के इस जानकारी में हमने कमोडिटी ट्रेडिंग के बारे में जाना हम इस में किन-किन चीजों की ट्रेडिंग कर सकते हैं और इसमें ट्रेडिंग कैसे होती है। यदि आपको यह जानकारी से संबंधित कुछ सवाल पूछना है तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

'कमोडिटी बाजार'

Gold, Silver Price Today : घरेलू बाजार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर दोपहर 12.05 के आसपास गोल्ड फ्यूचर 58 रुपये या 0.11% गिरकर 50,761 पर ट्रेड कर रहा था. पिछली क्लोजिंग 50,819 पर हुई थी. वहीं, सिल्वर 258 रुपये या 0.42% की गिरावट के साथ 61,276 पर दर्ज हुआ. पिछले सेशन में यह 61,534 पर बंद हुआ था.

Gold, Silver Price Updates : मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सुबह 10.40 के आसपास गोल्ड फ्यूचर 304 रुपये या 0.58% की गिरावट लेकर 52,445 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर था. वहीं, चांदी भी बड़े नुकसान पर चल रही थी. इसमें 508 रुपये या 0.74% की गिरावट आई थी.

Gold, Silver Price Today : बाजार खुलने के बाद गोल्ड-सिल्वर में तेजी दिखी थी, लेकिन फिर दोनों ही बुलियन लाल निशान में पहुंच गए. हालांकि, फिर इसमें सुधार आया और सुबह 11.12 के आसपास मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर गोल्ड 52,091 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था.

Gold, Silver Price Today : अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ ही घरेलू बाजार में भी सोने का कारोबार सुस्त चल रहा है. वहीं, चांदी ने भी गिरावट दर्ज की है. सुबह 10.30 के आसपास मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर गोल्ड फ्यूचर 19 रुपये या 0.04 फीसदी की मामूली तेजी के साथ 51,390 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था.

Gold, Silver Price Updates : पिछले हफ्ते मजबूत वैश्विक संकेतों से घरेलू सर्राफा बाजार में तेजी देखी गई थी. आज सोने में अच्छी बढ़त दिखी है. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सुबह 9.40 के आसपास गोल्ड फ्यूचर 106 रुपये या 0.22 % की तेजी लेकर 48,355 रुपये प्रति 10 ग्राम की बढ़त पर चल रहा था.

Gold Price Today on 1st December, 2021 : सोना आज गिर गया है. घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड फ्यूचर के दाम गिरावट में दिखे. सुबह 11.01 पर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर गोल्ड 0.12% या 56 रुपये की गिरावट लेकर 47,550 के स्तर पर चल रहा था. वहीं, इस दौरान सिल्वर फ्यूचर में 0.09 % या 55 रुपये की तेजी दर्ज हो रही थी और ये मेटल 61,701 की तेजी से ट्रेड कर रहा था.

Gold Price Today on 29th November, 2021 : सोमवार को वायदा बाजार में सोना अच्छी बढ़त पर चल रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार भी आज हरे निशान में दिखा है. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर गोल्ड फ्यूचर 0.35% या 168 रुपये की उछाल दर्ज कर रहा था. चांदी भी बढ़त पर रही.

Gold, Silver Price on Dhanteras : धनतेरस के दिन सोने के दाम गिर गए हैं. चांदी में भी आज बड़ी गिरावट आई है. दिसंबर एक्सपायरी का सोना आज सुबह 09.16 बजे मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर 0.22% या 107 रुपये की गिरावट लेकर 47,796 रुपये प्रति 10 ग्राम पर चल रहा था.

Gold, Silver Price Today : अतंरराष्ट्रीय बुलियन बाजार में आज तेजी दिखाई दे रही है. मंगलवार को भी घरेलू हाजिर बाजार में सोना उछला था. हालांकि, आज वायदा बाजार में सोने में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. सोना आज सुबह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर 0.03 % की मामूली गिरावट लेकर 47,182 रुपये प्रति 10 ग्राम पर चल रहा था.

Gold, Silver Price Today : डॉलर में मजबूती और यूएस ट्रेजरी यील्ड में तेजी के चलते अंतराष्ट्रीय बाजार में आज सोना गिरा है, जिसका असर घरेलू वायदा बाजार में भी दिखा है. आज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर गोल्ड फ्यूचर 0.35% गिरकर 46,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया.

कमोडिटी ट्रेडिंग की दुनिया में कूदने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान, फ‍िर कभी नहीं होंगे असफल

COMMODITY TRADING: वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से कीमत में वृद्धि होती है.

  • Vijay Parmar
  • Publish Date - June 29, 2021 / 09:11 PM IST

कमोडिटी ट्रेडिंग की दुनिया में कूदने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान, फ‍िर कभी नहीं होंगे असफल

Trading In Commodity: कमोडिटी में ट्रेडिंग एक आकर्षक निवेश विकल्प है जो आपको अपना धन बढ़ाने में मदद कर सकता है.

