शेयर दलाल क्या है

सेबी ने खुदरा निवेशकों की एल्गो ट्रेडिंग पर नियामकीय ढांचे का प्रस्ताव रखा
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बृहस्पतिवार को एल्गोरिद्म पर आधारित खरीद-बिक्री वाली प्रणाली 'एल्गो ट्रेडिंग' के लिए एक नियामकीय ढांचा बनाने का प्रस्ताव पेश किया।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बृहस्पतिवार को एल्गोरिद्म पर आधारित खरीद-बिक्री वाली प्रणाली 'एल्गो ट्रेडिंग' के लिए एक नियामकीय ढांचा बनाने का प्रस्ताव पेश किया।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) खुदरा निवेशकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग को सुरक्षित बनाने और बाजार को तिकड़मों से बचाने के लिए यह प्रस्ताव लेकर आया है। इसमें एल्गो ट्रेडिंग के नियमन संबंधी सुझाव पेश गए हैं। इस पर 15 जनवरी तक टिप्पणियां आमंत्रित की गई हैं।
एल्गो ट्रेडिंग में एल्गोरिद्म के आधार पर शेयरों की खरीद या बिक्री का ऑर्डर अपने-आप सक्रिय हो जाता है। इस प्रणाली में शेयरों के भाव पर स्वचालित ढंग से नजर रखी जाती है और पहले से तय मानक पूरा होने पर एक ऑर्डर सक्रिय हो जाता है। इस प्रणाली के होने पर शेयर कारोबारी चढ़ते-उतरते भाव पर लगातार नजर रखने से मुक्त रहता है।
सेबी ने अपने परामर्श पत्र में खुदरा निवेशकों की तरफ से की जाने वाली एल्गो ट्रेडिंग के लिए एक ढांचा खड़ा करने का प्रस्ताव रखा है। फिलहाल स्टॉक एक्सचेंज शेयर दलालों की तरफ से पेश एल्गो ट्रेडिंग की अर्जी को ही मंजूरी देते शेयर दलाल क्या है हैं।
हालांकि खुदरा निवेशकों के एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) पर आधारित एल्गो ट्रेडिंग में न तो एक्सचेंज और न ही शेयर दलाल ही जान पाते हैं कि किसी एपीआई लिंक से निकला कोई कारोबार एल्गो कारोबार है या नहीं।
सेबी ने कहा, "इस तरह के गैर-विनियमित एल्गो बाजार के लिए जोखिम पैदा करते हैं और व्यवस्थित रूप से बाजार की तिकड़म के लिए भी इनका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा खुदरा निवेशकों को भी ऊंचे रिटर्न की गारंटी देकर लुभाया जा सकता है। वहीं एल्गो प्रणाली के नाकाम होने शेयर दलाल क्या है पर खुदरा निवेशकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।"
सेबी का परामर्श-पत्र कहता है कि एल्गो प्रणाली मुहैया कराने वाले वेंडरों पर कोई नियमन नहीं होने से निवेशकों के पास शिकायत दर्ज कराने का भी कोई मंच नही होता है।
सेबी ने कहा है कि किसी एपीआई से सृजित होने वाले सभी ऑर्डर को एक एल्गो ऑर्डर माना जाना चाहिए और उन पर शेयर दलाल का नियंत्रण होना चाहिए। दलाल के लिए भी एक्सचेंज से सभी एल्गो की मंजूरी लेना जरूरी किया जाए। इसके अलावा किसी भी तीसरे पक्ष के एल्गो वेंडर को एक्सचेंज से मान्यता नहीं दी जानी चाहिए।
Expalined: शेयर बाजार में क्यों हो रही गिरावट, निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह
Stock Markets Crashed: भारत समेत दुनियाभर के बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई है। बजट के ठीक पहले दलाल स्ट्रीट का इस मूड ने सभी को चिंता में डाल दिया है। वैसे माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी इसका सबसे बड़ा कारण है। कहा जा रहा है कि अभी कुछ और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यानी निवेशकों के लिए मुश्किल दौर बना रहेगा। कोरोना महामारी भी बाजार के सेंटिमेंट्स को बिगाड़ रही है। अमेरिका और रूस के बीच तनातनी भी आग में घी का काम कर रही है। यहां जानिए एक्सपर्ट्स की राय कि आगे क्या करना चाहिए। वहीं गिरावट की बड़ी बजह क्या हैं
Stock Markets Crashed: गिरावट की दो बड़ी वजह
