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परिचालन जोखिम

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सरकार, रिजर्व बैंक की वजह से वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो में गिरावट के असर से अछूता रहा भारत

नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) विश्व में क्रिप्टो करेंसी में आयी बड़ी गिरावट से चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है, वहीं भारत में इसका ख़ास असर नहीं हुआ है। इसका श्रेय सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सतर्क रुख को जाता है।

आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है।

वहीं सरकार ने क्रिप्टो लेनदेन की मांग को कम करने के लिए कर का रास्ता चुना है।

क्रिप्टोकरेंसी का बाजार 2021 में तीन हजार अरब डॉलर था, जिसका कुल बाजार मूल्य अब एक हजार अरब डॉलर से भी कम रह गया है।

हालांकि, भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है।

भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी।

हालांकि, सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्चुअल मुद्राओं के संबंध में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है क्योंकि ये सीमाहीन हैं और इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक हैं।

आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली से बचकर निकल जाने के लिए विकसित किया गया है और यह उनके साथ सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए।

उद्योग का अनुमान है कि भारतीय निवेशकों का क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों में निवेश केवल तीन प्रतिशत है।

वैश्विक क्रिप्टो बाजार में गिरावट के बावजूद, भारत की क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां अभी तक किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। भारत के परिचालन जोखिम सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स और जेबपे का परिचालन जारी है।

सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार नहीं खड़ा हो सका। अगर भारतीय संस्थाएं क्रिप्टो में शामिल हो गई होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूब जाते।

एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, आरबीआई और सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाए गए कदम इस समय उचित हैं।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को ‘स्पष्ट खतरा’ बताया था।

RBI की बैंकों को सलाह, महामारी की अनिश्चितता से निपटने के लिये मजबूत करें जोखिम प्रबंधन

आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट 2020-21: भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति जारी करते हुए बैंकों को चुनौतियों के लिये तैयार रहने को कहा है.

RBI की बैंकों को सलाह, महामारी की अनिश्चितता से निपटने के लिये मजबूत करें जोखिम प्रबंधन

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: Dec 28, 2021 | 10:25 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि बैंकों को कामकाज के संचालन और जोखिम प्रबंधन के उपायों को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुई अनिश्चितता का मुकाबला किया जा सके. केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल भुगतान परिदृश्य में तेजी से तकनीकी प्रगति और नई फिनटेक कंपनियों के उभरने के साथ बैंकों को अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करना होगा तथा ग्राहक सेवाओं में सुधार को प्राथमिकता देनी होगी

वित्तीय क्षेत्र कोविड की चुनौतियों के लिये रहें तैयार

आरबीआई ने वित्तीय क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने के लिए सावधानीपूर्वक रणनीति बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी संबंधी इनोवेशन के साथ ही कोविड महामारी से उपजी चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना होगा. रिपोर्ट कहती है कि अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर जलवायु परिवर्तन के प्रणालीगत असर का आकलन अभी विकास के दौर में है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इससे निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर अभी स्पष्ट नहीं हैं। आरबीआई ने कहा, ‘‘संक्षेप में कहें, तो भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी चौराहे पर है। महामारी के दुष्प्रभाव अल्पकालिक असर डालेंगे लेकिन जलवायु परिवर्तन एवं तकनीकी नवाचारों से संबंधित कहीं बड़ी चुनौती के लिए ध्यानपूर्वक बनाई गई रणनीति की जरूरत होगी’’

“पूंजी की स्थिति को मजबूत करें बैंक’

आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट ‘2020-21: भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति’ में कहा, ‘‘बैंकों को तेजी से बदलने वाले और अनिश्चित आर्थिक वातावरण में जुझारू बनाने के लिए अपने कामकाज के संचालन या कॉरपोरेट प्रशासन और जोखिम प्रबंधन रणनीतियों को मजबूत करने की जरूरत होगी’’ रिपोर्ट में आगे कहा गया कि आने वाले समय में बैंकों के बही-खाते में सुधार समग्र आर्थिक वृद्धि के आसपास टिका है, जो महामारी के ऊपर काबू पाने पर निर्भर है. ऐसे में बैंकों को अपनी पूंजी की स्थिति को और मजबूत करने की जरूरत होगी.

एनबीएफसी में जारी रहेगी तेजी

केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के आने वाले समय में भी तेज बने रहने की उम्मीद है। अर्थव्यवस्था में रिकवरी और टीकाकरण की तेज होती रफ्तार से एनबीएफसी क्षेत्र को समर्थन मिलने की उम्मीद है, आरबीआई ने कहा कि वित्तीय प्रणाली एक हाइब्रिड व्यवस्था की तरफ बढ़ रही है जिसमें गैर-बैंकिंग मध्यवर्तियों को अहमियत मिल रही है। आने वाले वर्षों में इसकी प्रगति जारी रहने की संभावना है.

