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भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

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Cryptocurrency in India: भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ी खबर, सरकार ने उठाया ये कदम

Cryptocurrency in India News

Cryptocurrency in India: क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ी खबर है. क्रिप्टोकरेंसी हाइपर फंड (Cryptocurrency Hyper fund) नाम की कंपनी पर सरकार नज़र रख रही है. वित्तीय धोखाधड़ी की जांच के लिए जिम्मेदार एजेंसियां कंपनी पर नज़र रख रही हैं. डीईएफआई हाइपर फंड हाल ही में रडार पर आया है. सूत्रों भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार के मुताबिक इस तरह के फंड के खिलाफ कई राज्यों में शिकायतें मिलने लगी हैं. भारत में आरबीआई, केंद्रीय वित्त मंत्रालय और सेबी ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) ट्रेडिंग के खिलाफ लोगों को चेतावनी दी थी. आरबीआई जल्द ही भारत की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा-ए रुपया (Mudra-e-Rupaya) लॉन्च करने की योजना बना रहा है.

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वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) भी लीगल टेंडर नहीं है. इसलिए वीसी मुद्राएं नहीं हैं. आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसने किसी भी इकाई/कंपनी को बिटकॉइन या किसी वर्चुअल करेंसी के संचालन या लेनदेन के लिए कोई लाइसेंस/प्राधिकरण नहीं दिया है. जून 2018 में अमित भारद्वाज को पुणे पुलिस ने उनके भाई विवेक भारद्वाज के साथ कथित पोंजी योजना के सिलसिले में दिल्ली हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया था. भारद्वाज ने अपना खुद का बिटकॉइन माइनिंग ऑपरेशन (Bitcoin Mining Operation) शुरू किया और कथित तौर पर देश भर से 8,000 से अधिक लोगों को 2,000 करोड़ रुपये की ठगी की.

उन्होंने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्हें जबरन वसूली का कॉल आया और उन्हें 6 सितंबर, 2021 को सुरक्षा राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया. उन्होंने निवेशकों को बिटकॉइन देने के लिए बहला-फुसलाकर मल्टी-लेवल मार्केटिंग (Multi Level Marketing) घोटाला किया था. पुलिस ने अधिक रिटर्न का वादा करने के बदले में आरोप लगाया था. यूके में नियामकों ने इस तरह के फंड के खिलाफ चेतावनी जारी की है और फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (एफसीए) ने हाइपर फंड और फंड एडवाइजर दोनों के लिए चेतावनी जारी की है.

अपनी वेबसाइट पर जिसे पहली बार 23 मार्च, 2021 को प्रकाशित किया गया था और बाद में 31 अगस्त को अपडेट किया गया था, एफसीए ने कहा, “हमारा मानना है कि यह फर्म हमारे प्राधिकरण के बिना यूके में वित्तीय सेवाएं या उत्पाद प्रदान कर सकती है. लगभग सभी फर्म और व्यक्ति जो पेशकश कर रहे हैं , यूके में वित्तीय सेवाओं या उत्पादों को बढ़ावा देने या बेचने के लिए हमारे द्वारा अधिकृत या पंजीकृत होना चाहिए. यह फर्म हमारे द्वारा अधिकृत नहीं है और यूके में लोगों को निशाना बना रही है.”

इस तरह के फंड के बारे में निवेशकों को चेतावनी देते हुए, इसने आगे कहा, “आपके पास वित्तीय लोकपाल सेवा तक पहुंच नहीं होगी या वित्तीय सेवा मुआवजा योजना (एफएससीएस) द्वारा संरक्षित किया जाएगा, इसलिए चीजें गलत होने पर आपको अपना पैसा वापस मिलने की संभावना नहीं है.” जैसा कि सूत्रों ने कहा कि भारतीय नियामकों और अधिकारियों ने स्थिति की निगरानी शुरू कर दी है, हाइपरटेक समूह द्वारा ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से विकेंद्रीकृत वित्त (डीईएफआई) की पेशकश, जिसे हांगकांग से आधारित कहा जाता है.