कमोडिटी ट्रेडिंग आपको अपने लाभ का फायदा उठाने का विकल्प देती है लेकिन यदि आप कुछ सावधानियां नहीं बरतते हैं तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

मुद्रास्फीति के दौरान शेयरों की कीमतें गिरती हैं

जैसे-जैसे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे-वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में वृद्धि होती है.

ऐसे महंगाई के माहौल में ब्याज दरों में वृद्धि होती है, जो उधार लेने की लागत को बढ़ाती है और कंपनी की शुद्ध आय को कम करती है.

कंपनी की आय गिरने से शेयरधारकों के साथ साझा किए गए मुनाफे पर भी असर पड़ता है. इसलिए, मुद्रास्फीति के दौरान, शेयरों की कीमतें गिरती हैं.

वहीं इसके विपरीत, बढ़ती मांग के कारण तैयार माल के निर्माण में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में काफी वृद्धि होती हैं. इसलिए, निवेशक अपनी पूंजी को मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाने और अपने कमोडिटी मार्केट क्या है? मूल्य को बनाए रखने के लिए कमोडिटी फ्यूचर्स को अपनाते हैं.

जोखिम भरी भू-राजनीतिक घटनाओं से बचाव

संघर्ष, दंगे और युद्ध जैसी भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण कच्चे माल का परिवहन करना कमोडिटी मार्केट क्या है? मुश्किल हो जाता है. ऐसी घटनाएं सप्लाई चेन को तोड़ देती है, जिससे संसाधनों की कमी हो जाती है और कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हो जाती है.

जिसके परिणामस्वरूप सप्लाई-डिमांड का बैलेंस बिगड़ता है, जिससे वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि होती है. ऐसी घटनाओं के दौरान बाजार के सेंटीमेंट खराब होते हैं.

जिससे शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आती है. इसलिए, कमोडिटीज में निवेश करने से नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है.

उच्च लीवरेज का फायदा

फ्यूचर्स और ऑप्‍शंस जैसे कमोडिटी डेरिवेटिव एक असाधारण उच्च स्तर का लीवरेज प्रदान करते हैं. इसके जरिए आप कान्ट्रेक्‍ट वैल्यू का केवल 5% से 10% अपफ्रंट मार्जिन चुका कर एक बड़ी पोजिशन ले सकते हैं.

वस्तुओं की कीमतों में किसी भी तरह का असाधारण मूवमेंट होने से बहुत लाभ हो सकता है. इसलिए, कमोडिटी ट्रेडिंग आपको लीवरेज का उपयोग करके अच्‍छा रिटर्न कमाने का मौका देता है.

कमोडिटी ट्रेडिंग के नुकसान

लीवरेज से जितना फायदा होता है उतना ही नुकसान होता है. लीवरेज से आप छोटी पूंजी चुका कर बड़ी पोजिशन ले सकते हैं, लेकिन, कान्ट्रैक्ट की कीमत में थोड़ा सा भी बदलाव आपको भारी नुकसान करा सकता है.

क्योंकि लॉट साइज 100 है और आप 1,000 कान्ट्रैक्‍ट खरीदे जा रहे हैं. कम मार्जिन की वजह से जोखिम बढ़ जाता हैं, जो आपके पूरे निवेश को जोखिम में डाल सकता हैं.

वोलेटिलिटी का जोखिम

वस्तुओं की कीमतें काफी वोलेटाइल हैं और सप्लाई-डिमांड पर निर्भर करती है. पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को घटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर जाना आसान नहीं है.

कोयले से चलने वाली बिजली जैसे ऊर्जा स्रोतों से सौर ऊर्जा जैसे स्रोतों की ओर मुड़ने में काफी समय लगता है.

इसलिए संचयी बेलोचदार मांग और बेलोचदार आपूर्ति ऐसी स्थिति की ओर ले जाती है जहां बाजार की बुनियादी बातों में मामूली बदलाव कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव पैदा कर सकता है.

विविधीकरण के अनुकूल नही

जब स्टॉक की कीमतें गिर रही होती हैं, तो कमोडिटी की कीमतें आसमान की ओर बढ़ती हैं. वर्ष 2008 के वित्तीय संकट में, वस्तुओं की कुल मांग में गिरावट आई.

जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई, जिसने उत्पादन को और रोक दिया. इसका मतलब है कि कैश ने कम अस्थिरता वाली वस्तुओं की तुलना में बेहतर रिटर्न प्रदान किया है.

इसलिए, कमोडिटीज प्रमुख रूप से इक्विटी वाले पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए आदर्श उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं.

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