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वेव विश्लेषण

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दिल्ली में बढ़ रही ओजोन गैस

ध्वनि प्रदूषणः कोरोनावायरस महामारी के दौरान कई देशों में आई 50 फीसदी गिरावट

डेटा का विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों को पता चला कि हाई फ्रीक्वेंसी की साउंड कोरोना महामारी से प्रभावित देशों में 50 प्रतिशत या उससे अधिक डाउन हो गई.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 28 Jul 2020 06:49 AM (IST)

कोरोना के चलते विश्व के कई देशों में लगे लॉकडाउन प्रभाव ध्वनि प्रदूषण (नाइज पॉल्यूशन) पर भी देखने को मिला है. माना जा रहा है कि इससे पहले कभी ध्वनि प्रदूषण कभी इतना कम नहीं हुआ. वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान दुनिया भर में साइज्मिक( भूकंपीय) स्टेशनों से शोर के स्तर को कम होने का प्रमाण मिला है. वैज्ञानिकों के अनुसार, उन्होंने इस महामारी के कारण पृथ्वी पर एक अनयूजअल साइलेंस खोजी है.

चीन से निकली वेव के रूप में साइज्मिक मैप में यह साइलेंस चीन से होती हुई वेव के रूप अन्य देशों वेव विश्लेषण में जाती दिखती है. यह मैप यातायात, उद्योगों और ह्यूमन गेदरिंग से होने वाले शोर को रिकॉर्ड करते हैं. इस स्टडी के लिए वैज्ञानिकों ने विश्व के 117 देशों में फैले 268 साइज्मिक सेंसर के नेटवर्क से डेटा रिकॉर्ड किया. वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में डेटा का विश्लेषण करने पर पाया कि हाइ फ्रीक्वेंसी की साउंड कोरोनावायरस महामारी से प्रभावित देशों में 50 प्रतिशत या उससे अधिक डाउन हो गई.

न्यूयॉर्क में सबसे ज्यादा गिरावट दुनियाभर में शोर प्रदूषण में सबसे बड़ी गिरावट न्यूयॉर्क और सिंगापुर में देखी गई थी. स्कूल, कॉलेजों और अन्य संस्थानों के आसपास साइज्मिक रिकॉर्डिंग कम थी. छुट्टियों के दौरान अक्सर जो गिरावट देखी जाती है, उससे यह गिरावट 20 फीसदी अधिक थी. इस स्टडी पर सबसे पहले लिखने वाले थॉमस लेकोक ने कहा कि ऐसी साइलेंस पहले कभी नहीं देखी गई. इस साइज्मिक डेटा के जरिए आगे भी स्टडी की जा सकती है.

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Published at : 28 Jul 2020 06:49 AM (IST) Tags: Pollution Coronavirus हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें वेव विश्लेषण abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi

जहरीली होती जा रही दिल्ली-एनसीआर की हवा, गर्मी बढ़ने से ओजोन गैस ने भी तोड़ डाले सारे रिकॉर्ड

ओजोन गैस (Ozone Gas)तब बढ़ती है, जब दिनभर हीट वेव चले. ओजोन गैस की हवा में मौजूदगी अधिकतम 8 घंटे का औसत 71 भाग प्रति बिलियन (PPB) या उससे अधिक होती है.

दिल्ली में बढ़ रही ओजोन गैस

दिल्ली में बढ़ रही ओजोन गैस

तेजश्री पुरंदरे

  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2022,
  • (Updated 12 जून 2022, 5:43 PM IST)

दिल्ली में तापमान 46 डिग्री के पार

दिल्ली में लगातार बढ़ते तापमान के चलते पारा 46 डिग्री के पार हो गया है. गर्मी ही नहीं बल्कि हवा में मौजूद ओजोन गैस ने भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. दरअसल, सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (CSE) ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें यह सामने आया है कि 122 सालों में गर्मियों का रिकॉर्ड टूटने के बाद इस साल की गर्मी के कारण ओजोन की मात्रा में भी बढ़ोतरी हुई है, जिससे दिल्ली-एनसीआर की हवा अधिक जहरीली हो गई है.