अमेरिकी सुरक्षा और विनिमय आयोग और यूके के वित्तीय आचरण प्राधिकरण जैसे वित्तीय नियामकों द्वारा किए गए उपायों के बाद, भारतीय नियामकों और प्रवर्तन अधिकारियों ने हाइपर फंड में निवेश की निगरानी शुरू कर दी है. विश्व स्तर पर, वित्तीय नियामक इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि पोंजी योजना के आयोजक अक्सर निवेशकों को लुभाने और अपनी योजना को उच्च रिटर्न का वादा देने के लिए नवीनतम नवाचार, प्रौद्योगिकी, उत्पाद या विकास उद्योग का उपयोग करते हैं.

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Cryptocurrency: भारत में 7.3 फीसदी आबादी के पास क्रिप्टोकरेंसी, दुनिया में 7वें स्थान पर, यूक्रेन सबसे आगे

संयुक्त राष्ट्र की व्यापार एवं विकास संस्था यूएनसीटीएडी ने एक रिपोर्ट में कहा, क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली आबादी की हिस्सेदारी के लिहाज से शीर्ष-20 अर्थव्यवस्थाओं में से 15 विकासशील अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। सूची में भारत सातवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 4.1 फीसदी के साथ 15वें स्थान पर है।

क्रिप्टोकरेंसी

कोरोना महामारी के दौरान दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अभूतपूर्व दर से बढ़ा है। भारत में भी बड़ी संख्या में लोगों ने इस डिजिटल मुद्रा में निवेश किया। 2021 में 7.3 फीसदी भारतीय आबादी के पास क्रिप्टोकरेंसी थी।

संयुक्त राष्ट्र की व्यापार एवं विकास संस्था यूएनसीटीएडी ने एक रिपोर्ट में कहा, क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली आबादी की हिस्सेदारी के लिहाज से शीर्ष-20 अर्थव्यवस्थाओं में से 15 विकासशील अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। सूची में भारत सातवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 4.1 फीसदी के साथ 15वें स्थान पर है। यूएनसीटीएडी का कहना है कि कोरोना काल के दौरान पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसमें विकासशील देश भी शामिल हैं।

क्रिप्टो आबादी में यूक्रेन शीर्ष पर

देश हिस्सेदारी
यूक्रेन 12.7 फीसदी
रूस 11.9 फीसदी
वेनेजुएला 10.3 फीसदी
सिंगापुर 9.4 फीसदी
केन्या 8.5 फीसदी
अमेरिका 8.3 फीसदी
भारत 7.3 फीसदी
द. अफ्रीका 7.1 फीसदी
नाइजीरिया 6.3 फीसदी
कोलंबिया 6.1 फीसदी

विकसित देशों में सिंगापुर सबसे आगे

देश हिस्सा
सिंगापुर 9.4%
अमेरिका 8.3%
ब्रिटेन 5.0%
कोरिया 3.8%
ऑस्ट्रेलिया 3.4%

महंगाई से लड़ने में हो रहा इस्तेमाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल महंगाई से लड़ने के लिए किया जा रहा है। लेकिन, इसमें हालिया गिरावट से पता चलता है कि क्रिप्टो रखने के निजी जोखिम हैं। केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिरता को लेकर कदम उठाता है तो समस्या सार्वजनिक हो जाती है।

देशों की मौद्रिक संप्रभुता पर खतरा
अगर क्रिप्टोकरेंसी भुगतान का व्यापक माध्यम बन जाती है और अनाधिकारिक रूप से घरेलू मुद्रा की जगह ले लेती है तो इससे देशों की मौद्रिक संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पहले ही अपनी चिंता जाहिर कर दी है। क्रिप्टोकरेंसी के खतरे से बचने के लिए यूएनसीटीएडी ने सलाह दी है कि विकासशील देशों को नकदी का प्रवाह बनाए रखना चाहिए। नकदी को जारी करने और इसके वितरण में कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।