येस सिक्योरिटीज ने राजस्थान में डीमैट खातों में दर्ज की लगभग 5 गुना वृद्धि

राजस्थान के शीर्ष 6 बाजारों में शामिल हैं जयपुर, जोधपुर, अलवर, उदयपुर, कोटा और दौसा राजस्थान में येस सिक्योरिटीज द्वारा खोले गए सभी खातों में से लगभग 25 प्रतिशत खाते महिला निवेशकों के वित्त वर्ष 24 तक राजस्थान के सभी शहरों में अपनी पेशकश और सेवाओं को और मजबूत करने की योजना

जयपुर | देश की अग्रणी वेल्थ ब्रोकिंग और वित्तीय सलाहकार फर्मों में से एक येस सिक्योरिटीज लिमिटेड (वाईएसएल) ने पिछले वित्तीय वर्ष में राजस्थान में नए डीमैट और ट्रेडिंग खाते खोलने में सालाना आधार पर लगभग 5 गुना वृद्धि दर्ज की है। बढ़ती वित्तीय जागरूकता, टियर टू और टियर- थ्री शहरों में इंटरनेट सेवाओं की तेजी से पैठ, वित्तीय जोखिम की बेहतर समझ, और डिजिटल तरीके से नए उपयोगकर्ताओं को अपने साथ जोड़ने की सुविधा के कारण शेयर बाजार में लोगों की भागीदारी में वृद्धि हुई है। येस सिक्योरिटीज लिमिटेड का अगला लक्ष्य निकट भविष्य में राजस्थान के अंतिम छोर तक समस्त निवेशकों तक पहुंचने के लिए फिनटेक और डिजिटल परिवर्तन का लाभ उठाना है।

सीडीएसएल और एनएसडीएल के अनुसार, राजस्थान की निवेशक आबादी पिछले दो वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है। नवीनतम आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि राजस्थान में नवंबर 2021 से अब तक 21 लाख से अधिक नए निवेशक जुड़े हैं, जो कि सालाना आधार पर 45 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि राज्य में निवेशकों की भागीदारी बढ़ी परिचालन जोखिम है, फिर भी अभी इस सेगमेंट में राजस्थान की कुल 6.89 करोड़ की आबादी का मात्र 10 प्रतिशत हिस्सा (कुल 67.7 लाख डीमैट खाते) ही शामिल है, जो निवेश और धन सृजन की अपार संभावना को दर्शाता है।

येस सिक्योरिटीज के बिज़नेस में राजस्थान भारत के शीर्ष पांच बाजारों में से एक बना हुआ है। येस सिक्योरिटीज में राजस्थान में महिला निवेशकों की भागीदारी लगभग 25 प्रतिशत है। यह डेटा विशेष रूप से राजस्थान में शेयर बाजारों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डालता है।

अभी तक, येस सिक्योरिटीज के लिए शीर्ष छह शहर जयपुर, जोधपुर, अलवर, उदयपुर, कोटा और दोसा है। वर्तमान में, येस सिक्योरिटीज ने राजस्थान में ग्राहक अधिग्रहण में 80 से अधिक शहरों को छुआ है। आगे बढ़ते हुए येस सिक्योरिटीज ने वित्त वर्ष 24 तक राजस्थान के सभी शहरों में अपनी पेशकशों और सेवाओं को और मजबूत करने की योजना बनाई है।

येस सिक्योरिटीज की इस विकास यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कंपनी के ज्वाइंट एमडी और सीईओ श्री अंशुल अजरि ने कहा, “आर्थिक परिदृश्य में अपने खास स्थान और शेयर बाजार में बढ़ती भागीदारी के कारण राजस्थान हमेशा से हमारे लिए महत्वपूर्ण बाजारों में से एक रहा है। हमने इस समृद्धि को राजस्थान में अपने कारोबार में शानदार विकास में तब्दील होते देखा है, और हम मौजूदा और अन्य नए शहरों में अपने परिचालन का विस्तार करके इसे और अधिक तेजी से आगे बढ़ाने का इरादा रखते हैं।

हमारे ग्राहकों के दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम की क्षमता के आधार पर हम सभी वित्तीय साधनों में अनेक सॉल्यूशंस प्रदान करते हैं, जैसे इक्विटी, करेंसी, कमोडिटीज, एफ एंड ओ, निश्चित आय, ऑफशोर इनवेस्टमेंट्स आदि। प्रोडक्ट नहीं, बल्कि सॉल्यूशंस उपलब्ध कराने के हमारे इस रणनीतिक विजन के कारण हमें राजस्थान और बाकी राज्यों में भी यह उपलब्धि हासिल करने में मदद मिली है। हमारी रिसर्च – बैक्ड एडवाइजरी के कारण आज येस सिक्योरिटीज अन्य कंपनियों से अलग है। हमारी रिसर्च टीम इस उद्योग में सबसे बड़ी रिसर्च टीमों में से एक है जो हमें न केवल सलाहकार बनने में सक्षम बनाती है, बल्कि वेल्थ क्रिएशन की लोगों की यात्रा में हमें उनका भागीदार बनने में मदत करती है ।”

High Court के आदेश के बाद जेपी ग्रीन्स के अवैध बने हेलीपैड को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ढहाया

After the High Court order, the illegal helipad of Jaypee Greens was demolished by the Greater Noida Authority.