दिल्ली-एनसीआर में रिसर्चस ने 58 ऑफिशियल स्टेशन से डेटा हासिल किया और विश्लेषण के जरिए प्रत्येक स्टेशन पर प्रदूषण में कितनी बढ़ोतरी हुई इस पर भी पड़ताल की. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अविकल सोमवंशी ने रिसर्च पेपर तैयार किया है. इसका कारण लगातार गर्मी का बढ़ना है. हीट वेव की वजह से ओजोन गैस काफी मात्रा में बढ़ गई है.

हीट वेव से हवा में घुल रही ओजोन गैस

अविकल सोमवंशी बताते हैं कि ओजोन गैस तब बढ़ती है, जब दिनभर हीट वेव जैसी समस्या हो. ओजोन गैस की हवा में मौजूदगी अधिकतम 8 घंटे का औसत 71 भाग प्रति बिलियन (PPB) या उससे अधिक होती है. स्टडी के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में इस गर्मी के लगभग सभी दिनों में ओजोन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

ओजोन गैस से होने वाली परेशानियां

इस बार ओजोन का खराब स्तर चिंता का विषय है, क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है जिससे बीमारियों का खतरा रहता है. ओजोन को हवा द्वारा लंबी दूरी तक पहुंचाया जा सकता है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी खराब ओजोन स्तर का अनुभव किया जा सकता है. ओजोन युक्त हवा में सांस लेने से लोगों को सबसे अधिक खतरा होता है, जिसमें अस्थमा की बीमारी वाले लोग, बच्चे, बूढ़े और ऐसे लोग शामिल होते हैं जो घर से बाहर ज्यादा रहते हैं.

क्या है ग्राउंड-लेवल ओजोन गैस

ग्राउंड-लेवल की ओजोन सीधे हवा में नहीं मिलती लेकिन, यह नाइट्रोजन और वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंडके ऑक्साइड के बीच केमिकल रिएक्शन से बनती है. यह तब बनती है जब कार, पावर प्लांट, औद्योगिक बॉयलर, रिफाइनरी और अन्य स्रोतों से मिलकर सीधा सूरज की किरणों से मिलते हैं और ओजोन बनाते हैं.

औसतन देखा जाए तो, 16 स्टेशनों ने इस मार्च और अप्रैल में दैनिक मानक को पार कर लिया है, जो पिछले साल मार्च और अप्रैल के मुकाबले 33 प्रतिशत ज्यादा हैं.

खबरदार: महामारी की थर्ड वेव को खुला निमंत्रण ओमिक्रॉन फ्रेंडली भीड़

खबरदार: महामारी की थर्ड वेव को खुला निमंत्रण ओमिक्रॉन फ्रेंडली भीड़

सईद अंसारी

सईद अंसारी

  • नई दिल्ली,
  • 23 वेव विश्लेषण दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:14 PM IST

गली-नुक्कड़ हो या बाज़ार, आपको अपने आसपास लापरवाह भीड़ ओमिक्रॉन को खुला निमंत्रण देती दिख जाएगी. एंड ऑफ सीज़न सेल वाली शॉपिंग हो या चुनाव के ट्रेलर वाली रैलियां हो, हर तरफ ओमिक्रॉन फ्रेंडली भीड़ है,जिसे आजतक के कैमरे ने रिकॉर्ड किया है. मध्य प्रदेश में नाइट कर्फ्यू लग गया है. एक सवाल ये भी है कि क्या भारत में सचमुच ओमिक्रॉन के सिर्फ 346 केस है या फिर बात बहुत आगे बढ़ चुकी है? आज भारत में ओमिक्रॉन के अदृश्य सफर का विश्लेषण करेंगे और आपको भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग का कड़वा सत्य दिखाएंगे. देश में फैले लापरवाही के वेरिएंट्स के प्रति हो जाइए खबरदार.