विकासशील देशों में विस्तार पर अंकुश लगाने की जरूरत
डिजिटल मुद्रा ने कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया है। फिर भी इसमें जोखिम ज्यादा है। क्रिप्टो विकासशील देशों में घरेलू संसाधन जुटाने के प्रयासों को कमजोर कर रहा है। कर चोरी को बढ़ावा मिल सकता है। ऐसे में विकासशील देशों में क्रिप्टो के विस्तार पर रोक लगाने की जरूरत है।

विस्तार

कोरोना महामारी के दौरान दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अभूतपूर्व दर से बढ़ा है। भारत में भी बड़ी संख्या में लोगों ने इस डिजिटल मुद्रा में निवेश किया। 2021 में 7.3 फीसदी भारतीय आबादी के पास क्रिप्टोकरेंसी थी।

संयुक्त राष्ट्र की व्यापार एवं विकास संस्था यूएनसीटीएडी ने एक रिपोर्ट में कहा, क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली आबादी की हिस्सेदारी के लिहाज से शीर्ष-20 अर्थव्यवस्थाओं में से 15 विकासशील अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। सूची में भारत सातवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 4.1 फीसदी के साथ 15वें स्थान पर है। यूएनसीटीएडी का कहना है कि कोरोना काल के दौरान पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसमें विकासशील देश भी शामिल हैं।

क्रिप्टो आबादी में यूक्रेन शीर्ष पर

देश हिस्सेदारी
यूक्रेन 12.7 फीसदी
रूस 11.9 फीसदी
वेनेजुएला 10.3 फीसदी
सिंगापुर 9.4 फीसदी
केन्या 8.5 फीसदी
अमेरिका 8.3 फीसदी
भारत 7.3 फीसदी
द. अफ्रीका 7.1 फीसदी
नाइजीरिया 6.3 फीसदी
कोलंबिया 6.1 फीसदी

विकसित देशों में सिंगापुर सबसे आगे

देश हिस्सा
सिंगापुर 9.4%
अमेरिका 8.3%
ब्रिटेन 5.0%
कोरिया 3.8%
ऑस्ट्रेलिया 3.4%

महंगाई से लड़ने में हो रहा इस्तेमाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल महंगाई से लड़ने के लिए किया जा रहा है। लेकिन, इसमें हालिया गिरावट से पता चलता है कि क्रिप्टो रखने के निजी जोखिम हैं। केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिरता को लेकर कदम उठाता है तो समस्या सार्वजनिक हो जाती है।

देशों की मौद्रिक संप्रभुता पर खतरा
अगर क्रिप्टोकरेंसी भुगतान का व्यापक माध्यम बन जाती है और अनाधिकारिक रूप से घरेलू मुद्रा की जगह ले लेती है तो इससे देशों की मौद्रिक संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पहले ही अपनी चिंता जाहिर कर दी है। क्रिप्टोकरेंसी के खतरे से बचने के लिए यूएनसीटीएडी ने सलाह दी है कि विकासशील देशों को नकदी का प्रवाह बनाए रखना चाहिए। नकदी को जारी करने और इसके वितरण में कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।


विकासशील देशों में विस्तार पर अंकुश लगाने की जरूरत
डिजिटल मुद्रा ने कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया है। फिर भी इसमें जोखिम ज्यादा है। क्रिप्टो विकासशील देशों में घरेलू संसाधन जुटाने के प्रयासों को कमजोर कर रहा है। कर चोरी को बढ़ावा मिल सकता है। ऐसे में विकासशील देशों में क्रिप्टो के विस्तार पर रोक लगाने की जरूरत है।

भारत में क्रिप्टो निवेश हुआ 200 गुणा, कौन और क्यों लगा रहा पैसा?

भारत में करीब 1.5 करोड़ लोग क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार करते हैं.

भारत में क्रिप्टो निवेश हुआ 200 गुणा, कौन और क्यों लगा रहा पैसा?

