क्रिप्टोकरेंसी इन इंडिया

प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट

प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट

Return on Capital Employed – ROCE kya hai ?

अगर हम उन शेयरों की पहचान करना चाहते हैं जो लंबी अवधि में हमारे निवेश को कई गुना कर सकते हैं तो अन्य बातों के साथ साथ, हम सबसे पहले दो चीज़ें देखनी होंगी ; पहला, बढ़ता हुआ ROCE (Return on Capital Employed) और दूसरा, कंपनी के Capital Employed की मात्रा में लगातार होता हुआ विस्तार। इस प्रकार की कंपनियां कंपाउंडिंग मशीन की तरह कार्य करती हैं, वे प्रॉफिट को लगातार उच्च रिटर्न दरों पर पुनर्निवेश करती हैं और निवेशकों की संपत्ति को लंबे समय तक लगातार Grow करती रहती हैं।

सभी निवेशक और शेयर बाजार विश्लेषक निवेश के लिए बेहतर कंपनी या स्टॉक का चुनाव करने के लिए ROCE का उपयोग अवश्य करते हैं। Return on Capital Employed – ROCE एक ऐसा महत्वपूर्ण वित्तीय अनुपात है जो निवेश के लिए बेहतरीन कंपनी का चुनाव करते समय एक आधारभूत संकेतक की भूमिका निभाता है। Return on Capital Employed – ROCE kya hai ?

ROCE क्या है ?

जब कोई कंपनी किसी भी प्रकार का बिजनेस करती है या नया बिजनेस शुरू करती है तो उस बिजनेस को चलाने के लिए और आगे बढ़ने के लिए उसे उस बिजनेस पर पूंजी या वित्तीय संसाधनों का निवेश करना पड़ता है। यह निवेश कंपनी के बिजनेस की प्रकृति के अनुसार किसी भी प्रकार का हो प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट सकता है जैसे भवन, जमीन, मशीन, उपकरण, सॉफ्टवेयर, ब्रांड आदि। इन्ही संसाधनों के सदुपयोग से कंपनी अपना बिजनेस चलाती है और लाभ अर्जित करती है। वित्तीय अनुपात ROCE यह दर्शाता है कि कंपनी अपने बिजनेस से लाभ अर्जित करने के लिए कितनी दक्षतापूर्वक इन संसाधनों या पूंजी का उपयोग कर पा रही है। “How efficiently company is utilising its resources or capital प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट to make profit from its business.”

Formula to Calculate ROCE

ROCE को कैलकुलेट करने के लिए हमें दो चीजों की आवश्यकता होती है। पहला ऑपरेटिंग प्रॉफिट या EBIT ( Earning before Interest and Tax), जिसे हम कंपनी के प्रॉफिट & लॉस स्टेटमेंट से प्राप्त कर सकते हैं। दूसरी चीज जिसकी हमें आवश्यकता होती है वह है Total Capital Employed, जिसे हम कंपनी की बैलेंस शीट की सहायता से कैलकुलेट कर सकते हैं।

\[ROCE={Earning \;Before\;Interest\;and\;Tax\;(EBIT) \over Average\:Capital\;Employed \:}.\]

\[ROCE={Earning \;Before\;Interest\;and\;Tax\;(EBIT) \over Shareholders\:Equity\;+ Long\;Term\; Liabilities \:}.\]

ROCE का प्रयोग कैसे करें ?

ROCE के आधार पर निवेश के लिए बेहतर स्टॉक का चुनाव करने के लिए इसका प्रयोग हम दो प्रकार से कर सकते हैं –

  • एक ही प्रकार की इंडस्ट्री या सेक्टर में विभिन्न कम्पनियां होती हैं, अगर हमें इन कंपनियों में से उन कंपनियों का चुनाव करना चाहते हैं जिनमें पूंजी का प्रयोग अधिक दक्षता हो रहा हो तो उन कंपनियों में से सबसे अधिक ROCE वाली कंपनियों का चुनाव करना चाहिए। उदाहरण के लिए, नीचे दिए गए चित्र में सीमेंट क्षेत्र की चार कंपनियों और उनके ROCE का मान दिया गया है जिनमे Shree Cement के लिए ROCE का मान अन्य कंपनियों की तुलना में सबसे अधिक (19.14%) है। और Ultratech Cement के लिए ROCE का मान अन्य की तुलना में कम (15.13%) है।