1. महंगा होता क्रूड बिगाड़ेगा सरकार का बजटीय गणित: सरकार के बजटीय गणित पर सबसे ज्यादा परोक्ष असर महंगे होते क्रूड का पड़ेगा। वर्ष 2022 में क्रूड की कीमतें 14 प्रतिशत बढ़कर 88.17 डालर प्रति बैरल हो गई हैं। पिछले सात वर्षों में यह सबसे ज्यादा है। यह ठीक है कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत नहीं बढ़ा रही हैं, लेकिन अगर क्रूड की कीमतें ऐसी ही बनी रहीं तो पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद एकमुश्त कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं। इसका व्यापक असर महंगाई पर पड़ सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि वित्त मंत्री जनता को फिर से महंगे पेट्रोल डीजल के एक नए दौर में डालती हैं या फिर उन्हें राहत देने के लिए पेट्रोल- शेयर दलाल क्या है डीजल पर उत्पाद शुल्क में पहले ही कटौती करेंगी। केंद्र सरकार के पास एक और उपाय है कि वह राज्यों को पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए नए सिरे से बात करे और उन्हें तैयार करे। महंगे क्रूड का प्रभाव देश के चालू खाते में घाटे (निर्यात से होने वाली शेयर दलाल क्या है विदेशी मुद्रा की कमाई व आयात पर होने वाले विदेशी मुद्रा के खर्चे का अंतर) पर भी दिखाई देगा।
2. महंगाई का दौर लौटने की आशंका भी बड़ी वजह: शेयर बाजार की गिरावट के लिए एक दूसरी बड़ी वजह अमेरिका और दूसरी अर्थव्यवस्था में महंगाई के दौर के लौटने को माना जा रहा है। इसकी वजह से अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों को बढ़ाने का एलान होने वाला है। इसका भारत पर असर होने की बात कही जा रही है। सबसे पहले तो अमेरिकी शेयर बाजार के आकर्षक होने से विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) भारत से पैसा निकाल कर वहां निवेश करेंगे। ऐसे में देखना होगा कि एफआइआइ को पैसा निकालने से रोकने के लिए आम बजट 2022-23 में कोई कदम उठाया जाता है या नहीं। इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार और घरेलू बांड्स पर दिखेगा।
Stock Markets Crashed: जानिए आगे क्या करें
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार के मुताबिक, अभी निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहना होगा, क्योंकि पिछले सप्ताह अमेरिका के तकनीकी शेयरों में भारी गिरावट ने पूरी दुनिया के बाजार को प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन सीमा विवाद और फेडरल बैंक की तरफ से दरों में बढ़ोतरी से इस गिरावट को और मजबूती मिली है।
इसी तरह इक्विटी सलाहकार देवांग मेहता का कहना है कि बाजार चार-पांच दिनों से विकसित देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर सहमा हुआ है। ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरनाक नहीं होने शेयर दलाल क्या है के बावजूद इससे प्रभावित मरीजों की संख्या सोचने को मजबूर कर रही है।
जानिए शेयर बाजार कैसे बना दो खरब का मार्केट
नई दिल्ली। शेयर बाजार की शुरुआत आजादी मिलने से 107 साल पहले ही हो चुकी थी। लेकिन उस समय तरीका बिल्कुल अलग था। 1840 में पहली बार शेयर बाजार की शुरुआत मुंबई में बरगद के पेड़ के नीचे 22 लोगों के साथ शुरु की गई। मुंबई के टाउनहाल के पास बरगद के वृक्ष के नीचे सभी लोग दलाल एकत्रित होते थे और शेयरों का सौदा करते थे। हालांकि कुछ सालों बाद ये दलाल महात्मा गांधी रोड पर बरगद के वृक्ष के नीचे जुटने लगे। धीरे-धीरे शेयर दलालों की संख्या बढती गई ।
एशिया के सबसे पुराने एक्सचेंज की स्थापना का श्रेय चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है। ये सभी 1840 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी होती रही। 1875 में इन्होंने अपना नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन बना लिया। साथ ही दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया।
आजादी मिलने के 10 साल बाद साल 31 अगस्त 1957 शेयर दलाल क्या है को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को भारत सरकार ने सिक्योरिटी एक्ट के तहत लाया। साल 1980 में बीएसई को दलाल स्ट्रीट पर शिफ्ट किया गया। 1986 में एक्सचेंज में एसएनपी, बीएसई और सेसेक्स जैसे इंडेक्स बनाए गए। 2000 में डेरिएटिव मार्केट के लिए इसे खोला गया। 25 जनवरी 2001 को डॉलेक्स-30 लॉन्च किया था। इसे बीएसई का डॉलर लिंक्ड वर्जन कहा जाता है। साल दर साल विस्तार के बाद आज यहां हर काम टेक्नॉलिजी से होता है।