अनेक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में क्रिप्टोकरेंसी का बाजार उफान पर है. चेनालिसिस (भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार Chainalysis) के अनुसार बीते वर्ष में भारतीयों का क्रिप्टो निवेश 200 मिलियन से 40 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. कॉइनगेको की माने तो भारत के चार सबसे बड़े एक्सचेंज में क्रिप्टो की डेली ट्रेडिंग एक वर्ष में 10.6 मिलियन डॉलर से करीब 102 मिलियन डॉलर हो गई है.

भारत में करीब 1.5 करोड़ लोग क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार करते हैं. US के लिए यह नंबर 2.3 करोड़ है जबकि UK में महज 23 लाख लोग क्रिप्टो में ट्रेड करते हैं. चीन में क्रिप्टो बाजार करीब 161 बिलियन डॉलर का है.तमाम चिंताओं के बावजूद भारतीयों का क्रिप्टोकरेंसी के लिए रुझान कम होने की जगह बढ़ता जा रहा है. पारंपरिक तौर पर गोल्ड की बड़ी मांग वाले देश में क्रिप्टो बाजार के विस्तार की रफ्तार चौंकाने वाली है.

सवाल है कि जिन क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में रूल-रेगुलेशन स्पष्ट नहीं है,जिसका मार्केट और भविष्य इतना अनिश्चित है और जिसपर सरकार तथा RBI का रुख पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है,उस भारत में लोग इतनी बड़ी संख्या में इसमें निवेश क्यों कर रहे हैं?

कौन-क्यों कर रहा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश?

क्रिप्टोकरेंसी तेजी से एक स्वीकार्य एसेट क्लास बनता दिख रहा है. 18-35 आयु वर्ग के निवेशक खासतौर पर गोल्ड की तुलना में डिजिटल करेंसी पर ज्यादा भरोसा दिखा रहे हैं. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल डाटा के मुताबिक भी 34 वर्ष से कम के निवेशकों को येलो मेटल कम लुभाता है. क्रिप्टो के आकर्षक होने की अहम वजह सोने की तुलना में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी और कम अवधि में रिटर्न है. साथ ही डिजिटल करेंसी के साथ वेरिफिकेशन की भी परेशानी नहीं होती. खरीद बिक्री में आसानी ने भी निवेशकों को क्रिप्टो की तरफ मोड़ा है.

देश में दुनिया की सबसे बड़ी IT आबादी है और यह बढ़ते स्मार्टफोन बाजारों में से एक है.इसी का परिणाम है कि ई-कॉमर्स प्लेयर्स और ऑनलाइन भुगतान भी तेजी से बढ़ रहे हैं.इससे क्रिप्टोकरेंसी के बारे में जागरूकता का स्तर और जिज्ञासा भी बढ़ी है. ई-कॉमर्स प्लेयर्स तेजी से क्रिप्टोकरेंसी को अपने पेमेंट गेटवे के रूप में अपना सकते हैं.

तेजी से क्यों बढ़ रहा क्रिप्टोकरेंसी क्रेज ?

भारत में क्रिप्टोकरेंसी क्रेज का सबसे बड़ा कारण है कि इसमें लेनदेन में वक्त जाया नहीं होता.खरीदने,ट्रांसफर करने और ट्रांजेक्शन की तेज तकनीक इसे भारत की बड़ी युवा आबादी के बीच पॉपुलर करती है.

एक कारण यह भी है कि पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की तरह यहाँ फीस नहीं देनी पड़ती.

क्रिप्टोकरेंसी में प्रयोग होने वाली ब्लॉकचेन तकनीक भी लोगो को इसकी ओर आकर्षित कर रही है.ट्रेड फाइनेंस में ब्लॉकचेन तकनीक का प्रमुख लाभ यह है कि यह प्रोसेसिंग टाइम को कम कर सकता है, कागज के उपयोग को समाप्त कर सकता है और पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करते हुए पैसे बचा सकता भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार है.

क्रिप्टोकरेंसी पर किसी एक का कब्जा नहीं है.यहां पर यूजर के पास तमाम विकल्प उपलब्ध है.यह बैंकिंग सिस्टम की अपेक्षा इसे ज्यादा लचीला बनता है.