उपरोक्त आधार पर हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि Shree Cement में पूंजी का प्रयोग अन्य कंपनियों की तुलना में अधिक दक्षता पूर्वक किया जा रहा है और Ultratech Cement में यह दक्षता अन्य कंपनियों की तुलना में कुछ कम है।

  • जब हम ROCE के आधार पर किसी विशिष्ट कंपनी का विश्लेषण करते हैं तो हम यह देखते हैं कि पिछले कुछ सालों में कंपनी का ROCE कैसा रहा, इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली या इसके ROCE में गिरावट आई। ROCE के मान में साल दर साल वृद्धि एक अच्छा संकेत माना जाता है इसके विपरीत अगर ROCE के मान में साल दर साल गिरावट होती है तो हमें और अधिक गहराई से विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है।

ROCE के आधार पर विश्लेषण करते समय हमे कुछ चीजों पर ध्यान देने आवश्यकता होती है, जैसे – अगर कंपनी ने अपने बिजनेस में अधिक मात्रा में पूंजी निवेश किया है तो कुछ आने वाले कुछ सालों तक जब तक यह निवेश रिटर्न देना आरंभ नहीं कर देता, कंपनी के ROCE में गिरावट आ सकती है।

केवल ROCE के आधार पर निवेश का निर्णय नहीं लिया जा सकता है । ROCE के साथ साथ इसको प्रभावित करने वाले कारकों पर भी हमे ध्यान देना चाहिए और अन्य वित्तीय अनुपातों का भी अध्ययन करना चाहिए।

कंपनी का EBITDA क्या होता है ? EBITDA का उपयोग कैसे करे ?

स्टॉक मार्केट में फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत ही आवश्यक होता है। कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस में कई सारे घटकों का स्टडी करना होता है। इसमें कंपनी का EBITDA एक महत्वपूर्ण घटक है। इसे प्रॉफिट अँड लॉस स्टेटमेंट से समझतें है। और गुडविल को बैलेंस शीट से समझतें है। इनसे कंपनी की क्षमता और प्रतिष्ठा का पता लगता है।

EBITDA क्या होता है ?

EBITDA का मतलब आसान भाषा में कहा जाए तो यह एक प्रॉफिट की राशि होती है, जो की कंपनी क मा ती है और उस पर टैक्स वगैरा खर्चे देने बाकी होते है।

"EBITDA याने की कंपनी का शुद्ध मुनाफा होता है।" जो प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट की कंपनी अपने बिज़नेस से कमाती है।

"EBITDA का मतलब ब्याज, कर, डिप्रिसिएशन और संपत्ति परिशोधन से पहले की कमाई है।"

कंपनी का आर्थिक मूल्यांकन करने के लिए यह सबसे ज्यादा उपयोग में लाए जाने वाला मूल्यमापक है। कंपनी की इनकम की कैपेसिटी इसके द्वारा नापी जाती है। जब भी किसी कंपनी के रिजल्ट जाहिर किए जाते है। उसमें EBITDA को ध्यानपूर्वक देखा जाता है।

EBITDA Full Form

अर्निंग्स बिफोर इंटरेस्ट, टैक्सेस, डिप्रिसिएशन, अमॉर्टिजेशन

EBITDA को कैसे समझे ?

1 ) कंपनी अपना काम का चलाती हैं, याने की बिजनेस करती है।

2 ) बिजनेस करने से कंपनी को इनकम होता हैं। कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करके इसे अच्छी तरह से समझ सकते है।

3 ) कंपनी को बिजनेस चलाने के लिए खर्चे करने होते है। बिजनेस चलाने के लिए किए जाने वाले खर्चों को ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस कहा जाता है।

4 ) कंपनी की इनकम से यह ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस माइनस करने पर प्रॉफिट निकल कर आता है।

"कंपनी का EBITDA याने की कंपनी के प्रॉफिट कि वह राशि होती है जिसमें से नॉन ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस माइनस नहीं किए है।" नॉन ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस याने की ऐसे एक्सपेंसेस होते है, जो कंपनी को बिजनेस चलाने के अलावा करने होते हैं, जैसे की टैक्सेज। यह प्रॉफिट कमाने के बाद में देना होता है।

अब हम यहां पर EBITDA को समझ चुके है। नीचे हम यह EBITDA के घटक और फॉर्म्युला भी जान लेते हैं।

EBITDA के घटक

Company EBITDA in Hindi.