सेबी का स्थापना
1980 के दशक तक बीएसई बहुत कम पारर्दशिता के साथ कार्य करती थी। इस दश के अंत तक नई आर्थिक बल, आर्थिक ग्रोथ के लिए एक आधुनिक वित्तिय सिस्टम की जरूरत पड़ी। तब 1988 भारत सरकार ने सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना की।
एनएसई की शुरूआत
वर्ष 1992 में हर्षद मेहता स्कैम के चलते बॉम्बे स्टॉका एक्सचेंज क्रैश हो गया। तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने बीएसई की प्रतिस्पर्धा के लिए एक और स्टॉक एक्सचेंज की जरूरत की बात कही। नवंबर 1992 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की शुरूआत हुई। ऑपरेशन के कुछ ही दिनों के बाद एनएसई भारत का सबसे बड़ा शेयर दलाल क्या है स्टॉक एक्सचेंज माकेर्ट बन गया।
डॉली खन्ना के शेयर्स में 90 फीसदी का उछाल: शेयर बाजार की दिग्गज को बुलाते हैं 'लेडी झुनझुनवाला', कभी हाउसवाइफ रहीं डॉली आज हैं 700 करोड़ की मालकिन
शेयर बाजार की दिग्गज निवेशक डॉली खन्ना के पोर्टफोलियो के शेयर इस वक्त काफी डिमांड में हैं और निवेशकों को अच्छा प्रॉफिट दे रहे हैं। 2021 में उनके पोर्टफोलियो के स्टॉक 90 फीसदी बढ़े हैं। शेयर मार्केट में इनकी हर हरकत पर निवेशकों की नजर रहती है। इन्हें 'लेडी विथ मिडास टच' का खिताब भी मिला हुआ है। हम आपको बता रहे हैं कि कौन हैं डॉली खन्ना और वह कैसे बनीं शेयर मार्केट की 'लेडी झुनझुनवाला'शेयर दलाल क्या है ।
कौन हैं डॉली खन्ना?
डॉली खन्ना चेन्नई की रहने वाली हैं। फिलहाल मुंबई में रहती हैं। पहचान की बात करें तो इनकी दो पहचान हैं। इनकी एक पहचान हाउस वाइफ की है और दूसरी शेयर मार्केट शेयर दलाल क्या है की बेहतर समझ रखने वाली और मुनाफा कमाने वाली महिला के तौर पर है। डॉली लाइम लाइट से शेयर दलाल क्या है दूर रहती हैं। कुछ खबरों की मानें तो इनका पोर्टफोलियो इनके पति राजेश खन्ना चलाते हैं।
कैसे बनीं दलाल स्ट्रीट का बड़ा नाम?
डॉली भले ही हाउस वाइफ हैं लेकिन शेयर मार्केट और पैसों को लेकर इनकी समझ बहुत उम्दा है। समझ इतनी शानदार कि दलाल स्ट्रीट में इन्हें लोग लेडी झुनझुनवाला भी बुलाते हैं। इनको स्टॉक इनवेस्टिंग का शौक था तो शेयर मार्केट में पहली बार साल 1996 में पैसा लगाया। और तबसे पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इनका निवेश स्टाइल क्या है?
ये निवेश करने के लिए हमेशा कम कीमत वाले शेयरों को चुनती हैं। खासकर उन कंपनियों के शेयर को जिनके प्रोडक्ट का लोगों की जिंदगी में रोज इस्तेमाल होता है। इनके ज्यादातर निवेश टेक्सटाइल, फर्टिलाइजर, केमिकल, सीमेंट सेक्टर की कंपनियों में हैं। इसके अलावा डॉली किचेन अप्लायंसेज, आईटी और फार्मा सेक्टर की तरफ भी दांव खेल रही हैं। फिलहाल इनके पास 15 कंपनियों के शेयर हैं। कभी एक करोड़ रुपए से शुरुआत करने वाली डॉली आज 700 करोड़ रुपए की संपत्ति की मालकिन हैं। इनकी तरक्की को देखते हुए दलाल स्ट्रीट में इनके फॉलोअर्स की संख्या बढ़ गई है।
परिवार और संघर्ष की कहानी
डॉली खन्ना के पति का नाम राजेश खन्ना है। साल 1968 में राजेश ने आईआईटी मद्रास से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म करके जगतजीत इंडस्ट्री में नौकरी की। एक बाद एक दो-तीन नौकरियां शेयर दलाल क्या है कीं लेकिन दिल हमेशा बिजनेस की तरफ लगा रहा। और उसी का नतीजा रहा कि राजेश ने क्वालिटी आइसक्रीम का बिजनेस शुरू किया। लेकिन फिर अपना बिजनेस हिंदुस्तान यूनिलीवर के हाथों बेच दिया। कंपनी बेचने के बाद जो पैसे मिले उसे खन्ना दंपत्ति ने शेयर मार्केट में लगाया। इनके लिए शेयर मार्केट का शुरुआती सफर काफी मुश्किल भरा रहा। आईटी सेक्टर में निवेश करके काफी नुकसान झेला। लेकिन तब भी डटे रहे। साल 2003 में पहली बार निवेश में अच्छा रिटर्न मिला और तब से दोनों पति-पत्नी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।