इलियट वेव थिअरी: यह क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है? (Elliott Wave Theory In Hindi)

शेयर बाजार की दिशा और बाजार की भविष्य में क्या चाल हो सकती है इसकी पहचान करने के लिए, कई व्यापारी, शेयर बाजार विशेषज्ञ और विश्लेषक विभिन्न शेयर बाजार सिद्धांतों के आधार पर चार्ट या ग्राफ का उपयोग करके पिछले बाजार के आंकड़ों का अध्ययन करते हैं। आज हम ऐसी ही एक थिअरी यानि की इलियट वेव थिअरी के बारे में बात करेंगे जो शेयर बाजार सिद्धांतों में से एक है। इलियट वेव थिअरी (Elliot Wave Theory Hindi) वेव्स पैटर्न के आधार पर बाजार की चाल की भविष्यवाणी करने में मदद करती है। इलियट वेव थिअरी की खोज राल्फ नेल्सन इलियट (Ralph Nelson Elliot) ने की थी और उन्होंने जो सुझाव दिया था कि बाजार पहचानने योग्य पैटर्न में ऊपर या नीचे चलता है। उन्होंने इन पहचानने योग्य पैटर्न को एक संरचना दी और उन्होंने वेव्स के रूप में उनका प्रतिनिधित्व किया या यूँ कहें कि उन्होंने जो पाया वह यह था कि बाजार में ये संरचनात्मक उतार चढाव विशिष्ट वेव्स के रूप में हुए। बाजार के सिद्धांतों को दो तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है एक भविष्य कहनेवाला सिद्धांत (Predictive Theory) और एक प्रतिक्रियाशील सिद्धांत (Reactive Theory)। प्रतिक्रियाशील सिद्धांत वह है जो बाजार का अनुसरण करता है जबकि एक भविष्य कहनेवाला सिद्धांत वह है जो कुछ हद तक आपको बाजार की संभावित भविष्य की दिशा के बारे में बताता है। इलियट वेव थिअरी एक पूर्वानुमान उपकरण नहीं है, यह आपको केवल मार्केट सेंटीमेंट्स की जानकारी देता है।

इस ब्लॉग में आप आगे देखेंगे,

३. इलियट वेव थिअरी के नियम

५. क्या इलियट वेव थिअरी सच में काम करता है या नहीं ?

इलियट वेव थिअरी क्या है? (What is Elliot Wave Theory)

राल्फ नेल्सन इलियट (२८ जुलाई १८७१ - १५ जनवरी १९४८ ) एक अमेरिकी लेखाकार और लेखक ने अपने शोध के आधार पर एक सिद्धांत प्रस्तुत किया था कि वेव्स के अपने आप को दोहराने वाले पैटर्न को देखकर और पहचान कर शेयर बाजार की गति की भविष्यवाणी की जा सकती है। यही सिद्धांत इलियट वेव थिअरी (Elliot Wave Theory Hindi) के रूप में जाना जाता है।

इलियट ने बाजार का गहराई से विश्लेषण और अध्ययन किया, वेव पैटर्न की विशिष्ट विशेषताओं की पहचान की,और उन पैटर्न के आधार पर विस्तृत बाजार भविष्यवाणियां की। इलियट ‘डॉव थिअरी’ (Dow Theory) से प्रेरित थे और उन्होंने इसकी मदद ली, जो वेव्स के संदर्भ में मूल्य के उतार-चढाव को परिभाषित करता है। उन्होंने १९३० में इस सिद्धांत की खोज की, लेकिन उन्होंने १९३८ में “द वेव प्रिंसिपल”(The Wave Principle) नामक पुस्तक में बाजार के पैटर्न के अपने सिद्धांत को पहली बार प्रकाशित किया।

इलियट वेव थिअरी के मूल सिद्धांत (Principals of Elliot Wave Theory)