E अर्निंग्स, यह कंपनी का इनकम होता है।

B बिफोर शब्द का उपयोग यहाँ निचे के "खर्चों के पहले" ऐसा किया है।

I ब्याज जो की देना है।

T टैक्सेज जो की देने है।

D असेट की मूल्य घट जो की करनी है।

A अमॉर्टिजेशन एक्सपेंसेस जो की एसेट वैल्यू से डिडक्ट करने है।

EBITDA का फॉर्म्युला

EBITDA = कंपनी का ग्रॉस प्रॉफिट + ब्याज जो की देना है। + टैक्सेज जो की देने है। + असेट की मूल्य घट जो की प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट करनी है। + अमॉर्टिजेशन एक्सपेंसेस जो की एसेट वैल्यू से डिडक्ट करने है।

EBITDA मार्जिन = EBITDA / टोटल रेव्हेन्यू x 100

EBITDA मार्जिन का उपयोग निचे उदाहरण से समझेंगे।

EBITDA का महत्व

1 ) EBITDA के आंकड़े देखकर "कंपनी की ऑपरेटिंग इफिशिएंसी" का पता लगाया जाता है। कंपनी मार्केट में अपना बिजनेस कितनी क्षमता से चला रही हैं, ऑपरेट कर रही है इसे ऑपरेटिंग इफिशिएंसी कहते है।

2 ) कंपनी जिस सेक्टर में काम करती हैं उस सेक्टर में "प्रॉफिट कमाने के अवसर" कितने है ? और उस हिसाब से कंपनी कितना प्रॉफिट कमा रही है। यह देखने के लिए EBITDA का उपयोग होता है।

3 ) सेम सेक्टर में, बिजनेस में कंपटीशन करने वाली कंपनियों के EBITDA को देखकर "बेटर कंपनी कौन सी हैं ?" इसका पता लगाया जाता है। ऐसा करने के लिए EPS को भी देखा जाता है।

4 ) स्टॉक मार्केट में, "लंबे समय के निवेश के लिए" फंडामेंटल एनालिसिस किया जाता है। इसमें EBITDA का स्टडी करना महत्वपूर्ण होता है।

EBITDA का उपयोग कैसे करते है ?

अब हम जानेंगे कि, EBITDA का उपयोग कैसे करते हैं। हम सभी को यह मालूम होना चाहिए। हैं ना ?

1 ) कंपनी के मालिक, अपनी कंपनी में इन्वेस्टमेंट लाना चाहते हैं। ऐसे में अपने इन्वेस्टर के लिए " इन्वेस्टमेंट पिच करते वक्त EBITDA बताना होता है।" यह इसका एक उपयोग होता है।

2 ) निवेशक के नजरिए से देखा जाए तो, निवेशक को निवेश के लिए कंपनी सिलेक्ट करनी होती हैं। ऐसे में स्टॉक मार्केट में हो या स्टॉक मार्केट में लिस्ट करने से पहले हो, कंपनी का EBITDA कैलकुलेट करके समझना होता है।

EBITDA के साथ प्रॉफिट अँड लॉस स्टेटमेंट और बैलेंस शीट से " कंपनी का आर्थिक विश्लेषण" पूरा होता है।

EBITDA का उदाहरण

किसी कंपनी का ज्यादा EBITDA मार्जिन उस कंपनी के ज्यादा उत्पन्न करने की क्षमता को दर्शाता है। सही है ? तो ऐसे में अगर उदाहरण के माध्यम से समझतें है।

X कंपनी इसका EBITDA Rs. 10 लाख है। और कंपनी का टोटल रेवेन्यू एक करोड़ है। ऐसे में उस कंपनी का EBITDA मार्जिन 10 % बनता है।

EBITDA मार्जिन X कंपनी = 10 लाख / 1 करोड़ x 100 = 10 %

और उससे तुलना करने के लिए, सेम सेक्टर की एक कंपनी, Y कंपनी मानते है। उसका EBITDA Rs.8 लाख है। और टोटल रेवेन्यू 60 लाख है। ठीक है ? तो इसका EBITDA मार्जिन निकलते है।

EBITDA मार्जिन Y कंपनी = 8 लाख / 60 लाख x 100 = प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट 13. 33 %

