वित्तीय प्रणाली के कार्य

कतर के वर्ल्ड कप दूत खालिद सलमान (दाएं)तस्वीर: Mateusz Smolka/ZDF
कतर विश्व कपः 'सुधार नहीं पीआर'
कतर में विवादास्पद फुटबॉल विश्व कप मुकाबलों के शुरू होने में दो सप्ताह से भी कम का समय रह गया है. लेकिन इस अमीरात राज्य में मानवाधिकारों की स्थिति अभी भी दयनीय मानी जाती है.
आसमान साफ चमकता नीला है, दूर दूर तक बादलों के निशान नहीं. करीब 35 डिग्री सेल्सियस की गर्मी हवा को तपा रही है. दोहा के अल-साद जिले की तंग सड़कों पर असंख्य कारें एक दूसरे से चिपकती हुई खिसक रही हैं. उमस है और कारों और इमारतों में एयर कंडिश्निग फुल स्पीड में चल रहे हैं. एक चौराहे पर कुछ मजदूरों ने धूप से बचने के लिए अपने सिरों और चेहरों पर स्कार्फ ओढ़ लिए हैं. कुछ लोग छोटा सा ब्रेक लेकर छाया में जाकर बैठ गए हैं. 20 नवंबर को विश्व कप का आगाज हो रहा है, और दोहा एक विशाल निर्माण स्थल की तरह दिखता है.
मरुस्थलीय देश की राजधानी में सड़कों पर कोलतार बिछाया जा रहा है, इमारतों को संवारा जा रहा है और फुटपाथ पर पत्थर लग रहे हैं. छोटे से देश कतर में शुरुआती टीमों, अधिकारियों और प्रशंसकों के आने से पहले निर्माण कार्य पूरा करना जरूरी है. लेकिन समय कम है. 2022 के फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी कतर को सौंपे हुए फीफा को 12 साल हुए. फुटबॉल की इस आधिकारिक संस्था के इतिहास में, मेजबानी को लेकर शायद ये सबसे ज्यादा विवादास्पद फैसला था.
'हर मौत बड़ी है'
कतर में प्रवासी मजदूरों के हालात की भी हाल के वर्षों में खासी कड़ी आलोचना हुई है. बेशुमार पत्रकारों और गैर सरकारी संगठनों ने कतर का दौरा किया है. और शेल्टरों और निर्माण स्थलों पर जीवनयापन के कभी कभी नारकीय हालात दर्ज किए हैं. डीडब्ल्यू को दिए इंटरव्यू में मैल्कम बिडाली ने बताया कि "मैंने ऐसे शेल्टर देखे हैं जहां 12 लोग एक साथ एक छोटे से कमरे में ठुंसे हुए थे. बेहद दयनीय हाल में था उनका जीना." 29 साल के बिडाली को एक सुरक्षा कंपनी ने दोहा में नौकरी दी थी. उनका काम था सबवे वित्तीय प्रणाली के कार्य निर्माण ठिकानों की चौकसी जहां से विश्व कप के दर्शक-प्रशंसक स्टेडियमों में आएंगे.
मैल्कम बिडालीतस्वीर: © Private/Amnesty International
असहनीय जीवन के अलावा, बताया जाता है कि हजारों आप्रवासी मजदूरों ने हाल के वर्षों में अपनी जान गंवा दी. हालांकि मौतों की वास्तविक संख्या अलग अलग बताई जाती है. कतर में आप्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न को अपने ब्लॉगों के जरिए उजागर करने वाले बिडाली कहते हैं, "हम देखते हैं कि मरने वालों में ज्यादातर 18 से 40 की उम्र के युवा स्वस्थ लोग थे. उनके मृत्यु प्रमाणपत्रों पर भी यही दिखाया गया था कि उनकी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी. लेकिन संख्या चाहे कितनी भी ज्यादा क्यों न हो, एक एक मौत बहुत भारी है बहुत ज्यादा है."
'ना के बराबर कोशिश'
लंबे समय तक, कतर की आलोचना और विश्व कप की मेजबानी को फीफा और कतर सरकार दोनों नजरअंदाज करती आई थी. सुधार रोक दिए गए थे या उनकी गति बहुत ही धीमी थी. लेकिन बदलाव होते रहे हैं. मिचालस्की समझाते हैं, "कागज पर तो बहुत कुछ बदल गया है. नियोक्ताओं पर कर्मचारी की पूरी निर्भरता का कफाला सिस्टम आधिकारिक तौर पर खत्म किया जा चुका है. लेकिन इस सिस्टम के कुछ हिस्से अभी भी अमल में हैं. अपेक्षा के हिसाब से सुधार लागू ही नहीं किए गए. जो कुछ हुआ है वो बहुत कम है और उसमें भी बहुत देर कर दी गई है."
