मुख्य Indices

मर्चेंट एक्वाइरिंग बैंक वे बैंक होते हैं, जो एक व्यापारी/मर्चेंट की ओर से भुगतान को संसाधित करते हैं।
सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकार (आरटीआई) भारत की संसद का एक अधिनियम है जो नागरिकों के लिए सूचना के अधिकार के व्यावहारिक शासन को स्थापित करने और पहले की स्वतंत्रता सूचना अधिनियम, 2002 की जगह प्रदान करता है। अधिनियम के प्रावधानों के तहत, भारत के किसी भी नागरिक एक “सार्वजनिक प्राधिकरण” (सरकार का एक निकाय या “राज्य के साधन”) से जानकारी का अनुरोध कर सकता है जो कि शीघ्रता से या तीस दिनों के भीतर उत्तर देने के लिए आवश्यक है। इस अधिनियम के लिए प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण को व्यापक प्रसार के लिए अपने रिकॉर्ड को कम्प्यूटरीकृत करने की आवश्यकता है और जानकारी के कुछ निश्चित श्रेणियों के मुख्य Indices मुख्य Indices लिए ताकि लोगों को औपचारिक रूप से जानकारी के अनुरोध के लिए न्यूनतम सहारा चाहिए।
‘लोकतांत्रिक सूचकांक के मानकों पर पुनर्विचार की जरूरत
- दक्षिण अफ्रीका में बोले मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार नई दिल्ली, एजेंसी। मुख्य.
- दक्षिण अफ्रीका में बोले मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार
नई दिल्ली, एजेंसी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने एकपक्षीय तरीके से निर्धारित और विधिमान्य नहीं किए गए मानकों के आधार पर किसी देश का लोकतांत्रिक सूचकांक तय करने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि इससे कई बार लोकतंत्र को नुकसान होता है। उन्होंने लोकतांत्रिक सूचकांक के आकलन के लिए मानकों पर पुनर्विचार की जरूरत बताई।
दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (एडब्ल्यूईबी) की 5वीं महासभा के उद्घाटन सत्र के दौरान राजीव कुमार ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मतदाताओं से संपर्क के लिए सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मक रहा है, लेकिन गलत सूचनाओं के लिए इन मंचों का दुरुपयोग वास्तव में चुनाव प्रबंधन इकाइयों के लिए और पूरी दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण है।
इस मौके पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा भी उपस्थित रहे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त का बयान 'डेमोक्रेसी इंडेक्स' में पिछले कुछ वर्षों में भारत का स्तर गिरने के दावे वाली कुछ खबरों की पृष्ठभूमि में आया मुख्य Indices है सरकार इन रिपोर्ट को पहले ही खारिज कर चुकी है।
क्या होता है Air Quality Index? जो आपको बताता है हवा अच्छी है या खराब
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के बीच अब एक बार फिर एयर पॉल्यूशन का खतरा मंडराने लगा है. हवा की क्वालिटी खराब होने के बाद बढ़ते प्रदूषण के चलते 15 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू करने का फैसला लिया है. सरकार की दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) ने डीजल, पेट्रोल, केरोसिन से चलने वाले जनरेटर सेट पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी कर दिए हैं.
एयर क्वालिटी इंडेक्स वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा देखी जाती है. जिसमें तय किया जाता है इनकी मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक है या नहीं.
एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है?
जैसे कि नाम से आप वाकिफ हो गए हैं ये इंडेक्स हवा की जानकारी देता है. यह हवा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी देता है. इसमें बताया जाता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है. इस इंडेक्स में 6 कैटेगरी बनाई गई हैं.
ये हैं 6 कैटेगरी
1. अच्छी
2. संतोषजनक
3. थोड़ा प्रदूषित
4. खराब
5. बहुत खराब
6. गंभीर.
एयर क्वालिटी इंडेक्स मुख्य रूप से 8 प्रदूषकों ((PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3, and Pb)) से मिलाकर बनाया जाता है. इस में वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक है.
दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या को भयंकर बनाने में मुख्य भूमिका हवा में मौजूद PM 2.5 और PM 10 कणों की होती है. जिस वजह से इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन होने लगती है. वहीं हवा में मौजूद इन कणों का मतलब है कि दिल्लीवाले रोजाना 21 सिगरेट के बराबर धुआं निगल रहे हैं.
दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण
हवा के बहाव में कमी आना, दिवाली के अवसर पर बम- पटाखे फोड़ना, हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलना, वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि आना, पेड़ों का अधिक मात्रा में कटाव, साथ ही ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना आदि.
क्या है Graded Response Action Plan जिसे सरकार कर रही लागू
GRAP (Graded Response Action Plan) एक एक्शन प्लान है, जो EPCA (Environment Pollution Control Authority) द्वारा बनाया गया है, जो सर्दियों के मौसम में दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए लागू किया जाता है. इसमें अथॉरिटी हर वो संभव नीतिगत कदम उठा सकती है जो कि प्रदूषण को बढ़ने से रोके और प्रदूषण के वर्तमान स्तर को घटाए.
एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या होता है और यह क्या बताता है?
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विश्व के लिए नयी चुनौती बन चुकी है. दिल्ली में अक्टूबर और नवम्बर मुख्य Indices महीने में हर वर्ष प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने लगती है. इस प्रदूषण की समस्या के माप के लिए भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 17 सितंबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान के तहत नई दिल्ली में शुरू किया गया था.
वायु की गुणवत्ता की माप के लिए विश्व के विभिन्न देशों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाये गये हैं. ये इंडेक्स देश में वायु की गुणवत्ता को मापते हैं और बताते हैं कि वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक है या नहीं.
भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), जबकि कनाडा में वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य सूचकांक, मलेशिया में वायु प्रदूषण सूचकांक और सिंगापुर में प्रदूषक मानक सूचकांक का प्रयोग किया जाता है. बीजिंग, पेरिस सहित कई ऐसे शहर हैं जहाँ 'प्रदूषण आपातकाल' घोषित किया जाता है. हालाँकि हाल ही में भारत में भी 'प्रदूषण आपातकाल' घोषित किया गया था.
अन्य इंडेक्स की तरह की ही एयर क्वालिटी इंडेक्स भी हवा की गुणवत्ता को बताता है. यह बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है. हवा की गुणवत्ता के आधार पर इस इंडेक्स में 6 केटेगरी बनायीं गयीं हैं. जैसे अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर. जैसे जैसे हवा की गुणवत्ता ख़राब होती जाती है वैसे ही रैंकिंग अच्छी से ख़राब और फिर गंभीर की श्रेणी में आती जाती है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स मुख्य रूप से 8 प्रदूशकों ((PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3, and Pb)) से मिलाकर बनाया जाता है. वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक हैं.
दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या को भयंकर बनाने में मुख्य भूमिका वायु में मौजूद PM 2.5 और PM 10 कणों की होती है. जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन आदि होने लगती हैं और हालात इतने ख़राब हैं कि हर दिल्लीवाला रोजाना 21 सिगरेट के बराबर धुआं निगल रहा है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या बताता है?
एयर क्वालिटी इंडेक्स
स्वास्थ्य पर प्रभाव
संवेदनशील लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
फेफड़े की बीमारी जैसे अस्थमा, और हृदय रोग, बच्चों और बड़े वयस्कों के साथ लोगों को असुविधा के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
लम्बे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को बहुत असुविधा हो सकती है.
बहुत खराब (301-400)
लंबे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस की बीमारी हो सकती है. फेफड़े और दिल की बीमारियों वाले लोगों पर प्रभाव अधिक खतरनाक हो सकता है.
यह आपातकाल कहा जायेगा. स्वस्थ लोगों का भी श्वसन ख़राब हो सकता है. फेफड़े / हृदय रोग वाले लोगों का प्रभाव गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. अतः पूरी तरह से घर के अंदर रहें.
दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण (Causes of Air Pollution in Delhi)
1. हवा के बहाव में कमी आना
2. दिवाली के अवसर पर अत्यधिक बारूद चलाना
3. हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलना
4. वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि
वायु प्रदूषण रोकने के उपाय (Measures to control Air Pollution)
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर 342 से अधिक निगरानी स्टेशनों वाले देश के 240 शहरों को कवर करते हुए राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम (NAMP) का संचालन कर रहा है.
सरकार ने नई दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, इनमें ऑटो ईंधन नीति के अनुसार CNG आधारित परिवहन को बढ़ावा, ओड -ईवन फॉर्मूला लागू करना, वृक्षों पर पानी छिड़कना, निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाना, सड़कों से धूल हटाना, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाना, कोयले से चलने वाली ताप बिजली परियोजनाओं का ऑपरेशन रोकना इत्यादि शामिल हैं.
अंत में इतना कहना ठीक होगा कि हर समस्या में समाधान के लिए सरकार की तरफ देखना ठीक नहीं है किसी भी समस्या में समाधान के लिए लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है.
Digital Payment Index 2021 : आरबीई द्वारा जारी डिजिटल भुगतान सूचकांक मुख्य Indices की मुख्य बातें
भारतीय रिज़र्व बैंक ने देश में डिजिटल/कैशलेस भुगतान की स्थिति के अध्ययन के लिये एक समग्र डिजिटल भुगतान सूचकांक जारी किया है। इस सूचकांक में 5 पैरामीटर्स को शामिल किया गया है जो देश में विभिन्न समयावधि में हुए डिजिटल भुगतान का विस्तार से अध्ययन करने में सक्षम हैं। वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (BIS) द्वारा भारत को उन 24 देशों में सातवाँ स्थान दिया गया था, जहाँ संस्थान द्वारा डिजिटल भुगतान को ट्रैक किया जाता है।
मर्चेंट एक्वाइरिंग बैंक वे बैंक होते हैं, जो एक व्यापारी/मर्चेंट की ओर से भुगतान को संसाधित करते हैं।
पैरामीटर्स
- भुगतान एनेबलर्स (वज़न 25%)
- भुगतान अवसंरचना – मांग पक्ष कारक (10%)
- भुगतान अवसंरचना – आपूर्ति पक्ष कारक (15%)
- भुगतान प्रदर्शन (45%)
- उपभोक्ता केंद्रित (5%)।
डिजिटल भुगतान सूचकांक का निर्माण मार्च 2018 में आधार अवधि के रूप में किया गया है, अर्थात मार्च 2018 के लिये DPI स्कोर 100 निर्धारित किया गया है। इसे मार्च 2021 से 4 माह के अंतराल के साथ आरबीआई की वेबसाइट पर अर्द्ध-वार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जाएगा। मार्च 2019 और मार्च 2020 के लिये DPI क्रमशः 153.47 और 207.84 रहा जो प्रशंसनीय वृद्धि का संकेत देता है।
डिजिटल भुगतान की स्थिति
विश्वव्यापी भारत डिजिटल पेमेंट्स रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (Q2) के दौरान यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस भुगतानों की मात्रा में 82% की वृद्धि तथा कुल कीमतों में 99% की वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले वर्ष की समान तिमाही की तुलना में अधिक है।
दूसरी तिमाही में 19 बैंक UPI प्रणाली में शामिल हो गए, जिससे सितंबर 2020 तक UPI सेवा प्रदान करने वाले बैंकों की कुल संख्या 174 हो गई,जबकि BHIM एप द्वारा 146 बैंकों के ग्राहकों को सेवा उपलब्ध कराई जा रही थी।
वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में मर्चेंट एक्वाइरिंग बैंकों द्वारा तैनात किये गए पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल की संख्या 51.मुख्य Indices 8 लाख से अधिक थी, जो कि पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है।