यहां पर X कंपनी का EBITDA यह Y कंपनी के EBITDA से ज्यादा है। दोनों सेम सेक्टर की कंपनियां है। ऐसे में कौन सी कंपनी अपने सेक्टर में लीडरशिप प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट कर रही है ? यह जानने के लिए EBITDA का उपयोग करते है। तो ऐसा स्पष्ट हो जाता है कि Y कंपनी, X कंपनी से बेटर है। इसमें निवेश करने से ज्यादा पैसे बनने की संभावना है।

बैंक निफ़्टी स्टॉक्स का EBITDA

HDFC बैंक का, जून 2022 का EBITDA Rs. 12823 (in cr.) है।

SBI बैंक का, जून 2022 का EBITDA Rs. 10265 (in cr.) है।

ICICI बैंक का, जून 2022 का EBITDA Rs. 9992 (in cr.) है।

कोटक महिंद्रा बैंक का, जून 2022 का EBITDA Rs. 3686 (in cr.) है।

एक्सिस बैंक का, जून 2022 का EBITDA Rs. 3903 (in cr.) है।

EBITDA के बारें में हमने यह जाना

आर्थिक दृष्टिकोण से कंपनी की क्षमता नापने के लिए EBITDA का बहुत ही बढ़िया उपयोग होता हैं। किसी कंपनी की आर्थिक हालात संक्षिप्त रूप में बयान करने के लिए EBITDA का उपयोग किया जाता है।

"EBITDA एक सूचनांक के जैसे काम करता हैं।" और इससे काफी सारे विश्लेषनों की जरूरत नहीं पड़ती। EBITDA बताने वाला और सुनने वाला दोनों, कंपनी के स्थिति के बारे में एकमत हो जाते है। यह EBITDA की खासियत हैं। हमें स्टॉक मार्केट में निवेश करते वक्त कंपनी का EBITDA स्टडी करना चाहिए। इससे हमारा इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बेहतर होता है।

Class Doubts - Module 3 - Hindi Batch

यह एक आम कहावत है की किसी भी चीज़ को महान बनने के लिए उसकी नींव का मजबूत होना बहुत ज़रूरी है। जिस आधार या स्तम्भ पर कोई वस्तु बनी हो या खड़ी हो, वह इतनी मज़बूत होनी चाहिए कि कोई भी वस्तु उसकी पहचान को हिला न सके। उसी तरह, फंडामेंटल एनालिसिस भी किसी व्यवसाय के कामकाज को उसके सबसे बुनियादी स्तर पर समझने की एक प्रक्रिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन्वेस्टमेंट के लिए व्यवसाय का सही मूल्य क्या है, यह जानने के लिए कि क्या यह कम या अधिक है। किसी भी व्यक्ति को किसी भी कंपनी का मूल्यांकन करने से पहले उस कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझना चाहिए और इन्वेस्टमेंट से पहले उस कंपनी को एनालाइज ज़रूर करना चाहिए।

फंडामेंटल एनालिसिस में क्वालिटेटिव एंड क्वांटिटेटिव एनालिसिस दोनों शामिल होते है। क्वालिटेटिव एनालिसिस के लिए आपको कंपनी मैनेजमेंट को समझने की ज़रूरत है और साथ ही कंपनी के फंडामेंटल्स ऑफ़ बिज़नेस को समझने के लिए आपको उस बिज़नेस को चलाने वाले प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट लोगो की मंशा को जानने की आवश्यकता है। नंबर्स साइड पर, आपको फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स को समझने की आवश्यकता है जो किसी कंपनी की फाइनेंसियल परफॉरमेंस एंड बिज़नेस एक्टिविटीज को दर्शाते है और उस कंपनी की FD के द्वारा जो प्रोफिटेबिलिटी है जैसे की बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लोस्स स्टेटमेंट, कॅश फ्लो स्टेटमेंट आदि और कंपनी के रिटर्न्स को समझने और तुलना करने में सहायता करते है। ये सब एनालिसिस करने के बाद आप इंवेस्टमनेट के लिए किसी भी बिज़नेस की राइट वैल्यू का पता कर सकते है।

यह किसी भी गैजेट को खरीदने से प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट पहले ब्रांड का नाम, ब्रांड ट्रस्ट, ब्रांड परफॉरमेंस, लागत, वारंटी की अवधि आदि की तलाश करने के समान है। और अंत में, आप तय करते हैं कि क्या यह खरीदने लायक है। हमारे पास जितने भी चोइसस हैं, उनमें से कोई भी निर्णय लिया जा सकता है जो की सही भी हो सकता है या गलत भी हो सकता है।