कोविड -19 वैक्सीन तेजी से आर्थिक सुधार को सक्षम कर सकती है.ऐसे समय में जब सरकारें और केंद्रीय बैंक अभी भी बड़ी मात्रा में आपातकालीन सहायता प्रदान कर रहे हैं - जो मुद्रास्फीति के एक विस्फोट को ट्रिगर कर सकता है. कुछ निवेशक क्रिप्टोकरेंसी को सोने के समान एसेट स्टोर के रूप में देखते हैं, जो आर्थिक तनाव या बढ़ती मुद्रास्फीति के समय भी अपने मूल्य को बनाए रख सकता है.

सरकारी बेरुखी का निवेशकों पर असर नहीं

केंद्र सरकार और RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर समय समय पर चिंता जताई है. RBI ने कुछ महीने पहले संबंधित 'मेजर कंसर्न' की तरफ इशारा किया था. वहीं, सरकार की तरफ से डिजिटल कॉइन पर प्रतिबंध के संकेत मिले थे.राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि "वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मसलों से निपटने के लिए अलग से कोई कानून नहीं है. इस प्रकार आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर प्राधिकरण जैसे सभी संबद्ध विभाग और काननू का अनुपालन करवाने वाली एजेंसियां मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करती हैं."

इसके बावजूद क्रिप्टो के लिए बढ़ती रुचि अहम है. सख्त बैन की खबरों के बाद से अब तक गवर्नमेंट इस विषय पर शांत है. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 का एक नियम खारिज कर दिया जिसमें बैंकों को क्रिप्टो व्यापार से दूर रखा गया था. जानकारों के मुताबिक अगर यह बैन नहीं आया होता तो क्रिप्टो बाजार और भी बड़ा हो सकता था.

रेगुलटरी स्तर पर अनिश्चितता के कारण निवेशकों में क्रिप्टो निवेश को लेकर स्वाभाविक तौर पर काफी संशय है.

बिटकॉइन पर क्यों है बवाल, समझिए क्यों बंटी दुनिया?

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अगर बैन लगा तो ये निवेशक क्या कर सकते हैं?

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन की स्थिति में, कई निवेशकों के लिए अपनी एसेट्स(क्रिप्टो) को बेचना सबसे आसान और तार्किक मार्ग होगा, लेकिन उनके पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं-

निवेशक अपनी क्रिप्टो एसेट को 'सेल्फ-कस्टडी वॉलेट' में ट्रांसफर कर सकते हैं, जो USB ड्राइव, माइक्रो SD कार्ड या स्मार्ट कार्ड के रूप में डिजिटल डिवाइस हैं. ये डिवाइस निवेशकों की निजी बिटकॉइन key या keys को संग्रहीत करते हैं. बिटकॉइन को स्टोर करने के लिए कुछ लोकप्रिय हार्डवेयर वॉलेट जैसे लेजर, ट्रेजर, सेफपाल और बिटलॉक्स उपलब्ध हैं.निवेशक इन वॉलेट में अपनी क्रिप्टो एसेट को स्टोर कर सकते हैं और इन वॉलेट्स को विदेशों में रह रहें अपने दोस्तों या परिवार को भेज सकते हैं,यदि वे बैन की स्थिति में अपने वॉलेट को भारत में रखने को लेकर चिंतित हैं.

हालाँकि, यहाँ भी एक मुश्किल है. यदि निवेशक भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज से वॉलेट के माध्यम से अपनी क्रिप्टो एसेट को हार्ड ड्राइव या पेन ड्राइव में स्थानांतरित करता है, तो रेगुलेटरी ऑथोरिटी इन क्रिप्टोकरेंसी को ट्रैक कर सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज KYC (अपने ग्राहक को जानें) मानदंडों का पालन करते हैं और यूजर्स को साइन अप करने के लिए अपने पैन कार्ड डिटेल देने की आवश्यकता होती है.

Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.

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Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.

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अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.

क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?

इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.

bitcoins 650

कौन कर सकता है ट्रेडिंग?

ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.

यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?

यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.

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