क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर

देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटा, जानें अब खजाने में कितना रह गया है?
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को खत्म हफ्ते में 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह जानकारी दी.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा
Updated on: Sep 29, 2022 | 1:44 PM
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को खत्म हफ्ते में 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह जानकारी दी. इससे पहले पांच अगस्त को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.97 अरब डॉलर रहा था. रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 12 अगस्त को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट की मुख्य वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों का कम होना है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं.
देश का सोने का भंडार बढ़ा
साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन हफ्ते में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 2.65 अरब डॉलर घटकर 506.99 अरब डॉलर रह गईं हैं. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि या मूल्य में गिरावट के असर को शामिल किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक, बीते हफ्ते में स्वर्ण भंडार का मूल्य 30.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.61 अरब डॉलर हो गया है.
समीक्षाधीन हफ्ते में, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.13 अरब डॉलर हो गया है. जबकि, आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 70 लाख डॉलर बढ़कर 4.99 अरब डॉलर से अधिक हो गया है.
क्या कहता है रिजर्व बैंक?
आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक रुपये के किसी स्तर को लेकर अपना कोई लक्ष्य नहीं दिया है.
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है. अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर, क्या होगा गिरावट का असर?
अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. हफ्ते के दौरान गोल्ड रिजर्व 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 अरब डॉलर रह गया है
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Oct 29, 2022 | 8:01 AM
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है और अब रिजर्व घटकर 2 साल के निचले स्तरों पर पहुंच गए हैं. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. भंडार का ये आंकड़ा जुलाई 2020 के बाद से निचले स्तरों पर है. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशीमुद्रा भंडार में कमी होती देखी जा रही है.
क्यों आई रिजर्व में गिरावट
देश के मुद्राभंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को थामने के लिए केन्द्रीय बैंक मुद्राभंडार से मदद ले रहा है. एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर पर पहुंच गया था. तब से अब तक रुपये में गिरावट की वजह से रिजर्व बैंक घरेलू करंसी के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए 100 अरब डॉलर से ज्यादा लगा चुका है.
वहीं रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, विदेशीमुद्रा आस्तियां (एफसीए) 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गयीं. आंकड़ों के अनुसार देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के संदर्भ में 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 70 लाख क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया है.
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क्या होगा रिजर्व में गिरावट का असर
फॉरेक्स रिजर्व की मदद से कोई भी देश जरूरत पड़ने पर अपनी करंसी में आई तेज गिरावट को थामने के लिए कदम उठा सकता है. हालांकि रिजर्व घटने से इस क्षमता पर असर पड़ता है और करंसी में अनियंत्रित गिरावट आ सकती है. और इसका असर उन देशों पर पड़ता है जो आयात पर निर्भर करते हैं. क्योंकि करंसी गिरने से आयात महंगा हो जाता है. इसके साथ ही भुगतान की क्षमता पर असर पड़ने से आयात के सौदे रुकने लगने हैं और देश में सामान की कमी हो सकती है. पाकिस्तान और श्रीलंका इसके दो बड़े उदाहरण है. हालांकि भारत में फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है. भले ही रिजर्व लगातार गिर रहा हो, लेकिन रिजर्व बैंक के मुताबिक भंडार पर्याप्त है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है. हालांकि बाजार मान रहा है कि भंडार जैसे जैसे घटेंगे केंद्रीय बैंक की रुपये को थामने की क्षमता भी घटती जाएगी.
Forex Reserve: थम गया लगातार गिरावट का सिलसिला, 204 मिलियन डॉलर बढ़कर 532 बिलियन हुआ विदेशी मुद्रा भंडार
Forex Reserve रुपये में लगातार हो रही गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई ने विदेशी मुद्रा बाजार में जमकर हस्तक्षेप किया है। इसके चलते हाल के दिनों में विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा था। इससे अब बाजार भी संभाल जाएगा।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 204 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 532.868 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पिछले सप्ताह भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 बिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 532.664 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया था।
आपको बता दें कि पिछले कई हफ्तों से विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा था, क्योंकि केंद्रीय बैंक रुपये में होने वाली गिरावट को रोकने के लिए लगातार डॉलर बेच रहा था। अक्टूबर 2021 में देश की विदेशी मुद्रा किटी 645 बिलियन अमरीकी डालर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी।
थमा गिरावट का सिलसिला
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय डाटा के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) जो समग्र भंडार का एक प्रमुख घटक हैं 7 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 1.311 बिलियन अमरीकी डॉलर की गिरावट के साथ 471.496 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं। आपको बता दें कि एफसीए में विदेशी मुद्रा के रूप में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी इकाइयां शामिल हैं।
सोने की होल्डिंग वैल्यू भी बढ़ी
आरबीआई ने कहा कि 7 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के लिए कुल विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि सोने की होल्डिंग के मूल्य में बढ़ोतरी के क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर कारण हुई है। यह 1.35 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़कर 38.955 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई। विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 155 मिलियन अमरीकी डालर बढ़कर 17.582 बिलियन अमरीकी डालर हो गया। आंकड़ों से पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ देश का रिजर्व 10 मिलियन अमरीकी डॉलर बढ़कर 4.836 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
India's Forex Reserves: रुपया कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर, क्या होगा गिरावट का असर?
Reserve Bank of India: क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है और यह घटकर दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. विदेशी मुद्रा भंडार 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशीमुद्रा भंडार में कमी होती क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर देखी जा रही है.
अक्टूबर 2021 में सबसे ऊंचे स्तर पर था
एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. देश के मुद्राभंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को थामने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है. अक्टूबर 2021 से अब तक रुपये में गिरावट की वजह से आरबीआई घरेलू करेंसी के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर 100 अरब डॉलर से ज्यादा लगा चुका है.
SDR 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हुआ
रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गई. आंकड़ों के अनुसार देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के संदर्भ में 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (SDR) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया है.
क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?
विदेशी मुद्रा भंडार की मदद से कोई भी देश जरूरत पर अपनी करेंसी में आई गिरावट को थामने के लिए उचित कदम उठा सकता है. आयात पर निर्भर रहने वाले देशों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है. दरअसल, मुद्रा में गिरावट से आयात महंगा हो जाता है और सामान के बदले ज्यादा कीमत चुकानी होती है. भुगतान की क्षमता पर असर पड़ने से आयात रुकने लगता है और देश में सामान की कमी हो सकती है. (भाषा)
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क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर
बिज़नेस न्यूज डेस्क - देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है और दो साल के निचले स्तर पर आ गया है। 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी आंकड़ों से मिली है। इससे पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। देश के मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार की मदद ले रहा है। अक्टूबर 2021 से अब तक, रुपये के मूल्यह्रास के कारण, आरबीआई ने घरेलू मुद्रा के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए $ 100 बिलियन से अधिक का निवेश किया है।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गई। आंकड़ों के मुताबिक देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के लिहाज से 247 मिलियन डॉलर घटकर 37,206 बिलियन डॉलर हो गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार की मदद से कोई भी देश जरूरत पड़ने पर अपनी मुद्रा में गिरावट को रोकने के लिए उचित कदम उठा सकता है। आयात पर निर्भर देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। वास्तव में, मुद्रा में गिरावट से आयात महंगा हो जाता है और माल के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। भुगतान करने की क्षमता पर प्रभाव के कारण आयात रुक जाता है और देश में माल की कमी हो सकती है।