और यही कारण है प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट कि फंडामेंटल एनालिसिस को मेरे कोर्स के Module 3 के रूप में शामिल करना महत्वपूर्ण था, “ए कम्पलीट कोर्स ऑन इंडियन स्टॉक मार्किट।

हम हमेशा अपने पास मौजूद सभी विकल्पों के बीच इन्फोर्मेड निर्णय लेना पसंद करते हैं और नंबर्स ऐसे निर्णय लेने में हमारी मदद करती हैं। गट फीलिंग्स के आधार पर निर्णय नहीं लेना चहिये, इसके बजाय एक्सएक्ट नंबर्स पर जाना चाहिए। हमेशा ट्रेंड्स को देखें और ट्रेंड्स को analyse करने का प्रयास करें।

Module 3 में फंडामेंटल एनालिसिस से संबंधित सभी टॉपिक्स बहुत ही सरल भाषा में हैं। Module 3 में चैप्टर्स प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट हैं-

क्लास 21। इंट्रोडक्शन to फंडामेंटल एनालिसिस।

क्लास 22। क्वालिटेटिव एनालिसिस क्या होता है?

क्लास 23। बैलेंस शीट के बारे में जानिए।

क्लास 24। प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट के बारे में जानिए।

क्लास 25। कैश फ्लो स्टेटमेंट के बारे में जानिए।

क्लास 26। Ratio Analysis – पार्ट 1।

क्लास 27। Ratio Analysis – पार्ट 2।

क्लास 28। Ratio Analysis – पार्ट 3।

क्लास 29। Ratio Analysis – पार्ट 4।

क्लास 30। Ratio Analysis - पार्ट 5।

क्लास 31। Stock में निवेश करने के 4 तरीके।

एक बार जब आप कॉंफिडेंट हो जाएं और नंबर्स देखना स्टार्ट कर दें, तो कंपनियों के करैक्टर और कंपनी की क्वालिटी को समझना शुरू कर देंगे। आपके लिए कुछ फिल्ट्रेशन करना आसान होगा और आप आसानी से समझने लगेंगे कि कंपनी के भीतर होने वाली हर गतिविधि या तो कंपनी के लिए पैसा लाती है या फिर कंपनी से पैसे बाहर ले जाती है।

अगर आपने मेरे कोर्स, "ए कम्पलीट कोर्स ऑन इंडियन स्टॉक मार्किट ", में एनरोल किया है और आपको Module 3 के किसी भी वीडियो क्लासेज से रिलेटेड कोई भी डाउट है तो आप यहां इस ब्लॉग के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।

वैसे तो आपको एक zoom link भेजा जायेगा और में भी रेगुलरली डिफरेंट टाइम पर आपके सभी सवालो का जवाब देने के लिए लाइव डाउट सेशंस लेता रहूँगा। साथ ही साथ, आप अपने सवाल यहां भी पूछ सकते है।

हर Module के लिए ऐसे ही एक ब्लॉग बनाया गया है। एक ही आशा है की सवाल पूछते टाइम इस बात का ध्यान रखा जाए की सवाल Module सम्बंधित ही हो और चैप्टर के नाम के साथ ही पुछा जाए।

Final Account क्या है, Tally में Balance sheet, P&L Account, Trail Balance कैसे बनाये.

Tally में जितना महत्वपूर्ण Voucher Entry, GST Management, Stock Management, Payroll Management, BRS, Backup and Restore है, उतना ही Final Account Preparation जरूरी है, क्योंकि हमारे द्वारा प्रतिदिन किए जा रहे कार्यों का डाटा Tally में स्टोर रहता है जिसे माध्यम से कंपनी या संस्था की वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त होता है, इसलिए आज हम Final Account क्या है, टैली में Balance sheet, Profit & Loss Account, Trail Balance, Final Account in tally की जानकारी प्राप्त करने जा रहे हैं.

Final Account in tally

Final Account क्या है?

Final Account एक स्टेटमेंट होता है जिसके द्वारा व्यवसाय में लाभ या हानि हो रहा है उसकी वास्तविक जानकारी प्राप्त करने के लिए फाइनल अकाउंट तैयार किया जाता है.