इलियट वेव थिअरी में वेव पैटर्न का अध्ययन होता है, यानी ट्रेंड की दिशा में गति १ ,२,३,४,५ के रूप में लेबल की गई पाँच वेव में प्रकट होती है और इसे मोटिव वेव कहा जाता है, जबकि ट्रेंड के खिलाफ कोई भी सुधार तीन वेव में होता है। A, B, C से लेबल की हुई वेव करेक्टिव वेव कहलाती हैं।

ये पैटर्न लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म चार्ट में देखे जा सकते हैं। इलियट वेव थिअरी (Elliot Wave Theory Hindi) के अनुसार पांच-वेव पैटर्न मौजूद है। जैसा कि आप ग्राफ में देख सकते हैं कि यह एक पांच-वेव्स की संरचना है जहां वेव १, ३ और ५ अनिवार्य रूप से बाजार की दिशा निर्धारित करती हैं।

वेव २ और वेव ४ मूल रूप से १, ३ और ५ वेव के लिए काउंटर वेव्स हैं। छोटे पैटर्न को बड़े पैटर्न में पहचाना जा सकता है।

वेव्स के बीच फिबोनेस्की (Fibonacci) संबंधों के साथ मिलकर बड़े पैटर्न में फिट होने वाले छोटे पैटर्न के बारे में यह जानकारी, व्यापारी को बड़े इनाम/जोखिम अनुपात के साथ व्यापारिक अवसरों की खोज और पहचान करने की क्षमता देती है।

इलियट वेव थिअरी के नियम (वेव विश्लेषण Rules of Elliot Wave Theory)

आगे दिये हुए तीन आवश्यक नियम हैं जिन्हें इलियट वेव ( Elliot Wave) का प्रयोग करने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं तोड़ सकता है। यदि कोई इन नियमों को तोड़ता है तो वह जो अभ्यास कर रहा होगा वह वास्तविक इलियट वेव सिद्धांत नहीं होगा और यहीं पर कई विश्लेषक गलतियाँ करते हैं। वे अक्सर तर्क देते हैं कि आप यहां एक नियम जानते हैं और इसका उल्लंघन किया जा सकता है लेकिन जो कोई भी किसी भी नियम का उल्लंघन कर रहा है तो ऐसा समझना चाहिए की वह अन्य सिद्धांत का अभ्यास कर रहा है। आइए अब इन नियमों को देखें,

इलियट वेव थिअरी नियम १ :-

वेव २ कभी भी वेव १ से नीचे नहीं जाता है : - यह नियम है कि वेव २ का निचला हिस्सा वेव १ से कम नहीं हो सकता है। वेव २ पूरी तरह से वेव १ के निचले हिस्से तक रिट्रेस वेव विश्लेषण कर सकता है और फिर भी इसे वेव २ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

इलियट वेव थिअरी नियम २ :-

वेव ३ कभी भी सबसे छोटा नहीं हो सकता : - किसी भी तरह से, वेव १ सबसे छोटा हो सकता है या वेव ५ सबसे छोटा हो सकता है लेकिन वेव ३ सबसे छोटा नहीं हो सकता। यह मापते समय कि वेव ३ सबसे लंबी या सबसे छोटी है, आपको अपने चार्ट को सेमी - वेव विश्लेषण लॉगरिथमिक या लॉगरिथमिक पैमाने पर रखने की आवश्यकता है, लेकिन इसे अंकगणितीय पैमाने पर नहीं रखना चाहिए क्योंकि कभी-कभी यह जानना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी वेव सबसे लंबी है और कौन सी है सबसे छोटी। आमतौर पर शेयर बाजारों में वेव ३ सबसे लंबी वेव होती है लेकिन कमोडिटी में वेव ५ सबसे लंबी होती है।

इलियट वेव थिअरी नियम ३ :-

वेव ४ का मूल्य क्षेत्र वेव १ के मूल्य क्षेत्र में प्रवेश नहीं करता है : - इसका मतलब है कि वेव १ का हाई, वेव ४ के लो में प्रवेश नहीं कर सकता है।

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