नेपाल में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगनठ (आईएलओ) में नेपाल की ट्रेड यूनियन फेडरेशन की एक प्रतिनिधि बिंदा पांडे के मुताबिक सुधार दिखते हैं, लेकिन वे नाकाफी हैं. पांडे मानती हैं कि करीब पांच लाख लोग नेपाल से प्रवासी मजदूर के रूप में कतर गए हैं. वो कहती हैं, "कुछ बड़ी कंपनियां वित्तीय प्रणाली के कार्य और कुछ सरकारी कंपनियां नये श्रम कानूनों का पालन कर रही हैं. लेकिन छोटे और मंझौले उद्यम नहीं करते हैं. वेतन अब बैंक खाते में जाता है और कतर बड़ी संख्या में लेबर इंस्पेक्टरों को ट्रेनिंग दे रहा है."
घर तक आतंक पहुँचने से पहले ही उस पर तगड़ा प्रहार करना जरूरीः पीएम मोदी
नई दिल्ली। आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के तरीकों पर चर्चा के लिए दिल्ली में आज से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन शुरू हुआ। इसमें 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं लेकिन पाकिस्तान ने इस सम्मेलन से दूरी बना ली है। पाकिस्तान का दूरी बनाना इसलिए जायज है क्योंकि जिस देश की आधिकारिक नीति ही आतंकवाद को बढ़ावा देने की हो वह आखिर किस मुंह से आतंक के वित्त पोषण पर रोक लगाने के सम्मेलन में हिस्सा लेता।
जहां तक इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री के संबोधन की बात है तो आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा वित्तीय प्रणाली के कार्य है कि भारत ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया है और वह तब तक चैन से नहीं बैठेगा जब तक इसे जड़ से उखाड़ कर फेंक नहीं दिया जाता। प्रधानमंत्री ने राजधानी स्थित होटल ताज पैलेस में आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर ‘आतंक के लिए कोई धन नहीं’ (नो मनी फॉर टेरर) विषय पर आयोजित मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि दशकों से विभिन्न नामों और रूपों में आतंकवाद ने भारत को चोट पहुंचाने की कोशिश की और इस वजह से देश ने हजारों कीमती जीवन खो दिए लेकिन इसके बावजूद देश ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया है।
Asset Coverage Ratio क्या है?
इक्विटी निवेशक कंपनी के मालिक होते हैं, इसलिए यदि वित्तीय प्रणाली के कार्य कंपनी लाभदायक नहीं है तो उन्हें अपने निवेश पर कोई रिटर्न नहीं मिलेगा। हालांकि, Debt Investor को सभी परिस्थितियों में नियमित अंतराल पर ब्याज (और कई मामलों में मूलधन) का भुगतान करने की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थितियों में जब कंपनी लाभदायक नहीं है, ऋण निवेशकों को चुकाने के लिए Management को कंपनी की संपत्ति बेचने के लिए मजबूर किया जा सकता है। Equity और Debt दोनों निवेशक कुल संपत्ति कवरेज अनुपात का उपयोग कर सकते हैं ताकि कंपनी की ऋण बाध्यता बनाम संपत्ति का कितना मूल्य हो, इसका सैद्धांतिक बोध प्राप्त किया जा सके।
विश्लेषक इस अनुपात का उपयोग किसी कंपनी की वित्तीय स्थिरता, पूंजी प्रबंधन और समग्र जोखिम को मापने के लिए भी करते हैं। अनुपात जितना अधिक होगा, निवेशक के दृष्टिकोण से उतना ही बेहतर होगा क्योंकि इसका मतलब यह है कि परिसंपत्तियों की संख्या देनदारियों से काफी अधिक है। दूसरी ओर, एक कंपनी, एक स्वस्थ परिसंपत्ति कवरेज अनुपात को बनाए रखने की तुलना में उधार ली जा सकने वाली राशि को अधिकतम करना चाहेगी।
एसेट कवरेज अनुपात का उपयोग कैसे किया जाता है ? [How is the asset coverage ratio used?]