फाइनल अकाउंट एक निश्चित अवधि या वित्तीय वर्ष के अंत में तैयार किया जाता है,

  1. Profit & Loss Account
  2. Balance sheet
  3. Trading Account
  4. Stock Summary

Final Account in Tally

टैली में फाइनल अकाउंट तीन प्रकार के होते हैं –

  1. Profit & Loss Account (लाभ हानि खाता)
  2. Balance sheet (चिट्ठा)
  3. Trail Balance sheet (तलपट)

Balance sheet in Tally

Balance sheet in Tally : Balance sheet एक वित्तीय विवरण होता है, जो व्यवसाय के दायित्व और संपत्ति (Labilities & Assets) को दर्शाता है, Balance sheet के माध्यम से व्यवसाय के स्वामी को ज्ञात होता है कि हमारे कितने दायित्व है जिसे हमें चुकाना है और कितनी संपत्ति है साथ ही साथ Income Receivable और Expense Payable की जानकारी प्राप्त होता है जिससे कंपनी और व्यवसाय का संचालन अच्छे से किया जा सके.

Tally में बैलेंस शीट का शॉर्टकट “B” भी होता है.

Balance sheet को हम दो भागों में बांट सकते हैं Assets & Liabilities. जिसमें Transaction के अनुसार Assets & Liabilities कैटेगरी में डाटा को इनपुट कर सकते हैं.

Balance sheet Format

Assets Section : Final Account in Tally

  1. Current Assets
  2. Fixed Assets
  3. Good Will
  4. Other Assets

Liabilities Section : Final Account in Tally

  1. Current Liabilities
  2. Payables

Balance Sheet Fortmat

Profit & Loss Account in Tally

Final Account in Tally : Profit & Loss Account यह एक वित्तीय विवरण है जिसमें व्यवसाय मैं क्रय और विक्रय किए गए निर्देशों का विवरण दर्शाता है, इसके माध्यम से व्यवसाय में हो रहे नागौर हनी का पता चल पाता है.

Tally में Profit & Loss Account शॉर्टकट की “P” भी होता है.

Profit & Loss Account को हम दो भागों में बांट सकते हैं Income & Expenses. जिसमें Transaction के अनुसार Income & Expenses कैटेगरी में डाटा को इनपुट कर सकते हैं.

Profit & Loss Account Format

Income : Final Account in Tally

  1. Sales Account
    1. Sales (+)
    2. Sales Return (-)
    1. Discount Received (+)
    2. Interest Received (+)

    Expenses : Final Account in Tally

    Trail Balance Sheet in Tally

    Final Account in Tally : Trail Balance Sheet जिसे हिंदी में तलपट कहा जाता है, तलपट का प्रयोग Tally में गलतियों को Find out कर Correct करने के लिए किया जाता है. Trail Balance Sheet (तलपट) में बने एक कंपनी के अंतर्गत बने हुए सभी Ledger Groups को दिखाता है, साथी साथ कौन सा लेजर किस ग्रुप का है यह भी दर्शाता है, जिसके माध्यम से त्रुटियों को पता लगाया जा सकता है.

    तलपट Debit एंड प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट Credit Amout को डिस्प्ले करता है, जिसके माध्यम से त्रुटियों को ढूंढ कर Correct कर सकते हैं. Trail Balance Sheet (तलपट) का Shortcut key DT होता है.

    Stock Summary in Tally

    Final Account in Tally : Stock Summary यह एक विवरण होता है, जिसके द्वारा एक निश्चित अवधि में क्रय (Purchase) और विक्रय (Sales) किया गया Goods की जानकारी प्रदान करता है साथ ही साथ Closing Stock और Opening Stock की जानकारी प्रदान करता है जिसके माध्यम से हमारे Stock Management बहुत अच्छे तरीके से किया जा सकता है.

    Tally में Stock Summary का Shortcut Key “S” होता है

    दोस्तों आपको यह Final Account in Tally जानकारी कैसा लगा, आप हमें निचे कमेंट करके जरुर बताये और आप हमारे वेबसाइट को Home पेज में जा कर सब्सक्राइब प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट कर सकते है और आप हमारे Telegram Channel में भी जुड़े जिससे आपको लेटेस्ट Notification मिलता रहेगा साथ ही साथ आप इसे WhatsApp, Facebook सोशल मीडिया प्लेटफार्म में शेयर कर सकते है.

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