नोएडा (उप्र): ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में शुक्रवार को शहर के बीचोंबीच स्थित जेपी ग्रीन्स की लग्जरी आवासीय परियोजना में ''अवैध रूप से’’ बने हेलीपैड को ध्वस्त कर दिया और जेपी ग्रीन्स परियोजना के तहत गोल्फ कोर्स की जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण को भी रोकने का निर्देश दिया।

जेपी ग्रीन्स रेजिडेंट्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिस पर अदालत ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को कार्रवाई का आदेश दिया था। प्राधिकरण ने माना कि बिना अनुमति के हेलीपैड का संचालन किया जा रहा था। उच्च न्यायालय अब मामले में सुनवाई छह दिसंबर को करेगा।

हेलीपैड ध्वस्त करने और अवैध निर्माण को रोकने का निर्देश तीन नवंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्बारा जारी उस नए आदेश के जवाब में आया, जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को जेपी ग्रीन्स आरडब्ल्यूए द्बारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। एक याचिका फरवरी 2021 में दायर की गई थी, जिसमें गोल्फ कोर्स की भूमि पर अवैध निर्माण को उजागर किया गया था जबकि दूसरी याचिका अगस्त 2021 में दायर की गई थी, जिसमें जेपी ग्रीन्स के बाहर संचालित एक हेलीपैड और एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और संचालन) सुविधा को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋतु माहेश्वरी ने कहा, ''हमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार हेलीपैड को ध्वस्त करना पड़ा क्योंकि स्वीकृत नक्शे के उल्लंघन में हेलीपैड जेपी ग्रीन्स के भीतर आया था। हम गोल्फ कोर्स की जमीन पर अवैध निर्माण की भी जांच कर रहे हैं।’’ जेएएल के उपाध्यक्ष अशोक खेरा ने विस्तार से जानकारी दिए बगैर कहा, ''जेपी ग्रीन्स में कोई परिचालन हेलीपैड नहीं था, यह एक अस्थायी निर्माण था जिसे ध्वस्त कर दिया गया है। गोल्फ कोर्स की जमीन पर अवैध निर्माण का आरोप गलत है।’’

जेपी ग्रीन्स आरडब्ल्यूए ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में आरोप लगाया कि जेएएल हेलीपैड का संचालन करता है और आवासीय भवनों के ठीक बीच में एक एमआरओ सुविधा भी है और इन केंद्रों के कारण निवासियों के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा हो गया है। निवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) ने वहां अवैध ढांचे का निर्माण करके लगभग 50 एकड़ गोल्फ कोर्स भूमि को नष्ट कर दिया। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2000-01 में जेएएल को 237 एकड़ जमीन आवंटित की थी। इसमें गोल्फ कोर्स के लिए 193.5 और आवासीय गतिविधियों के लिए 42 एकड़ जमीन आवंटित था, जिसमें विला, आवास आदि बनाया जाना शामिल था। लेकिन, बिना कोई नक्शा पास कराए इस योजना में अवैध रूप से हेलीपैड बना लिया गया और गोल्फ कोर्स क्षेत्र में आवासीय टावर बनाए गए, जिसके विरोध में स्थानीय निवासियों ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सहायक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) अमनदीप डुली ने बताया कि अवैध निर्माण की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, ''इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जीएनआईडीए ने शुक्रवार को जेपी ग्रीन्स सोसाइटी में निर्माण कार्य रुकवा दिया। अब प्राधिकरण निर्माण की जांच करेगा। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।’’ जेपी ग्रीन्स आडब्ल्यूए के सदस्य शुभ गौतम ने कहा, ''मूल स्वीकृत नक्शा में कुल गोल्फ कोर्स क्षेत्र 193.5 एकड़ था। अवैध निर्माण के कारण वनस्पति और हरा भरा स्थान नष्ट होने से यह घटकर 144 एकड़ तक पहुंच गया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि प्राधिकरण में कई शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया। उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण से गोल्फ कोर्स क्षेत्र में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है।

Cryptocurrency: क्रिप्टो ने डुबाया, करोड़ों रुपया स्वाहा! भारत पर कितना पड़ेगा असर?

Bitcoin Down: भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है. भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी.

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दिवालिया हुआ बाजार

हालांकि, भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है. भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी. हालांकि, सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्चुअल मुद्राओं के संबंध में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है क्योंकि ये सीमाहीन हैं और इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक हैं.

क्रिप्टो बाजार में गिरावट

आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली से बचकर निकल जाने के लिए विकसित किया गया है और यह उनके साथ सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए. उद्योग परिचालन जोखिम का अनुमान है कि भारतीय निवेशकों का क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों में निवेश केवल तीन प्रतिशत है. वैश्विक क्रिप्टो बाजार में गिरावट के बावजूद, भारत की परिचालन जोखिम क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां अभी तक किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स और जेबपे का परिचालन जारी है.

उठाए गए कदम उचित

सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार नहीं खड़ा हो सका. अगर भारतीय संस्थाएं क्रिप्टो में शामिल हो गई होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूब जाते. एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, आरबीआई और सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाए गए कदम इस समय उचित हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को ‘स्पष्ट खतरा’ बताया था.

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