कंपनियां जो फंड जुटाने के लिए स्टॉक या इक्विटी के शेयर जारी करती हैं, उन फंडों को निवेशकों को वापस भुगतान करने के लिए वित्तीय दायित्व नहीं होता है। हालांकि, जो कंपनियां बांड की पेशकश के माध्यम से ऋण जारी करती हैं या बैंकों या अन्य वित्तीय कंपनियों से पूंजी उधार लेती हैं, उनका दायित्व समय पर भुगतान करना होता है और अंत में, उधार ली गई मूल राशि का भुगतान करना होता है।
परिणामस्वरूप, किसी कंपनी का ऋण धारण करने वाले बैंक और निवेशक यह जानना चाहते हैं कि कंपनी की आय या लाभ भविष्य के ऋण दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन वे यह भी जानना चाहते हैं कि यदि आय में कमी आती है तो क्या होगा।
No Money For Terror: PM मोदी आज दिल्ली में टेरर फंडिंग पर वैश्विक बैठक को करेंगे संबोधित
PM Modi Global Meet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ (NMFT) मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कहा कि ‘आतंकवाद के लिए कोई धन नहीं: आतंकवाद के वित्तपोषण से मुकाबले के लिए मंत्रियों का सम्मेलन’ का आयोजन किया जाएगा।
बता दें कि अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवंबर 2019 में मेलबर्न में ये सम्मेलन पहले आयोजित किया जा चुका है। सम्मेलन का तीसरा संस्करण दिल्ली में 18 और 19 नवंबर को आयोजित किया जा रहा है।
पीएमओ ने कहा, “इसमें दुनिया भर के लगभग 450 प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिनमें मंत्री, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुख और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख शामिल हैं।”
चार सत्रों में किया जाएगा विचार विमर्श
सम्मेलन के दौरान चार सत्रों में विचार-विमर्श किया जाएगा, जो ‘आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण में वैश्विक रुझान’, ‘आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों का उपयोग’, ‘उभरती प्रौद्योगिकियों और आतंकवादी वित्तपोषण’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय सहयोग’ पर केंद्रित होगा।
पीएम मोदी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस कार्यक्रम का समापन करेंगे। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के दृढ़ संकल्प और इसके खिलाफ सफलता हासिल करने के लिए इसकी समर्थन प्रणाली को व्यक्त करेंगे। गुरुवार को, भारत ने कहा कि सम्मेलन को लेकर चीन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है, साथ ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी इस आयोजन में भाग नहीं ले रहे हैं।
78 देशों के प्रतिनिधि सम्मेलन में होंगे शामिल
दिल्ली में 18 नवंबर और 19 नवंबर को आयोजित होने वाले दो दिवसीय सम्मेलन में कुल 78 देशों और 20 देशों के मंत्रियों सहित बहुपक्षीय संगठनों ने अपनी उपस्थिति की पुष्टि की है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने कहा, “18 नवंबर से शुरू हो रहे ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन के तीसरे संस्करण में कुल 78 देश और बहुपक्षीय संगठन भाग ले रहे हैं।”
सम्मेलन में पाकिस्तान और अफगानिस्तान की उपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर एनआईए महानिदेशक ने कहा, “पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे हैं।”
क्या है सम्मेलन का उद्देश्य
इससे पहले पेरिस और मेलबर्न में सम्मेलन का पहला और दूसरा संस्करण आयोजित किया जा चुका है। सम्मेलन का मकसद पिछले दो सम्मेलनों में आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के विषय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच हुई चर्चा को आगे ले जाना है।
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एसबीआई सीबीओ तैयारी रणनीति 2022: भारतीय स्टेट बैंक 4 दिसंबर 2022 को एसबीआई सर्कल आधारित अधिकारी परीक्षा आयोजित करने जा रहा है। जिन उम्मीदवारों ने एसबीआई सीबीओ 2022 के लिए आवेदन किया है, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे एसबीआई सीबीओ तैयारी के सुझावों पर टिके रहें, जैसा कि विशेषज्ञों ने पहली बार में परीक्षा को क्रैक करने के लिए सुझाव दिया था। कोशिश करना। अधिसूचना के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक में सर्कल आधारित अधिकारी की लगभग 1422 रिक्तियों को बैंक द्वारा सूचित किया गया है।